बिजली उत्पादन में लगातार गिरावट के कारण ऊर्जा निगम डिमांड को पूरी करने के लिए प्रतिदिन करोड़ों की बिजली खरीद रहा है. यूपीसीएल की ओर से रोजाना चार से पांच मिलियन यूनिट तक की बिजली कटौती की जा रही है...
चन्द्रशेखर जोशी की विस्तृत रिपोर्ट
उत्तराखण्ड में बिजली को लेकर हाहाकार मच गया है. बाहरी राज्यों से भी सरकार को बिजली पैसा लेकर भी ढूंढने से नहीं मिल रही है. डिमांड लगातार बढ़ने की वजह से ग्रिड फेल होने का खतरा पैदा हो गया है. बिजली की कमी के चलते उत्तराखंड में स्थापित करीब 10 हजार औद्योगिक इकाइयां ठप होने के कगार पर आ गई हैं. इन इकाइयों में 12 घंटे की लगातार कटौती चल रही है.
औद्योगिक संगठनों ने फैसला किया है कि यदि उन्हें इसी तरह की समस्या आगे भी झेलनी पड़ती है तो वे उद्योगों को ठप कर सड़कों पर उतर आएंगे. राज्य में विद्युत उत्पादन में कमी का सिलसिला जारी है.दूसरे दिन भी उत्पादन केवल 13 मिलियन यूनिट के करीब रहा. केंद्रीय पूल ने भी प्रदेश को दी जाने वाली बिजली में दो मिलियन यूनिट की कटौती कर दी है. उसका कहना है कि कोयले की कमी से थर्मल पावर और जल की कमी से हाइड्रो पावर परियोजनाओं से पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है.
राज्य सरकार की ओर से पिछले 24 घंटे के लिए 150 मेगावाट बिजली साढ़े छह रुपये प्रति यूनिट से खरीदी गई थी. सिर्फ चार घंटे के बाद ग्रिड से बिजली मिलनी बंद हो गई. आगे के लिए भी अतिरिक्त बिजली खरीद नहीं हो पाएगी. सभी राज्यों ने हाथ खड़े कर दिए हैं.
उत्तराखण्ड पावर कार्पोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर बिजली की हाहाकार से कुछ भी चिंतित नही है, मीडिया में प्रकाशित हो रहे उनके बयान से आभास होता है कि उन्हें सूबे में मचे हाहाकार से कोई चिंता नहीं है, तभी वह बडे सहज होकर कह रहे हैं कि बिजली की मांग गरमी बढ़ने के साथ ही काफी बढ़ गई है. कुछ दिनों से उत्पादन में गिरावट देखने को मिल रही है. जून माह में यह दिक्कत पहली बार आ रही है. कुछ दिनों में उत्पादन ठीक हो जाएगा. इससे मांग व उत्पादन में अंतर न के बराबर हो जाएगा.
वहीं बिजली उत्पादन में लगातार गिरावट के कारण ऊर्जा निगम डिमांड को पूरी करने के लिए प्रतिदिन करोड़ों मूल्य की बिजली खरीदने के लिए मजबूर है. उत्पादन में आ रही गिरावट को देखते हुए यूपीसीएल की ओर से रोजाना चार से पांच मिलियन यूनिट तक की बिजली कटौती की जा रही है. एक जून से 12 जून के बीच प्रदेश का ऊर्जा उत्पादन अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है.
इस दौरान उत्पादन 13 मिलियन यूनिट के आस-पास रहा जबकि आमतौर पर पांच जून के बाद बिजली उत्पादन 20 मिलियन यूनिट के बीच रहता है. पंजाब और हरियाणा से बैंकिंग की गई बिजली की आपूर्ति बंद होने हो जाने से उत्तराखण्ड विद्युत निगम बिजली की मांग पूरा नहीं कर पा रहा हैं.
इस पर उत्तराखण्ड विद्युत निगम ने ओपन टेंडर के जरिए राजस्थान एपीएल, छत्तीसगढ़ एसपीएल, राजस्थान एससीएल, ओडिशा व पीटीसी कंपनियों से पांच रुपये की दर से औसतन 11.5217 एमयू बिजली खरीदी. इसके अलावा सेंट्रल ग्रिड से तीन रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली की खरीद की गयी है. बिजली उत्पादन घटने से एक ओर जबर्दस्त बिजली कटौती हो रही है तो दूसरी ओर राज्य के राजस्व को करोड़ों का नुकसान हो रहा है.
वहीं दूसरी ओर मई व जून में बारिश न होने और जून के दूसरे सप्ताह में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिमपात से नदियों का डिस्चार्ज काफी गिर गया है. यही वजह है कि राज्य में बिजली उत्पादन में तेजी से कमी आई है. उत्तराखंड के लिए यह स्थिति मौसम की दोहरी मार की तरह है. देवभूमि में पहाड़ और मैदान दोनों ही जगह गर्मी दम निकाल रही है. राजधानी में ही अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार हो गया है.
जून महीने की शुरुआत में उत्तराखंड जल विद्युत निगम की इकाइयां बेहतर उत्पादन दे रही थीं. पहली जून को 20.337 मिलियन यूनिट (एमयू) उत्पादन निगम के लघु, मध्यम एवं बृहद परियोजनाओं से हुआ. इसके बाद उत्पादन गिरना शुरू हुआ और लगातार गिरता चला गया. 12 जून को रामगंगा परियोजना से मिल रहे करीब 1.50 एमयू बिजली से थोड़ा उत्पादन बढ़ा है. उत्पादन गिरने की मूल वजह नदियों का जल स्तर गिरना है. छह जून के बाद नदियों का जल स्तर तेजी से गिरा है. नदियों का जल स्तर गिरने की दो वजह मानी जा रही हैं.
हरिद्वार से प्राप्त सूचना के अनुसार 10 से 12 घंटे की रोजाना हो रही विद्युत कटौती से नाराज सिडकुल की औद्योगिक इकाइयों ने फैक्ट्रियों में ताला बंद कर चाभी सीएम को सौंपने की चेतावनी दी है. सिडकुल सहित जिले के सभी औद्योगिक क्षेत्रों में 10 से 12 घंटे की हो रही अघोषित विद्युत कटौती ने सिडकुल को आंदोलित कर दिया है.
प्रदर्शन में जिले की अधिकांश औद्योगिक यूनियनों ने संयुक्त संघर्ष समिति बनाते हुए एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज एण्ड ट्रेड एसोसिएशन के बैनर तले एक साथ भाग लिया. इसमें सिडकुल इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन, सिडकुल मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन, भगवानपुर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, हरिद्वार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, बहादराबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और सिडकुल इंटरप्रीनियोर इंडस्ट्रीज वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़ी औद्योगिक इकाइयों के लोगों ने भाग लिया.
सिडकुल में स्थापित इकाइयों में रोजाना करीब 80 करोड़ का उत्पादन होता है. बिजली कटौती से इसमें लगभग 10 प्रतिशत की कमी आ गई है, इस तरह हर दिन 8 करोड़ का नुकसान हो रहा है. वहीं अघोषित बिजली कटौती के कारण छोटी औद्योगिक इकाइयों को अधिकांशत: अपने वर्करों को बिना काम के ही मजदूरी देनी पड़ रही है.
बिजली कटौती के कारण हो रहे घाटे से उबरने में नाकामयाब रहने पर सिडकुल स्थित पंकज पॉवर सॉल्यूशन बंद हो गई. वहीं दूसरी ओर बिजली कटौती के चलते औद्योगिक इकाइयों को अपना काम चलाने के लिए बड़े पैमाने पर जनरेटर का उपयोग करना पड़ रहा है.
वहीं देहरादून के निकटवर्ती क्षेत्र चकराता में क्षेत्रीय विधायक व कांबीना मंत्री प्रीतम सिंह का अभिनन्दन समारोह आयोजित हुआ. वहीं दूसरी ओर पछवादून में सात घंटे से अधिक बिजली कटौती की जा रही है. इसके विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को उप जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा.
गर्मी के मौसम में पछवादून में लगातार करीब सात घंटे की बिजली कटौती से पेयजल व्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. बिजली कटौती के विरोध में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष कुंवर पाल के नेतृत्व में कार्यकर्ता एसडीएम से मिलकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में कार्यकर्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश को बिजली कटौती से मुक्त रखने की बात कह चुके हैं. उसका संबंधित अधिकारी पालन नहीं कर रहे हैं. वर्तमान में उद्योगों को दी जा रही बिजली में कटौती कर आम जनता को राहत देनी जरूरी है.
स्थानीय लोगों में इको लेकर भी आक्रोश है कि क्षेत्र में पांच-पांच जल विद्युत परियोजनाएं होने के बावजूद पछवादून को बिजली कटौती झेलनी पड़ रही है, जबकि यह क्षेत्र परियोजना क्षेत्र में होना चाहिए. कटौती से व्यापार पर भी बुरा असर पड़ रहा है. व्यापारियों का कहना है कि राज्य में अगर बिजली का संकट है तो विभाग को इसके लिए समय निर्धारित करना चाहिए.
विकासनगर के मांडूवाला क्षेत्र में दस घंटे बिजली कटौती से उपभोक्ता बेहद परेशान हैं. एक तरफ मुख्यमंत्री ने बिजली कटौती पूरी तरह से बंद करने की बात कही है, वहीं दूसरी तरफ विकासनगर क्षेत्र में कई घंटे की बिजली कटौती हो रही है. मांडूवाला में दस घंटे तक की कटौती ने लोगों को भीषण गर्मी में बेहाल कर दिया है. मांडूवाला क्षेत्र में कई बड़े इंस्टीट्यूट भी हैं. इससे शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है.
वहीं राजधानी देहरादून में बिजली की अघोषित कटौती से गुस्साए भाजपाइयों ने 12 जून को हरिद्वार रोड स्थित ऊर्जा निगम के मुख्य अभियंता कार्यालय में अधिशासी अभियंता का घेराव किया. इसके अलावा भाजयुमो के मंडल अध्यक्ष सतीश कश्यप की अगुवाई में भाजपाइयों ने बिजली संकट के विरोध में सब डिवीजन निरंजनपुर के एसडीओ अनुज अग्रवाल का घेराव किया. उन्होंने कहा कि चमनपुरी, ब्रहमपुरी, निरंजनपुर, माजरा, ब्राह्मणवाला में मंगलवार को दोपहर एक से चार बजे तक कटौती की गई, जिससे लोग बिलबिला उठे. उन्होंने कहा कि यदि बिजली कटौती शीघ्र बंद न की गई तो बिजलीघर में ताला लगाकर अफसरों को कमरे में बंद कर देंगे.
अघोषित बिजली कटौती को लेकर भारतीय जनता पार्टी के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के महामंत्री महेश पांडे के नेतृत्व में मुख्य अभियांता का घिराव किया. इस मौके पर महेश पांडे ने कहा कि भाजपा के शासन में विद्युत समस्याओं को लेकर नये ट्रांसफार्मर, नई विद्युत लाइन, लो वोल्टेज आदि की समस्याओं के निस्तारण कि लिए जो कदम उठाये गए थे उन्हें मौजूदा सरकार ने रोक दिया है. जिससे जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आराघर चौक स्थित बिजलीघर का घिराव करते हुए प्रदर्शनकारियों ने विद्युत समस्या का निस्तारण करने की मांग की है.
देहरादून के निकटवर्ती नगर ऋषिकेश, डोईवाला में घंटों हो रही अघोषित विद्युत कटौती ने लोगों को त्रस्त कर दिया है. विद्युत कटौती ने पेयजल और सिंचाई व्यवस्था को भी प्रभावित किया है. ऋषिकेश को मुख्यमंत्री ने विद्युत कटौती से मुक्त रखने की घोषणा की है लेकिन इसके बावजूद मंगलवार को सुबह साढ़े दस से दो बजे तक विद्युत कटौती की गई. इससे आम लोगों को दिक्कतें हुई वहीं व्यापारियों का काम भी प्रभावित हुआ. डोईवाला क्षेत्र में विद्युत कटौती को लेकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने फुरकान अहमद कुरैशी के नेतृत्व में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने कहा है कि भीषण गर्मी में घंटों हो रही अघोषित कटौती से जनता त्रस्त हो चुकी है इसका असर पेयजल व सिंचाई व्यवस्था में भी पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि अगर जल्द विद्युत कटौती बंद नहीं की गई तो वे उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे.
ऋषिकेश व आसपास क्षेत्र में बीते कई दिनों से अघोषित रूप से बिजली कटौती की जा रही है. बिजली कटौती के कारण लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कटौती अक्सर दिन में दो से चार बजे के मध्य की जा रही है.
विद्युत कटौती से अक्रोशित भाजपा कार्यकर्ताओं ने ऊर्जा निगम के अधिशासी अधिकारी का घेराव कर अघोषित बिजली कटौती पर रोक लगाने की मांग की है. कार्यकर्ताओं का कहना था कि बिजली कटौती से आम लोगों के साथ ही बाहर से आने वाले पर्यटकों, यात्रियों व व्यापारियों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने विद्युत कटौती न रोके जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी.
ऋषिकेश के सभासद अरविंद शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा शहर को विद्युत कटौती से मुक्त रखने के निर्देश की विद्युत विभाग अवहेलना कर रहा है. उन्होंने कहा कि तीर्थनगरी चारधाम यात्रा का मुख्य पड़ाव होने के साथ-साथ यहां पर्यटकों का वर्षभर आगमन रहता है. निरंतर हो रही बिजली कटौती से यहां के जनसमुदाय के साथ-साथ विभिन्न जगहों से आने वाले पर्यटकों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
डोईवाला:डोईवाला ग्रामीण क्षेत्रों में भी अघोषित विद्युत कटौती चलते लोगों को बिजली के साथ साथ पानी की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है. बिजली न होने से कई क्षेत्रों में पेयजल संकट भी गहराता जा रहा है. डोईवाला नगर के अलावा दुधली, रानीपोखरी, अठूरवाला, भानियावाला, भोगपुर, थानों, जौलीग्रांट आदि क्षेत्रों में यह अघोषित विद्युत कटौती लोगों पर भारी पड़ रही है.
इसके अलावा कुमायूं मण्डल के काशीपुर से प्राप्त समाचार के अनुसार लगातार हो रही बिजली की अघोषित कटौती के विरोध में व्यापारियों ने अधिशासी अभियंता का घेराव किया और उनसे बिजली की भीख मांगी. इस दौरान उन्होंने जमकर हंगामा किया. बाद में अधिशासी अभियंता को अपने साथ धूप में खड़ा कर लिया. भीषण गर्मी में लगातार हो रही अघोषित बिजली कटौती से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. लोग बिजली के साथ पानी को भी तरस गए हैं. काशीपुर में जिलाधिकारी को भेजे ज्ञापन में सपा कार्यकर्ताओं ने कहा कि बिजली कटौती से किसानों की फसल सूख रही है. सिंचाई को कोई व्यवस्था नहीं है.
रूद्रपुर में अघोषित विद्युत कटौती के खिलाफ विधायक राजकुमार ठुकराल कलक्ट्रेट पर बुधवार को उपवास पर बैठें. शहर में विद्युत व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही. रोजाना सात से आठ घंटे तक बिजली गुल होने से लोग बेहाल हैं. समय से बिजली आपूर्ति नहीं होने से पेयजल किल्लत भी बनी हुई है. सरकारी, गैरसरकारी कार्यालयों और घरों के कूलर, पंखे बंद होने से लोगों को खासी दिक्कत हो रही है. इसके बावजूद विद्युत विभाग आपूर्ति दुरुस्त नहीं कर पा रहा. उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश कहा जाता है, मगर विद्युत संकट से लोगों का जीना दूभर हो गया है. अघोषित विद्युत कटौती से न केवल आम लोग परेशान है, बल्कि उद्योग और फसल भी प्रभावित हो रही है. विद्युत अव्यवस्था के खिलाफ आए दिन विद्युत विभाग और सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन हो रहा है. तब भी सरकार पर फर्क नहीं पड़ रहा.
खटीमा में विद्युत कटौती से सीमांत क्षेत्र के उपभोक्ता परेशान हैं. कई महीनों से क्षेत्र में भीषण विद्युत संकट चल रहा है. व्यवस्था में नाममात्र को भी सुधार नहीं आया. इसके विपरीत कटौती का समय और बढ़ा दिया गया. विधायक धामी ने भी सत्र के दौरान विधानसभा में खटीमा की विद्युत कटौती का मुद्दा जोरशोर से उठाया. इसके बावजूद व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ.
चम्पावत से प्राप्त समाचार के अनुसार प्रदेश में बिजली उत्पादन में गिरावट का असर अब पर्वतीय क्षेत्र में भी पड़ने लगा है. बीती रोज की अपेक्षा 11 जून मंगलवार को सुबह करीब साढ़े नौ बजे से छह घंटे से अधिक बिजली कटौती से जनता त्रस्त रही. इससे विभिन्न व्यवसायिक गतिविधियों प्रभावित हुई. जिले का टनकपुर व बनबसा क्षेत्र जहां मैदानी है, वहीं चम्पावत व लोहाघाट क्षेत्र पर्वतीय है. इसमें मैदानी क्षेत्र में भीषण गर्मी के बीच बिजली की खपत बढ़ गई है. इस पर घंटों बिजली कटौती से गर्मी के आरंभ से ही उपभोक्ता त्रस्त हैं. बीते दिनों सीएम ने कटौती से राहत का बयान दिया था, लेकिन इसके कुछ दिनों के बाद ही कटौती तेज हो गई. अब चार से बढ़कर अब छह घंटे कटौती हो रही है.
(चन्द्रशेखर जोशी himalayauk.org के संपादक हैं.)
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