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Monday, January 27, 2014

उत्तराखंड में चिकित्सा के नाम खुली लूट

उत्तराखंड में चिकित्सा के नाम खुली लूट

पलाश विश्वास


उत्तराखंड में चिकित्सा के नाम पर जो खुली लूट चल रही है,हम भी अब इसके भुक्तभोगी हैं।


सविता की भाभी श्रीमती पद्दो विश्वास बेहोश हो गयी तो उन्हें हल्दवानी के कृष्णा नर्सिंग होम ले जाया गया,जहां उन्हें सीसीय़ू में दाखिल कराया गया।डाक्टरों ने मरीज को कोमा में बता दिया।सिटी स्कैन कराया गया और ब्रेन की एंजियोग्राफी भी हो गयी। डाक्टरों ने बताया कि मरीज के ब्रेन के मिडिल में हैमरेज हुआ है।एक नस फट गयी है तो दूसरी बुरी तरह क्षतिग्रस्त है।सारे परिजन घबड़ा गये।डाक्टरों ने बताया कि आपरेशन जरूरी है और मरीज के बचने की संभावना शून्य बराबर है।


मेरा भाई पद्दोलोचन समेत सविता के मायके वाले नर्सिंग होम में डेरा डाले हुए थे।तो रुद्रपुर से तिलक राज बेहड़ पहुंच गये और हल्द्वानी के मित्रों ने भी हस्तक्षेप किया।अचानक मरीज होश में आ गयी।लेकिन तब भी डाक्टर वन पर्लसेंट सरवाइवल चांस और अर्जेय न्यूरो सर्जरी की बात कर रहे थे।


इसी बीच लखनऊ में केंद्र सरकार के स्व्स्थ्य निदेशक क्षेत्रीय से हमारी बात हुई तो उन्होंने कहा कि नर्सिंग होमवालो की डायोगनिसिस गलत हो सकती है।मरीज को अन्यत्र शिफ्ट कर लिया जाये।उन्होंने कहा कि दाखिला में दिक्कत हो तो मैं उनको फोन करुं। उनसे बात कर रहा था कि हल्द्वानी से पोन आ गया कि नर्सिंग होम वाले पेशेंट को डिस्चार्ज कर रहे हैं।तिलक राज बेहड़ और मित्रों के हस्तक्षेप से बिल में कटौती के बावजूद वहां करीब 35 हजार का भुगतान करना पड़ा।


फिर मित्रों ने देहरादून ज्योली ग्रांट अस्पताल ले जाने के लिए आक्सीजन समेत एंबुलेंस का इंतजाम किया।

सविता को कभर मिलने के बाद बारी डिप्रेशन का समाना करना पड़ा।उसका बड़ा भाई भी अस्वस्थ हैं।परिावर के सारे लोग परेशान ते।सर्जरी की तैयारी में घर द्वार जमीन तक बेचने की तैयारी हो गयी।


ज्याली ग्रांट में दाखिला तुंरंत हो गया।रात के तीन बजे मरीज के वहां पहुंचते ही। पहाड़ भर में फैले हमारे तमाम परिजनों को हमन हर माध्यम से खबर कर दी।उमेश तिवारी विश्वास ने बेंगलूर से ज्ाली ग्रांट के डाक्टर वर्मा से बात की फिर उमेसी जी को साले साहब का नंबर देने पर डाक्टर ने तुरंत उनसे बात की।


ज्याली ग्रांट में नर्सिंग होम के तमाम जांच पड़ताल को खारिज करके आपरेशन से पहले नये सिरे से जांच पड़ताल करने का फैसला हुआ।


आपरेशन कल होना तय हुआ।


लगातार कई दिनों तक दौड़ भाग करने से बिजनौर से हल्द्वानी फिर हल्द्वानी से जदेहरादून तक निरंतर गाड़ी ड्राइव करने और रात जगे होने के कारण हमने सविता के भतीजे रथीन्द्र को आराम करने के लिए छोड़ दिया और कहा कि आपरेशन से पहले अस्पताल पहुंच जाना।


अभी अभी रथींद्र का फोन आया कि मरीज की हालत बिल्कुल सही है और उसके दिमाग के आपरेशन की कोई जरुरत नहीं है। ज्याली ग्रांट में नये सिरे से जांच पड़ताल के बाद पता चला कि नर्सिंग होम में जो भयानक चित्र खींचा गया और जैसे बिल बनाया गया,उसका कोई आधार नहीं है। थोड़ा बहुत दिमाग पर जो असर हुआ है,वह दवा से ठीक हो जायेगा। मरीज को दस दिनों में छुट्टी मिल जायेगी।


शुक्र है कि नर्सिंग होम की सिपारिश के मुताबिक मरीज को अन्यत्र लेने जाने का फैसला नहीं हुआ और ज्याली ग्रांट ले जाना हुआ।वरना हमारे साले साहब का धर द्वार और जमीन आदि कल सुबह तक बिक जाने की पूरी तैयारी थी।


यह है उत्तराखंड में चिकित्सा के नाम पर खुली लूट का भोगा हुआ यथार्थ।


न जाने कैसे कैसे परिस्थितियों में तराई और पहाड़ में हमारे लोगों को इस तरह लूटा जा रहा है।


इसके विरुद्ध आप सबको सचेत करने के लिए यह सूचना।


हमने शुरु से आप लोगों को एक गलत खबर की सूचना देकर चिंता में डाला,कृपया अपना परिजन समझकर इसके लिए माफ करें।


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