Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Thursday, January 14, 2016

सपा की वादाखिलाफी के चलते बेगुनाह 8 साल जेल में सड़ने के लिए थे मजबूर- रिहाई मंच

Rihai Manch press note:- सपा की वादाखिलाफी के चलते बेगुनाह 8 साल जेल में सड़ने के लिए थे मजबूर- रिहाई मंच


Rihai Manch : For Resistance Against Repression
---------------------------------------------------------------------------------
सपा की वादाखिलाफी के चलते बेगुनाह 8 साल जेल में सड़ने के लिए थे मजबूर- रिहाई मंच
सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए बेगुनाहों को फंसाने वाली खुफिया व पुलिस की हो जांच
मुसलमान युवकों की आतंकी छवि गढ़ने के दोषी हैं पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह व पूर्व एडीजी कानून व्यवस्था बृजलाल
बेगुनाहों व सरकार की आर्थिक हानि करने वाले दोषी खुफिया व पुलिस अधिकारियों से वसूला जाए हर्जाना

लखनऊ 14 जनवरी 2016। रिहाई मंच ने आठ साल सात महीने कैद में रहने के बाद देशद्रोह के आरोप से दोषमुक्त अजीर्जुरहमान, मो0 अली अकबर, नौशाद, नूर इस्लाम व शेख मुख्तार हुसैन की रिहाई को वादा खिलाफ सपा सरकार के मुंह पर तमाचा बताया। मंच ने देशद्रोह और यूएपीए को बेगुनाहों को फंसाने का पुलिसिया हथियार बताते हुए इसे खत्म करने की मांग की है। 

रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि 2012 में आतंकवाद के आरोप में कैद निर्दोषों को छोड़ने के नाम पर आई सपा सरकार ने अपना वादा अगर पूरा किया होता तो पहले ही बेगुनाह छूट गए होते। उन्होंने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि आतंक के आरोपों से बरी हुए लोगों को मुआवजा व पुर्नवास किया जाएगा पर खुद अखिलेश सरकार अब तक अपने शासन काल में दोषमुक्त हुए किसी भी व्यक्ति को न मुआवजा दिया न पुर्नवास किया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को डर है कि अगर आतंक के आरोपों से बरी लोगों को मुआवजा व पुर्नवास करेंगे तो उनका हिन्दुत्वादी वोट बैंक उनके खिलाफ हो जाएगा। पुर्नवास व मुआवजा न देना साबित करता है कि अखिलेश यादव हिन्दुत्वादी चश्मे से बेगुनाहों को आतंकवादी ही समझते हैं। बेगुनाहों की रिहाई के मामले में वादाखिलाफी करने वाले आखिलेश यादव अब अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे या फिर 2012 के चुनावी घोषणा पत्र की तरह फिर बेगुनाहों को रिहा करने का झूठा वादा करेंगे। मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि आज दोष मुक्त हुए तीन युवक पश्चिम बंगाल से हैं ऐसे में जब अखिलेश यादव पुर्नवास व मुआवजा की गारंटी नहीं कर रहे हैं तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इनके सम्मान सहित पुर्नवास की गांरटी देनी चाहिए।

रिहाई मंच प्रवक्ता राजीव यादव ने बताया कि 12 अगस्त 2008 को लखनऊ कोर्ट परिसर में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब को आतंकवाद का केस न लड़ने के लिए हिन्दुत्वादी जेहनियत वाले अधिवक्ताओं द्वारा मारने-पीटने के बाद उल्टे मुहम्मद शुऐब व आतंकवाद के आरोप में कैद अजीर्जुरहमान, मो0 अली अकबर, नूर इस्लाम, नौशाद व शेख मुख्तार हुसैन के खिलाफ हिन्दुस्तान मुर्दाबाद-पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाने का झूठा आरोप लगाया गया था। लखनऊ की एक स्पेशल कोर्ट ने आज आईपीसी की धारा 114, 109, 147, 124 ए (देशद्रोह) और 153 ए के तहत अभियुक्त बनाए गए अजीर्जुरहमान, मो0 अली अकबर, नौशाद, नूर इस्लाम व शेख मुख्तार हुसैन को दोषमुक्त किया है। नवंबर 2007 में यूपी की कचहरियों में हुए धमाकों के बाद जब आतंकवाद का केस न लड़ने व किसी अधिवक्ता को न लड़ने देने का फरमान अधिवक्ताओं के बार एशोसिएशनों ने जारी किए थे उस वक्त अधिवक्ता मुहम्मद शुऐब ने इसे संविधान प्रदत्त अधिकारों पर हमला और अदालती प्रक्रिया का माखौल बनाना बताते हुए आतंकवाद के आरोपों में कैद बेगुनाहों का मुकदमा लड़ना शुरु किया था। जनवरी 2007 में कोलकाता के आफताब आलम अंसारी कि मात्र 22 दिनों में रिहाई से शुरु हुई बेगुनाहों की इस लड़ाई में मुहम्मद शुऐब और उनके अधिवक्ता साथियों पर प्रदेश की विभिन्न कचहरियों में हमले हुए। पर ऐसी किसी भी घटना से विचलित न होते हुए रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब अब तक दर्जन भर से अधिक आतंकवाद के आरोप में कैद बेगुनाहों को छुड़ा चुके हैं। 

मंच के प्रवक्ता ने कहा कि इंसाफ की इस लड़ाई में हम सभी ने अधिवक्ता शाहिद आजमी, मौलाना खालिद मुजाहिद समेत कईयों को खोया है पर इस लड़ाई में न सिर्फ बेगुनाह छूट रहे हैं बल्कि देश की सुख शांति के खिलाफ साजिश करने वाली खुफिया-सुरक्षा एजेंसियों की हकीकत भी सामने आ रही है। उन्होनें बताया कि इस मुकदमें से बरी हुए अजीर्जुरहमान, मो0 अली अकबर हुसैन, नौशाद, नूर इस्लाम, शेख मुख्तार हुसैन के अलावां जलालुद्दीन जिनपर हूजी आतंकी का आरोप लगाया गया था अदालत द्वारा अक्टूबर 2015 में पहले ही निर्दोष घोषित किए जा चुके हैं। जून 2007 में इनके साथ ही यूपी के नासिर और याकूब की भी गिरफ्तारी हुई थी जिन्हें भी अदालत दोषमुक्त कर चुकी है। जून 2007 में लखनऊ में आतंकी हमले का षडयंत्र रचने वाले सभी आरोपी जब बरी हो चुके हैं तो इस घटना पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। यहां गौर की बात है कि 2007 में मायावती और राहुल गांधी पर आतंकी हमले के नाम पर मुस्लिम लड़कों को झूठे आरोपों में न सिर्फ पकड़ा गया बल्कि 23 दिसबंर 2007 को मायावती को मारने आने के नाम पर दो कश्मीरी शाल बेचने वालों का चिनहट में फर्जी मुठभेड़ किया गया। ऐसे में आतंकवाद की राजनीति के तहत फंसाए गए इन युवकों पर राहुल और मायावती को अपना मुंह खोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन सभी घटनाओं के दौरान विक्रम सिंह जहां डीजीपी थे तो वहीं बृजलाल एडीजी कानून व्यवस्था ऐसे में इन झूठे आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में की जाए। 

नागरिक परिषद के रामकृष्ण ने कहा कि पुलिस के झूठे आरोपों के चलते तकरीबन आठ साल जेल में रखकर न सिर्फ इन बेगुनाहों के खिलाफ षडयंत्र किया गया बल्कि मुल्क के खिलाफ भी। सांप्रदायिक जेहनियत की खुफिया और पुलिस विभाग के चलते देश के नागरिकों के बीच वैमनश्यता बढ़ाने की साजिश की गई। आज जब सभी आरोपी बरी हो चुके हैं तो देश में सांप्रदायिक सौहार्द खराब करने का मुकदमा दोषी पुलिस व खुफिया अधिकारियों पर किया जाए। आठ सालों से इन बेगुनाहों व इनके परिवार को जो शारीरिक-मानसिक व आर्थिक हानि हुई है और झूठा केस बनाने के नाम पर सरकारी धन का जो दुरुपयोग हुआ है, उसे दोषी पुलिस व खुफिया अधिकारियों से वसूला जाए। 

द्वारा जारी- 
राजीव यादव
(प्रवक्ता, रिहाई मंच) 
09452800752
------------------------------------------------------------------------------
Office - 110/46, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon Poorv, Laatoosh Road, Lucknow
E-mail: rihaimanch@india.com
https://web.facebook.com/rihaimanch


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...