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Tuesday, December 27, 2016

क्या नोटबंदी के बाद अब ससुरा बजट ही लीक हो गया है? टैक्स सुधार?कारपोरेट कंपनियों को 46 लाख करोड़ का टैक्स माफ,टैक्स का सारा बोझ आम जनता पर


सोना उछला,शेयर बाजार चढ़ गया है।क्या फिर कुछ लीक हुआ है?

कुछ और सनसनीखेज हंगामा की तैयारी है?क्या मुनाफावसूली का पुरजोर भरोसा है?

क्या नोटबंदी के बाद अब ससुरा बजट ही लीक हो गया है?

टैक्स सुधार?कारपोरेट कंपनियों को 46 लाख करोड़ का टैक्स माफ,टैक्स का सारा बोझ आम जनता पर

कालाधन सारा निकल गया,बेनामी भी हुआ हलाल और अब पूंजी बाजार का अबाध विस्तार।

पलाश विश्वास

सोना उछला,शेयर बाजार भी चढ़ गया है।नोटबंदी के पचास दिन पूरे होने में अब सिर्फ तीन दिन बाकी है।आम जनता को कोई राहत अभी मिली नहीं है।कैशलैस डिजिटल  इंडिया में राजकाज के राजधर्म के मुताबिक कैश गायब है।छापे में सौ करोड़ मिलने के दावे के बावजूद मायावती गुर्रा रही हैं।गुजरात में पांच सौ करोड़ के केसरिया घोटाला भी उजागर है।इस पर तुर्रा यह कि छापे से बिना डरे ममता बनर्जी और राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से इस्तीफा मांगा है।आगे 30 दिसंबर से बेनामी संपत्ति के खिलाफ गाना बजाना है।फिर भी पूंजी बाजार बम बम है।पूंजी बाजार के विस्तार और कारपोरेट टैक्स में कमी के साथ सबके लिए समान लेनदेन टैक्स की तैयारी है।सीधे तौर पर कारपोरेट पूंजी के लिए टैक्स होलीडे हैं।

क्या कुछ लीक हुआ है?

क्या ससुरा बजट ही लीक हो गया है?

गौर करें कि सोने में  जारी गिरावट थम गई है। राष्ट्रीय राजधानी सर्राफा बाजार में आज सोना 11 माह के निम्न स्तर से उबरता हुआ 475 रुपये की तेजी के साथ 28,025 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। औद्योगिक इकाइयों की उठान बढ़ने के कारण चांदी भी 550 रुपये की तेजी के साथ 39,150 रुपये प्रति किलो पर बंद हुई।

           विदेशी पूंजी के निकल जाना भारत के शेयर बाजार के टूटने एवं रुपए के नरम पड़ने का यह प्रमुख कारण है।रुपया गिरता जा रहा है।

नोटबंदी परिदृश्य में दो अरब डालर विदेशी पूंजी बाजार से निकल गयी है।फिर भी शेयर बाजार बगुला भगतों की ऐने पहले अचानक बम बम है।

माजरा क्या है?

2006 से लेकर 2014 तक 36.5 लाख करोड़ रुपये बजट के जरिये टैक्स माफी कारपोरेट कंपनियों को दी जा चुकी है,जो अब करीब 46 लाख करोड़ की टैक्स माफी कुल होने को है।

मशहूर पत्रकार पी साईनाथ ने इसका पूरा लेखा जोखा पेश किया हुआ हैः

It was business as usual in 2013-14. Business with a capital B. This year's budget document says we gave away another Rs. 5.32 lakh crores to the corporate needy and the under-nourished rich in that year.  Well, it says Rs. 5.72 lakh crores  but I'm  leaving out the Rs. 40 K crore foregone on personal income tax since that write-off benefits a wider group of people. The rest is mostly about a feeding frenzy at the corporate trough. And, of course, that of other well-off people. The major write-offs come in direct corporate income tax, customs and excise duties.

If you think sparing the super-rich  taxes and duties worth Rs. 5.32 lakh crores  is  a trifle excessive, think again.  The amount we've written off for them since 2005-06 under the very same heads is well over Rs. 36.5  lakh crore.  (A sixth of that in just corporate income tax). That's  Rs. 36500000000000 wiped  off for the big boys in nine years.  .

बैंकों को लगा चूना अलग किस्सा है।गौरतलब है कि भारतीय कॉरपोरेट ने राष्ट्रीयकृत बैंकों से 11 लाख करोड से भी अधिक कर्ज लिए, जिनका उन्होंने भुगतान नहीं किया। उनसे वसूली के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया। बल्कि सरकार ने गत दो वर्षों में 1.12 लाख करोड की रकम माफ कर दी।

गौरतलब है कि राज्यसभा में जनता दल युनाइटेड के एक सदस्य ने देश में कार्पोरेट घरानों पर सरकारी के बैंकों का 5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज होने का दावा किया और खास तौर पर अदाणी समूह का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि कंपनी पर ''अकल्पनीय कृपा'' की गई तथा उसका कर्ज 72,000 करोड़ रूपये है। वर्मा ने चिंता जताते हुए कहा ''मैं सरकार से जवाब चाहता हूं कि क्या उसे इसकी जानकारी है या नहीं. अगर उसे इसकी जानकारी है तो वह क्या कर रही है। एक कंपनी पर इतना कर्ज बकाया है जितना देश में कुल किसानों पर बकाया है।

हम किसी राजनीतिक दल के पक्ष में नहीं हैं।

न हम कोई राजनीतिक कार्यकर्ता हैं।

हम बुनियादी तौर पर जनता के हक में हैं।

कालाधन चाहे किसी का हो ,हर हाल में निकलना चाहिए।बेनामी संपत्ति भी सीधे जब्त हो जानी चाहिए।

क्या नोटबंदी के बाद ऐसा कुछ भी हुआ है?

मायावती,ममता बनर्जी,सोनिया गांधी किसी के खिलाफ भी पीएमओ को खुफिया जानकारी हो तो उनके ठिकानों पर तुरंत छापेमारी कर दी जाये।जाहिर है कि यह राष्ट्रहित में भी है।सेना आधा सेना कुछ भी लगा लें,लेकिन बिना भेदभाव तमिलनाडु और दिल्ली में जैसे छापे पड़े,वैसे छापे देश भर में हर राजनेता के यहां पड़े तो आम जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता।लेकिन संघ परिवार और भाजपा के कालेधन का क्या होगा? यूपी चुनाव के लिए जो केसरिया आसमान से नोटों की वर्षा हुई है,जो पार्टी फंड में जमा है और धर्मस्थलों में भी जमा जखीरा  है,जो सत्ता संप्रदाय की अचल सचल संपत्तियां हैं,उनका क्या होगा?

यह भी साफ कर दिया जाये कि हम राहुल गांधी या ममता बनर्जी की तरह नोटबंदी में फेल प्रधानमंत्री से इस्तीफा नहीं मांगने जा रहे हैं।चेहरा बदलने से व्यवस्था नहीं बदलती।फिर अराजकता से नई व्यवस्था भी नहीं बनती है।

हम अगर संघ परिवार की राजनीति का समर्थन नहीं कर रहे हैं,तो उसी राजनीति के दूसरे रंगबिरंगे झंडेवरदारों का भी हम हर्गिज समर्थन नहीं कर रहे हैं।

कालाधन सारा निकल गया,

बेनामी भी हुआ हलाल और

अब पूंजी बाजार का अबाध विस्तार।

दरअसल पूंजी बाजार के विस्तार लिए ही  नोटबंदी  का कैशलैश डिजिटल इंडिया एजंडा है।उसीके लिए हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र का यह फंडा है।यानी पूंजी बाजार में दांव लगाने के लिए हर नागरिक को मजबूर कर देने की यह आधार योजना है।यानी एक झटके से सारी जनता को शेयर बाजार में झोंक देने का करतब है यह।

जाहिर है कि इस कारपोरेट मुक्तबाजार के खिलाफ कारपोरेट चंदे से चलने वाली राजनीति सर के बल खड़ी नहीं हो सकती।

इसलिए किसी भी राजनीतिक खेमे यूं कहिये राजनीतिक वर्ग के हम समर्थक नहीं क्योंकि उनकी राजनीतिक लामबंदी आम जनता के खिलाफ है।  

नोटबंदी का मकसद नस्ली कारपोरेट वर्चस्व है,यह हम सिरे से लिख रहे हैं।

पूंजी बाजार के विस्तार की योजना से साफ जाहिर है कि आर्थिक तौर पर असंभव कालाधन के खिलाफ नोटबंदी अभियान कैशलैस सोसाइटी के जरिए इसी योजना को अंजाम पहुंचाने की कवायद है,जिसका हम पुरजोर विरोध करते हैं।


पेटीएमप्रधानमंत्री के मुंबई के शनिवार के भाषण के बाद पूंजी बाजार की बेचैनी को शांत करने के लिए वित्त मंत्री ने रविवार को स्पष्ट किया कि शेयरों की खरीद-फरोख्त में दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ पर कर लगाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। गौरतलब है कि निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ का मुद्दा बहुत ही संवेदनशील है। प्रधानमंत्री शनिवार के उस भाषण के आधार पर यह अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि उन्होंने पूंजी बाजार पर कर बढ़ाने का संकेत दिया है।जिसका जेटली ने सिरे से खंडन कर दिया है।

नोटबंदी के लिए राष्ट्र के नाम संबोधन लीक हो जाने से सारा कालाधन सफेद हो गया और पचास दिन पूरे होने को तीन ही दिन बचे हैं,फिर भी काला धन के नाम चूंंचूं का मुरब्बा कैशलैस डिजिटल इंडिया हासिल हुआ है।

सुनहले दिनों के नाम पर पेटीएम तबाह हो रहे कारोबारियों में से पूरे पांच करोड़ को कैशलैस लेनदेन के गुर सिखायेगा तो खबर है कि मारे जाते किसानों में जान फूंकने के लिए उन्हें तोहफे बतौर स्मार्टफोन भारी पैमाने पर दिये जायेंगे।

पच्चास दिन यानी सिल्वर जुबिली कह सकते हैं नोटबंदी कि और जाहिर है कि जब्बर जश्न की तैयारी है और अब बेनामी बेनामी वृंदगान के साथ मस्त मेंहदी संगीत कार्यक्रम है।नये साल का समां हैं और सारे सितारे फिलवक्त स्वयंसेवक हैं।

विदेशी संस्थागत निवेशकों ने वर्ष के आखिरी दौर में भारतीय पूंजी बाजारों से करीब दो अरब डालर की पूंजी निकाल ली जिसका डॉलर-रुपए की विनिमय दर पर काफी असर पड़ा। फिरभी शेयर बाजार बम बम है।

क्या फिर कुछ लीक हुआ है?

कुछ और सनसनीखेज हंगामा की तैयारी है?

क्या मुनाफा वसूली का पुरजोर भरोसा है?

क्या कारपोरेट टैक्स में कटौती का फैसला हो चुका है?

कालाधन सारा निकार दियो,बैनामी पर चढ़ाई की तैयारी है और शेयर बाजार बांसों उछल रिया हौ।माजरा अतिशय गंभीर है?

क्या नोटबंदी के बाद अब ससुरा बजट ही लीक हो गया है?

मसलन सरकारी बैंकों के लिए अच्छी खबर है। सरकार इन बैंकों को ज्यादा पूंजी दे सकती है। नोटबंदी के बाद सरकार बैंकों को ज्यादा पूंजी देने पर विचार कर रही है। चालू साल में अब तक सरकारी बैंकों को 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी मिल चुकी है।यह सारा धन विदेशी सरकारी उपक्रमों के विनिवेश  या फिर कारपोरेट कंपनियों को कर्ज माफी बतौर खप सकता है।

बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 406 अंक यानि 1.5 फीसदी से ज्यादा की मजबूती के साथ 26,213 के स्तर पर बंद हुआ है। वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 125 अंक यानि 1.5 फीसदी से ज्यादा की तेजी के साथ 8,033 के स्तर पर बंद हुआ है।आज के कारोबार में दिग्गज शेयरों में आईटीसी, बॉश, टाटा स्टील, अरविंदो फार्मा, टाटा मोटर्स डीवीआर, अदानी पोर्ट्स, आईसीआईसीआई बैंक और ल्यूपिन 4-2.1 फीसदी तक उछलकर बंद हुए हैं। हालांकि दिग्गज शेयरों में गेल 1 फीसदी और ग्रासिम 0.4 फीसदी तक गिरकर बंद हुए हैं।

पेटीएमपीएम ने लाटरी आयोग के झोले छाप बगुलाभगतों के साथ मिलकर नोटबंदी को अंजाम दिया है और उन्हीं बगुला भगतों की बैठक से पहले शेयर बाजार पूरे चारसौ अंक पार कर गया।

शेयर बाजार चढ़ गया है।क्या फिर कुछ लीक हुआ है?कुछ और सनसनीखेज हंगामा की तैयारी है?क्या मुनाफावसूली का पुरजोर भरोसा है?

गौरतलब है कि  बैठक में 15 आमंत्रित सदस्य हैं जो प्रधानमंत्री के समक्ष अपनी बात रखेंगे।' रिजर्व बैंक और विभिन्न बहुपक्षीय एजेंसियों द्वारा चालू वित्त वर्ष के लिये वृद्धि के अनुमान को कम किये जाने के लिहाज से यह बैठक महत्वपूर्ण है।

रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति समीक्षा में आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.6% से घटाकर 7.1% कर दिया है।वहीं बहुपक्षीय एजेंसी एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी नोटबंदी की आर्थिक गतिविधियों पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए वृद्धि के अनुमान को कम कर 7.0% कर दिया जबकि पहले उसने 7.4% वृद्धि का अनुमान लगाया था। वित्त वर्ष 2016-17 की पहली और दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर क्रमश: 7.1% तथा 7.3% रही।

प्रधानमंत्री डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये नीति आयोग की लकी ग्राहक योजना तथा डिजिधन व्यापार योजना जैसी पहल का भी जायजा लेंगे। इन योजनाओं पर व्यय (14 अप्रैल 2017) 340 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

खबरों के मुताबिक कंपनियों ने मौजूदा वर्ष में अपने कारोबार के लिए पूंजी जरूरत के लिए बाजार सै पैसा जुटाने को तरजीह दी और लगभग 6.3 लाख करोड़ रुपए जुटाए। शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव की प्रवृत्ति के बीच पूंजी जुटाने के लिहाज से बॉन्ड उनके लिए पसंदीदा माध्यम रहा।

यह भी पढ़ें: सेंसेक्स की टॉप 10 में से सात कंपनियों का मार्केट कैप 44,928 करोड़ रुपए घटा, एसबीआई को हुआ सबसे अधिक नुकसान

विशेषज्ञों का मानना है कि ब्याज दर में कमी, बैंकों में अधिशेष नकदी और बॉन्ड जारी करने के लिए आसान नियामकीय माहौल के मद्देनजर कंपनियां नये साल में भी बाजार से पैसा जुटाने के लिए शेयर बाजारों के बजाए बांड मार्ग को तरजीह देंगी।

  • नोटबंदी के कारण शेयर बाजारों में धारणा कमजोर हुई है और विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रवृत्ति कम-से-कम 2017 के शुरूआत में तो बनी रहेगी।

  • कंपनियों ने वर्ष 2015 में भी इतनी ही राशि जुटाई और ज्यादातर राशि बॉन्ड बाजार से ही जुटाई गई थी।

  • शेयर बाजार से नई पूंजी का संग्रह 2016 में करीब 80,000 करोड़ रुपए रहा।

  • इसमें से अधिकतर राशि प्रवर्तकों को तरजीही शेयर आबंटन और आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के जरिए जुटाई गई।

  • ये कोष मुख्य रूप से व्यापार योजनाओं के विस्तार, ऋण के भुगतान और कार्यशील पूंजी जरूरतों के लिए जुटाए गए।

बजाज कैपिटल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा निवेश विश्लेषण प्रमुख आलोक अग्रवाल ने कहा, बॉन्ड जारी करने के लिए ब्याज दर में कमी, बैंकों में अधिशेष पूंजी और पहले से आसान नियामकीय व्यवस्था को देखते हुए कंपनियां 2017 में पूंजी जुटाने के लिए बॉन्ड को तरजीह दे सकती हैं।



Monday, December 26, 2016

इस लावारिश लाटरी अर्थव्यवस्था का माई बाप कौन है? #PayTMPM या FMCorporate ? पलाश विश्वास

इस लावारिश लाटरी अर्थव्यवस्था का माई बाप कौन है?

#PayTMPM या FMCorporate ?

पलाश विश्वास

इस लावारिश लाटरी अर्थव्यवस्था का माई बाप कौन है?

#PayTMPM या FMCorporate?

रिजर्व बैंक तो खैर दिवालिया है और शेर बाजार सांढ़ों और भालुओं के कब्जे में हैं।

काम धंधे,रोजगार,व्यवसाय वाणिज्य और उद्योग भी तबाह हैं।

बाजार में नकदी न होने की वजह से मक्खियों तक के भूखों मरने की नौबत है।

#PayTMPM कायदे कानून,संविधान और संसद से ऊपर है।#PayTMPMसंसद में मौन रहे और अब मीडिया पर एकाधिकार वर्चस्व के तहत मंकी बातें चौबीसों घंटे।

#PayTMPM ने पचास दिनों की मोहलत मांगी थी कि पचास दिन बाद भारतवर्ष की सरजमीं पर सुनहले दिन लैंड करने वाले थे।

राजधानी दिल्ली में कड़ाके की सर्दी है और तामपमान गिरता नजर आ रहा है और मंकी बातों की फुरसत में स्माग का अपडेट कहीं नजर नहीं आ रहा है ।शायद लैंडिग के कुहासा छंटने से पहले होने के आसार नहीं है।

क्या पता कि लैंडिंग हो गयी हो,ट्रैफिकवा ससुर शायद जाम हो या घने कुहासा में दिख ना रहे हों सुनहले दिन।जिन्हें दिख रहें हों वो कृपया दूसरों को दिखला दे।

30 दिसंबर के बाद हालात बदल जाने वाले थे।आज 26 दिसंबर है।क्रिसमस की खूब धूम रही है।आगे नया साल है।बाजार का हाल शापिंग मल है और कैशलैस लेनदेन में #PayTMPM के मुताबिक सैकड़ों गुणा इजाफा हो गया है।फिरभी संघ परिवार के सबसे घने समर्थक मुंबई में रामंदिर निर्माण के बाद भी सर धुन रहे हैं।

इतिहास परिषद के मुताबिक मोहनजोदोड़ो की डांसिंग गर्ल पार्वती हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर हैः

Mohenjodaro 'Dancing Girl' is Parvati, claims ICHR journal

The author claims that the Dancing Girl is Parvati because "where there is Shiva, there should be Shakti".


शिव के नटराज दर्शन के बारे में हम जानते हैं।उमा की तपस्या के बारे में हम बचपन से जान रहे थे।अब पार्वती मोहनजोदोड़ो और हड़प्पा में नाचती रही है,यह किस वेद पुराण में लिखा है ,हम नहीं जानते।

जाहिर है जो इतिहास नया लिख सकत हैं,चाहे तो वे वेद पुराण सारा नयका रचि सके हैं जैसे उनने मुक्त बाजारी हिंदुत्व रच दिया है।

जब मोहनजोदोड़ो में पार्वती जी नाच सकती हैं तो अयोध्या के बदले राममंदिर #PayTMPM के राजधर्म के मुताबिक मुंबई में बन गया तो रामभक्तों को तकलीफ क्यों है।घट घट में राम हैं।राम को अयोध्या में कैद करके रखना क्यों चाहते हैं।ऊपर से शिवाजी महाराज अरब सागर में भसान है।

अब संघ परिवार का कलेजा देख लीजिये कि एकमुश्त यूपी ,उत्तराखंड, मणिपुर,पंजाब जीत लेने का प्लान है।

बहुजनों को बल्कि #PayTMPM का आभार मानना चाहिए कि उनने साबित कर दिया है कि मूर्तिकला हमारी सांस्कृतिक विरासत है और मूर्ति निर्माण में हजारों करोड़ का जनधन खर्च करना कोई पाप नहीं है।मूर्ति निर्माण में बहन मायावती की उपलब्धियों पर लगा सारा कालिख धुल गया है।

इस बीच मनुस्मृति दहन भी खूब हो गया।सिर्फ कैश नहीं है।

न 30 दिसंबर के बाद कहीं कैश होना है क्योंकि #PayTMPM के मुताबिक इंडिया कैशलैस डिजिटल है।जाहिर है कि कतार में खड़े होने के बदले आप भी #PayTM कर रहे होंगे।जब #PayTMPM का कहा पूरा सच मान रहे हैं तो फिर क्यों रोते हैं कि बैंकों में पैसा नहीं है या एटीएम पर फिर वही नोकैश का बोर्ड लगा है।

कैशलैस होना है तो काहे का कैश?

#PayTMPM की मंकी बातें अब आबोहवा है।वही कायनात का ब्रह्मनाद है।

गड़बड़ी यह है कि  #PayTMPM का सुरताल काटने पर आमादा हैं FMCorporate?

FMCorporate का बार बार कहना कि कैशलैस संभव नहीं है और दरअसल लैस कैश टार्गेट है।इस उलटबांसी से सारा कंफ्यूजन है।

#PayTMPM कहि रहे हैं कि बेनामी संपत्ति से भी कालधन वैसे ही निकालेंगे जैसा नकदी का सारा कालाधन वापस आया है।यह भी कहि रहे हैं कि फाइनेंसियल सेक्टर पर हाई टैक्स लगा देंगे।

अब तक अरबपतियों को 46 लाख करोड़ का कर्ज माफी हो गया है तो क्या,आम जनता के हर खाते में लाखों करोड़ जमा करवा देंगे।

नोटबंदी में फटेहाल लोगों के खाते में हजारों करोड़ की होने भी होने लगी है।बूंद बूंद से समुंदर बनता है।हर नागरिक इसीतरह अरबपति बनने वाला है।आयकर वाले न जाने क्यों ऐसे भाग्यशाली लोगों के खिलाफ नोटिस थमा रहे हैं।

#PayTMPM इस देश में इकलौते ईमानदार आदमी हैं।संसद संविधान लोकतंत्र की ऐसी की तैसी कर दी।रिजर्व बैंक को घास नहीं डाला।

#PayTMPM ने  FMCorporate तक को नहीं पूछा।

देशशक्त स्वदेशी संघ परिवार की परवाह नहीं की।

अकेले दम सिर्फ छप्पन इंच की छाती के दम झोला छाप विशेषज्ञों को लेकर नोटबंदी कर दिखाई और सजा भी भुगतने को तैयार हैं अगर नोटबंदी फेल हो गयी।

अब आम जनता की मर्जी है कि यूपी,पंजाब,उत्तराखंड और मणिपुर में नोटबंदी पर मुहर लगाये या  #PayTMPM को शूली पर टांग दें।

FMCorporate शुरु से बेताल राग साध रहे हैं।पहले ही कह दियो कि  #PayTMPM के मजबूत कंधे हालात का जुआ ढोने को काफी है।अपना पल्ला झाड़  लिया है।

पालतू मीडिया को भी गोरखधंधा समझ में नहीं आ रहा है कि कौन सही कह रहा है।

अर्थव्यवस्था कैशलैस है कि लैसकैश है।

#PayTMPM कहि रहे हैं कि कैशलैस है।छप्पर फाड़ पुरस्कार की लाटरी बाबासाहेब के नाम निकार दियो है।

पण FMCorporate फिर वही राग तान रहे हैं कि कैशलैस असंभव है ।इकानामी दरअसल लैस कैश है।टैक्स रिफार्म के उलटबांसी रचि रहे हैं एकदम उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की तरह।

बाबा रामदेव भी अब कहि रहे हैं कि नोटबंदी में भारी घोटाला भयो है।

बाकी देश के बाकी नागरिक राष्ट्रद्रोही हैं।

FMCorporate,बाबा रामदेव,शिवसेना वगैरह वगैरह जो राजधर्म के खिलाफ बोल रहे हैं,उनके राष्ट्रद्रोह का क्या होना है,समझ से परे है।

बेहतर है कि ऐसे FMCorporate खारिज करके  #PayTMPM खुदै रेल और आम बजट का नीमकरैला पेश करके इंडिया कैशलैस डिजिटल हिंदू राष्ट्र का महान एजंडा पूरा करें।

कल दिनभर नेट नहीं चला और आज भी दोपहर तक नेट गायब रहा।गांव  देहात में नेटबाबू की कृपा का रहि,हम न जाने हैं।देश भक्त जनता जरुर ढाई फीसद कमीशन की परवाह न करके,साइबर फ्राड से बेपरवाह #PayTM में बिजी है या फिर मंकी बातों में ध्यान रमा है।

नेट न हुआ तो आंखों की पुतलियां हैं,उंगलियों की छाप हैं.काहे कैश का रोना है।सुंदर गोरे मुखड़ों का जुलूस चौबीसों घंटे कैशलैस अलाप रहे हैं।फिर रोवे काहे को.पहेली अबूझ है।

हमने आपातकाल का मीडिया देखा है।संपादकीय की इजाजत नहीं मिली तो का,संपादकीय पेज सेंसर कर दिया।सेंसर की कालिख के साथ छाप दिया।

भोपाल त्रासदी,आपरेशन ब्लू स्टार बाबरी विध्वंस और गुजरात नरसंहार में भी मीडिया का तेवर राष्ट्रद्रोही रहा है।

अब मीडिया गणवेश में है।मंकी बातों के अलावा कुछो नाही छाप रहे हैं।न कहि कुछ रहे हैं और न दिखावै कुछो है।

यह नये सिरे से अनुशासनपर्व है।

इस लावारिश लाटरी अर्थव्यवस्था का माई बाप कौन है?

#PayTMPM या FMCorporate?



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Saturday, December 24, 2016

#संस्थागतकालाधन के खिलाफ कानून के लंबे हाथ लूला हैं और लफंगे भी कितनी कारपोरेट कंपनियों और कितनी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के यहां छापे पड़े? जिंदा बचेंगे तो देख लेंगे सुनहले दिन भी।फिलहाल कुहासा है। पलाश विश्वास

#संस्थागतकालाधन के खिलाफ कानून के लंबे हाथ लूला हैं और लफंगे भी

कितनी कारपोरेट कंपनियों और कितनी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के यहां छापे पड़े?

जिंदा बचेंगे तो देख लेंगे सुनहले दिन भी।फिलहाल कुहासा है।

पलाश विश्वास

आठ नवंबर को नोटबंदी की प्रधानमंत्री की घोषणा को पूरे् 45 दिन हो गए हैं।पीएम के सुनहले दिन अमेरिका और इजराइल होकर ट्रंप के मुहर के साथ नितानयाहू की देखरेख में भारत में लैंड करने में सिर्फ पांच दिन बाकी रह गये हैं।दम तोड़ने से पहले थोड़ा और सब्र करें।कतार में मरने की कोशिश न करें।राष्ट्रद्रोह से बचें। शनिवार व रविवार को छुट्टी होने के कारण बैंकों ने अधिक से अधिक एटीएम में कैश फीड किया, ताकि लोगों को दिक्कतें न आए।बैंकों में अगले दो दिन अवकाश होने के कारण लोगों को कैश के लिए एटीएम का ही सहारा रहेगा।

मुआवजा की दीदी ने घोषणा कर दी है लेकिन  पीएमओ की मुहर अभी लगी नहीं है।घर में मरें तो बेहतर।गैस चैंबर में यूं ही दम घुटता है और यह आपका कर्मफल है।

हम तो जनमजात राष्ट्रभक्त हैं और जानते ही रहे हैं कि आदिवासियों के सफाया के बिना विकास हो नहीं सकता और दलित पिछड़े बहुजन अस्पृश्य काले अनार्य द्रविड़ देवमंडल की तरह यज्ञ के भागीदार नहीं बन सकते।शिवजी के पास फिरभी भूत प्रेत की सेना थी,नंदी भी खतरनाक था,उनके गले में नाग जहरीले थे,हमारे पास क्या हैं।हम निहत्था हैं,वध्य हैं।

ट्रंप बाबू ने राष्ट्रपति इलेक्ट बनने के बाद फिर फतवा जारी किया है कि मुसलमान देश में नहीं होने चाहिए।दरअसल वही हिंदुत्व का एजंडा है।फिर हम अमेरिका के उपनिवेश हो तो क्या, उनके और इजराइल के सबसे बड़े पार्टनर हैं।ग्लोबल हिंदुत्व के ट्रंपवा भाग्यविधाता हैं।पुतिन उनके जोडीदार हैं।हर कहीं तैनात होगें परमाणु बम। सिरफ झंडा हमारा तिरंगा है,जिसे संघ अपना मानता नहीं है।उनके मुताबिक तीन अशुभ है।तिरंगा लहराना पैदल फौजों का काम है।उनका निशान भगवा है।हमारा जनगणमन है और उनका वहीं वंदेमातरम् है।सारा देश आनंदमठ है।

बहरहाल भगवा झंडा पेशवा राज की विरासत है और शिवाजी महाराज का अरबसागर में भसान है।संविधान का क्रिया कर्म संसद में हो ही रहा है।इसलिए जो अपात्र हैं,वे अमृत चाखने की उम्मीद नकरें,समुद्र मंथन के बाद जो हुआ,नोटबंदी के बाद वहीं होगा।राहु और केतु सारे के सारे मारे जायेंगे।सूर्यदेव का तनेक्शन सीधे पीएमओ से हैं।सुद्रशन चक्र रेडी है।

जिंदा बचेंगे तो देख लेंगे सुनहले दिन भी।फिलहाल कुहासा है।

कोलकाता भी स्माग के हवाले है।बंगाल भी गायपट्टी में तब्दील है। कोलकाता केसरिया हुआ है तो स्माग तो होईबे करै हैं।मौसम,जलवायु और पर्यावरण को किसी के गुर्राने से डर नहीं लगता है।हिमालय से समुंदर तक मुक्तबाजार और देशी पूंजी के हवाले हैं और उनके पास कोई कालाधन नहीं है।

बुरा न मानें,कालाधन का जखीरा आपके बैंकखाते में है।आप  ईमानदार है तो पूरी तरह पड़ताल तफतीश के बाद आप साबित कर ही लेंगे कि आप पीएम की तरह भले ही गंगाजल न हों,दूध के धुले भी शायद न हों राजनेताओं और बाबा बाबियों, सपेरों, मदारियों और बाजीगरों की तरह,लेकिन आपका धन सफेद धन है।

अनुशासन बनाये रखें।गणवेश हो या नहीं,जयश्रीराम कहें,पहचान के लिए नंगा भी कर दें तो धीरज रखकर अपना हिंदुत्व साबित कर दें और कतारबद्ध होकर अपनी अपनी आंखों की पुतलियों और उंगलियों की छाप सत्ता के हवाले करके बिना गोरा बनाने वाली क्रीम के आप भी गोरा बन सकते हैं और प्रकृति केयर से कोमल विशुद आयुर्वेदिक त्वचा पा सकते हैं।शु्ध अनाज तेल साबुन की तरह।योगाभ्यास भी करें।हालांकि वक्तकी नजाकत के मुताबिक गैंडे की चमड़ी बनी रहे तो बेहतर हैं।

सींग उंग हो तो टोपी ओपी पहन कर ढक ढुक लीजिये वरना मुठभेड़ में मारे जा सकते हैं।

पूरा देश अब भी कतार में हैं।करोडो़ं असंगठित मजदूर कर्मचारी बेरोजगार हैं।करोडो़ं बनिया,छोटे मंझौले दुकानदार,व्यवसायी हाट बाजार मंडी से बेदखल हैं।संगठित क्षेत्र में छंटनी और विनिवेश का सिलसिला जारी है।जो भी कुछ सरकारी है,उसका निजीकरण जरुरी है।करोड़ों किसानों की खेती बाड़ी का सत्यानाश है।

पचास दिन की मोहलत है।स्नैपडील,पेटीएम और जिओ के अलावा न जाने कहां कहां कैश के लिए कमीशन देना है।न जाने किस किस कंपनी का डाटा मोबाइल पर बुक करना है और न जाने किस किस कंपनी के स्मार्ट फोन का सौदा करके घर में चूल्हा सुलगाना है।

जनता की तकलीफें पीएमओ को मिली खुफिया सूचनाओं के आधार पर देश भर में आयकर और सीबीआई के छापों की ब्रेकिंग न्यूज में किसी को नजर नहीं आ रही हैं।

पीएमओ को फोन और मेल के जरिये कौन लोग खुफिया जानकारी दे रहे हैं?

कालाधन का जो जखीरा धर्मस्थलों में हैं,उन धर्मस्थलों में जो संस्थागत हैं,कितने छापे आयकर और सीबीआई के रण बांकुरों ने अब तक मारे हैं?

इतने जो जनप्रतिनिधि हैं,जो फटेहाल हालात में चुनाव जीतने के बाद अब करोड़पति,अरबपति खरबपति वगैरह वगैरह हैं,उनेक यहां कितने छापे पड़े?

दो सौ राजनीतिक दल फर्जी हैं,जो कभी चुनाव नहीं लड़ते और जिन्हें कारपोरेट चंदा टैक्स माफ है,उनका जमा चंदा कहां खपता है,उन ठिकानों पर कहां कहां छापेमारी हुई?

मारीशस,दुबई हांगकांग से होकर जो कालाधन प्रत्यक्ष विनिवेश के तहत अरबों डालर की रकम में कारपोरेट बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तरफ से भारतीय अर्थव्यवस्था में खप रहा है,उसके खिलाफ कहां कहां छापे पड़े?

कितनी कारपोरेट कंपनियों और कितनी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के यहां छापे पड़े?

निजीकरण और विनिवेश के आलम में असंंगठित मजदूरों की सप्लाई करने वाली आउटसोर्सिंग कंपनियों के बेहिसाब कारोबार के खिलाफ कितने छापे पड़े?

खासकर तब जबकि बैंकों की कैशसप्लाई और एटीएम की देखरेख इन्ही आउटसोर्सिंग कंपनियों के मार्फत होती हैं,जिनके चोर दरवाजे बड़े पैमाने पर नये दो हजारके नोट भी काले धन हैं,ऐसी कंपनियों के यहां कहां कहां छापे पड़े?

रोजगार सारा का सारा बिल्डरों ,प्रोमोटरों,ठेकेदारों,माफिया अपराध गिरोहों,सिंडिकेट के हाथों में हैं,सारा असंगठित क्षेत्र इनके कब्जे में हैं,टैक्स की क्या कहे जो श्रम कानून कायदा कानून भी ताक पर रखकर चलते हैं,पीएओ दफ्तर की पहल पर उन लोगों पर कहां कहां कितने छापे पड़े?

निजी अस्पतालों की मुनाफावसूली और उनके गैरकानूनी गोरखधंधों की खबरे अखबारों की रोजाना सुर्खियां हैं,इऩ निजी अस्पतालों के खिलाफ कहां कहां कितने छापे पड़े?

निजी शिक्षा संस्थानों में हर भर्ती के पीछे लाखों और करोडो़ं का डोनेशन है,इस कालाधन की जब्ती कितन हुई है?

कोचिंग सेंटर और व्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्रे के नाम पर बिना फैकल्टी फ्रेंचाइजी के मशरूम की तरह हरक गली मोहल्ले में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले कितने संस्थानों के खिलाफ छापेमारी हुई है?

सामाजिक क्रांति के नाम पर महापुरुषों की फोटू टांगकर खुलक थैलियां बटोरने वाले मिशनरी संगठनों और उनके तमाम मसीहावृंद के खिलाफ कहां कहां छापेमारी हुई हैं जो डर के मारे इन दिनों भूमिगत हैं या विशुध पंतजलि या गंगाजल हैं?

सरकारी सेवा में रहते हुए निजी अस्पतालों,नर्सिंग होम,चैंबर में रोजाना हजारों,लाखों,करोड़ों कामानेवाले कितने डाक्टरों के खिलाफ छापेमारी हुई है?

हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में हर हाजिरी,हर सुनवाई पर करोडो़ं की फीस लेने वाले कितने  वकीलों के यहां छापेमारी हुई है?

भक्तजनों को अगर इन सवालों का जबाव मालूम हो तो वे साझा कर सकते हैं।

आपकी नजर में भी और ढेरों सवाल हो सकते हैं।भक्तजन जवाब दे देंगे।

संस्थागत कालाधन का परिदृश्य साफ करने के लिए फिलहाल इतने सवाल ही काफी है।उम्मीद है कि पीएओ को खुफिया जानकारी देने वालों की तेज नजर से यह संस्थागत कालाधन छुपा नहीं है।

बस,इन ठिकानों पर भी छापे पड़े रहे होंगे।पीएमओ की हरी झंडी मिलने दीजिये और स्वच्छ भारत मिशन पूरा करने के लिए 30 दिसंबर तक इंतजार कीजिये।

बहुत जल्द आपके खातों में लाखों करोडो़ं जमा होने वाला है।नया साल सचमुच मुबारक होने वाला है।

जाहिर है कि देश कैशलैस डिजिटल अमेरिका इजराइल चाहे जो भी कुछ बने,कालाधन निकलने नहीं जा रहा है। क्योंकि आठ नवंबर को नोटबंदी की प्रधानमंत्री की घोषणा को 44 दिन हो गए हैं।कालाधन के संस्थागत कारपोरेट ठिकानों तक पीएमओ के जरिए कानून के हाथ नहीं पहुंच सकते।

कानून के हाथ लूला लफंगे हैं जो आम जनता की इज्जत के साथ छेड़खानी तो कर सकते हैं,लेकिन पीएमओ के सियासी मजहबी एजंडा का दायरा तोड़कर कालेधन के संस्थागत कारपोरेट ठिकानों तक नहीं पहुंच सकते।

एकदम ताजा खबर हैःरिजर्व बैंक ने इकबालिया बयान दे दिया है कि नोटबंदी के सिलसिले में उसकी कोई तैयारी नहीं है।सत्ता के सिपाहसालार और उनके भोंपू मीडिया नोटबंदी के बाद लगातार दावे करते रहे कि रिजर्व बैंक ने करीब आठ महीने की तैयारी की है।

नये गवर्नर साहिब रिलायंस की सेवा से मुक्त होने के बाद ठीक से अपनी कुर्सी पर बैठ भी नहीं सके थे।मुंह हाथ धो नहीं सके थे।पेशाब वगैरह से फारिग होकर फ्रेश भी नहीं हो पाये थे कि इससे पहले ही नोटबंदी की सारी तैयारियां हो गयी थी।

हम शुरु से कह लिख रहे हैं कि न रिजर्व बैंक को कुछ मालूम था और न देश के सबसे बड़े कारपोरेट वकील अपने प्यारे दिलफरेब वित्तमंत्री को कोई भनक लगी थी कि कैसे मीडिया के दावे के मुताबिक गुपचुप पीएपेटीएम ने भारतीय जनता के खिलाफ नरसंहारी युद्ध की मोर्चाबंदी झोलाछाप सिपाहियों के साथ मिलकर कर ली थी।

अपने गुज्जु भाई को बेसहारा करके आम जनता के खातों में अलीबाबा की तर्ज पर खजाना सिमसिम निकालकर डालने का चाकचौबंद इंतजाम के पीछे यह विशुध पेटीएम करिश्मा है।

अंग्रेजी दैनिक हिंदुस्तान की इस खबर पर गौर करेंः

The Reserve Bank of India (RBI) recommended demonetisation of 500- and 1,000-rupee banknotes hours before Prime Minister Narendra Modi announced the surprise move in a televised address to the nation in the evening of November 8.

मतबल कि आठ नवंबर को ही पीएम के राष्ट्र को संबोधन से कुछ ही घंटे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने पांच सौ और एक हजार के नोट रद्द करने की सिफारिश कर दी थी।गौर करें कि कुछ ही घंटों में सिफारिश लागू भी कर दी गयी तो बिना पीएमओ की हरी झंडी के बिना सिफारिश के कुछ ही घंटों में महीनों की तैयारी की असलियत समझ  लें।

अब इस टिप्पणी पर भी गौर करेंः

The government and the RBI have kept the consultation process that led to the decision to demonetise 86% of India's cash in circulation a closely-guarded secret. Both, however, have insisted that the demonetisation plan had been under discussion for long and consultations were being held.

मतबल कि नोटबंदी के सिलसिले में सरकार और आरबीआई के बीच विचार विमर्श चल ही रहा था और इसीके नतीजतन अत्यंत गोपनीयता के साथ भारवर्ष में 86 फीसद नकदी बाजार में प्रचलन से बाहर कर दी गयी।हालांकि दोनों पक्षों का दावा यह रहा है नोटबंदी की योजना पर लंबे समय तक विचार विमर्श जारी रहा है।

इससे पहले यह तथ्य जगजाहिर है कि राष्ट्र के नाम संबोधन पीएम ने रिकार्डेड दिया तो कुछ ही घंटों के भीतर सिफारिश और अमल के बीच यह राष्ट्र के नाम संबोधन कब रिकार्ड किया गया था?

जाहिर है कि आम जनता की जेबों पर छापे डालने के लिए यह नोटबंदी भी बिना रिजर्व बैंक की सिफारिश के पीएमओ से सीधे हो गयी।सिफारिश तो खानापूरी के लिए रस्म अदायगी है।जिसकी कोई तैयारी नहीं है।यह विशुध मजहबी सियासत है।

गौरतलब है कि The Reserve Bank of India Act, 1934, empowers the Union government to demonetise any series of banknotes. The government, however, cannot take this decision on its own, but only on the recommendation of the RBI's central board.

यानी रिजर्व बैंक आफ इंडिया एक्ट,1934 के मुताबिक केंद्र सरकार को नोट रद्द करने का अधिकार मिला है।लेकिन सरकार रिजर्व बैंक की सिफारिश के बिना नोट रद्द नहीं कर सकती।जाहिर है कि राष्ट्र के नाम संबोधन रिकार्ड होने के बाद रिजर्व बैंक से यह सिफारिश वसूल कर ली गयी।

वही सिफारिश आठ नवंबर को नोटबंदी के ऐलान से कुछ घंटों पहले की गई। खबर के मुताबिक, केंद्र सरकार को नोटबंदी की सिफारिश करने के लिए दस में से आठ बोर्ड मेंबर्स ने मीटिंग की थी। हालांकि, कानून के हिसाब से बोर्ड में 21 सदस्य होने चाहिए। जिसमें से 14 स्वतंत्र होते हैं। लेकिन फिर भी बोर्ड लगभग आधे लोगों ने से काम चला रहा है। नोटबंदी के ऐलान से पहले ही तैयारियां जोरों पर थीं। बैंक ने 2000 के नोट के रूप में 4.94 लाख करोड़ की करेंसी पहले ही छाप ली थी। रिजर्व बैंक के अधिकारियों के मुताबिक, वह अनुमति या सिफारिश सिर्फ औपचारिकता के लिए थी।

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में नोटबंदी की घोषणा की और रिजर्व बैंक की तरफ से उन्हें यह प्रस्ताव कुछ देर पहले ही मिला था।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सूचना के अधिकार के तहत उसके सवालों के जवाब में आरबीआई ने बताया कि केंद्रीय बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 8 नवंबर को हुई बैठक में नोटबंदी की सिफारिश पारित की थी। इस बैठक में 10 बोर्ड मेंबर्स में से केवल आठ ही शरीक हुए थे, जिनमें आरबीआई प्रमुख उर्जित पटेल, कंपनी मामलों के सचिव शक्तिकांत दास, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर गांधी और एसएस मुंद्रा शामिल थे। यहां आरबीआई बोर्ड की बैठक और प्रधानमंत्री के नोटबंदी के बीच सरकार के पास बैंक के आधिकारिक प्रस्ताव पर अमल के लिए कुछ ही घंटों का वक्त था।

आरटीआई के जवाब में मिली जानकारी के मुताबिक 8 नवंबर को रिजर्व बैंक के पास 2,000 रुपये के नए नोटों में 4.94 लाख करोड़ रुपये थे। यह राशि नोटबंदी में अमान्य हुए करीब 20 लाख करोड़ रुपये के एक चौथाई से भी कम थी।इसीसे तैयारी का अंदाजा लगा लीजिये।

अब रिपोर्ट्स के मुताबिक आरबीआई रोज लगभग सभी डिनॉमिनेशन्स के 1 करोड़ 90 लाख नोट छाप रहा है। इसके बाद भी कैश की कमी की असली वजह क्या है ?

गौरतलब है कि Economic affairs secretary Shaktikanta Das told reporters on November 8 that there was "no need to go into the process which led to this decision. I think what we should be focusing on is the outcome and the decision itself".राजस्व सचिव शक्तिकांत दास नें 8 नवंबर को ही पत्रकारों से कहा थी नोटबंदी के फैसले  की प्रक्रिया के बारे में कुछ भी मत पूछिये।इसके नतीजे देखते रहिये।

सारा देश नतीजा भुगत रहा है और दुनिया देख रही है।हमारा मीडिया अंधा है,जिसे कुछ भी नहीं दिखायी दे रहा है।



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Friday, December 23, 2016

पीएम के खिलाफ छापा कौन मारेगा?

पीएम के खिलाफ छापा कौन मारेगा?

सारे आयकर सीबीआई छापे पीएमओ दफ्तर से

अब किसी दिन पता चलेगा कि सुप्रीम कोर्ट और तमाम अदालतों के फैसले भी पीएमओ से हो रहे हैं।

कानून और व्यवस्था पूरीतरह कारपोरेट मजहबी सियासत के शिकंजे में

पलाश विश्वास

घोटाले के राजकाज राजकरण में खुद पीएम के खिलाफ घोटाले का आरोप है।सारे छापे पीएमओ से मारे जा रहे हैं।पीएम के खिलाफ छापा कौन मारेगा?

छापे मारने वाले खूब चाहें तो ममता के नवान्न में छापे मारकर कालाधन निकाल लें या मायावती की मूर्ति फोड़कर कालाधन निकाल लें।अफसरान तो बलि के बकरे हमेशा हर कहीं मौजूद हैं।

मंत्री संत्री सांसद विधायक किसी के यहां छापे मार लें।जैसे अदानी, अंबानी,टाटा, बिड़ला,जिंदल मित्तल,भारती के यहां छापे नहीं पड़ सकते भले सहारा श्री जेल में सड़ते रहें,इस देश में पीएम के यहां छापे पड़ने की कोई गुंजाइश नहीं है।

पीएम बनते ही वे गंगाजल हो गये।

अब गंगाजल पर तलवार का वार करोगे?

फिर इन पीएम के खिलाफ?इन पीएम के खिलाफ छापा कौन मारेगा?कहां कहां छापे मारेगा?उनका न घर है न घर बार परिवार।उनका एक ही परिवार है,संघ परिवार। इस हिंदू राष्ट्र में संघ परिवार के मुख्यालय पर कौन छापा मारेगा?

फिर वे सिर्फ पीएम नहीं हैं, एनआईआर पीएम है।हर देश की हुकूमत का सर्वेसर्वा उनके खास दोस्त हैं।चाहे तो वे अपना धन देश विदेश में कहीं भी छुपा सकते हैं।स्विस बैंक क्या जरुरी है? मारीशस दुबई हांगकांग में माथा फोड़ना है उन्हें?

चाहे तो वाशिंगटन में या फिर तेल अबीब में जमा पूंजी बचत रक्खे।

कोई आम जनता है भारत की कि बैंक में नकदी डाल दी तो मिलबे ही ना करै?खाड़ी देशों में भी उनके दोस्त कम नहीं हैं।

राहुल गांधी बड़ा नादान हैं।आरोप तो लगा दियो भाई बड़जोर,छापे कौन मारेगा,कहां मारेगा,सोचा है?बोलना सीख लो भइया।

इस देश की सियासत में भूकंप नहीं आता।आता तो सारा तंत्र मंत्र यंत्र बदल जाता।कोई बदलाव का ख्वाब नहीं देखता। ख्वाबों पर चाकचौबंद पहरा है।

क्योंकि हमारा भूगोल कयामत प्रूफ है।कयामत में भी हमारी खाल इतनी मोटी है कि कयामत ससुरी शर्मिंदा हो जाये।

राजनेताओं का कौन क्या बिगाड़ सकै हैं?वोट भले कम हो जाये लेकिन इतना कमा लियो भइये कि लगातार हारते भी रहें नोट कम नहीं पड़ने वाले।

क्या कोई उखाड़ लेगा?अदालत में सात खून माफ है।कत्लेआम सरेआम रफा दफा है।बावली जनता की याददाश्त भी पतली है।

घूमा फिराकर हंसते गददियाते गुदगुदाते नागनाथ के बदले सांपनाथ और सांप नाथ के बदले नागनाथ को सत्ता सौंप देती है।फिर महतारी बाप को कोसती है कि किस लिए इस देश में क्यों जनम दिया है।

रोने धोने सर पीटने के अलावा इस देश की जनता करेगी क्या?

गुजरात नरसंहार मामले में उनके खिलाफ संगीन आरोप थे।साबित हुआ कुछ भी?जिस अमेरिका ने पाबंदी लगा दी थी,उसी अमेरिका ने झख मारकर  उनके लिए व्हाइट हाउस के पलक पांवड़े बिछा दिये।जिन मुसलमानों के कत्लेआम का आरोप उनके खिलाफ था,उन्हीं मुसलमानों के तमाम नुमाइंदे उनके आगे पीछे चक्कर लगावै हैं।रोहित वेमुला की हत्या के बाद क्या किसी बहुजन ने उनके केसरिया राजकाज के खिलाफ इस्तीफा दिया है?

यही जनादेश का करिश्मा है।अब भुगतते रहिये।

यूपी पंजाब उत्तराखंड में भी वोट उन्हीं को देना है।यही हिंदुत्व है।

हिंदू बहुमत में हैं।हिंदू राष्ट्र है।हिंदू हैं तो हिंदुत्व के लिए मारे जाने पर इतना रोना गाना किसलिए?यह राष्ट्रद्रोह है।हिंदू हितों के साथ विश्वासघात है।

इस वक्त कारपोरेट मीडिया में लगातार ब्रेकिंग न्यूज यह है कि पीएमओ दफ्तर से मिल रही खुफिया सूचनाओं के आधार पर देशभर में आयकर छापे पड़े रहे हैं।

जाहिर है कि सीबीआई भी पीएमओ दफ्तर के रिमोट कंट्रोल से देशभर में पीएम की पसंदगी नापसंदगी के मुताबिक छापेमारी कर रही है।

रिजर्व बैंक का कामकाज भी पीएमओ के मार्फत चल रहा है।

संसदीय कमिटी को रिजर्व बैंक ने अभीतक इसका कोई जबाव दिया नहीं है कि नोटबंदी की तैयारी उसने किस हद तक और कितनी की है।

यह सारी कवायद रिजर्व बैंक को अंधेरे में रखकर झोलाछाप बगुला भगतों के साथ मिलकर पीओमओ दप्तर ने पूरी की है।यहां तक कि संघ परिवार को भी बगुला भगतों का यह महंगा करतब नागवर लगने लगा है।पर चूहा निगलना ही पड़ा है। लौहमानव खिसियानी बिल्ली की तरह खंभा नोंचकर किनारे बैठ गयो कि तिरंगे में लिपटकर मरना चाहे तो आप किस खेत की मूली हैं?

गुस्से में प्रेसर बढ़ गया तो देख लो भइये कि कार्ड वार्ड आधार डिजिटल कैशलैस वगरैह है कि नाही।जिंदा रहने खातिर पेटीएम जानते हो कि नाही?भौते जरुररी बा।

भौते जरुररी बा कि मोबाइल में नेट है कि नाही?जिओ है?हर फ्रेंड जरुरी बा।

सही बटन चांपने का शउर भी है कि नाही?सिरफ लाइक से काम नहीं चलने वाला।बेमौत मारे जाओगे।कौन मुआवजा भरेगा?

बच्चों के रोजगार का जुगाड़ है कि नाही?

घर में राशन पानी वगैरह हैं कि नाही?

खेत खलिहान सही सलामत हैं?

खुद पालतू कारपोरेट मीडिया ने बार बार ढोल नगाड़े पीट पीटकर दावे के साथ साबित करने की कोशिश की है कि कैसे पीएम ने अपने चुनिंदा वफादार साथियों के साथ मिलकर नोटबंदी को अंजाम दिया है।इस परिदृश्य में एफएम तक गायब रहे।रिजर्व बैंक के गवर्नर के का बिसात बा?

अर्थव्यवस्था शेयर बाजार है।

असहिष्णुता विरोधी आंदोलन के तुरंत बाद रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या के बाद तमाम घटनाओं पर सिलसिलेवार तनिक गौर कीजिये।

रोहित वेमुला की हत्या का मामला रफा दफा करने के लिए अंध राष्ट्रवाद की सुनामी के तहत सर्जिकल स्ट्राइक का शगूफा और वह शगूफा बेपर्दा हो गया तो फिर कालाधन निकालने के बहाने दूसरा सर्जिकल स्ट्राइक भारतीय जनता के खिलाफ यह नोटबंदी है।सरहद के भीतर अपनी ही जनता के खिलाफ हुकूमत का यह युद्ध है।

सरहद पार के दुश्मन नहीं,हुकूमत के निशाने पर आम जनता है।मकसद नस्ली सफाया,जो हिंदत्व का कारपोरेट एजंडा है।हिंदू इसे समझेंगे नहीं,सर धुनेंगे।धुन रहे हैं। मुसलमान,आदिवासी और बहुजन भी कहां समझ रहे हैं?,सर धुनेंगे।धुन रहे हैं।

नोटबंदी हो गयी तो न नया नोट आम जनता को मिल रहा है और न काला धन कहीं मिला है।फिर ध्यान भटकाने के लिए डिजिटल कैशलैस मुहिम चला है कि असल मकसद पेटीएम अर्थव्यवस्था है,जनता इसका फैसला करें,यह मोहलत देने के बदले दनादन देश भर में पीएमओ दफ्तर से केंद्रीय एजंसियों के जरिये यह छापेमारी है।

बड़ी मछलियां कहीं फंस ही नहीं रही हैं।

बड़ी मछलियों के लिए खुल्ला समुंदर है।

बड़ी मछलियों के लिए समुंदर की गहराई है,जहां न कांटे कोई डाल सके हैं और न जाल।लाखों करोड़ का घोटाला हो गया और आम जनता को कदम कदम पर पाई पाई का हिसाब दाखिल करना पड़ रहा है।

सियासती घोटालों का रफा दफा होना रघुकुल रीति है।रक्षा सौदों पर दशकों से खूब हो हल्ला होता रहा है।सबसे ज्यादा घोटाले रक्षा सुरक्षा,प्रतिरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के नाम पर हुए।विदेशी बैंकों में जमा कालाधन सारा का सारा इन्हीं सौदों का कमीशन है।जो राजनीतिक दलों को कारपोरेट चंदे की तरह देशभक्तों की सरकार ने अब जायज बना दिया है नया कानून बनाकर।उस कालेधन का एक पाई कभी नहीं लौटा है।हेलीकाप्टर घोटाले पर हल्ला अब हो रहा है।यह तो घोटालों का शोरबा है।

घोटालो पर हल्ला सबसे बड़ी सियासत है संसद में और संसद के बाहर।सरकारें भी बदलती रही हैं।कभी कुछ भी साबित नहीं होता।आज तक सजा किसी को नहीं हुई है।कोई दूध का धुला होकर सियासत में जनप्रतिनिधि चुने जाने के बाद फटेहाल से करोड़पति,अरबपति,खरबपति यूं ही नहीं हो जाता।चुनावों में नोट हवा में यूं ही नहीं उड़ाये जाते।सारा खेल खुला खुला है।

पीएमओ दफ्तर की छापेमारी से भी यह खेल बदलने वाला नहीं है।

खिलाडियों का पाला बदलने का यह खेल हैं।जबर्दस्त खेल है।

आम लोगों को कतारबद्ध होकर पुराने नोट जमा करने के बाद थोक भाव से आयकर दफ्तर के नोटिस जारी हो रहे हैं।जबकि छापेमारी में अब नये नोट ही भारी मात्रा में बरामद हो रहे हैं।

नये नोटों में कालाधन सारा है तो पुराने नोट रद्द करके आम जनता के कत्लेआम का यह इंतजाम क्यों?

छापे पहले क्यों नहीं पड़े जो अब पड़ रहे हैं?

तो सवाल यह उठता है कि कालाधन का तंत्र मंत्र यंत्र सही सलामत रखकर आम जनता को, ईमानदार करदाताओं को, किसानों, मेहनतकशों, व्यवसायियों और भारतीय अर्थव्यवस्था के सत्यानाश की असल वजह कहीं मजहबी सियासत का कारपोरेट एकाधिकार का एजंडा तो नहीं है,जिसके तहत सियासत की सुविधा के मुताबिक केंद्र सरकार अपनी तमाम एजंसियों का मनचाहा इस्तेमाल कर रही है।

ये छापे तो नोटबंदी के बिना भी हो सकते थे और बहुत पहले हो सकते थे।अभी क्यों ये सियासती छापे पड़ रहे हैं?

अब नोटबंदी के सिरे से फेल हो जाने का ठीकरा रिजर्व बैंक और बैंकिंग प्रणाली पर फोड़ा जा रहा है।वैसे ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक मुश्किल हालत में हैं।

सियासी समीकरण,फैसलों और हस्तक्षेप से इन बैंकों से पूंजीपतियों और कारपोरेट कंपनियों को सबसे ज्यादा चूना लगा है।

नोटबंदी उनके कफन पर आखिरी कीलें हैं।

यह काम भी पीएमओ की दखलंदाजी से हो रहा है।

अब किसी दिन पता चलेगा कि सुप्रीम कोर्ट और तमाम अदालतों के फैसले भी पीएमओ से हो रहे हैं।शायद इसकी नौबत बहुत जल्द आने वाली है।बल्कि कहा जाये कि इसकी शुरुआत भी हो चुकी है।

कम से कम न्यायपालिका में न्यायाधीशों की राजनीतिक नियुक्तियों को रोक पाना सुप्रीम कोर्ट के बस में नहीं है।

अभी नोटबंदी के बाद कैशलैस डिजिटल इडिया का आधार पहचान के जरिये तेजी से लागू करने की मुहिम हर स्तर पर चल रही है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने आधार को किसी भी बुनियादी सेवा और जरुरत के लिए अनिवार्य नहीं माना है।लेन देन भी बुनियादी जरुरत और सेवा दोनों है।

सीधे पीएमओ से सुप्रीम कोर्ट की देशव्यापी अवमानना हो रही है।

आयकर विभाग के अफसर और कर्मचारी इतने दिनों से मक्खियां मार रहे थे कि उन्हें पीएमओ दफ्तर से मिल रही सूचनाओं का इंतजार था?

केंद्रीय एजंसियों और स्वायत्त संस्थाओं का पीएमओ के रिमोट कंट्रोल से चलना जम्हूरियत के लिए कयामत है क्योंकि कानून और व्यवस्था पूरीतरह कारपोरेट मजहबी सियासत के शिकंजे में है,जिससे नागरिक और मानवाधिकारों के लिए यह बेहद मुश्किल समय है।

तमिलनाडु के मुख्य सचिव के यहां आयकर छापे के लिए क्या नोटबंदी जरुरी थी?

बंगाल में चिटफंड के सारे सबूत सीबीआई और तमाम केंद्रीय एजंसियों के हाथों में थे।लोकसभा चुनाव में चिटफंड मुद्दा बंगाल में सबसे बड़ा मुद्दा था।मंत्री और सांसद तक गिरफ्तार हो रहे थे।इसके बावजूद यह मामला रफा दफा हो गया और विधानसभा चुनावों में चिटपंड का कोई मुद्दा ही नहीं था।

क्योंकि तब दीदी मोदी युगलबंदी का संगीत घनघोर था।

अब नोटबंदी के आलम में जब ममता बनर्जी इसकी कड़ी आलोचना कर रही हैं,उनके सांसदों को सीबीआई का नोटिस थमाया जा रहा है।

सीबीआई क्या इसी राजनीतिक मौके का इंतजार कर रही थी?

अभी चिटपंड कंपनी रोजवैली की करीब दो हजार करोड़ की संपत्ति देशभर में जब्त की गयी।जबकि इसके मालिक गौतम कुंडु लंबे समय से जेल में हैं।उनके सियासती ताल्लुकात जगजाहिर हैं।उनकी संपत्ति की जब्ती का मौका लेकिन केंद्रीय एजंसियों को अब मिला है।

शारदा समेत दूसरी चिटपंड कंपनियों के भी सियासती ताल्लुकात छिपे नहीं हैं।पता नही उनपर कब कार्रवाई होंगी।



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