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Sunday, July 24, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



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From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/7/24
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


JNU: फ्रेशर्स के पीछे लगे हैं सीनियर्स

Posted: 23 Jul 2011 11:32 AM PDT

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में एमए, एमएससी और एमसीए कोर्सेज का एडमिशन प्रोसेस शुक्रवार से शुरू हो गया। जेएनयू में एडमिशन के रंग दूसरी किसी भी यूनिवर्सिटी से बिल्कुल अलग होते हैं। डीयू में जहां एडमिशन से जुड़ी जरूरी जानकारी हासिल करने के लिए स्टूडेंट्स परेशान होकर इधर-उधर घूमते नजर आते हैं, वहीं जेएनयू में नए स्टूडेंट्स को हर कदम पर मदद मिलती है। जेएनयू में अलग-अलग छात्र संगठन नए स्टूडेंट्स को ढूंढते नजर आए।

जैसे ही स्टूडेंट्स और उनके पैरंट्स थ्री-वीलर से एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक पहुंचते, उसी समय छात्र संगठनों के कार्यकर्ता उनसे बात करने के लिए भागने लगते। फ्रेशर्स के फॉर्म भरने से लेकर फीस जमा कराने तक का काम ये कार्यकर्ता कर रहे थे। नए स्टूडेंट्स भी काफी खुश नजर आए, क्योंकि उन्हें एडमिशन से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए कहीं भी भटकना नहीं पड़ रहा था।

दरअसल जेएनयू में पिछले तीन साल से छात्र संघ चुनाव नहीं हुए हैं। इस बार छात्र संगठनों को पूरी उम्मीद है कि वे चुनावी समर में जरूर उतरेंगे। चुनावी तैयारियों के लिए एडमिशन का समय सबसे खास होता है क्योंकि इस दौरान नए स्टूडेंट्स कैंपस आते हैं और उनकी मदद करके छात्र संगठन उन्हें अपने संगठन से जोड़ने की कोशिश भी करते हैं।


एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक के बाहर एनएसयूआई, एबीवीपी, आइसा, एसएफआई समेत सभी छात्र संगठनों ने अपना-अपना हेल्प डेस्क भी बना रखा था। एक वामपंथी छात्र संगठन ने अपने हेल्प डेस्क पर संगठन की विचारधारा से जुड़ी किताबें भी रखी थीं। किसी-किसी हेल्प डेस्क पर गीत भी गाए जा रहे थे। कैंपस में हर छात्र संगठन ने अपने स्लोगन के बड़े-बड़े पोस्टर भी लगाए हुए थे। 

एनएसयूआई की जेएनयू इकाई के प्रेजिडेंट मनोरंजन महापात्रा का कहना है कि छात्र संगठनों के आंदोलन के कारण ही जेएनयू प्रशासन ने इस बार एडमिशन की नीतियों में बदलाव किया और स्टूडेंट्स को आसानी हुई। उनका कहना है कि जेएनयू में पिछले तीन साल से छात्र संघ चुनाव न होना दुखद है और इस बार उम्मीद है कि चुनाव जरूर होंगे। 

इस बार एडमिशन की खास बात यह है कि स्टूडेंट्स को दो पेज का ही एक फॉर्म भरना पड़ रहा है और सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया गया है। पिछले साल तक स्टूडेंट्स को 12 पेज का फॉर्म भरना पड़ता था और उसे अलग-अलग जगहों पर वेरिफिकेशन के लिए भटकना पड़ता था। लेकिन इस बार स्टूडेंट्स अपना फॉर्म सिंगल विंडो पर जमा करवा रहे हैं और उसके बाद वे अपने सेंटर पर जाकर वेरिफिकेशन करवा रहे हैं और एडमिशन कन्फर्म हो जाता है। 

वाइस चांसलर प्रो. एस. के. सोपोरी का कहना है कि अगले साल से एडमिशन प्रोसेस को और आसान बनाया जाएगा और स्टूडेंट्स को सारी जानकारी वेबसाइट पर मिल सकेगी। प्रो. सोपोरी ने कहा कि एडमीशन प्रोसेस में स्टूडेंट्स को कम से कम समय लगे, इसे ध्यान में रखते हुए ही तैयारी की जा रही है(भूपेंद्र,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,23.7.11)।

मुंबई यूनिवर्सिटीःसाइंस में काफी हाई रहा 'कट ऑफ'

Posted: 23 Jul 2011 11:31 AM PDT

शुक्रवार शाम पांच बजे फर्स्ट ईयर जूनियर कॉलेज में साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स सब्जेक्ट (जनरल कैटिगरी) में ऐडमिशन लेने की ऑनलाइन घोषणा की गईर्। इस बार भी कई कॉलेजों में कट ऑफ मार्क्स काफी हाई रहा। लेकिन, पिछले साल के मुकाबले इस बार भी कट ऑफ मार्क्स में कोई खास अंतर नहीं देखा गया। कॉमर्स और आर्ट्स की तुलना में साइंस सब्जेक्ट में कट ऑफ मार्क्स काफी हाई रहा। साइंस के कट ऑफ में कोई खास अंतर नहीं होने के चलते इस बार भी ये हॉट सब्जेक्ट रहे। इस बारे में रूपारेल कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ. तुषार देसाई ने बताया कि साइंस सब्जेक्ट में ऐडमिशन को लेकर हमेशा से ही स्टूडेंट्स में क्रेज रहा है। लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं कि कॉमर्स या आर्ट्स में स्टूडेंट्स का रुझान कम हो गया है।


वहीं, बिड़ला कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ. नरेश चंद्र की माने तो साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स जैसे सब्जेक्ट तो शुरू से ही स्टूडेंट्स के लिए रुचिकर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप ही तीनों सब्जेक्टों का हाई कट ऑफ मार्क्स आया है। बावजूद इसके, स्टूडेंट्स में ऑनलाइन मेरिट लिस्ट को लेकर काफी उत्सुकता देखी गई। जगह-जगह पर साइबर कैफे में स्टूडेंट्स का जमावड़ा लगा था। कई जगह साइबर कैफे मालिकों ने 15 से 20 रुपये प्रति घंटा की जगह 35 से 40 रुपये प्रति घंटा नेट-चार्ज वसूला। बता दें कि जनरल कैटिगरी में घोषित
हुए पहले कट ऑफ लिस्ट के अंतर्गत साइंस सब्जेक्ट में रूपारेल कॉलेज (526 मार्क्स), सेंट एंड्रयूज क ॉलेज (90.73), बिड़ला कॉलेज (94.36), सेंट जेवियर्स कॉलेज (92.91 )और ठाकुर कॉलेज (84.36) रहे हैं। जबकि आर्ट्स में सेंट जेवियर्स (91.82) और कॉमर्स में खालसा कॉलेज (87.43) का नाम प्रमुख है। ऐसे में जिन स्टूडेंट्स का नाम मेरिट लिस्ट आ जाता है, वे आगामी 23, 25, 26 और 27 जुलाई की सुबह 10 बजे से 2 बजे तक संबंधित कॉलेज में जाकर अपना फीस जमा करा सकते हैं। 

ऑनलाइन घोषणा (जनरल कैटिगरी) 

फर्स्ट मेरिट लिस्ट 

* 22 जुलाई , 2011 

* फीस जमा करने की तारीख : 23, 25, 26 और 27 जुलाई 

* समय : 10 बजे सुबह से 2 बजे तक। 


सेकंड मेरिट लिस्ट की घोषणा 

* 1 अगस्त , 2011 (5 बजे शाम ) 

* फीस जमा क रने की तारीख : 2,3 और 4 अगस्त 

* समय : 10 बजे सुबह से 2 बजे तक। 


थर्ड लिस्ट की घोषणा 

* 8 अगस्त , 2011 

* फीस जमा करने की तारीख : 9 और 10 अगस्त 

* समय : 10 बजे सुबह से 2 बजे तक। 
(मनीष झा,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,23.7.11)

JNU: ओबीसी के लिए हिट फॉर्म्युला

Posted: 23 Jul 2011 11:27 AM PDT

जेएनयू में पिछले साल ओबीसी की खाली सीटों को लेकर छात्र संगठनों ने काफी बवाल किया था लेकिन इस बार यूनिवर्सिटी ने ओबीसी की कट ऑफ तैयार करने में नया फॉर्म्युले को अपनाया है। इसका असर भी नजर आने लगा है और ओबीसी की सारी सीटें भरने की संभावना भी बढ़ गई है।

पिछले नियमों के मुताबिक जनरल और ओबीसी कैंडिडेट की कट ऑफ में अधिकतम 10 पर्सेंट तक का गैप हो सकता है। जेएनयू में एडमिशन एंट्रेंस टेस्ट के बेस पर होते हैं। 100 नंबर के एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर पिछले साल तक कट ऑफ तैयार करने का जो फॉर्म्युला था, उसमें जनरल कैटिगरी के लास्ट एडमिशन से 10 पर्सेंट कम पर ओबीसी को एडमिशन दिया जाता था।

जैसे अगर जनरल के कैंडिडेट का लास्ट एडमिशन 60 मार्क्स पर हुआ था तो ओबीसी कैंडिडेट को 50 मार्क्स पर एडमिशन मिल सकता था। लेकिन इस बार यूनिवर्सिटी ने क्वॉलिफाइंग मार्क्स का फॉर्म्युला लागू किया है। जैसे बीए, एमए कोसेर्ज में 100 नंबर के एंट्रेंस टेस्ट में जनरल के लिए क्वॉलिफाइंग मार्क्स 30 रखे गए हैं और 30 का 10 पर्सेंट 3 मार्क्स होता है और इस हिसाब से ओबीसी कैटिगरी के लिए क्वॉलिफाइंग मार्क्स 27 हैं यानी इस बार ओबीसी कैंडिडेट को 27 मार्क्स पर भी एडमिशन मिल सकता है।

तय सीटों के हिसाब से यूनिवसिर्टी ने ओबीसी कैंडिडेट को सीट ऑफर कर दी हैं। एमफिल और पीएचडी में जनरल के लिए क्वॉलिफाइंग मॉर्क्स 40 हैं और ओबीसी के लिए 36 हैं। बीए कोसेर्ज में 323 सीटें हैं और 367 कैंडिडेट को सीट ऑफर की गई है, जिनमें से ओबीसी कैंडिडेट की संख्या 100 है यानी 27 पर्सेंट रिजर्वेशन की शर्त पूरी हो रही है।


इसी तरह से पीजी लेवल के कोर्सेज में 908 सीटों के लिए 1042 कैंडिडेट को सीट ऑफर की गई है, जिनमें ओबीसी के 282 कैंडिडेट हैं(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,23.7.11)।

डीयूःकैंपस मस्ती में बिजी फ्रेशर्स, पढ़ाई मंडे से

Posted: 23 Jul 2011 11:25 AM PDT

कैंपस के फर्स्ट डे का एक्साइटमेंट थोड़ा ठंडा हो चुका था। जो स्टूडेंट्स पहले दिन अकेला महसूस कर रहे थे उनके दोस्त बन गए। पढ़ाई शुरू हो

ने में अभी वक्त है तो सभी मस्ती और रिलैक्स के मूड में हैं। नॉर्थ कैंपस के लगभग सभी कॉलेजों में दूसरे दिन कुछ ऐसा ही माहौल देखने को मिला।

नए सेशन के पहले दो-तीन दिन नए दोस्त बनाने और कैंपस को जानने के लिए ही होते हैं। कई जगहों पर फ्रेशर्स को कैंपस में रंग में रंगने की तैयारियां चल रही थीं। रामजस कॉलेज में सुबह से म्यूजिक सिस्टम सेट किया जा रहा था। बीच-बीच में साउंड टेस्टिंग के लिए बजने वाली हाई वोल्टेज बीट्स को सुनकर फ्रेशर्स खुद खिंचे चले आ रहे थे।

यहां फ्रेशर्स की काफी भीड़ जमा हो चुकी थी और एक्साइटमेंट उनके चेहरों पर साफ झलक रहा था। यहां अपने ग्रुप के साथ खड़े आशुतोष ने बताया कि वे लोग सुबह से काफी बोर महसूस कर रहे थे लेकिन यहां लगे म्यूजिक सिस्टम को देखकर लगता है कि अब कुछ फन का मौका मिलेगा।


किरोड़ीमल कॉलेज में फर्स्ट डे की तरह ही रौनक थी। कैंटीन में बैठे स्टूडेंट्स में से ज्यादातर फ्रेशर्स ही थे। केएमसी में हिस्ट्री ऑनर्स की स्टूडेंट श्रुति ने बताया कि वह आज अपने दोस्तों के साथ कमला नगर माकेर्ट में घूमने और शॉपिंग करने का प्लान कर रही हैं। श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में क्राउड कुछ कम दिखा। यहां कई जगह सिर्फ फ्रेशर्स ग्रुप बनाकर बैठे थे तो कई जगह ये फच्चे अपने सीनियर्स से के साथ बैठकर उनसे ज्ञान ले रहे थे। 

एसआरसीसी की एक स्टूडेंट शमिता ने बताया कि उनके सीनियर्स अगले हफ्ते फ्रेशर्स के लिए पार्टी रखने का प्लान बना रहे हैं। मंडे से पढ़ाई भी शुरू हो जाएगी लेकिन फिलहाल कम से कम एक महीने तक तो कैंपस में फ्रेशर्स के लिए मस्ती का माहौल बना रहेगा। 

फर्स्ट डे तो मुझे काफी अजीब लग रहा था लेकिन दूसरे ही दिन ऐसा महसूस हो रहा है कि मेरा इस कॉलेज से काफी पुराना नाता है। यह सब सीनियर्स और टीचर्स के वॉर्म वेलकम की वजह से हुआ है। - जतिन, रामजस, इको ऑनर्स 

मेरे कई स्कूल फ्रेंड्स को कैंपस कॉलेजों में एडमिशन मिला है लेकिन मेरा कोई भी दोस्त रामजस में नहीं है। कुछ स्टूडेंट्स से बात हुई थी। उम्मीद है कि हम अच्छे दोस्त बन जाएंगे। - स्निग्धा, रामजस, केमिस्ट्री ऑनर्स 

कैंपस में एंट्री के बाद शुरू के कुछ दिन तो बस मस्ती और फन के लिए ही होते हैं। अभी हम लोग कॉलेज में ही अड्डा मार रहे हैं। इसके बाद हमारा प्लान कैंपस के दूसरे अड्डे एक्सप्लोर करने का है। - वत्सला, एसआरसीसी, बीकॉम(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,23.7.11) 

झारखंडः65 में रिटायर होंगे डॉक्टर,वैश्य बनिया एकादश पिछड़ी जाति की अनुसूची दो में,रांची विवि के एमबीए के शिक्षकों का बढ़ेगा वेतन

Posted: 23 Jul 2011 11:21 AM PDT

राज्य के सरकारी डॉक्टर अब 60 की बजाय 65 साल की उम्र में रिटायर होंगे। यह फैसला गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में किया गया। इस फैसले से लगभग 1500 डॉक्टर लाभान्वित होंगे। नया आदेश अधिसूचना जारी होने की तिथि से मान्य होगा।

सीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्राथमिक स्कूलों के वरीय शिक्षकों के वेतनमान में वृद्धि करने पर भी मुहर लगाई गई। इन शिक्षकों को अब 4600 के ग्रेड की जगह 4800 का ग्रेड मिलेगा। इनका पे बैंड 9300 से 34,800 रुपए होगा।

वैश्य बनिया एकादश पिछड़ी जाति की अनुसूची दो में

शाह, फकीर, मदार, देवान, परघा, परिघा, पैरघा तथा दांगी जातियों को पिछड़ी जाति की अनुसूची एक और विस्टम, वेस्टम, राकी, कुल्लू, गोराई, मड़ेया, कुर्मी, जसवार कुर्मी, चंदेल, चंदऊ, वैश्य बनिया एकादश को पिछड़ी जाति की अनुसूची दो में शामिल करने का फैसला किया गया। स्पष्ट किया गया कि वैट उन्हीं आयातित ब्रांडों पर लगेगा जो रजिस्टर्ड हैं व जिनका उत्पादन राज्य से बाहर होता है।

अन्य महत्वपूर्ण फैसले

राज्य के 22 एडीजे की बर्खास्तगी पर लगी मुहर।
विश्वविद्यालयों के शिक्षकेत्तर कर्मियों का अर्न लीव 300 दिन।
देवघर में रक्षा अनुसंधान व विकास संस्थान की स्थापना के लिए 49 लाख में दी गई 35 एकड़ जमीन।
रामगढ़, बरही, नगर उंटारी उपकाराओं में 126 पद।
34वीं राष्ट्रीय खेल में स्वर्ण विजेताओं को सात, रजत पांच तथा कांस्य पदक विजेताओं को तीन लाख मिलेंगे।
विजेता टीम के प्रशिक्षक को स्वर्ण पदक के लिए दो लाख, रजत के लिए एक लाख व कांस्य के लिए 50 हजार मिलेंगे।

भविष्य निधि कार्यालय में प्रतिनियुक्त बोर्ड व निगमों के कर्मचारी भविष्य निधि निदेशालय में ही समायोजित होंगे।
उधर,लंबे समय बाद रांची विश्वविद्यालय प्रशासन ने एमबीए विभाग के शिक्षकों के वेतन वृद्धि पर सहमति जताई है। वेतन वृद्धि को लेकर 22 जुलाई को वोकेशनल स्टडीज की कोर कमेटी की बैठक प्रतिकुलपति डॉ. वीपी शरण की अध्यक्षता में होगी। बैठक में वोकेशनल कोर्स संबंधी अन्य प्रस्तावों पर चर्चा होगी।

एमबीए विभाग के शिक्षकों को वर्तमान में प्रतिमाह मात्र 12 हजार रुपए मिलते हैं। अन्य संस्थानों की तुलना में यह काफी कम है। वर्ष 2007 में 10 हजार रुपए प्रतिमाह (अनुबंध पर) पर शिक्षकों ने योगदान दिया था। इसके बाद वर्ष 2009 में दो हजार रुपए की वृद्धि हुई। इसके बाद आरयू प्रशासन ने वेतन वृद्धि नहीं की।

एमबीए के प्रति छात्र से शिक्षण शुल्क जब 50 हजार रुपए लिए जाते थे, तब शिक्षकों को 12 हजार रुपए प्रतिमाह मिलता था। अब शिक्षण शुल्क में 30 हजार रुपए की वृद्धि की गई है। शिक्षकों का कहना है कि ऐसे में वेतन में सम्मानजनक वृद्धि होनी चाहिए।(दैनिक भास्कर,रांची,22.7.11)

झारखंड में रिसर्च व पीएचडी कराएगी क्वींस यूनिवर्सिटी

Posted: 23 Jul 2011 11:17 AM PDT

सेंट्रल यूनिवर्सिटी, ब्रांबे में बिल्डिंग एकेडमिक कैपिसिटी एंड कैपेबिलिटी की बैठक गुरुवार को हुई। इसमें रिसर्च और पीएचडी प्रोग्राम पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में क्वींस यूनिवर्सिटी के वीसी पीटर ग्रेक्शन सहित ट्रेवर न्यूसम ने यूके स्थिति इस यूनिवर्सिटी के रिसर्च और पीएचडी के क्षेत्र में साझा कार्यक्रम शुरू करने की इच्छा से राज्य के शिक्षाविदों को अवगत कराया।

बैठक में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. डीटी खटिंग, डॉ. सतीश कुमार, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफेसर एके कौल, रांची विवि के प्रोवीसी डॉ. वीपी शरण, कोल्हान यूनिवर्सिटी के डॉ. एसके सिन्हा, आईआईएम के प्रो. एस वर्मा, बीएयू के प्रो. एके सरकार और बीआईटी मेसरा के एस मेधकर समेत अन्य विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

क्वींस यूनिवर्सिटी करेगा कार्यक्रम का संचालन


रिसर्च और पीएचडी प्रोग्राम का संचालन क्वींस यूनिवर्सिटी के स्टाफ की देखरेख में होगा। इसके लिए क्वींस यूनिवर्सिटी ही 150 से 200 स्टाफ भेजेगा।
क्षेत्र के अनुरूप हो रिसर्च

रिसर्च या पीएचडी प्रोग्राम क्षेत्र को ध्यान में रख कर तैयार किया जाना चाहिए। झारखंड जनजातीय क्षेत्र है। आरयू में ज्यादातर छात्र जनजातीय क्षेत्र के हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के विकास पर आधारित रिसर्च की आवश्यकता है। झारखंड में पौधे अधिक हैं, इसलिए मेडिसिनल प्लांट से संबंधित शोध कार्यक्रम फायदेमंद होगा।"" 
डॉ. वीपी शरण, प्रोवीसी, आरयू

चार वर्षीय रिसर्च प्रोग्राम 

क्वींस यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधियों ने बताया कि रिसर्च प्रोग्राम चार वर्षीय होगा। प्रथम वर्ष रिसर्च मैथोलॉजी क्वींस यूनिवर्सिटी (यूके) में ही होगा। शेष तीन वर्ष का शोध कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में होगा। जिसमें द्वितीय वर्ष में रिसर्च प्रोजेक्ट, तृतीय वर्ष इनोवेटिव प्रोग्राम और चतुर्थ वर्ष लेक्चर ट्रेनिंग और प्रैक्टिस का होगा।

सेंट्रल यूनिवर्सिटी में शुरू होंगे नए कोर्स

सेंट्रल यूनिवर्सिटी, ब्रांबे में कई नए डिप्लोमा कोर्स शुरू होंगे। इसमें मुख्य रूप से तिब्बतियन, चायनीज और कोरियन भाषा की पढ़ाई होगी। जीयो इन्फॉरमेशन, ट्राइबल एंड कस्टोमरी लॉ, ह्यूमन लॉ एंड कनफ्लिक्ट मैनेजमेंट की पढ़ाई होगी। नए कोर्स की पढ़ाई अगस्त 2011 से होगी। सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. डीटी खटिंग गुरुवार को नए एकेडमिक सत्र के अवसर पर छात्रों और शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे(दैनिक भास्कर,रांची,23.7.11)।

यूपी में 2012 के बीएड प्रवेश परीक्षा कार्यक्रम को मंज़ूरी

Posted: 23 Jul 2011 11:12 AM PDT

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बीएड प्रवेश का झगड़ा हमेशा के लिए निपटाते हुए भविष्य में इसके कार्यक्रम की तारीखें तय कर दी हैं। नया कार्यक्रम अगले वर्ष से लागू हो जाएगा। न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन व न्यायमूर्ति एके पटनायक की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश कार्यक्रम पर निजी बीएड कालेजों व अन्य पक्षों की सहमति होने पर मंजूरी दे दी। राज्य सरकार के वकील पीपी राव व श्रीष मिश्रा ने कोर्ट के सामने तय कार्यक्रम का ब्योरा पेश किया। जिस पर अन्य पक्षों ने भी सहमति जताई। तय कार्यक्रम के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष (2012) से बीएड प्रवेश परीक्षा का विज्ञापन एक फरवरी को निकाला जाएगा और फार्म की बिक्री और जमा करने का काम दस फरवरी से दस मार्च के बीच पूरा कर लिया जाएगा। प्रवेश परीक्षा 20 अप्रैल से 25 अप्रैल के बीच आयोजित होगी और 25 मई से 30 मई के बीच रिजल्ट घोषित कर दिये जाएंगे। एक जून से 25 जून के बीच काउंसलिंग पूरी कर ली जाएगी आखिरी काउंसलिंग 28 जून को होगी और एक जुलाई से सत्र प्रारंभ हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने शून्य घोषित किए जा चुके सत्र के बारे में कहा है कि पीडि़त छात्रों के लिए याचिका दाखिल करने का रास्ता खुला है। मालूम हो कि मेरठ के कई निजी बीएड कालेजों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश में बीएड प्रवेश विवाद निपटाने का अनुरोध किया था। कालेजों ने कोर्ट से भविष्य के लिए प्रवेश कार्यक्रम तय करने का भी अनुरोध किया था। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रवेश कार्यक्रम तय कर दिया है। निजी कालेजों की मांग थी कि अगर काउंसलिंग के बाद सीटें बचें तो उन खाली सीटों पर कालेजों को प्रवेश लेने की अनुमति दी जाए। जबकि सरकार का कहना था कि अगर ऐसा होता है तो संबंधित कालेज उच्च शिक्षा सचिव/प्रमुख सचिव को अपना प्रतिवेदन देगा और उस प्रतिवेदन पर उक्त अधिकारी यथाशीघ्र निर्णय लेकर वेटिंग लिस्ट से कालेजों को खाली सीटों के लिए छात्र देंगे। आज के बाद तय हो गया है कि अब उत्तर प्रदेश में बीएड में प्रवेश संयुक्त प्रवेश परीक्षा के जरिए ही होगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,23.7.11)।

पंजाब यूनिवर्सिटी में हिंसा: 10 साल में 67 केस, जिम्मेदार कोई नहीं

Posted: 23 Jul 2011 11:08 AM PDT

पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस में पिछले 10 बरसों में छात्र संगठनों के बीच कई बार हिंसक टकराव हो चुका है। ज्यादातर घटनाओं के बाद तो केस ही दर्ज नहीं हुए। जो केस दर्ज हुए उनमें पुलिस छात्र नेताओं पर लगे आरोपों को कोर्ट में साबित नहीं कर पाई।

पिछले दस साल में पीयू की छात्र राजनीति से जुड़ी हिंसक घटनाओं में 67 केस दर्ज हुए, लेकिन एक भी छात्र नेता इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार नहीं पाया गया। 2001 से 2006 के बीच पीयू की छात्र राजनीति से जुड़े 36 केस पुलिस में दर्ज हुए। इनमें से एक भी केस में छात्र नेता पर लगे आरोप कोर्ट में साबित नहीं हो पाए। फिर 2006 से अभी तक ऐसे ही 31 केस दर्ज हो चुके हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर केस में छात्र नेता छूट गए। अलबत्ता, पुलिस ने हिंसक घटनाओं के बाद कई दफा छात्र नेताओं पर कार्रवाई जरूर की है।

हिंसा के बाद दर्ज ही नहीं होते केस, हो जाता है समझौता


पंजाब यूनिवर्सिटी या कॉलेजों में होने वाली हिंसक घटनाओं के बाद कई बार केस ही दर्ज नहीं होते। पिछले महीने ही छात्र नेताओं के बीच हिंसक टकराव हुआ, लेकिन यह केस पुलिस के पास दर्ज नहीं है। ज्यादातर मामलो में पुलिस में दर्ज हुए केस में दोनों पक्षों के बीच समझौता हो जाता है। बाकी केस में पुलिस छात्र नेताओं पर लगे आरोपों को साबित ही नहीं कर पाई।
पुलिस भले ही इन छात्र नेताओं पर लगे आरोपों को कोर्ट में साबित न करवा पाई हो लेकिन पीयू प्रशासन ने कई बार संजीदा बन हिंसक घटनाओं के बाद छात्र नेताओं पर कार्रवाई का साहस जरूर दिखाया है। सोपू नेता हरप्रीत सिंह मुलतानी को एक साल से परीक्षा देने से रोक दिया गया। इसी तरह सोपू नेता बरिंद्र सिंह ढिल्लों को भी लॉ की परीक्षा नहीं देने दी गई(अधीर रोहाल,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,23.7.11)।

हिमाचल में विद्या उपासकों का हल्ला बोल

Posted: 23 Jul 2011 11:05 AM PDT

हिमाचल प्रदेश ग्रामीण विद्या उपासक संघ ने 1322 ग्रामीण विद्या उपासकों को नियमित न किए जाने पर आपत्ति जताई है। संघ ने चेतावनी दी है कि ग्रामीण विद्या उपासकों को यदि कैबिनेट की आगामी बैठक में नियमित न किया गया तो एक अगस्त से सांकेतिक धरना दिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश ग्रामीण विद्या उपासक संघ के प्रदेशाध्यक्ष ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि हिमाचल प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने भी उनकी मांग का समर्थन किया है। इस मौके पर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुशील चंदेल और महासचिव लाल चंद मेहता के अलावा अन्य शिक्षक नेता मौजूद थे।
प्रमोशन में मिले छूट

ग्रामीण विद्या उपासक संघ ने 600 शिक्षकों के जमा दो कक्षा में 50 फीसदी से कम अंक होने पर प्रमोशन रोके जाने संबंधी निर्णय का कड़ा विरोध किया है। संघ का कहना है कि ग्रामीण विद्या उपासक बीए, एमए, बीएड, एमफिल और पीएचडी भी हैं, मगर इसके बावजूद सिर्फ इसी वर्ग पर जमा दो में 50 फीसदी से कम अंक होने पर प्रमोशन न दिए जाने संबंधी निर्णय को लेना सही नहीं है।
इसी तरह सभी शिक्षकों ने 50 फीसदी अंक के साथ जेबीटी कंडेंस कोर्स पूरा किया है। संघ ने जमा दो में 50 फीसदी अंक की शर्त को वापस लेने की मांग की है। संघ ने दस साल का कार्यकाल करने वाले 1322 ग्रामीण विद्या उपासकों को नियमित न किए जाने पर एतराज जताया है। संघ का कहना है कि मुख्यमंत्री ने बजट भाषण में उनको नियमित करने की बात कही थी, लेकिन अब तक कोई निर्णय न लिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। संघ ने आठ साल से नियमितिकरण लाभ देने की मांग की।
कहां गए बीस करोड़?
हमीरपुर. पीटीए शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष विवेक मेहता का कहना है कि शिक्षकों को तीन माह से वेतन न मिलना चिंतनीय है। उधारी की व्यवस्था कब तक चलेगी। सरकार 20 करोड़ रुपए जारी करने की बात कर रही है, लेकिन अभी वेतन नहीं मिला(दैनिक भास्कर,शिमला,23.7.11)।

यूपीःहजारों की फीस व सर्टिफिकेट दाबे हैं इंजीनियरिंग कालेज

Posted: 23 Jul 2011 11:03 AM PDT

यूपी के 203 इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थान ऐसे हैं, जो प्राविधिक विवि के दिशा-निर्देशों को धता बताते हुए हजारों छात्रों की फीस और मूल प्रमाणपत्र दबाए बैठे हैं। प्रशासनिक स्तर पर तमाम खतो-किताबत व विस में मामला उठने के बाद भी इन संस्थानों पर कोई असर नहीं पड़ा। ऐसे में गौतम बुद्ध प्राविधिक विवि प्रशासन ने संबंधित संस्थानों को 25 जुलाई तक की मोहलत दी है। प्राविवि ने तय किया है कि इसके बाद भी ब्योरा नहीं मिला, तो संबंधित संस्थानों की संबद्धता रद करने संबंधी प्रस्ताव शासन को भेज दिया जाएगा। यह पूरा मामला 2008 का है। उत्तर प्रदेश प्राविधिक विवि, लखनऊ की ओर से 12 से 16 सितंबर, 08 के बीच कराई गई द्वितीय काउंसिलिंग में कई छात्रों का प्रवेश दूसरी संस्थाओं में हो गया था, जहां उन्होंने एडमीशन भी ले लिया। इन छात्रों ने अपनी पहली काउंसिलिंग के माध्यम से जिन संस्थानों में दाखिला लिया था, उनमें से अधिकांश ने इनके मूल प्रमाणपत्र व फीस वापस नहीं की, जबकि इस संदर्भ में प्राविधिक विवि प्रशासन की ओर से 24 सितंबर, 08 को स्पष्ट तौर पर निर्देश जारी किया गया था कि ऐसे छात्रों के मूल प्रमाणपत्र व शुल्क यथाशीघ्र वापस कर दिया जाएं। इसके बाद भी संबंधित संस्थानों की ओर से छात्रों को फीस और मूल प्रमाणपत्र वापस नहीं किए गए। बीच-बीच में कई रिमाइंडर भी जारी किए गए। यह मामला संज्ञान में आने पर उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य डॉ.यज्ञदत्त शर्मा ने वर्ष 2010 में सदन में यह मामला उठाया। विधान परिषद में मामला उठने पर प्राविधिक विवि प्रशासन एक बार फिर हरकत में आया और उसने सभी 431 संस्थानों को पुन: पत्र लिखा। इसके जवाब में 158 संस्थानों ने आवश्यक जानकारी उपलब्ध करा दी, लेकिन 273 संस्थानों ने यह नहीं बताया कि ऐसे छात्रों के मूल प्रमाणपत्र व शुल्क वापस किए गए या नहीं। प्राविवि ने हाल ही में 30 जून को ऐसे 273 संस्थानों को पत्र लिखा, जिनमें 70 संस्थानों ने जानकारी मुहैया कराई, अभी भी 203 संस्थान ऐसे हैं, जो सूचना देने में आनाकानी कर रहे हैं। इनमें इलाहाबाद के पांच, गोरखपुर का एक, झांसी के दो, कानपुर के 12, लखनऊ के 14, आगरा के 11 संस्थान शामिल हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए प्राविवि के कुलसचिव यूएस तोमर ने तय किया है कि जो संस्थान 25 जुलाई तक सूचनाएं नहीं देंगे, उनकी सम्बद्धता समाप्त करने के लिए शासन स्तर पर कार्रवाई की जाएगी(विजय यादव,दैनिक जागरण,इलाहाबाद,23.7.11)।

उच्च शिक्षा में पिछड़ी हैं झारखंड की बेटियां

Posted: 23 Jul 2011 11:01 AM PDT

झारखंड की बेटियां अब भी स्कूल से कालेज की चौकठ तक नहीं पहुंच पा रहीं। उच्च शिक्षा में दाखिले के मामले में प्रदेश राष्ट्रीय स्तर की तालिका में नीचे से दूसरे और ऊपर से 34वें पायदान पर खड़ा है। विवि अनुदान आयोग द्वारा जारी ताजा आंकडे़ के अनुसार, 2009-10 में देश के विभिन्न विवि एवं कालेजों में कुल 1,46,24,990 छात्र-छात्राओं का नामांकन हुआ। झारखंड में यह आंकड़ा 2,25,142 तक पहुंचा। इनमें मात्र 76,540 छात्राओं का प्रवेश हुआ। राज्य में हुए कुल नामांकन का यह 34 प्रतिशत है। वहीं, पड़ोसी राज्य बिहार में कुल 6,30,463 छात्र-छात्राओं का प्रवेश हुआ। इनमें मात्र 1,89,139 छात्राएं शामिल हैं। यह कुल विद्यार्थियों का 30 प्रतिशत है। कुल 59 प्रतिशत छात्राओं के नामांकन के साथ गोवा पहले, 57 प्रतिशत के साथ केरल दूसरे तथा 52 प्रतिशत के साथ अंडमान-निकोबार द्वीप समूह तीसरे स्थान पर रहा। देश में हुए कुल नामांकन में छात्राओं का नामांकन 41.6 प्रतिशत रहा(ब्रजेश मिश्र,जमशेदपुर,दैनिक जागरण,23.7.11)।

जम्मू में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर जमकर बवाल

Posted: 23 Jul 2011 10:55 AM PDT

जम्मू में सेंट्रल यूनिवर्सिटी स्थापित करने में हो रही देरी और वीसी की नियुक्ति न होने पर शुक्रवार को यहां जमकर हंगामा हुआ। साइंस कॉलेज के बाहर शहीदी स्थल के नजदीक रैली निकाल रहे आंदोलनकारी छात्रों पर पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया और तीन छात्रों को हिरासत में ले लिया। इससे भड़के विद्यार्थियों ने भी जमकर पथराव किया। इस झड़प में 40 से अधिक विद्यार्थियों को चोटें आई। सेंट्रल यूनिवर्सिटी जम्मू के मुद्दे पर नेशनल पैंथर्स स्टूडेंट यूनियन कॉलेजों में आंदोलन का नेतृत्व कर रही है। यूनियन के प्रधान प्रताप सिंह जम्वाल ने कहा कि जम्मू को किस तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है इसका पता इससे लगता है कि कश्मीर की सेंट्रल यूनिवर्सिटी में तो दूसरा सत्र शुरू हो रहा है और जमीन का अधिग्रहण भी कर लिया गया है, लेकिन जम्मू की सेंट्रल यूनिवर्सिटी का वीसी तक नियुक्त नहीं किया जा रहा है। प्रताप ने कहा कि भेदभाव के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा(दैनिक जागरण,जम्मू,23.7.11)।

हिमाचल में नहीं खुलेंगे नए बीएड कॉलेज

Posted: 23 Jul 2011 10:52 AM PDT

प्रदेश में अब आने वाले समय में नए बीएड कॉलेज नहीं खुलेंगे। यह निर्णय जरूरत से अधिक बीएड कॉलेज खुल जाने के बाद लिया गया है। आवश्यकता से अधिक कॉलेज खुलने से प्रदेश में बीएड करने वालों की संख्या तो बढ़ गई है, लेकिन उस हिसाब से प्रशिक्षितों को रोजगार नहीं मिल रहा है। प्रदेश सरकार ने एनसीटीई को पत्र लिखकर मांग की है कि नए कॉलेजों को न खोला जाए। एनसीटीई ही बीएड कॉलेजों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद अनुमति देती है।

राज्य में पिछले कुछ वर्षो से भारी संख्या में बीएड कॉलेज खुले हैं। वर्तमान में यह संख्या 72 है। इसके बावजूद भी कई लोग एवं संस्थाएं बीएड कॉलेज खोलने में रुचि दिखा रही है, लेकिन सरकार इसकी पक्षधर नहीं है। प्रदेश में बीएड कर चुके बेरोजगारों की संख्या करीब 50 हजार है।


आर्ट्स में 1985-86, मेडिकल में 1995-96 और नॉन मेडिकल में अभी 1993-94 के बीएड प्रशिक्षितों को नौकरी का इंतजार है। सूबे में पिछले साढ़े तीन वर्षो में करीब 4568 युवाओं को ही नौकरी मिल पाई है। प्रदेश में सालाना 10 हजार युवा बीएड कर निकल रहे हैं, जिसे देखते हुए सरकार भी परेशान है। 
प्रिंसिपल सेक्रेटरी डॉ. श्रीकांत बाल्दी का कहना है कि सरकार ने एनसीटीई को एक पत्र लिखा है। इसमें नए बीएड कॉलेज खोलने की अनुमति न देने का आग्रह किया गया है। प्रदेश में इस समय कॉलेजों की संख्या अधिक है। ऐसे में अधिक कॉलेज खुलना सही नहीं है। वर्तमान में चल रहे बीएड कॉलेजों में बेहतर सुविधाएं छात्रों को मिले, इस तरफ सरकार का ध्यान केंद्रित है(कुलदीप शर्मा,दैनिक भास्कर,शिमला,23.7.11)।

छत्तीसगढ़ःइतिहास-समाजशास्त्र की डिग्री से बन गए 'डॉक्टर'

Posted: 23 Jul 2011 10:49 AM PDT

करोड़ों की मशीन और दवा खरीदी में गोलमाल करने के लिए चर्चित स्वास्थ्य विभाग में इस बार भर्ती घोटाला फूटा है। विभाग के अधिकारियों ने एपिडेमोलिस्ट (महामारी विशेषज्ञ) की पोस्ट पर इतिहास और समाजशास्त्र की डिग्रीधारी की भर्ती कर दी, जबकि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पद के लिए न्यूनतम योग्यता एमबीबीएस और एमडी तय की है।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के माध्यम 2009 में राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में की गई भर्ती हुए इस गोलमाल का भांडा अब जाकर फूटा है। वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडे ने सूचना के अधिकार कानून के तहत इस बारे में जानकारी निकाली।उसके बाद ही यह हकीकत सामने आई।

हैरानी वाली बात यह है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की स्पष्ट गाइड लाइन के बावजूद न सिर्फ इतिहास और समाज शास्त्र विषय पढ़ने वालों को पोस्ट दी गई है, बल्कि इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी विभाग वालों को भी डॉक्टरों वाला पद सौंप दिया गया है।स्वास्थ्य मंत्रालय ने केवल एक साल के लिए पोस्टिंग दी थी। छत्तीसगढ में 2009 के बाद इस पद के लिए विज्ञापन नहीं निकाला गया।यानी एक बार भर्ती होने वालों का कार्यकाल बगैर विज्ञापन निकाले ही बढ़ाया जा रहा है। 
25 हजार से 45 हजार पगार : 
आंबेडकर अस्पताल में जहां एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त डॉक्टर जूनियर रेसिडेंट के रूप में 15-15 हजार वेतन प्राप्त कर रहे हैं, वहीं राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से भर्ती पाने वाले इतिहास और समाजशास्त्र के डिग्रीधारियों को 25 से 45 हजार तक वेतन मिल रहा है। 
सच्चाई सामने आ गई-पांडे : 
वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री पांडे ने कहा कि सब कुछ स्पष्ट हो गया है कि किस तरह से नियुक्ति दी गई। इस बारे में अगला कदम उठाया जाएगा। 
ऐसे हुई भर्ती
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रामक रोगों के नियंत्रण और उनकी नियमित मॉनीटरिंग के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की थी।राज्य के सभी जिलों में एक-एक पद पर भर्ती की गई थी। पोस्ट भरने का जिम्मा एक निजी एजेंसी को सौंपा गया था। चयन करने के बाद उन्होंने उम्मीदवारों की सूची यहां भेज दी। दूसरी मर्तबा भी नियुक्ति देते समय अफसरों ने निर्धारित योग्यता की ओर ध्यान नहीं दिया(दैनिक भास्कर,रायपुर,23.7.11)।

यूपी में नौकरी की गारंटी देने वाले कोर्स की हवा निकली

Posted: 23 Jul 2011 10:47 AM PDT

उत्तर प्रदेश की बदहाल होती शिक्षा प्रणाली का ही नतीजा है कि ढाई लाख रुपये फीस देने के बाद भी छात्र-छात्राएं सड़क पर हैं। बैंकिंग में स्केल-1 की जॉब की गारंटी हवा निकली। पहला बैच निकल गया और कोर्स का अनुमोदन तक नहीं कराया गया। यह तस्वीर है नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवेलपमेंट (नाबार्ड) की सोसाइटी बैंकर्स इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवेलपमेंट (बर्ड) में शुरू किए गए पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रूरल बैकिंग (पीजीडीआरबी) की। नाबार्ड की तरफ से प्रमोटेड बर्ड 1983 में स्थापित किया गया था। यहां ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए बैंक, एनजीओ आदि क्षेत्रों से जुड़े अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाती थी। पिछले साल से बर्ड में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रूरल बैकिंग (पीजीडीआरबी) कोर्स शुरू किया गया। इस कोर्स का कहीं से भी अनुमोदन नहीं कराया गया। चालीस सीटों के इस कोर्स में 22 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया, इनमें दो ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। पूर्ण रूप आवासीय कोर्स की फीस 2.5 लाख रुपये ली गई। विद्यार्थियों ने बताया कि कोर्स शुरू होने से पहले बैंकिग क्षेत्र में स्केल-1 की नौकरी दिलाने का वादा किया गया। कोर्स शुरू होने के साथ ही दावों की हवा निकलना शुरू हो गई। छात्रों ने बताया फैकल्टी सदस्यों और बर्ड के प्रशासनिक अधिकारियों का रुख भी धीरे-धीरे बदलने लगा। रीजनल रूरल बैंक (आरआरबी) में छह लोगों की जॉब की बात की गई। आरआरबी में ट्रेनिंग तो हुई लेकिन वहां एक छात्र का भी प्लेसमेंट नहीं हुआ। नाबार्ड का नाम भी काम नहीं आया। बर्ड के डिप्टी जनरल मैनेजर सदाशिव प्रेम बैंक में प्लेसमेंट की बात कह रहे हैं(पारितोष मिश्र,दैनिक जागरण,लखनऊ,23.7.11)।

डीयू सख्त: छात्रों से ही ली जाएगी शिक्षकों की रिपोर्ट

Posted: 23 Jul 2011 10:44 AM PDT

ग्रेजुएशन में सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय कुलपति को शिक्षकों की कक्षाओं में मौजूदगी की चिंता सताने लगी है। शिक्षकों की मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए अब कुलपति व उनकी टीम छात्रों को सशक्त करने में जुट गई है।

इसी वजह से औचक निरीक्षण कर छात्रों से सीधे संवाद करने की व्यवस्था नए सत्र के पहले ही दिन से लागू कर दी है। साथ ही छात्रों को किसी भी तरह की समस्या होने पर तत्काल शिकायत करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।

कुलपति प्रो. दिनेश सिंह ने कहा कि साल में दो बार परीक्षाएं आयोजित करने के लिए जरूरी है कि छात्र समय पर कक्षाएं अटेंड करें, लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है कि शिक्षक कक्षाओं में मौजूद रहें। शिक्षक क्लास में हैं या नहीं? इस बात की पड़ताल के लिए शिक्षकों के बजाए मैं छात्रों से ही रिपोर्ट लूंगा।

क्लास में शिक्षक के नहीं होने के साथ ही किसी भी तरह की शिकायत छात्र प्रिंसिपल से कर सकते हैं। समस्या का समाधान नहीं होने की सूरत में वह सीधे मुझसे भी मिल सकते हैं या फिर ईमेल कर सकते हैं।


डीन कॉलेज प्रो. सुधीश पचौरी ने कहा कि मैं छात्रों को मजबूत बनाने के लिए एक ऐसी व्यवस्था तैयार करने में जुटा हूं, जिसके तहत आंतरिक मूल्यांकन के चलते शिक्षकों की ज्यादतियों के खिलाफ मुंह न खोल सकने वाले छात्रों का भय भी खत्म हो जाएगा। 

मेरी नजर जहां कॉलेजों से आने वाले आंतरिक मूल्यांकन पर पुनर्विचार व पुन: समीक्षा कराने की व्यवस्था पर है। उधर, कुलपति चाहते हैं कि आंतरिक मूल्यांकन से जुड़ा प्रश्नपत्र खुद डीयू अपनी ओर से भेजे ताकि उसके नतीजों के आधार पर पता लग सके कि आखिरी किस कॉलेज में किस स्तर पर अध्ययन कार्य को अंजाम दिया जा रहा है(दैनिक भास्कर,दिल्ली,23.7.11)।

मध्यप्रदेशःयूं लेट हो रहा है एमबीबीएस का पूरा सत्र

Posted: 23 Jul 2011 10:43 AM PDT

'साढ़े चार साल का एमबीबीएस कोर्स, इंटर्नशिप, पीजी इसके बाद उच्चस्तरीय विशेषज्ञ कोर्स। इस तरह स्कूल की पढ़ाई के बाद फिर 10 से 13 साल पढ़ने में ही निकल जाते हैं। जब बाकी ग्रेजुएट्स अपनी नौकरी और परिवारों में सैटल हो चुके होते हैं। मेडिकल स्टूडेंट्स तब भी कॉलेजों में ही पढ़ रहे होते हैं। उस पर यदि यूनिवर्सिटी, मेडिकल शिक्षा संचालनालय या व्यापमं की गलती से स्टूडेंट्स का 1 साल और बर्बाद होता है तो उसका दर्द केवल मेडिकल स्टूडेंट ही समझ सकता है।' इस साल इसी तरह की समस्या से वे स्टूडेंट्स जूझ रहे हैं जिन्हें पीएमटी देना है।

एआईसीटी के नॉर्म्स के हिसाब से पहला सत्र 1 जुलाई से शुरू होना था लेकिन पीएमटी 24 जुलाई को है। यदि अगस्त के दूसरे हफ्ते तक व्यापमं ने इसके नतीजे घोषित भी कर दिए तो, काउंसिलिंग होते-होते सितंबर हो जाएगा। यानि शुरुआत में ही सत्र 3 महीने लेट हो गया। उधर फस्र्ट प्रोफेशनल ईयर के स्टूडेंट की अभी तक परीक्षा की तारीखें ही बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी ने घोषित नहीं की हैं। यानि जिनका दूसरा सत्र जुलाई के आखिर तक शुरू हो जाना था वह रिजल्ट आने तक अक्टूबर में ही शुरू हो पाएगा। इसमें भी यदि बीयू ने और देरी की तो इससे भी ज्यादा समय लग सकता है।


इस मामले में जीएमसी के डीन डॉ. निर्भय श्रीवास्तव का कहना है कि यदि पहले सत्र की परीक्षाएं कैलेंडर के मुताबिक सही समय पर होंगी तो आखिरी सत्र की परीक्षाएं भी जनवरी में कराई जा सकेंगी। लिहाजा स्टूडेंट को प्रीपीजी की पढ़ाई के लिए 2 महीने का समय मिलेगा जिससे उसका परफॉर्मेंस और बेहतर होगा। 

ये होती है गड़बड़ी 
एआईसीटीई के नियम के मुताबिक फस्र्ट प्रोफेशनल ईयर के जब तक नतीजे नहीं आते तब तक स्टूडेंट सेकंड प्रोफेशनल ईयर की क्लास में नहंी बैठ सकते। ऐसे में पीएमटी, काउंसिलिंग, फस्र्ट प्रोफेशनल ईयर की परीक्षाओं की तारीखें, रिजल्ट आने तक की प्रक्रिया में लेट-लतीफी से 6 से 9 महीने तक की देरी हो जाती है।

आगे क्या?
पहले सत्र में हो रही देरी से आखिरी सत्र की परीक्षाएं भी अप्रैल - मई तक पहुंचेंगी। लिहाजा स्टूडेंट ऑल इंडिया प्रीपीजी की परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे और उनका पूरा एक साल जीरो ईयर होने की आशंका बनने लगी है। 

अभी जवाब नहीं 
एमबी



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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