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Saturday, October 1, 2011

Fwd: [जाती विरहीत जनआंदोलन] महायान बौद्ध ग्रंथ 'सद्धर्मपुंडरीक' में...



---------- Forwarded message ----------
From: Vikas Kharat <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2011/9/30
Subject: [जाती विरहीत जनआंदोलन] महायान बौद्ध ग्रंथ 'सद्धर्मपुंडरीक' में...
To: जाती विरहीत जनआंदोलन <209928362399767@groups.facebook.com>


महायान बौद्ध ग्रंथ 'सद्धर्मपुंडरीक' में...
Vikas Kharat 10:46pm Sep 30
महायान बौद्ध ग्रंथ 'सद्धर्मपुंडरीक' में अवलोकितेश्वर बोधिसत्व के माहात्म्य का चमत्कारपूर्ण वर्णन मिलता है। अनंत करुणा के अवतार बोधिसत्व अवलोकितेश्वर का व्रत है कि बिना संसार के अनंत प्राणियों का उद्धार किए वे स्वयं निवार्णलाभ नहीं करेंगे। जब चीनी यात्री फाहियान ३९९ ई. में भारत आया था तब उसने सभी जगह अवलोकितेश्वर की पूजा होते देखी।

भगवान्‌ बुद्ध ने बराबर अपने को मानव के रूप में प्रकट किया और लोगों क...ो प्रेरित किया कि वे उन्हीं के मार्ग का अनुसरण करें। किंतु उसपर भी हिंदू धर्म की छाप पड़े बिना नहीं रही। बोधिसत्व अवलोकितेश्वर की कल्पना उसी का परिणाम है। ब्रह्म के समान ही अवलोकितेश्वर के विषय में लिखा है :

"अवलोकितेश्वर की आँखों से सूरज और चाँद, भ्रू से महेश्वर, स्कंधों से देवगण, हृदय से नारायण, दाँतों से सरस्वती, मुख से वायु, पैरों से पृथ्वी तथा उदर से वरुण उत्पन्न हुए।' अवलोकितेश्वरों में महत्वपूर्ण सिंहनाद की उत्तर मध्यकालीन (ल. ११वीं सदी) असाधारण सुंदर प्रस्तरमूर्ति लखनऊ संग्रहालय में सुरक्षित है।

देखो बौद्ध धम्म भी हिंदू धर्म कि नकल करता है.... इसके उपर आपका क्या कहना है

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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