Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Sunday, July 1, 2012

Fwd: कविता में व्याधि या कविता की व्याधि



---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/7/1
Subject: कविता में व्याधि या कविता की व्याधि
To: abhinav.upadhyaya@gmail.com


एक विषय. दो कवि. दो अलग अलग तरह की कविताएं. लेकिन संवेदना की जमीन पर दोनों कैसे एक ही जगह पहुंचती हैं जहां वे समान रूप से अमानवीय और स्त्रीविरोधी हैं, जबकि एक कविता एक महिला द्वारा लिखी गई है और दूसरी एक पुरुष द्वारा. अपनी अब तक चर्चित हो चुकी इस आलोचना में शालिनी माथुर एक तरह से दोनों कविताओं का और उनके रचनाकारों के अंतर्मन का, उनकी वास्तविक राजनीति का उत्खनन करती हैं और दिखाती हैं कि कैसे खुद के नारीवादी होने का दावा करने वाली कविता या कवि-रचनाकार भी भीतर से कितने स्त्रीविरोधी, पितृसत्तात्मक हैं. घोषित रूप से स्त्रियों के पक्ष में लिखी गई इन कविताओं की यह आलोचना इसे भी दिखाती है कि किस तरह ये दोनों रचनाकार पूंजीवादी बाजारपरस्ती के नमूने के बतौर सामने आते हैं, जो अपने बुनियादी चरित्र में ही स्त्रीविरोधी और पितृसत्तात्मक है.

कविता में व्याधि या कविता की व्याधि



No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...