Sunday, 10 March 2013 11:58 |
जनसत्ता 10 मार्च, 2013: मार्क्सवादी रुझान का बौद्धिक वर्ग दामोदर धर्मानंद कोसंबी को प्राचीन भारत का महान इतिहासकार, बल्कि पहले प्रामाणिक इतिहासकार के रूप में प्रचारित करता रहा है। कोसंबी के अलावा भारत के किसी अन्य इतिहासकार का इतनी योजनाबद्ध रीति से प्रचार और गौरवीकरण कभी नहीं हुआ। सामने हेय हैं।... ब्राह्मणवाद का दूसरा अवदान एक निर्भीक और आत्मविश्वासी बुद्धिजीवी वर्ग का निर्माण था।... इसके लिए कुछ रियायतों का विधान था, जो हमें पक्षपातपूर्ण लगता है, चौंकाता भी है, पर इसका प्रावधान कुछ वैसा ही है जैसा दूतों और शिष्टमंडलों को दिया जाता रहा है और जिसकी मांग बुद्धिजीवी समाज भी करता है।'' http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/40532-2013-03-10-06-30-01 |
Sunday, March 10, 2013
एक इतिहासकार की भ्रांत स्थापनाएं
एक इतिहासकार की भ्रांत स्थापनाएं
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