सत्यजीत रे देश और दुनिया में बड़े संजीदा फिल्मकार माने जाते हैं. लेकिन आदिवासियों को लेकर उनमें, बॉलीवुड और हॉलीवुड के नजरिए में कोई मतभेद नहीं है. हॉलीवुड ने जिस तरह से ब्लैक किरदारों के लिए शुरुआत में व्हाइट्स लोगों का चेहरा पोतकर ब्लैक कलाकारों को फिल्मों में आने से रोका और उनका स्टीरियोटाइप चित्रण किया. ठीक ऐसे ही सत्यजीत रे ने भी अपनी फिल्म 'अरण्येर दिनरात्रि' (1970) में सिम्मी ग्रेवाल का चेहरा पोतकर संताली किरदार 'दुली' का रोल करवाया. तो जब रे साहब को ही समूचे बंगाल में कोई संताल आदिवासी कलाकार नहीं मिली तो इसमें क्या आश्चर्य कि 100 साल के बॉलीवुड को आज तक कोई आदिवासी कलाकार नहीं मिला. फिर भी रे महान हैं और बॉलीवुड के जलवों का क्या कहना!
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