बड़ा बेआबरु होकर नेपाली कूचे से निकला भारतीय बजरंगी ब्रिगेड
फिर आने लगी सुनामी
प्रशांत महासागरसे बहुत दूर भी नहीं है हिंद महासागर
यह कायनात तुम्हारे हवाले साथियों
कि हर हाथ के मोबाइल को अब राष्ट्रीय झंडे में तब्दील करना है
जाति उन्मूलन के जरिये देश महादेश जोड़ना है
बड़े बेआबरु होकर नेपाल से लौटे कारपोरेटकेसरिया बजरंगी मीडिया के मुकाबले सारे देशभक्तों को मिलकर वैकल्पिक मीडिया खड़ा करना है
कल्कि अवतार को चीन का चेयरमैन बनाने की संघ परिवार की तैयारी
बाबासाहेब के बाद अब गौतम बुद्ध को आजमाने की बारी
पलाश विश्वास
BBC Hindi
बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर प्रधानमंत्री ने महात्मा बुद्ध के बारे में क्या कहा, देखेंः
नए सर्वेक्षण में खुलासा, हर चौथा भारतीय नागरिक होता है छुआछूत का शिकार
भारत में जातिवाद की जड़ें काफी गहरी हैं। भारतीय संविधान में इसे कानूनी अपराध माने जाने के बावजूद देश में दलित-पिछड
बड़ा बेआबरु होकर नेपाली कूचे से निकला भारतीय बजरंगी ब्रिगेड।जिस देश में छुआछूत अब भी जारी है और जिस मनुस्मृति के तहत यह जाति व्यवस्था है,उसी को संविदान बनाये हुए भारत ही नहीं,नेपाल ही नहीं,समूची कायनात को हिंदू साम्राज्य में तब्दील करने के लिए,सोने की चिड़िया प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध भारत को बेचने का अबाध कारोबार चलाने के लिए वही संघ परिवार अंबेडकरी विरासत हजम करने की नाकाम कोशिश करने के बाद अब भारत को 2021 तक गैरनस्ली आबादी और विधर्मियों के सफाये के एजंडे के तहत गौतम बुद्ध के संदेशों को पंचशील बेशर्मी से खत्म करने के बाद हिंदुत्व में समाहित करने लगा है।
नेपाल महाभूकंप के बाद भी अपने हिस्से के हिमालय और हिमालयी जनता की सेहत की कोई परवाह नहीं है इस केसरिया कारपोरेट वर्णवर्चस्वी सत्ता,जरखरीद गुलाम मिलियनर बिलियनर राजनीति और उसके फेंके टुकड़ों पर विदेशी पूंजी और विदेशी हितों की दलाली करने वाले कारपोरेट मीडिया,जनविरोधी अर्थशास्त्रियों और प्रकृति और पर्यावरण से कटे हुए भूगर्भ शास्त्रियों को।
किसी को टिहरी बांध,भागीरथी बाढ़,गढ़वाल भूकंप या हाल की सुनामी की याद नहीं आयी।भविष्यद्रष्टा अंध धृतराष्ट्र की तरह महाभारत के महाविनाश का आंखोंदेखा हाल चाहते हैं।
जन भावनाओं की कद्र इतनी,जनसुनवाई का आलम यह कि जल सत्याग्रह करने वालों को मृत्युगान सुनाना पड़े,कि इरोम शर्मिला को चौदह साल तक आमरण अनशन के बाद भी देश को फर्क न पड़े।
कि रोज रोज किसानों की थोक आत्महत्याओं के बावजूद मंकी बातों की बहार हो कि सत्ता से निकलते ही सुधार देवता को आफसा असभ्य लगे और सत्ता से बाहर हो जाने का दर्द ऐसा कि विनिवेश ईश्वर,अंबेडकर विरोधी अरुणशौरी को संघपरिवार का हिंदुत्व एजंडा से अर्थव्यवस्था खतरे में नजर आये।
और मीडिया को फोकस फिर वहीं विश्वास संकट भूंकप की तस्वीरें जो उतर चुकी है परदे से।अब सुनामी कार्निवाल की तैयारी है।
अंडमान में शुक्रवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए। दोपहर 2:29 बजे रिक्टर पैमाने 5.3 तीव्रता वाले झटके से अफरातफरी मच गई। भूकंप का झटका लगने के बाद अंडमान में सुनामी की आशंका जताई गई थी जिसे बाद में खारिज कर दी गई।
अब पापुआ न्यू गिनी में आज भूकंप का तेज झटका महसूस किया गया, जिससे स्थानीय स्तर पर सुनामी आने की आशंका है। अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण के अनुसार भूकंप की तीव्रता 7.4 थी, जो उत्तर पूर्वी पापुआ न्यू गिनी के कोकोपो शहर के करीब 130 किलोमीटर दक्षिण में 63 किलोमीटर की गहराई पर केंद्रित था। भूकंप की तीव्रता पहले 7.5 और गहराई 10 किलोमीटर बताई गई थी। प्रशांत सुनामीचेतावनी केंद्र के अनुसार भूकंप के केंद्र के 300 किलोमीटर के दायरे में खतरनाक सुनामी लहरें उठने की आशंका है।
कृपया इस सुनामी पर नजर रखिये और गौर कीजिये कि अपने बवासीर का रेडियोएक्टिव इलाज कराने के लिए भारतीय समुद्रतटों और महानगरों के इर्द गिर्द सीमेंट के जमगलमध्ये परमाणु रिएक्टरों की जो भारतमाला सजायी जा रही ही,उसके नतीजे कितने भयंकर हो सकते हैं।
प्रकृति और पर्यावरण की खैर इस बलात्कारी पाशविक सत्ता को कोई परवाह है नहीं,लेकिन राजधानी नईदिल्ली के पास नरौरा के बाद मुंबई महानगर के पास जैतापुर एटमिक क्लस्टर,कोलकाता के पास हरिपुर और तमिल नाडु की घनी आबादी के मध्य कुड़नकुलम और कलपक्कम परमाणु संयंत्र सजाने के बाद परमाणु ऊर्जा का विकल्प बनाने वाली सत्ता के पास सुनामी का कोई जवाब भी नहीं है।
आतंकवादी हमलों को रोकने में वह नाकाम है और परमाणु सुरक्षा का आलम यह कि सुनंदा पुष्कर के शव में पोलोनियम 230 पाया गया,जो साल भर में किसी परमाणु बिजलीघर में सिर्फ दस ग्राम उपजता है।
अब संघ परिवार मोदी को चीन का चेयरमैन भी बना सकता है और चीनी जनता के दिलों पर कैसे उनके जनविध्वंसी कारपोरेट केसरिया राजाकाज का जलवा है,मीडिया इसका बखान करने लगा है।जबकि आम जनता की बुनियादी मुद्दों पर कोई स्पेस होता नहीं है।किस्सों और पर्दाफाश के जलजले में जनसुनवाई होती नहीं है और जनमत आर्थिक सुधारों के पक्ष में बनाने के विशेषज्ञों का दरबार लगा रहता है चौबीसों घंटे.संघ परिवार बंगाल में दीदी के सहयोग से केशरियाकरण संपूर्ण करके भारत के संपूर्ण हिंदुत्व और संपूर्ण निजीकरण और संपूर्ण गुजरात एजंडे का विस्तार चीन तक करने का कोई अभियान चलायें तो अचरज नहीं होगा।मीडिया घनघोर,मूसलाधार हवा बांदने लगा है जिससे इस महादेश में कसरिया सुनामी बहा ले जाये सबकुछ।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14-19 मई तक चीन, मंगोलिया और दक्षिण कोरिया की यात्रा पर रहेंगे। मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने इसकी घोषणा कर दी। पिछले साल 26 मई को प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी 15 देशों के दौरे कर चुके हैं। इस दौरान वे करीब 40 दिन विदेश में रहे। मोदी का पिछला दौरा फ्रांस, जर्मनी और कनाडा का था। देश में मोदी के 50 से ज्यादा दौरे हुए हैं। वे 12 बार महाराष्ट्र और आठ बार जम्मू कश्मीर गए हैं। मोदी जिस रफ्तार से विदेश यात्रा कर रहे हैं, उससे लगता है कि वह मनमोहन सिंह को पीछे छोड़ते सबसे ज्यादा विदेश दौरा करने वाले प्रधानमंत्री बन जाएंगे।
मीडिया में उनके पूरब विजय का माहौल ऐसे बनाया जा रहा है।गौर करें,
अलकायदा की भारतीय उपमहाद्वीप शाखा द्वारा पोस्ट हुए ताजा वीडियो में पहली बार भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी का नाम लेते हुए उन्हें खतरे के तौर पर हाईलाइट किया गया है। यह वीडियो अलकायदा की मीडिया विंग अस-शबाब द्वारा ने पोस्ट किया है। फ्रॉम फ्रांस टू बांग्लादेश: द डस्ट विल नेवर सेटल डाउन टाइटल वाले इस वीडियो में अलकायदा के भारतीय उपमहाद्वीप प्रमुख आसिम उमर की आवाज है। आसिम ने पीएम नरेंद्र मोदी के नाम का जिक्र करते हुए कहा कि दुनियाभर में मुस्लिमों के खिलाफ युद्ध लड़ा जा रहा है और निर्णायक भूमिका निभाने का वक्त आ गया है।
बीजिंग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 से 16 मई की अपनी आगामी चीन यात्रा की आधिकारिक घोषणा आज 'चीन की ट्विटर' कही जाने वाली माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट वेयबो पर की और कहा कि वह चीनी नेतृत्व के साथ सार्थक चर्चा के लिए उत्साहित हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 50 करोड़ से ज्यादा यूज़रों वाले चीनी माइक्रो-ब्लॉग पर लिखा, "दो प्राचीन सभ्यताओं और दो सबसे बड़े विकासशील देशों के बीच मित्रता को मजबूत करने के लिए 14 से 16 मई की चीन यात्रा को लेकर आशान्वित हूं..."
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में यह भी लिखा, "मैं अपनी शियान, बीजिंग और शंघाई की यात्रा और राष्ट्रपति शी चिनफिंग एवं प्रधानमंत्री ली क्विंग के साथ अपनी सार्थक बातचीत का उत्सुकता के साथ इंतजार कर रहा हूं..."
गौरतलब है कि सोमवार को ही पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी चीन यात्रा से पहले वेयबो पर एकाउंट बनाया था, और मंडारिन चीनी भाषा में लिखे अपने पहले पोस्ट में कहा था, "हेलो चाइना... वेयबो के जरिये अपने चीनी मित्रों के साथ संवाद को लेकर उत्साहित हूं..."
गौर करेंः
चीन के आधिकारिक मीडिया ने लोकप्रिय चीनी सोशल माइक्रोब्लॉगिंग साइट वेइबो पर अकाउंट खोलने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल का स्वागत करते हुए कहा है कि अगले सप्ताह की यात्रा से पहले ही मोदी हिट हो गए हैं।
सरकारी अंग्रेजी भाषी चाइना डेली में हेडलाइन इस तरह है, दौरे के पहले माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर मोदी हुए हिट एक और आधिकारिक अखबार ग्लोबल टाइम्स के हेडलाइन में कहा गया है, मोदी का चीन के दौरे के पहले वेइबो पर आगाज। चाइना डेली ने कहा है कि सिना वेइबो पर मोदी का अकाउंट ट्विटर और फेसबुक की तरह है, जिसपर हजारों इंटरनेट यूजर आकर्षित होते हैं।
मोदी की 14 मई से चीन की तीन दिवसीय यात्रा शुरू हो रही है। उन्होंने चीनी में अपना पहला पोस्ट किया है हैलो चाइना, वेइबो के जरिए चीनी दोस्तों से संवाद पर उत्साहित हूं। एक ब्लॉगर ने उन्हें हैंडसम बताकर उनकी सराहना की, जबकि दूसरे ने उनका वाइबो में आगमन पर स्वागत किया। उनके पोस्ट को फौरन ही 4,700 से ज्यादा बार फॉरवर्ड किया गया और तीन घंटे के भीतर ही इस पर 7,800 से ज्यादा कमेंट आ गए।
कुछ लोगों ने मोदी के सकारात्मक रुख का स्वागत किया है तो कुछ अन्य ने दोनों देशों के बीच लंबित पड़े मुद्दों पर चिंता जतायी है। एक पोस्ट है, मेरा सुझाव है कि भारतीय महिलाओं की स्थिति सुधारी जाए और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए वर्ना हम विदेशी महिलाएं भारत जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगी।
यह पहली बार नहीं है जब एक विदेशी नेता ने चीन के आधिकारिक दौरे से पहले माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर अकाउंट खोला है। सितंबर 2013 में वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादूरो ने चीन की अपनी यात्रा से पहले इसी तरह अपना अकाउंट खोला था।
इसमें बताया गया है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन सहित दूसरे देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 200 से ज्यादा नेताओं ने पिछले साल माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर अकाउंट खोला था। भारत में चीन के दूत ली यूचेंग को उद्धत करते हुए लिखा गया है कि दौरे के दौरान मोदी के पास चीन के कारोबारी लोगों, छात्रों और लोगों से संवाद करने का मौका है।
ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि पहले पोस्ट से ही चीनी इंटरनेट यूजर्स ने मोदी का स्वागत किया है और खबर लिखे जाने तक इसे 14,217 हिट मिले और 26,406 लोग इसके फॉलोअर बने।
फिर आने लगी सुनामी
प्रशांत महासागरसे बहुत दूर भी नहीं है हिंद महासागर
यह कायनात तुम्हारे हवाले साथियों
कि हर हाथ के मोबाइल को अब राष्ट्रीय झंडे में तब्दील करना है
जाति उन्मूलन के जरिये देश महादेश जोड़ना है
बड़े बेआबरु होकर नेपाल से लौटे कारपोरेटकेसरिया बजरंगी मीडिया के मुकाबले सारे देशभक्तों को मिलकर वैकल्पिक मीडिया खड़ा करना है
कल्कि अवतार को चीन का चेयरमैन बनाने की संघ परिवार की तैयारी
बाबासाहेब के बाद अब गौतम बुद्ध को आजमाने की बारी
इसी बीच खबर है कि सूचना का अधिकार कानून के तहत दायर एक अर्जी का जवाब देना केंद्रीय कानून मंत्रलय के लिए मुश्किल हो गया। इस अर्जी में पूछा गया था कि संवैधानिक पदों पर नियुक्त किए जाने वाले लोग और सांसद-विधायक जिस ईश्वर के नाम पर पद की शपथ लेते हैं, वह कौन है। आरटीआई आवेदक श्रद्धानंद योगाचार्य ने यह सवाल भी किया कि राष्ट्रीय प्रतीक के आधार पर लिखे हुए उद्देश्य सत्यमेव जयते का अर्थ क्या होता है। यह अर्जी राष्ट्रपति सचिवालय को संबोधित की गई थी, जिसे वहां से गृह मंत्रलय भेजा गया और फिर बाद में कानून मंत्रलय को सौंप दिया गया। अब हमें भी इसके जवाब का इंतजार है।
साथियों,सबसे पहले आपको बधाई कि हम लोग वैकल्पिक मीडिया की मुहिम को उसके मुकाम तक पहुंचाने की दिशा में बहुत तेज गति से आगे बढ़ने लगे हैं।
अकेले हस्तक्षेप की पाठक संख्या ग्यारह लाख पार है।हमारे साथियों के तमाम ब्लागों की पाठक संख्या आप अलग से जोड़ सकते हैं।आप हमारे हाथ से अपने हाथ मिलायें तो जनपक्षधर मीडिया खड़ा करने में हम यकीनन कामयाब होंगे।
अब हम इस महादेश के पूरे भूगोल को सभी ज्वलंत मुद्दों पर अस्मिताओं और सीमाओं के आर पार इंसानियत के हक हकूक और कायनात की सेहत के मद्देनजर अंध राष्ट्रवाद के आर पार संबोधित करने की हालत में हैं।
इसी के साथ समकालीन तीसरी दुनिया के पाठक मंचों का जिला जिला विस्तार होने लगा है।
गौरतलब है कि आनंदस्वरुप वर्मा हमारे सिपाहसालार हैंं जो सत्तर के दशक से समकालीन तीसरी दुनिया निकाल रहे हैं और वैकल्पिक मीडिया आंदोलन भी उन्हीं का शुरु किया है।
नेपाल से बहुत बेइज्जत होकर लौटी कारपोरेट मीडिया की बजरंगी फौज को इस दिश में चौबीसों घंटे झूठ का कारोबार के पीपली लाइव आईपीएल पुत्र बीजक सनी लिओन मैनफोर्स तंत्र मंत्र यंत्र के वातानुकूलित तिलिस्म में भारतीय नागरिक बेनकाब नहीं कर सके क्योंकि मुक्त बाजार में हम अपने नैसर्गिक क्रिया कलाप के लिए भी जापानी तेल,राकेट कैप्सूल,स्वर्ण केशर और सनी कंडोम सबक पर निर्भर हैं और हमारी राष्ट्रीयता ने आजादी की वह कीमत अभी चुकायी नहीं है ,जिससे हमें स्वतंत्र संप्रभू नागरिक का आत्मसम्मान का बोध हो।
इसके विपरीत बांग्लादेश में लाखों की कुर्बानी का सिलसिला अभी थमा नहीं है और दशकों की कुर्बानियों के बाद राजतंत्र के हिंदू साम्राज्यवाद की गुलामी से आजाद नेपाल के संप्रभू और स्वतंत्र नागरिकों ने भारतीय कारपोरेट केसरिया बजरंगी मीडिया के नकाब उतार दिये हैं।
नेपाल ने हिंदू संघ परिवार के हिंदू साम्राज्य में शामिल होने से इंकार कर दिया है।जबकि वहां आपातकाल राष्ट्रपति से पूछे बिना लगाया गया।वहां भारतीय सेना राष्ट्रपति से इजाजत लिये बिना बुलायी गयी।
कठपुतली सरकार की इन हरकतों के खिलाफ भूकंप की त्रासदी झेल रहे नेपाल की जनता का गुस्सा ऐसा उबला कि वह नेपाल का राजकाज में रोजमर्रे की दखलंदाजी और नेपाल में मैत्री आपरेशन के जरिये संघ परिवार के हिंदुत्व कारोबार और बजरंगी कारपोरेट मीडिया के खिलाफ उठ खड़ी हो गयी।
इसका सिलसिलेवार ब्यौरा हम हस्तक्षेप और हमारे दूसरे ब्लागों पर लगातार देते रहे हैं।दे रहे हैं।कृपया देखते रहें हस्तक्षेप।हमारे ब्लाग।कृपया पढ़ते रहें समकालीन तीसरी दुनिया और समयांतर और वे तमाम पत्र पत्रिकाएं जो देशभर में हमारे साथी निकाल रहे हैं और हम भरसक जिन्हें जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।करते रहेंगे।
कंचन जोशी ने एकदम सही लिखा हैः
नेपाल एक स्वाभिमानी मुल्क है। ऐतिहासिक तौर पर सम्पूर्ण दक्षिण एशिया में अंग्रेजों को सबसे कड़े प्रतिद्वन्दी नेपाल और अफगानिस्तान में ही मिले। 3 करोड़ की आबादी वाला यह मुल्क भारत के अलावा अन्य देशों की नज़र में एक बड़ा मुल्क है। परन्तु भारत में नेपाल के प्रति सदैव एक औपनिवेशिक दुर्भावना रही है। भारत नेपाल में आंतरिक राजनीति में दुर्भावनापूर्ण हस्तक्षेप की निति अपनाता रहा है,जिसके कारण नेपाल में पढ़ा लिखा मध्यवर्ग भारत से नाखुश रहता है। जिस समय नेपाल आधुनिकता और प्रगतिशील लोकतन्त्र की जंग लड़ रहा था, भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान स्वयम् को 'लोकतांत्रिक' कहते हुए,नेपाल में निरंकुश राजतन्त्र के पक्ष में षडयंत्र रच रहे थे। नेपाल के विरुद्ध भारतीय दुर्भावना को उस पोस्टर से समझा जा सकता है जिसमें आपदा प्रभावित नेपाल को भारत की गोद में रोता बच्चा दिखाया गया है। यही 'पालक बालक' वाली मानसिकता नेपालियों को भारतीयों से कमतर समझने की मानसिकता है। आज जब नेपाल में प्रत्येक क्षेत्र में नयी पीढियां उन्नति कर रही हैं,तब भी भारत में नेपालियों की छवि सिर्फ बोझा ढोने और चौकीदारी करने वाले श्रमिक की है। यही छवि मन में रखकर भारतीय मीडिया संस्थान नेपाल में रिपोर्टिंग कर रहे थे। उनका व्यवहार बिल्कुल घमण्डी और गैरजिम्मेदाराना था,जिसका प्रभाव नेपाल में भारत विरोधी भावनाओं में तेजी के रूप में दिख रहा है। नेपाल में बहुत से मुल्क सहयोग कर रहे हैं,पर जितनी फजीहत हमारे राजनेताओं और पत्रकारों ने करवाई है,उतनी किसी ने नहीं। इससे गैरजिम्मेदार रिपोर्टिंग क्या होगी कि आप बार बार कहें कि नेपाली प्रधानमन्त्री को आपदा की सूचना भारतीय प्रधानमन्त्री के ट्वीट से मिली? या फिर आपदा से उबरने की कोशिश करते मुल्क में लूट की झूटी सूचनाओं,या गोमांस की मूर्खतापूर्ण खबरों के नाम पर दंगा भड़काने की कोशिस करें? नेपाली मित्रो हम सचमुच शर्मिंदा हैं,पर आपके साथ हैं।
अब यह भी पढ़ लेंः
माफी माग अनि फिर्ता लैजाऊ भारतीय सेना !
सम्पादकीय
विचार डबली २० बैशाख २०७२ 31.2K 72 0
माफी मांगाे अाैर वापस ले जाअाे भारतीय सेना !
देखें हस्तक्षेप।
भारत विरोध नहीं वरन् नेपाली राष्ट्रवाद की प्रगतिशील चेतना की अभिव्यक्ति है #GoHomeIndianMedia
2015/05/05 मुद्दा 0 Comments
भारत विरोध नहीं वरन् नेपाली राष्ट्रवाद की प्रगतिशील चेतना की अभिव्यक्ति है #GoHomeIndianMedia नेपाल भले ही एक गरीब देश हो, पर स्वतंत्र रहने और स्वाभिमान कायम रखने के सवाल पर कोई समझौता नहीं। राष्ट्रवादी चेतना एक मायावी, बेहद मानवीय और प्यारी चीज़ है। जिस राष्ट्र और राष्ट्रीय समूहों में यह चेतना प्रगतिशील रूप में विकसित नहीं होती, वहां पर सत्ताधारी ... Read More »
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भूकंप से जख्मी हिमालयी इंसानियत खून से लहूलुहान चीख-चीखकर कह रहा हैः #GoHomeIndianMedia
2015/05/04 आजकल 0 Comments
हम लगातार नेपाल त्रासदी पर फोकस बनाये हुए हैं, क्योंकि यह हमारे लिए नेपाल की त्रासदी है नहीं, इंसानियत के खिलाफ मुक्तबाजारी फासिस्ट हमलों की वजह सा आन पड़ी कयामत है यह। हिमालय हमारे लिए कोई भारतवर्ष या नेपाल तक सीमाबद्ध राजनीतिक भूगोल नहीं, यह मनुष्यता और सभ्यता के लिए अनिवार्य प्राकृतिक रक्षा कवच है जो तहस-नहस है प्रकृति के ... Read More »
inShare10
Nepal defends its sovereignty and Nepal asks all nations to end rescue operations! #GoHomeIndianMedia
2015/05/04 World 0 Comments
Nepal defends its sovereignty and Nepal asks all nations to end rescue operations! #GoHomeIndianMedia : Indian Media Faces Flak for Insensitive Coverage of Nepal Earthquake Nepal defends its sovereignty and Nepal asks all nations to end rescue operations! Mind you ,Nepal has been reduced to a diplomatic battleground and sovereign Nepalese people refuses to include itself in Hindutva empire once ... Read More »
inShare13
Letter To Indian Media by Nepali People #GoHomeIndianMedia
#GoHomeIndianMedia अभिय़ान चालू होते न होते कठपुतली सरकार को भारत समेत तमाम विदेशी तत्वों को नेपाल से बाहर निकालने के लिए बचाव और राहत अभियान बंद करके विदेशियों को देश छोड़ने का आदेश जारी करना पड़ा।
बड़ा बेआबरु होकर नेपाली कूचे से निकला भारतीय बजरंगी ब्रिगेड।
अब मजीठिया का फंडा भी बेनकाब हो गया है।अरविंद केजरीवाल उत्पीड़ित अत्याचारित मीडिया कर्मियों का क्या भला करेंगे जैसे वे दिल्ली के किसानों और स्त्रियों का भला कर रहे हैं,इससे साफ जाहिर है।
मिलियल बिलियनर कारपोरेट गुलाम राजनेता जो अपने लाइलाज बवासीर का इसलाज करवाने देशी विदेशी पूंजी की दलाली के तहत समूची कायनात को रेडियोएकेटिव कयामत में बदलने लगे हैं,उसकी जरखरीद गुलाम कारपोरेट मीडिया के खिलाफ जनपक्षधरता और जनसरोकार की कसम खाकर जो मीडिया में दाखिल होकर उत्पीड़ित उपेक्षित हैं,उन्हें अब कारपोरेट केसरिया सारस्वत वर्ण वर्चस्वी मीडियातंत्र के खिलाफ अपने आत्मसम्मान के लिए खड़ा ही होना चाहिए।
हम 1980 से मीडिया में हैं और हिंदी के मीडियाकर्म हमें खूब जानते हैं।हमने जनता के हक हकूक के पक्ष में लिखना जो छात्र जीवन से शुरु किया सत्तर के दशक से वह सिलसिला अभी भी जारी है।हमने कभी आकाओं की परवाह नहीं की।
प्रभाष जोशी,श्याम आचार्य,शंभूनाथ शुक्ल से लेकर ओम थानवी तक ने हमारे साथ जो सलूक किया,मीडिया को लोग बहुत बेहतर जानते हैं।
फिरभी मेरी पेशेवर पत्रकारिता में एक दिन का व्यवधान भी नहीं आया।जो लोग स्तंभन करते हैं संपादकीय पन्नों में आप जानते हैं,हमारे पाठक उनसे बहुत ज्यादा है और हमारी आवाज देश विदेश हर कहीं गूंजती हैं।
तो अपने आत्मसम्मान के लिए,अपने वजूद के लिए आप हमारे साथ खड़े हों,तो गुलामी के तंत्र से आपको कोई खतरा नहीं है और जिस मिशन के लिए आपने मीडिया पर दांव लगाया,वह मिशन कारपोरेट मीडिया के जरिये नहीं,बल्कि वैकल्पिक मीडिया के मंचों से पूरा हो सकता है।
हम अपने मीडियाकर्मी उन नब्वे फीसद साथियों के इंतजार में हैं ,जो दस फीसद की मौज मस्ती के कारण रोजमर्रे की जिंदगी में बाहैसियत मीडियाकर्मी अपनी इज्जत गवां चुके हैं मलाईदार तबके की जनविरोधी हरकतों की वजह से।
आइये,मलाईदारों का कापोरेट मीडिया के मुकाबले हम सब मिलकर वैकल्पिक मीडिया का तूफान खड़ा कर दें।
सोशल मीडिया ने मोबाइल के जरिये देश दुनिया जोड़ने का बेहतरीन मौका पैदा किया है।संघ परिवार इसी मीडिया का इस्तेमाल बखूब कर रहा है।आप का जादू भी इसीसे कायम है।चीनी सोशल मीडिया में भी भोंपू कारपोरेट केसरिया बजने लगा है।
आपको बहुत कुछ करना नहीं है।आपनी सेल्फी और फोटो अलबम आप जितना चाहें शेयर करें।चैट पर भी रोक नही है।लोकिन यह बजरंगी कारपोरेट मीडिया राष्ट्रद्रोही राजनीति के इशारों पर जो झूठ और धोखे का हमवामहल ताने हैं प्रिंट और चैनलों में ,उसे आप जनपक्षधर वैकल्पिक मीडिया में छपी जनपक्षधर सूचनाओं को भी शेयर करें और अपने हाथ मोबाइल को राष्ट्रीय झंडे में तब्दील कर दें तो हम उस झूठ के कारपोरेटकेसरिया कारोबार को तहस नहस कर सकते हैं और पूरी 120 करोड़ आबादी को सच बताने में देर सवेर कामयाब हो जायेंगे।
फिर आने लगी सुनामी
प्रशांत महासागरसे बहुत दूर भी नहीं है हिंद महासागर
यह कायनात तुम्हारे हवाले साथियों
कि हर हाथ के मोबाइल को अब राष्ट्रीय झंडे में तब्दील करना है
जाति उन्मूलन के जरिये देश महादेश जोड़ना है
बड़े बेआबरु होकर नेपाल से लौटे कारपोरेटकेसरिया बजरंगी मीडिया के मुकाबले सारे देशभक्तों को मिलकर वैकल्पिक मीडिया खड़ा करना है
कल्कि अवतार को चीन का चेयरमैन बनाने की संघ परिवार की तैयारी
बाबासाहेब के बाद अब गौतम बुद्ध को आजमाने की बारी
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