जब मैं क्रिकेट को अवांछित , मनहूस , बनावटी और सट्टे बाज़ी की जड़ बताते हुए कोई पोस्ट लिखता हूँ , तो बड़ी चिल्ल पों मचती है । अब जबकि इस खेल से जुड़ा सरगना लन्दन में बैठ कईयों के मुंह पर कालिख पोत रहा है और कईयों को नकटा बना चूका तो सब सुट्ट हैं । मैं पुनः दोहराता हूँ कि गुलामी और सट्टे बाज़ी के प्रतीक इस ना मुराद खेल पर पाबन्दी लगे । इसे खेलने वालों को सात साल तथा देखने वालों पर 2 साल की सज़ा का प्रावधान हो । कबड्डी , खो खो , हॉकी तथा फुटबॉल जैसे इंडिजिनस खेलों को बढ़ावा मिले । अंग्रेजों ने हमे मानसिक और आर्थिक रूप से गुलाम बनाये रखने के लिए कुछ शैतानी रवायतें रख छोड़ी हैं , जिनमे कोका कोला , अंग्रेजी , क्रिकेट और युद्धोन्माद प्रमुख हैं ।
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