यह पूँजीवाद का वही विजय रथ है जो अपने पीछे न जाने कितनी लाशों, कितनी बर्बादियों और मनुष्य के ख़ून और पसीने का कीचड़ छोड़ता जाता है। सर्वनाशी साबि...
आने वाली पीढ़ी हमारे वर्तमान युग को मध्ययुग कहे या न कहे, कोई मायने नहीं रखता। लेकिन यह तय है कि हम अपने वर्तमान को जिस रूप में देखते है, आगत पीढ़ि...
आधुनिक राष्ट्र-राज्य का यह वीभत्सतम रूप है। आप मुझसे अनिर्बन के 'देशद्रोह' का हिसाब क्यों नहीं मांगते, उमर का ही क्यों?... बहुसंख्यक तुष्ट...
तो क्या अब बिहार भी 'जय श्रीराम' की आग में जलने वाला है? क्या बजरंग दल वालों को नीतीश कुमार के रुख का अंदाजा हो गया है?
क्या कोविन्द और पासवान जैसे लोग - जो दलितों के खिलाफ बढ़ती हिंसा के बारे में एक शब्द भी नहीं बोलते - दलित नेता कहे जा सकते हैं? इस समय देश का द...
जब भी धर्म को राज-काज में दखल देने की आज़ादी दी जायेगी राष्ट्र का वही हाल होगा जो आज पाकिस्तान का हो रहा। गाय के नाम पर चल रहे खूनी खेल की अनदेखी...
हिंदुस्तान की बहुसंख्यक जनता मिल-जुलकर, शांति से रहने में ही भरोसा रखती है। वह किसी भी कारण से कानून हाथ में लेने की विरोधी है और अपने नाम पर तो,...
रक्षा क्षेत्र के विनिवेश के बाद युद्ध से किन कंपनियों को फायदा कि प्रधान स्वयंसेवक और विदेश मंत्री की जगह वित्तमंत्री चीन को करारा जबाव देने लगे?
#NotInMyName आप किसमें अपना भविष्य ढ़ूंढ़ रहे हैं, जिन्ना के पाकिस्तान में, हिटलर के जर्मनी में या आज के सीरिया में? तय आपको ही करना है, क्योंकि ...
एक मार्क्सवादी का काम उदारवाद से हासिल उपलब्धियों का इस्तेमाल करते हुए सैद्धांतिकी को व्यवहार में उतारना है, नकि दुश्मन का दुश्मन दोस्त वाल...
हिंदुत्व की विचारधारा जो आज विजेता नजर आ रही है उसकी जड़ें आधुनिक समाज के विघटन की प्रक्रिया में निहित हैं। यह गुलामी की विचारधारा है। यह नए खतर...
सारा देश भीड़ में बदला जा रहा है और हर भीड़ को एक नाम दे कर, उन्हें आपस में लड़ाया जा रहा है ! कोई हिंदू वाहिनी है, कोई भगवा ब्रिगेड है; कोई धर्म...
आज के वैश्वीकृत निज़ाम में खेती का अर्थशास्त्र किसानों के खिलाफ है। मज़दूरों सीमान्त किसानों की तो बात ही छोड़िए मंझोले & बड़े किसानों के सामने भी यह...
जब 'भारत माता की जय' बोलना नागरिकता और राष्ट्रभक्ति की कसौटी बनाया जा रहा हो, वैसे में कबीर खान बहुत सहज तरीके से उससे निपटते हैं- एक मासूम बच्चे...
प्रश्न है कि गुलाम नबी आज़ाद के बयान में क्या रत्ती भर भी झूठ है ? कोविंद के पक्ष में खड़े होकर मीरा कुमार को हराया नहीं जा रहा है तो क्या किया ज...
साम्प्रदायिकता की बुनियादी लड़ाई मुसलमान या ईसाईयों से नहीं है बल्कि प्रगति की अवधारणा से है। वे प्रगति को सहन नहीं कर पाते। विचारों से लेकर जीवन...
यह विरोध उस मानसिकता का विरोध है जो इस तरह के सांप्रदायिक भीड़ को पैदा करती है. यह विरोध उस व्यवस्था का विरोध है जो इंसानों के बीच समानता का
1 comment:
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