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Friday, April 19, 2013

अब ​​वही बैंक आधार कार्ड बनवाने को मजबूर!रसोई गैस अब बाजार दर से खरीदनी होगी।

अब ​​वही बैंक आधार कार्ड बनवाने को मजबूर!रसोई गैस अब बाजार दर से खरीदनी होगी।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


आधार कार्ड परियोजना (यूआईडीए) के अध्यक्ष नंदन नीलकेणी ने घोषणा की कि देश में आधार कार्ड बनाने की परियोजना में और तेजी लायी जा रही है।उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 तक देश में साठ करोड़ से अधिक लोगों के पास आधार कार्ड होगा, जबकि झारखंड में अगले सौ दिनों के भीतर सभी लोगों के पास आधार कार्ड हो जाएंगे।बाकी साठ करोड़ लोगों को क्या वेतन, भविष्य निधि से वंचित रखा जायेगा? उन्हें सामाजिक योजनाओं से काटकर रखा जायेगा? उनके बच्चों​​ का दाखिला बंद रहेगा? वे बाहर कहीं भी जा नहीं पायेंगे? संपत्ति और सेवाओं के लिए बिना पहचान के होने के कारण क्या उनकी बेदखली ​​होगी? रसोई गैसके लिए उन्हें कोई सब्सिडी नहीं मिलेगी नीलकेणी इस बारे में चुप्पी साधे हुए हैं। देश की जनता दो फाड़ हो रही है, एक​:​ जिनके पास आधार कार्ड होंगे और दो: जिनके पास आधार कार्ड नहीं होंगे। विशेष सैन्य बल अधिनियम के तहत कश्मीर, पूर्वोत्तर और समस्त आदिवासी, शरणार्थी व बस्ती इलाकों में लोगों का क्या हाल होने जा रहा है, इस ओर किसी का ध्यान ही नहीं है। बंगाल में तो अभी कोलकाता के आसपास के जिलों में सहरी इलाकों में भी लोगों को आधार कार्ड क्या बला है, मालूम ही नहीं है। ऐसे लोगों को कौन बचायेगा?उन्होंने बताया कि आज देश में प्रति माह दो करोड़ आधार कार्ड जारी किये जा रहे हैं यानी प्रतिदिन लगभग दस लाख नये आधार कार्ड जारी किये जा रहे हैं। आज देश में आधार कार्ड के लिए पैंतीस करोड़ लोगों का पंजीकरण हो चुका है, जिनमें से 31 करोड़ से अधिक लोगों को कार्ड जारी किया जा चुका है।बस! तो इसी आंकड़े के भरोसे सरकार असंवैधानिक तौर पर नागरिक और मानवाधिकारों के हनन में लगी है।


विभिन्न जन सुविधाओं के लाभार्थियों के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता संबंधी सरकार के फैसले के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।याचिकाकर्ता आशुतोष चंदौला ने दिल्ली सरकार के खिलाफ दायर अपनी याचिका में कहा है कि योजना आयोग ने आधार कार्ड को ऑफ्शनल बनाया है जबकि दिल्ली में विभिन्न जन सुविधाओं व सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए इसे जरूरी दस्तावेज बना दिया गया है। योजना आयोग ने आधार योजना को विशेषकर उनलोगों के लिए शुरू किया था, जिनके पास अपनी पहचान के लिए दस्तावेज नहीं है। ऐसे में आधार कार्ड उनके लिए बैंक में खाता खुलवाने व अन्य जन सुविधाओं का लाभ लेने में उपयोगी साबित होगा। इस कार्ड को बनवाना अनिवार्य नहीं किया गया था। इसलिए दिल्ली सरकार को निर्देश दिया जाए कि जन सुविधाएं लेने के लिए वोटर कार्ड, पासपोर्ट व अन्य कागजात को पहचान पत्र के तौर पर माना जाए न कि सिर्फ आधार कार्ड को।


भविष्यनिधि अब आनलाइन है। उसके लिए आधार कार्ड आवश्यक है। महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में असंवैधानिक तरीके से मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन करते हुए नागरिक सेवाएं आधार कार्ड के मद्देनजर निलंबित की जा रही है। वेतन के लिे चाहिए कारपोरेट आधार कार्ड तो बच्चों के दाखिले के लिए भी।कहा जा रहा था कि बैंकों के आधार कार्ड के जरिये नकद सब्सिडी भुगतान में अपनी सुरक्षा भंग होने की आशंका है। पर अब ​​वही बैंक आधार कार्ड बनवाने को मजबूर हैं।रसोई गैस अब बाजार दर से खरीदनी होगी।सब्सिडी का भुगतान बैंकों के जरिए आधार कार्ड पर ही होगा। गैरकानूनी असंवैधानिक आधार कार्ड को वैधानिक और लोगों की आंखों में ​​धूल झोंककर लोकप्रिय बनाने का नायाब तरीका अपनाया गया है और इसके तहतसरकार रसोई गैस सिलिंडर पर कैश सब्सिडी की योजना शुरू कर रही है। अब सब्सिडी की रकम सीधे ग्राहकों के बैंक खाते में डाल दी जाएगी और इसमें आधार नंबर का अहम योगदान होगा। सरकार 15 मई से 20 जिलों में सब्सिडी स्कीम लागू करने जा रही है।अगर आपके पास आधार नंबर नहीं है तो घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब आप बैंक जाकर आधार नंबर बनवा सकेंगे। जिन जिलों में सब्सिडी स्कीम शुरू की जाएगी वहां पर एक सरकारी बैंक को आधार नंबर बनाने का काम दिया जाएगा। इससे यह फायदा होगा कि जिनके पास नंबर नहीं है, उनको ज्यादा भागदौड़ नहीं करनी पडे़गी। वे इलाके के तय बैंक में जाकर अपना नंबर जल्द बनवा सकेंगे। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इस बारे में अधिकांश काम कर लिया गया है। जिन बैंकों को आधार नंबर बनाने के लिए प्राधिकृत किया गया है, उनका चयन भी हो गया है। उन्हें इस बात की जानकारी दे दी गई है।: सरकार हर जिले में एक सरकारी बैंक को आधार नंबर बनाने का काम देगी। बैंक में विशिष्ट अधिकारी यह काम देखेंगे। वे आधार बनाने के लिए फिंगर प्रिंट से लेकर सभी तरह की औपचारिकताएं पूरी करेंगे। फिर सभी ब्यौरे यूआईडीएआई के दफ्तर में भेज दिए जाएंगे। वहां से आधार नंबर बनकर ग्राहकों के पास आ जाएगा।हर भारतीय को अलग पहचान देने वाला आधार कार्ड सरकारी सेवाओं से सीधे जुड़ने वाला है। इस योजना का मकसद सब्सिडी का फायदा सही हाथों में पहुंचाना है।


दूसरी ओर, मुगलसराय(चंदौली) में आधार कार्ड के स्थान पर नागरिकता कार्ड के रूप में एनपीआर कार्ड बनाने का कार्य मिनी महानगर में शुरू हो गया है। कैलाशपुरी व मैनाताली में दो स्थानों पर कैंप लगाकर बायो मैट्रिक नामांकन किया जा रहा है।एनपीआर (नेशनल पापुलेशन रजिस्टर) में जनगणना के प्रथम चरण में जो फार्म भरे गए थे उसके सूची के आधार पर प्रगणक घर-घर केवाइआर (नो योर रेजीडेंस) फार्म पहुंचाएंगे। इस फार्म को भरकर घर के पांच वर्ष से उपर के सभी सदस्य शिविर स्थल पर जाएंगे और वहां हाथ के दसों उंगुलियों के निशान, आंख की पुतली का निशान तथा व्यक्ति का फोटो बायो मैट्रिक नामांकन में लिया जाएगा। इसके बाद उक्त व्यक्ति को एनपीआर कार्ड दिया जाएगा। एनपीआर कार्ड सभी कामों में इस्तेमाल में लाया जा सकेगा। भविष्य में सरकारी सुविधाओं के लिए इसे आवश्यक माना जाएगा।वर्तमान में कैलाशपुरी में पोद्दार भवन में तथा मैनाताली के लिए नगर पालिका गेस्ट हाउस में कैंप लगाया गया है। एनपीआर बनाने के लिए निजी कंपनी को ठेका दिया गया है जिसके कर्मचारी इस काम में जुटे हुए हैं।हालांकि अभी प्राथमिक तौर पर जो लोग इन स्थानों पर जा रहे हैं उन्हें बहुत कुछ समझ में नहीं आ रहा है और कर्मचारी भी अभी उतने गंभीर नही हैं। कई लोग तो कर्मचारियों के अनुपस्थित के कारण दिन में लौट जा रहे हैं। लोगों ने जिला प्रशासन से मांग किया कि शिविर में कर्मचारी निर्धारित अवधि तक उपस्थित रहें और वहां पहुंचने वाले लोगों का नामांकन हो।इस बाबत नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी रमेश चंद्र सिंह ने बताया कि शुरूआती दौर है इसलिए थोड़ी परेशानी आ रही है इसलिए हर व्यक्ति का नामांकन होना है। अन्य वार्डो में भी क्रमश: शिविर लगाए जाएंगे।


आधार कार्ड न बनाए जाने के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारियों द्वारा अपनी मांगों को लेकर किए जा रहे संघर्ष का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।आधार कार्ड नंबर नही होने के कारण सिसई प्रखंड के छात्र छात्राओं को उच्च विद्यालय में नामांकन नही हो रहा है। इस कारण छात्रों के अलावा अभिभावक भी परेशान हैं।  सरकार का मकसद कैश सब्सिडी स्कीम को पूरी कामयाबी से लागू करना है। सरकार नहीं चाहती है कि कम से कम गैस सिलिंडर के मामले में यह स्कीम किसी भी तरह फ्लॉप साबित हो। सरकार अगले साल तक 30 से 40 प्रतिशत ग्राहकों को कैश सब्सिडी का फायदा देना चाहती है। इसके अलावा बैंकों ने नो योर कस्टमर्स (केवाईसी) का जो काम शुरू किया है वह भी एक तरह से इससे जुड़ जाएगा। जो लोग बैंक से आधार नंबर बनवाने आएंगे, उनके बारे में सभी तरह की जानकारियां इकट्ठी की जाएंगी और इससे केवाईसी का काम भी एक तरह से पूरा हो जाएगा।


पासपोर्ट के लिए दस्तावेज की प्रक्रिया को सुगम बनाते हुए सरकार ने आधार संख्या को पहचान एवं पता के प्रमाण के तौर पर स्वीकार करने का निर्देश दिया है।एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में फैसला किया है और इसके अनुसार पासपोर्ट जारी करने वाले प्राधिकारों को परामर्श जारी किए गए हैं। मंत्रालय ने आधार संबंधी पत्र को पता और उसके अनुरूप फोटो पहचान के प्रमाण के तौर पर स्वीकार करने की सलाह दी है।इस समय प्राधिकार करीब 14 दस्तावेजों के साथ पासपोर्ट आवेदन स्वीकार करता है। इन दस्तावेजों में मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस, जन्म प्रमाण पत्र आदि शामिल हैं। आधार 12 अंकों की संख्या है जो सरकार की ओर से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण जारी करती है। यह संख्या देश भर में पहचान एवं पता के लिए प्रमाण पत्र के रूप में काम करेगी।


पैन कार्ड बनवाने के लिए अब जल्दी ही विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईडी) 'आधारÓ को मान्यता दी जाएगी। पहचान और पते के प्रमाण के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने वित्त मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है।  मंत्रालय जल्द ही इस संबंध में अधिसूचना जारी करेगा।इससे नकली पैन (परमानेंट अकाउंट नंबर) कार्ड की समस्या से निपटा जा सकेगा। आयकर विभाग करदाताओं को पैन कार्ड जारी करता है। विभाग को टैक्स चोरी और कालाधन के कई मामलों में नकली पैन कार्ड के इस्तेमाल का सुबूत मिला है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसके लिए डाटाबेस जुटाने की प्रक्रिया जोर-शोर से जारी है। मंत्रालय अब तक आयकर विभाग के जरिये अपने डेटाबेस में 1.75 लाख आधार नंबरों को शामिल कर चुका है। पिछले साल मंत्रालय ने पैन कार्ड बनवाने के लिए नए फॉर्म 49ए को अनिवार्य बनाया था। करदाताओं का बायोमीट्रिक डेटाबेस तैयार करने के लिए आयकर विभाग पिछले तीन साल से काम कर रहा है। अब यह कवायद आधार के जरिये पूरी होगी क्योंकि आधार कार्ड धारकों की पूरी बायोमीट्रिक जानकारी यूआईडीएआई के पास मौजूद है। फिलहाल पैन कार्ड बनवाने के लिए वोटर आइडी, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस और संपत्तियों संबंधी अन्य दस्तावेज पहचान व पते के प्रमाण के तौर पर स्वीकार किए जाते हैं।


आधार कार्ड में अनियमितताओं का दौर जारी है। छह माह से एक साल तक इंतजार करने के बाद लोगों तक पहुंच रहे आधार कार्ड सही पहचान बताने में सक्षम नहीं हैं। आधार कार्ड पर किसी दूसरे की फोटो की दिक्कत सबसे आम नजर आ रही है।चंबा में अब तक हजारों लोगों के आधार कार्ड बन चुके हैं और उन्हें डाक के माध्यम से आधार कार्ड धारकों तक भेजा भी जा रहा है। लेकिन जिन लोगों को आधार कार्ड मिल रहे हैं उनमें किसी में नाम गलत लिखा नजर आ रहा है तो किसी में किसी दूसरे की फोटो लगने से आधार कार्ड धारक को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला पुखरी क्षेत्र के तहत सामने आया है। जिसमें साठ साल की एक बुजुर्ग महिला की जगह 40 साल की महिला की फोटो लगा दी गई है और आधार कार्ड डाक के माध्यम से महिला के घर पहुंच चुका है। पीड़ित लोगों का कहना है कि सरकार ने हर सुविधा आधार कार्ड पर आधारित कर दी है। लेकिन आधार कार्ड पर गलत नाम या पते लिखे होने या फिर फोटो सही न छपे होने की वजह से दिक्कत पेश आ रही है। उन्हें इस बात की भी जानकारी नहीं है कि आधार कार्ड में हुई गलती को कहां और कैसे सुधारा जा सकता है। ग्रामीणों को इस बात का भी डर सता रहा है कि आने वाले दिनों में सरकारी तौर पर आधार कार्ड बनाने का काम बंद कर दिया जाएगा। जिसमें बाद में उन्हें आधार कार्ड को दुरुस्त करना मुश्किल होगा। उन्होंने प्रशासन से आह्वान किया है कि आधार कार्ड में पेश आ रही गलतियों में सुधार के संबंध में लोगों को जागरूक किया जाए। ताकि उन्हें आधार कार्ड में सुधार को लेकर जगह-जगह न भटकना पड़े।


देश के 74 जिलों में जुलाई 2013 से गैस सिलेंडर पर सब्सिडी भी कैश ट्रांसफर स्कीम से दी जाने लगेगी। पहले ही जनता आधार कार्ड की गड़बड़ियों से परेशान है। ऐसे में उसे कैश ट्रांसफर स्कीम से जोड़ने पर सवाल उठने लगे हैं।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हाल ही में स्वीकार किया है कि कैश ट्रांसफर स्कीम की कार्यप्रणाली में अभी कुछ खामियां हैं। वहीं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जब तक बैंकों का ढांचा खड़ा न हो, तब तक कैश ट्रांसफर स्कीम को अमलीजामा पहनाना सही नहीं है।



दूसरी तरफ आधार कार्ड को लेकर नित नई तकनीकी गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। ऐसे में इन दोनों को आपस में जोड़ने की पहल कितनी कारगर होगी, इस पर सवाल उठने लगे हैं। आधार और कैश ट्रांसफर स्कीम को जोड़ सरकार ने राजस्थान के कोटकासिम में राशन की दुकान पर सस्ते में केरोसिन बांटना तय किया। इसके लिए आधार कार्ड धारी के खाते में पैसे डाले गए, लेकिन तीन महीने तक लोग केरोसिन नहीं ले पाए, क्योंकि यह राशि बैंक खाते में आई और बैंक दूर होने या खाता न होने के कारण लोगों को उसका लाभ नहीं मिल पाया।



कोटकासिम का प्रयोग फेल होने के बाद भी सरकार का ध्यान उन कमियों पर नहीं गया है, जिन्हें दूर करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके विपरीत वह एलपीजी सिलेंडर को भी इससे जोड़ने जा रही है। इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार का उद्देश्य तो सही है, लेकिन उसके क्रियान्वयन में लूप होल्स का खामियाजा अब जनता को भुगतना पड़ सकता है। वहीं कुछ का मानना है कि सरकार की नजर आने वाले लोकसभा चुनाव 2014 पर है और वह इसके जरिए अपने हित साध रही है।


सवालों के घेरे में आधार

विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) का मानना है कि जैविक पहचान चिह्न (बायोमीट्रिक चिह्न) किसी एक व्यक्ति की खास और विशेष पहचान सुनिश्चित करते हैं। लेकिन अमेरिका की नेशनल रिसर्च कौंसिल की एक स्टडी में सामने आया है कि बायोमीट्रिक चिह्न प्राकृतिक रूप से बदलते हैं। तीन से पांच सालों में आंखों की पुतलियों के निशान बदल जाते हैं, जबकि पांच सालों के बाद अंगुलियों के निशान भी बदलने लगते हैं। इस हिसाब से तो पांच साल बाद आधार कार्ड से हमारी पहचान पाएगी तो फिर इस पूरी कवायद का फायदा ही क्या? दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं, जिनके फिंगर प्रिंट्स और आंखों की पुतलियों के निशान नहीं लिए जा सकते।



यदि हम अंगुलियों के निशान की बात करें तो देश में हर रोज मजदूरी करने वाले 15 करोड़ से भी अधिक लोग हैं, जिनकी अंगुलियों के निशान लगभग घिस गए हैं तो उनके फिंगर प्रिंट्स कैसे लिए जाएंगे? वहीं मोतियाबिंद के मरीजों, दृष्टिहीनों की आंखों की पुतलियों के निशान भी नहीं लिए जा सकते। देश में मोतियाबिंद के शिकार 1.20 करोड़ लोग हैं। इन करोड़ों लोगों के निशान नहीं लिए गए तो इन्हें कैसे आधार मिलेगा? इसके अलावा भी आधार को लेकर कई तकनीकी गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। मतदाता परिचय पत्र की तरह आधार में भी किसी का फोटो, किसी का नाम, कभी फिंगर प्रिंट मैच न करना जैसी दिक्कतें सामने हैं। इससे आधार विश्वसनीयता ही सवालों के घेरे में है।


तो कैसे बनेगा सही आधार?

नौसेना में अपनी सेवाएं दे चुके सेवानिवृत्त अफसर बीबी सक्सेना ने आधार कार्ड को लेकर काफी रिसर्च किया है। उन्हें आधार कार्ड बनवाने की प्रक्रिया में ही कुछ तकनीकी खामियां मिली हैं। इनमें से पांच प्रमुख इस प्रकार हैं।


कम्प्यूटर अकसर बंद क्यों हो जाते हैं?

आधार कार्ड रजिस्ट्रेशन सेंटर पर टेक्नीकली साउंड कम्प्यूटर व नेटवर्किग के साथ ही कुछ संसाधनों का होना

अनिवार्य है, ताकि क्वॉलिटी सर्विस दी जा सके। लेकिन लगभग सभी रजिस्ट्रेशन सेंटर्स में इनका अभाव है।


प्राइवेसी और सिक्योरिटी के लिए खतरा है?

हां, क्योंकि आधार रजिस्ट्रेशन सेंटर प्राइवेट ठेके पर चल रहे हैं। इनमें काम करने वाले अपने फायदे के लिए आधार

का डाटा किसी से भी शेयर कर सकते हैं। ऐसे में डाटा सिक्योरिटी की गारंटी नहीं है। निजता भी सुरक्षित नहीं रहेगी।


बिना फिंगर पिंट्र कैसे मिलेगा आधार?

तकरीबन 30 प्रतिशत जनता के आधार कार्ड नहीं बन पाए हैं, क्योंकि उनके फिंगर प्रिंट ही नहीं आ रहे हैं। इनमें बुजुर्ग, मजदूर और किसान वर्ग शामिल है। यदि इनके आधार नहीं बने तो इनकी पहचान नहीं हो पाएगी और

लाभ भी नहीं मिलेगा।


फिंगर प्रिंट सही क्यों नहीं आते?

पहले बायोस्कैन-10 से फिंगर प्रिंट लिए जा रहे थे, जो सर्टिफाइड ही नहीं था। पहला आधार सितंबर 2010 को जारी हुआ, जबकि बायोस्कैन-10 को सर्टिफिकेशन जून 2011 में मिला। दिसंबर 2011 में यह आउट ऑफ सर्विस

हो गया।


लॉन्चिंग से पहले किया स्कैनर का उपयोग?

इस समय जिस फिंगर प्रिंट स्कैनर डैक्टीस्कैन 84 सी का उपयोग किया जा रहा है, उसे इटली की निर्माता कंपनी

ग्रीन-बिट ने जुलाई 2012 में लॉन्च किया, जबकि हमारे यहां इसका उपयोग दिसंबर 2011 से ही शुरू हो गया था।


मंडी में ऑनलाइन छात्रवृत्ति के लिए छात्रों द्वारा जमा आधार कार्ड व बैंक खाता नंबर तथा स्कूल रिकार्ड में भिन्नता सामने आई है। इस कारण अब छात्रों की छात्रवृत्ति पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं, ऐसे में इन छात्रों की छात्रवृत्ति को ऑनलाइन भेजने में दिक्कतें पेश आ रही हैं। इसको लेकर ही इन छात्रों की एक सूची डीआरटी (कंपनी जिसको आधार संबंधी काम सौंपा गया है) ने ऑनलाइन उपनिदेशक कार्यालय को भेजी है।जिला में लगभग ऐसे 18 छात्र हैं जिनके स्कूल रिकार्ड व आधार में खामी पाई गई है। हुआ यह है कि इन बच्चों के स्कूल रिकार्ड में नाम की बर्तनी कुछ और लिखी गई है जबकि आधार कार्ड में नाम की बर्तनी को कुछ और ही दर्शाया गया है। इसके चलते इन बच्चों के आधार संबंधी रिकार्ड ऑनलाइन अपडेट नहीं हो पाए हंै। इन दिनों उपनिदेशक कार्यालय में दोबारा इन बच्चों का रिकार्ड चैक किया जा रहा है।


इन योजनाओं के तहत जारी होनी है छात्रवृत्ति

सरकारी स्कूलों मे पढऩे वाले बच्चों के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाएं शुरू की गई हंै जिसमें कल्पना चावला छात्रवृत्ति योजना, अनुसूचित, जाति जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग बच्चों के लिए छात्रवृत्ति योजना के अलावा अन्य योजनाएं भी शामिल हैं।


आधार न बनाने पर कार्रवाई

छात्रवृत्ति की राशि सीधे छात्र और छात्रा के खाते में जमा करवाने के लिए निदेशालय ने स्कूल मुखिया से विद्यार्थियों के बैंक अकाऊंट खोलने के साथ-साथ आधार कार्ड बनाने के निर्देश जारी किए थे लेकिन जिला के 151 सीनियर सैकेंडरी और हाई स्कूलों के मुखिया ने आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया जिस पर कार्रवाई करते हुए उप शिक्षा निदेशक कार्यालय ने इन स्कूलों को डिफाल्टर घोषित कर इनकी सूची निदेशालय भेज दी थी जिस पर कार्रवाई करते हुए निदेशालय ने पिछले दिनों इन स्कूल मुखिया को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।


400 ने नहीं दिया खाता नंबर

अभी तक भी जिला के लगभग 400 छात्रों ने आधार कार्ड नम्बर व बैंक खाता संख्या शिक्षा विभाग को जमा नहीं करवाया है। बता दें कि पहले ही स्कूल प्रबंधन को बच्चों के आधार कार्ड बनवाने व कार्यालय में जमा करवाने के दिशा-निर्देश दिए गए थे मगर तय समय पर लगभग 400 संबंधित छात्र आधार कार्ड नम्बर व बैंक खाता संख्या जमा नहीं करवा पाए हैं। गौर हो कि शिक्षा निदेशालय की ओर से डिफाल्टर प्राचार्य को कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद करीब 1600 बच्चों के बैंक अकाऊंट नंबर और आधार कार्ड नंबर उपनिदेशक कार्यालय मंडी में पहुंच चुके हैं।


सरकार, प्रशासन व खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग ने आधार कार्ड योजना से हर एक नागरिक को जोड़ने के लिए अब गैस सिलेंडर रिफिल करवाने से लेकर नया गैस कनेक्शन लेने के नियमों के अध्याय में आधार कार्ड पंजीकरण नियम जोड़ दिया है। जिसके चलते अब आधार कार्ड पंजीकरण व्यक्ति को ही गैस सिलेंडर व नया गैस कनेक्शन प्राप्त होगा।


इससे गैस कनेक्शन की वेरिफिकेशन प्रक्रिया से गुजर चुके गैस उपभोक्ताओं पर एक बार फिर सरकारी नियमों की गाज गिरी है। जिसमें न केवल पुराने गैस उपभोक्ताओं को इन दिनों जद्दोजहद करनी पड़ रही है। वहीं नए गैस कनेक्शन आवेदकों को बिना आधार कार्ड के गैस आवेदन करने पर बैरंग लौटना पड़ रहा है। हालांकि इस दिशा में केंद्र सरकार व गैस कंपनी द्वारा 20 फरवरी, 2013 से बैंक खाता व बैंक कोड, पहचान पत्र, हिमाचली प्रमाण पत्र, राशन कार्ड सहित सत्यापित पत्र आधार पर ही गैस कनेक्शन देने की अधिसूचना जारी की थी। लेकिन डेढ़ माह की अवधि में एक बार फिर कनेक्शन नियमों सहित गैस आवंटन प्रक्रिया में नियम का इजाफा कर जहां सरकार व विभाग ने आधार कार्ड योजना को सुदृढ़ बनाने की योजना अख्तियार की है। वहीं इस योजना के जारी होने पर पुराने व नये गैस उपभोक्ताओं की एक बार फिर परेशानी बढ़ गई है। जहां पुराने गैस उपभोक्ताओं को बिना आधार कार्ड के गैस सिलेंडर नहीं मिल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर आधार कार्ड पंजीकरण अनिवार्य से अनजान नए आवेदकों को कभी गैस कंपनी तो कभी आधार कार्ड बनाने के लिए पंचायत, खंड विकास व आधार कार्ड केंद्रों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जिला के बुद्धिजीवियों का कहना है कि गैस आवंटन व नए आवेदन नियमों में इजाफा करने से पूर्व इस दिशा में सरकार की अधिसूचना को जिला प्रशासन व संबंधी विभाग द्वारा सार्वजनिक करने सहित उपभोक्ताओं को इस दिशा में मोहलत प्रदान करनी चाहिए थी। लेकिन अचानक गैस भराने व नए कनेक्शन लेने के लिए आधार कार्ड पंजीकरण नियम के लागू होने से आम जनता की सुविधा की बजाय रोजाना गैस कंपनी प्रबंधन व गैस उपभोक्ताओं में तनाव की परिस्थितियां अधिक उत्पन्न हो रही हैं।


नगर निगम पिंजौर जोन-2 में उन सैंकड़ों लोगों को राशन कार्ड, आधार कार्ड और वोटर कार्ड आदि बनवाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जिनके मकान निगम जोन में तो हैं लेकिन उनके मकान को नंबर अलॉट नहीं किया गया है।


भीलवाड़ा। एक अप्रेल से छात्रवृत्ति व कुछ सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य होगा, लेकिन जिले में लक्ष्य के मुकाबले अभी तक 14 प्रतिशत लोगों के ही आधार कार्ड बन पाए हैं। शेष्ा एक सप्ताह में चयनित लोगों व छात्रों के आधार कार्ड बनना भी काफी मुश्किल दिखाई दे रहा है। शहर व जिले के कुछ क्षेत्र में अगस्त 2012 से आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। अब तक जिले में 24 लाख लक्ष्य के मुकाबले 1 लाख 43 हजार 700 लोगों के आधार कार्ड बन पाए हैं। जबकि 2 लाख ने अपना पंजीयन कराया हंै। आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया आगामी 13 महीने तक चलेगी। वर्तमान में योजनाओं के लाभ पाने वाले चयनित के 1 अप्रेल तक आधार कार्ड बनाने का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। आधार कार्ड नहीं बनने पर इन श्रेणी के लोगों को केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा।


नागपुर। अब आधार कार्ड में कार्डधारक की जन्मतिथि को भी शामिल किया जाएगा। इससे ऐसी सरकारी और गैर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में सहूलियत होगी जिसमें उम्र प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होती है। आरटीआई कार्यकर्ता अविनाश प्रभु ने ने यह जानकारी दी।  गौरतलब है कि अभी तक आधार कार्ड में सिर्फ जन्म के वर्ष का ही उल्लेख किया जाता था। अविनाश ने कहा कि अब इसमें जन्मतिथि को दर्ज करने पर सैद्धांतिक तौर पर सहमति बन गई है। उन्होंने इस मामले को पिछले साल नवंबर में भारतीय विशिष्ट पहचान पत्र प्राधिकरण (यूआईडीएआई) चेयरमैन नंदन नीलेकणि के समक्ष उठाया था।  उन्होंने बताया कि उन्हें योजना आयोग के सहायक महानिदेशक शिरीष कुमार तीन अप्रैल को पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें आधार कार्ड में जन्मतिथि को शामिल करने की बात कही गई है।  उन्होंने कहा कि इस आश्वासन से अब आधार कार्ड रखने वालों को कई सुविधाओं का लाभ पाने के लिए कोई और पहचान पत्र रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बिना जन्मतिथि के जारी आधार कार्ड से लोगों को उन सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था जिसमें लेनदेन के लिए उम्र के प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होती है।  अविनाश ने कहा कि कई चीजों जैसे रेलवे, बस में वरिष्ठ नागरिकों को रियायतें, गैस कनेक्शन, बैंक में अकाउंट खोलने, पासपोर्ट बनवाने, डीमैट और म्यूचुअल फंड अकाउंट को खोलने, ड्राइविंग लाइसेंस के लिए उम्र के प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है। आधार कार्ड में जन्मतिथि को शामिल करने से इसका प्रयोग इन कामों के लिए भी किया जा सकेगा।


गिरिराज किशोर, गांधीवादी साहित्यकार ने सही लिखा हैःजब आधार कार्ड बनने शुरू हुए, तो इतनी गहमागहमी थी कि यह लग रहा था कि इसके बिना कोई रहेगा ही नहीं, जैसे हर साल शादी के सीजन में लगता है कि इस बार कोई अविवाहित नहीं रहेगा। आधार कार्ड ऐसी नेमत लग रही थी, जो जिंदगी की सब मुश्किलात को हल करने की राह खोल देगी। इन सब गहमागहमी के बावजूद देश की आधी से ज्यादा जनता आधार कार्ड विहीन है। फिर भी सरकार ने यह कानून लागू कर दिया कि उसके बिना व्यावसायिक अनुबंधों की रजिस्ट्री नहीं होगी। दिल्ली में तो घर की खरीद-फरोख्त की रजिस्ट्री के लिए आधार कार्ड होना एक अनिवार्य शर्त है। यानी आधार नहीं, तो घर नहीं। दिल्ली सरकार ने इसे अनिवार्य कर दिया, तो इसका मतलब यह है कि वहां की सरकार उन प्रदेशों के लोगों को दिल्ली में आने को प्रतिबंधित कर रही है, जहां आधार कार्ड बने ही नहीं। जब तक पूरे देश में आधार कार्ड नहीं बन जाते, तब तक कोई दूसरा विकल्प तो उपलब्ध होना चाहिए। पहले पासपोर्ट, चुनाव पहचान-पत्र, राशन कार्ड आदि पहचान के प्रामाणिक परिपत्र में आते थे, अब आधार कार्ड सर्वोपरि है।कानपुर जैसे नगर में, जहां की आबादी 50 लाख से ज्यादा है, जब तक रात-दिन आधार कार्ड बनने की प्रक्रिया न चले, तब तक आधार कार्ड बनने में कम-से-कम छह महीने तो लगेंगे ही। इससे ज्यादा भी लग सकते हैं। लेकिन यहां आधार कार्ड बनाने वाली एजेंसी का दूर-दूर तक अता-पता नहीं है। जिला अधिकारी का बयान अखबारों में छपा है कि कार्ड वाली एजेंसी भाग गई। वैसे, यह काम केंद्र सरकार का है। इसका मतलब सरकार का इन एजेंसियों पर कोई अंकुश नहीं, वे जब चाहें, भाग जाएं। सरकार इतने विशाल व महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को क्या गैर-जिम्मेदार एजेंसियों के बल पर चलाना चाहती है? ऐसे भी उदाहारण सुनने को मिले हैं कि महीनों पहले लोगों ने इन एजेंसियों को अपने अंगूठा निशान, फोटो आदि दे दिए हैं, पर उनके कार्ड अभी तक नहीं आए हैं। ऐसी एजेंसियां, जो भागने के साथ लोगों के विवरण भी ले गईं, उन विवरणों का दुरुपयोग भी कर सकती हैं। कार्ड न बनने की स्थिति में जो सौदे कैंसिल होंगे, उनके नफे-नुकसान की क्या केंद्र सरकार जिम्मेदारी लेगी? ऐसा लगता है कि कानून बना दिया गया, लागू होना रब के हाथ में है। मगर वह कब तक इस देश की व्यवस्था चलाता रहेगा? मैंने कई वकीलों से कहा कि आप लोग कुछ कीजिए। पर जमीन और आसमान के कुलाबे मिला देने की कुव्वत रखने वाले वकील भी इस मामले में नाकारा साबित हो गए हैं। इस बीच सुना है कि सरकार आधार कार्ड का कोई नया मॉडल पेश करने के चक्कर में है। वह क्या होगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है। कब तक जनता गिनी-पिग बनती रहेगी? राख हो जाएंगे, इस आधार कार्ड के अवतार के नुमाया होने तक।


रेलमंत्री पवन बंसल ने टिकट दलालों पर नकेल कसने को कई मोर्चो पर काम शुरू कर दिया है। एक ओर आईआरसीटीसी की वेबसाइट को अपग्रेड किया जा रहा है। वहीं, रेलवे एक ऐसी वेबसाइट बना रहा है, जिस पर सिर्फ आधार कार्ड धारक ही टिकट बुकिंग कर सकेंगे। रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आधार कार्ड धारकों के लिए रेलवे वेबसाइट लॉंच करने की सोच रहा है। इससे प्रथम चरण में तत्काल टिकट बुक होंगे। इसकी सफलता और आधार कार्ड धारकों की संख्या बढ़ने पर भविष्य में एडवांस टिकट बुकिंग भी हो पाएगी।इसके अलावा रेलवे ऐसा सॉफ्टवेयर भी तैयार कर रहा है, जिससे टीटीई हैडहेल्ड इलेक्ट्रॉनिक गजेट पर यात्री के अंगुली की छाप से तमाम जानकारी पा सकेंगे। अधिकारी ने बताया कि रेलमंत्री ने टिकट सिस्टम को दलालों से मुक्त करने के लिए शुक्रवार को अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें रेलवे बोर्ड, आईआरसीटीसी व क्रिस के अधिकारी उपस्थित थे। बंसल ने अधिकारियों को आईआरसीटीसी की वेबसाइट को अपग्रेड करने के लिए दिसंबर तक का समय दिया है।


गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर ने कहा कि आधार कार्ड की फोटो प्रतियां और आवेदक को कार्ड नहीं मिले होने की स्थिति में कार्ड नंबर भी स्वीकार करेंगी।पार्रिकर ने विधानसभा में कहा कि कई व्यक्तियों को आधार कार्ड नहीं मिला है, ऐसे में आधार वेबसाइट से उसका प्रिंट आऊट लिया जा सकता है और उसका नंबर जाना जा सकता।राज्य सरकार ने कल्याण योजनाओं के तहत लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य बना दिया है।पार्रिकर ने कहा कि शुरू में तीन महीने तक प्रशासन नरम दृष्टिकोण अपनाएगा लेकिन उसके बाद कार्ड अनिवार्य बना दिया जाएगा। उससे पहले भाजपा के किरण कांडोलकर ने कहा था कि अधिकारी आधार कार्ड पर जोर डाल रहे हैं जबकि कई लोगों को अबतक यह कार्ड नहीं मिला है।


नए वित्त वर्ष 2013-14 में सभी कारोबारियों के लिए आधार कार्ड  का नंबर हो रहा है अनिवार्य


डीवैट-04 फॉर्म में बताान होगा

वैट विभाग की ओर से बदलाव के बाद डीवैट-04 फॉर्म में आधार कार्ड नंबर को कारोबारियों की ओर से भरा जाएगा। इस स्कीम के बारे में कारोबारियों को जल्द ही सकुर्लर जारी होने की जानकारी दी जाएगी। विभाग के मुताबिक नए डीवैट-04 फॉर्म समेत अन्य फॉर्म में आधार कार्ड के लिए विशेष तौर पर नए कॉलम शामिल किए गए हैं।


सभी सेवाओं में जरूरी - योजना विभाग दिल्ली में सभी सेवाओं में आधार कार्ड को शामिल करने की योजना बना रहा है। इसमें डायरेक्ट कैश ट्रांसफर जैसी योजना भी शामिल हैं। आधार कार्ड बनाने का कार्य कई निजी एजेंसियों द्वारा तेजी से किया जा रहा है। नए वित्त वर्ष से रिटर्न फाइल करने समेत कई फॉर्मों में आधार कार्ड की डिटेल देना शामिल किया गया है।


बिक्री कर विभाग ने दिल्ली वैल्यू एडेड टैक्स अमेंडमेंट 2013 की अधिसूचना जारी की


अगर आप दिल्ली में कारोबार कर रहे हैं और आप पंजीकृत कारोबारी हैं तो अपना आधार कार्ड जरूर बना लें क्योंकि आने वाले समय में दिल्ली के सभी कारोबारियों को अपना रिटर्न फाइल करते समय आधार कार्ड का नंबर भी देना होगा। नए वित्त वर्ष 2013-14 में सभी कारोबारियों के लिए आधार कार्ड का नंबर देना अनिवार्य बनाया जाने की तैयारी है।


दिल्ली सरकार के बिक्रीकर विभाग ने इस बाबत दिल्ली वैल्यू एडेड टैक्स अमेंडमेंट 2013 की अधिसूचना जारी कर दी है।


इस बदलाव के बाद डीवैट-04 फॉर्म में आधार कार्ड नंबर को कारोबारियों की तरफ से भरा जाना होगा। इस स्कीम के बारे में जल्द ही कारोबारियों को सर्कुलर जारी होने की जानकारी दे दी जाएगी। बिक्रीकर विभाग के मुताबिक नए डीवैट-04 फॉर्म समेत अन्य फॉर्म में आधार कार्ड के लिए विशेष तौर पर नए कॉलम शामिल किए गए हैं।


यह प्रक्रिया दिल्ली सरकार की सभी सेवाओं में आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने की योजना के तहत किया गया है।

बिक्रीकर विभाग के अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, योजना विभाग दिल्ली में सभी सेवाओं में आधार कार्ड को शामिल करने की योजना बना रहा है। इसमें डायरेक्ट कैश ट्रांसफर जैसी योजना भी शामिल हैं। दिल्ली में आधार कार्ड बनाने का कार्य कई निजी एजेंसियों द्वारा तेजी से किया जा रहा है।


नए वित्त वर्ष से रिटर्न फाइल करने समेत कई फॉर्मों में आधार कार्ड की डिटेल को देना शामिल किया गया है। राजधानी दिल्ली में 2.80 लाख से अधिक टिन धारकों को अपना रिटर्न फाइल करने के लिए आधार कार्ड की डिटेल देनी होगी।


सूत्रों ने बताया कि दिल्ली सरकार के निर्देश के मुताबिक दिल्ली सभी सरकारी सेवाओं में जहां पर भी सर्विसेज दी जाती हैं पर आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने में जुटा है। कारोबारियों को दिक्कत न हो, इसलिए आधार कार्ड की डिटेल जमा करने के जोनल अधिकारियों और बिक्रीकर विभाग के कर्मचारियों की मदद ली जा सकती है।


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