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Friday, April 5, 2013

अमेरिका ने यह बहुत कायदे से जतला दिया,मनमोहन के बदले राहुल गांधी मुक्त बाजार के मसीहा नहीं बन सकते!

अमेरिका ने यह बहुत कायदे से जतला दिया,मनमोहन के बदले राहुल गांधी मुक्त बाजार के मसीहा नहीं बन सकते!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


नस्ली हिंदू  साम्राज्यवाद कारपोरेट ब्रांडिंग के मुकाबले कारपोरेट साम्राज्यवाद की पहली पसंद है। राहुल गांधी के निवेश बंधुत्व का दावा पेश होते न होते वाशिंगटन में नरेंद्र मोदी के लिए पलक पांवड़े बिछा दिये गये हैं। जबकि कांग्रेस ने इस चुनौती के मुकाबल मोदी को यमराज का खिताब​​ अता किया है। इससे समीकरण बदलने के आसार नहीं है।कांग्रेस के हमले से बीजेपी तिलमिला गई है। पार्टी का कहना है कि कांग्रेस को 2014 में जवाब मिलेगा। पार्टी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने तो राहुल को पादरी और सोनिया को रानी-मख्खी तक कह डाला! मनमोहन के बदले राहुल गांधी मुक्त बाजार के मसीहा नहीं बन सकते , अमेरिका ने यह बहुत कायदे से जतला दिया है। नरेंद्र मोदी को लेकर अब तक सख्त रहे अमेरिका ने नरमी के संकेत दिए हैं। हाल में गुजरात का दौरा करने वाले अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को आधिकारिक मंजूरी की बात स्वीकार करते हुए अमेरिका ने कहा है कि अगर मोदी वीजा आवेदन करते हैं, तो उनका स्वागत है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि मोदी को लेकर वाशिंगटन के रुख में कोई बदलाव आ गया है। उनके आवेदन की समीक्षा के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि नरेंद्र मोदी वीजा के लिए आवेदन करने के मामले में स्वतंत्र हैं, लेकिन इस मसले पर अमेरिकी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया न्यूलैंड ने कहा है कि उनके देश में वीजा संबंधी सभी फैसले अलग-अलग मामलों के आधार पर किए जाते हैं. मोदी को अमेरिकी सांसदों के न्योते पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने ये प्रतिक्रिया जाहिर की है।


खासतौर पर गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सत्ता के कथित दो केन्द्रों की बहस को शुक्रवार को बेकार बता कर खारिज कर दिया और तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की संभावना से इनकार नहीं किया।सीआईआई की सालाना आम बैठक में राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री बनने की अटकलों को खारिज किये जाने के एक दिन बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि वे राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने का स्वागत करेंगे।इससे पहले कल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उनके प्रधानमंत्री बनने और शादी करने की अटकलों को अप्रासंगिक सवाल बताया था।शासन में सत्ता के दो केन्द्र होने की बहस पर उन्होंने कहा कि यह मीडिया की उपज है। यह निर्थक बहस है। संवाददाताओं ने उनसे कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के उस बयान के बारे में पूछा था जिसमें सत्ता के दो केन्द्र की बात कही गई है।इस सवाल पर कि क्या वह प्रधानमंत्री पद का तीसरा कार्यकाल स्वीकार करेंगे, मनमोहन सिंह ने कहा कि यह काल्पनिक सवाल है, हमें अभी यह कार्यकाल पूरा करना बाकी है। वर्तमान सरकार का कार्यकाल अगले साल मई में समाप्त होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपनी संभावना (तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की) से इंकार कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि वह ऐसी किसी संभावना या असंभावना दोनों से इंकार नहीं कर रहे हैं।

    

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा था कि मुझसे प्रेस के लोग अक्सर यह पूछते हैं कि आप शादी कब कर रहे हैं। कुछ दूसरे पूछते हैं, बॉस, आप प्रधानमंत्री कब बनने जा रहे हैं। कुछ लोग कहते हैं, आप प्रधानमंत्री नहीं बनने जा रहे हैं। कुछ कहते हैं हो सकता है आप प्रधानमंत्री बनेंगे, अच्छी संभावनायें हैं।

   

राहुल ने कहा कि यह अमेरिकी पोलिंग चार्ट की तरह है। 47.3 प्रतिशत संभावना है कि वह प्रधानमंत्री बन सकते हैं, इस देश में एक मात्र प्रासंगिक सवाल यह है कि हम अपने लोगों को स्वर कैसे दे सकते हैं।

    

इससे पहले इस साल एक मौके पर राहुल गांधी ने कहा था कि यह पूछना कि वह प्रधानमंत्री कब बन रहे हैं, एक गलत सवाल है। राहुल की यह टिप्पणी कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के उस बयान के बाद आयी है, जिसमें उन्होंने शीर्ष पद के लिए राहुल गांधी की वकालत करते हुए कहा था कि पृथक पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री की मौजूदा व्यवस्था कारगर नहीं रही।

  

कांग्रेस ने हालांकि सिंह के विचारों को खारिज कर दिया और कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच तालमेल एक आदर्श मॉडल है, जो भविष्य में भी जारी रह सकता है।


गुरुवार का दिन भारतीय सियासत के लिए बेहद अहम था। देश के दो कद्दावर नेताओं, बीजेपी के नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के राहुल गांधी ने अलग-अलग कार्यक्रमों में विकास को लेकर अपने-अपने विचार रखे। राहुल गांधी ने अपने विजन में जहां व्यक्तिवाद की जगह सामूहिकता पर जोर दिया, वहीं नरेंद्र मोदी ने सिर्फ 'अपने गुजरात' के विकास मॉडल पर चर्चा की और उसी को देश के विकास का सबसे बड़ा हथियार बताया।


उद्योग संगठन सीआईआई के सालाना कार्यक्रम में राहुल गांधी ने विकास के लिए सभी को साथ लेकर चलने और सत्ता में निचले तबके को भागीदार बनाने की बात कह कर सबको चौंका दिया। गौर करने वाली बात है कि राहुल उसी कांग्रेस पार्टी से हैं जो पिछले 65 सालों से व्यक्तिवाद के भरोसे राजनीति कर रही है। नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के भरोसे राजनीति करने वाली कांग्रेस के उपाध्यक्ष के मुंह से निचले तबके को सत्ता में भागीदार बनाने की बात सबको चौंकाने वाली थी।


वहीं, गुजरात के गांधी नगर में मोदी ने भी देश के विकास के लिए अपना रोडमैप रखा। उन्होंने पहली बार केंद्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाने के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि मैंने गुजरात का कर्ज चुका दिया है, अब देश का कर्ज चुकाने की बारी है। उन्होंने विकास के लिए अपने चिर-परिचित अंदाज में गुजरात मॉडल की खुलकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि देश में विकास अब मुद्दा बन गया है।


उद्योग संगठन सीआईआई के सालाना सम्मेलन में कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भारतीय शासन व्यवस्था में भारी बदलाव की पैरवी की। उन्होंने कहा कि समस्याएं जटिल हैं और इसके जवाब भी जटिल हैं। कोई भी एक आदमी एक अरब लोगों की समस्याएं दूर नहीं कर सकता है, एक अरब लोगों को पावर दीजिए और समस्याएं खुद-ब-खुद दूर होती चली जाएंगी। अपने भाषण के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि यूपीए के शासनकाल में सबको साथ लेकर चलने की कोशिश हुई, इसलिए प्रगति हुई।


उन्होंने कहा कि 4000 हजार विधायक और 600-700 सांसद मिलकर देश को चला रहे हैं। इन करीब 5000 लोगों को 200-300 लोग (पार्टी के लोग) चुनते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी राजनीतिक व्यवस्था सांसदों और विधायकों के लिए बनी है। हमें गांवों को साथ लेना होगा। सबको साथ लेना होगा, तभी विकास संभव है।

सबको सत्ता में भागीदार बनाना होगा।


कांग्रेस नेता ने नीति निर्माण में सबसे निचले तबके को जोड़ने की पैरवी करते हुए कहा कि नीतियां बनाने में प्रधानों की कोई भूमिका नहीं है, जबकि जमीनी स्तर पर वे काम करते हैं। उन्होंने कहा कि गांव में सबसे अहम प्रधान है, लेकिन हमारी पार्टियों में उसके लिए जगह नहीं है। हमारी पार्टियां पंचायती राज व्यवस्था के लिए नहीं बनी हैं। इस व्यवस्था को बदलना होगा। उन्होंने केंद्रीकृत व्यवस्था की जगह विकेंद्रीकृत व्यवस्था पर जोर दिया।


दूसरी ओर, गुरुवार की शाम गुजरात के गांधी नगर में नरेंद्र मोदी ने एक किताब के विमोचन के दौरान कहा कि वह गुजरात का कर्ज चुका चुके हैं और अब देश का कर्ज चुकाना है। नरेंद्र मोदी के इस बयान ने एक तरह से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह प्रधानमंत्री पद की रेस के लिए दौड़ लगा चुके हैं। उन्होंने एक बार फिर अपने चिर-परिचित अंदाज में अपने विकास मॉडल का गुणगान किया।


मोदी ने विकास के लिए अपने मॉडल की फिर प्रशंसा की। गुजरात के विकास को लेकर कहा कि यहां कई तरह के प्रयोग किए गए हैं जिसके सकारात्‍मक परिणाम आए हैं। उन्होंने कहा कि विकास अब देश में मुद्दा बन गया है।


इसीके मध्य बड़ा खुलासा हो गया. जो कांग्रेस कीसाख के लिए बेहद घातक साबित होने जारही है।अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम भारत के लिए ही नहीं दुनिया के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। पाकिस्तान में बैठे दाऊद की इस बढ़ती ताकत के बीच एक चौंकाने वाली खबर आई है। बाहामास में मौजूद एक भारतीय बैंक की शाखा में दाऊद के पैसे जमा है। ये खबर सीएनएन आईबीएन और फर्स्ट पोस्ट को अपनी खास पड़ताल में मिली है। सूत्रों का कहना है कि दाऊद के ये पैसे दुबई से भेजे गए।

दाऊद इब्राहिम, भारत का मोस्ट वांटेड अपराधी, 93 धमाकों में 181 लोगों की मौत का गुनहगार, अमेरिका ने इसे अंतर्राष्ट्रीय आतंकी करार दिया। लेकिन कराची में पाकिस्तानी सेना की सुरक्षा में दाऊद आज भी अपने काले कारोबार को चला रहा है। फर्स्ट पोस्ट और सीएनएन आईबीएन की पड़ताल में दाऊद की एक और करतूत का खुलासा हुआ है। दाऊद अभी भी आतंक की काली कमाई को विदेशों में भेजने में जुटा हुआ है। सरकार के सूत्रों की माने तो दाऊद की पैसे को बहामास के नसाओ में ट्रेस किया गया है। सूत्रों के मुताबिक असल में ये पैसा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के आतंकी संगठनों का है जिसे दाऊद मैनेज करने का काम करता है। बाहामास को टैक्स हैवन और बैंकों की गोपनीय कार्यप्रणाली के लिए जाना जाता है। ये जगह दाऊद के काम के लिए मुफीद है। लेकिन उससे बड़ी चौंकाने वाली जानकारी सूत्रों ने ये दी है कि दाऊद का ये काला पैसा नसाओ में भारत के एक सार्वजनिक बैंक की शाखा में जमा है।


दूसरा झटका यह कि भाजपायी अंध हिंदू राष्ट्रवाद के दावे को पुख्ता करने के लिए रक्षा सौदों में यूपीए सरकार की नाकामी है। घोटालों से तो खैर कोई फर्क पड़ता नहीं है। भारत के डेसॉल्ट एविएशन के साथ 126 लड़ाकू जेट की खरीद के सौदे में देरी हो सकती है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड की भूमिका को लेकर दोनों पक्षों के बीच सहमति न बन पाने के चलते ये देरी हो रही है।भारत ने जनवरी 2012 में बड़े पैमाने पर हुई नीलामी के जरिए डेसॉल्ट के बनाए हुए राफेल जेट को खरीदारी के लिए चुना था। 15 अरब डॉलर का यह सौदा दुनिया के सबसे बड़े रक्षा सौदों में से एक है।सौदे में दो शर्तें शामिल हैं-पहला, डेसॉल्ट वायुसेना को सीधे तौर पर 18 लड़ाकू विमान मुहैया कराएगा और दूसरा इसके बाद बाकी 108 विमानों का उत्पादन एचएएल के बैंगलोर स्थित संयंत्र में होगा।डेसॉल्ट 18 रेडीमेड जेट की आपूर्ति अपने स्तर से करने और 108 जेट एचएएल से करवाने के लिए अलग-अलग करार साइन करना चाहता है। इस बारे में डेसॉल्ट ने रक्षा मंत्रालय से भारत में उत्पादित होने वाले विमानों में एचएएल की भूमिका के बारे में जानकारी मांगी है। नाम जाहिर न करने की शर्त पर प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि रक्षा मंत्रालय इस बारे में तैयार नहीं है। सूत्रों के मुताबिक डेसॉल्ट का कहना है कि एचएएल की क्षमता इतनी नहीं है कि वह एयरक्राफ्ट बना सके। अधिकारी ने बताया कि एचएएल हमारा मुख्य पब्लिक सेक्टर पार्टनर है और जरूरत पड़ने पर इसकी क्षमता और ताकत बढ़ाई जा सकती है। इसलिए भारत सरकार उन दो शर्तों पर राजी नहीं हो रही। अधिकारी ने उम्मीद जताई है कि विवाद की वजह से सौदा फाइनल होने में देर हो रही है, पर यह टूटेगा नहीं। उनका कहना था कि इसके फाइनल होने में जुलाई तक का समय लग सकता है।डेसॉल्ट के भारत में कार्यरत प्रवक्ता और रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता, दोनों ही इस बारे में कोई जवाब नहीं दे रहे हैं।


गुजरात दंगों के बाद नरेन्द्र मोदी की छवि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर बदल गई थी। तमाम कोशिशों के बावजूद मोदी के प्रति अमेरिका के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को वीजा देने के मामले पर अमेरिका अपने पुराने रुख पर कायम है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि नरेंद्र मोदी वीजा के लिए आवेदन करने के मामले में स्वतंत्र हैं, उनके इस प्रस्ताव का ङम स्वागत भी करते है लेकिन इस मसले पर अमेरिकी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अमेरिकी वीजा के लिए आवेदन करने के मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत है। साथ ही उन्होंने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि ओबामा प्रशासन नरेंद्र मोदी के मामले में भी गुण-दोष के आधार पर ही फैसला करेगा। दरअसल प्रत्येक वीजा पर गुण-दोष और व्यक्तिगत रूप से अमेरिकी कानून के आधार पर फैसला होता है। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया न्यूलैंड ने कहा है कि उनके देश में वीजा संबंधी सभी फैसले अलग-अलग मामलों के आधार पर किए जाते हैं. मोदी को अमेरिकी सांसदों के न्योते पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने ये प्रतिक्रिया जाहिर की है।


अमेरिका की एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि ओबामा प्रशासन बीजेपी नेता के मामले पर गुण-दोष के आधार पर फैसला करेगा। उनके मुताबिक वीजा नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। मोदी का वीजा के लिए आवेदन करने के लिए स्वागत है। सभी वीजा निर्णय मामला दर मामला आधार पर किये जाते हैं और मैं यहां पहले से कोई फैसला नहीं कर सकती। दरअसल कुछ दिनों पहले गुजरात आए अमेरिकी शिष्टमंडल ने मोदी को अमेरिका आने का न्यौता दिया था। लेकिन मौदी के वीजा पर अब तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। जब अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारी से ये सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने यह बात इस सवाल के जवाब में कही कि क्या विदेश विभाग उस व्यक्ति को वीजा जारी करेगा, जिसे किसी सांसद या सांसदों के समूह ने उसे न्योता दिया हो। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया ने कहा, गुजरात दौरे पर गए हमारे शिष्टमंडल से भारत में, गुजरात में, कारोबारियों के बीच और लोगों के बीच संबंध मजबूत होगे। लेकिन जहां तक हमारे नजरिये की बात है, जितना अधिक सांसदों के शिष्टमंडल भारत का दौरा करेंगे, उसकी जीवतंता और विविधता को समझेंगे, हमारे बीच महत्वपूर्ण संबंधों को मजबूती देने की संभावना और बढ़ेगी। गौरतलब है कि 2002 के गुजारत दंगों के बाद से ही अमेरिकी ने नरेन्द्र मोदी को वीजा देने से वंचित कर रखा है।


एक बार फिर कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है पहले मनीष तिवारी ने मोदी की आलोचना की और अब कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अलवी ने तो मोदी तुलना यमराज तक से कर दी। दरअसल राहुल गांधी ने कल सीआईआई की बैठक में कहा था कि कोई आदमी घोड़े पर सवार होकर आए और लोगों की समस्या हल कर दे ऐसा नहीं होने वाला है। इस बयान पर कयास लगाए जा रहे थे घोड़े पर सवार शख्स का इस्तेमाल मोदी के लिए किया गया है। लेकिन जब आज अल्वी से उस बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये बयान मोदी को लेकर नहीं था, अगर राहुल को मोदी के बारे में कुछ कहना होता तो वो भैंसे की सवारी की बात कहते, क्योंकि यमराज भैंसे की सवारी करते हैं।राशिद अल्वी के इस बयान से नाराज बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस से अच्छी भाषा की उम्मीद करना ही बेमानी है, आज एक प्रवक्ता ने चुने हुए मुख्यमंत्री को ऐसा कहा है, उससे पहले खुद सोनिया भी मोदी को मौत का सौदागर कह चुकी हैं, अब कांग्रेस से अच्छी भाषा की उम्मीद बेमानी है। गौरतलब है कि मोदी को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच जुबानी जंग काफी पहले से जारी है। कुछ दिन पहले ही मणि शंकर अय्यर ने मोदी को सांप, बिच्छू तक कह डाला था।


कांग्रेस के वाइस प्रेज़िडेंट राहुल गांधी ने कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज़ (CII) की ऐनुअल मीटिंग को संबोधित करते हुए देश के आशावादी युवाओं की बात की, तो उद्योगपतियों से कहा कि वे सिर्फ पैसे की ही नहीं सोचे। राहुल ने अपने चिरपरिचित अंदाज में कुछ किस्से सुनाकर भारत के युवाओं के आशावाद की तस्वीर पेश करने की कोशिश भी की।


आशावादी गिरीश की कहानी

राहुल ने अपने भाषण के शुरुआत में गोरखपुर के एक युवक गिरीश की कहानी सुनाई। राहुल बताया कि वह एक बार लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस से देश को जानने के लिए निकले थे। हम जानना चाहते थे कि युवा देश को कैसे बदल रहे हैं। हम गोरखपुर पहुंचे और कई लोगों से बात की। गोरखपुर से मुंबई लौटते हुए 36 घंटे की यात्रा के दौरान हमें ट्रेन में एक युवक गिरीश मिला। वह कारपेंटर था। वह मुंबई जा रहा था। वह मुंबई में किसी को नहीं जानता था, लेकिन उसे खुद पर भरोसा था कि काम मिल जाएगा। इसी तरह एक मुस्लिम युवक भी ट्रेन से मुंबई जा रहा था। उसे मुंबई का कुछ आइडिया नहीं था। मैंने जब उससे पूछा कि मुंबई में काम नहीं मिला तो? उसका जवाब था कि वह बेंगलुरु की ट्रेन में बैठ जाएगा। उन्होंने कहा कि मुंबई पहुंचने पर वह सुबह 4 बजे एक स्लम में गए। दो मेज जितने कमरे में 6 युवक सो रहे थे। सभी बाहर से आए थे। सभी के अपने सपने थे। वे युवक स्मार्ट थे। उनकी जेब खाली जेब जरूर थी, लेकिन आइडिया उनके पास थे।


विदेशी दोस्त की कहानी

राहुल ने अपने भाषण के दौरान विदेश से आए अपने दोस्तों का किस्सा भी सुनाई। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले विदेश से उनके कुछ दोस्त आए। वह कोई इंजिनियरिंग वर्क करवाना चाहते थे। मैंने उन्हें आईआईटी जाने की सलाह दी। वे वहां प्रफेसर से मिले। प्रफेसर ने उनकी प्रॉब्लम सॉल्व कर दी। वे लौट कर आए तो काफी खुश थे। उन्होंने बताया कि उनकी प्रॉब्लम कुछ डॉलर में ही सॉल्व हो गई। अमेरिका में उन्हें इसके लिए काफी ज्यादा चुकाने पड़ते। उन्होंने बताया कि प्रफेसर को कोई आइडिया नहीं था कि उस काम की मार्केट वैल्यू क्या है। राहुल ने कहा कि हमें इसी चीज को बदलने की चीज है। हमें मार्केट में अपनी हुनर की कीमत पहचाननी होगी।


दो छोटे बच्चों की कहानी

राहुल ने तंगहाली में भी आम आदमी के जज्बे को एक दूसरे किस्से से बयां किया। राहुल ने कहा कि एक बार वह महाराष्ट्र में झुग्गी-झोपड़ी में गए। वहां एक 25 साल की महिला और उसके दो छोटे बच्चे थे। मैंने जब महिला से पूछा तो उसने बताया कि वह और उसके पति मजदूरी करते हैं। मैंने बच्चों से बात की। एक बच्चे से पूछा कि वह क्या बनना चाहता है, तो उसने कहा आईएएस। दूसरे से पूछा तो उसने कहा कि वह बिजनेसमैन बनना चाहता है। मैंने उनके हालात का हवाला देते हुए उनकी मां को उकसाने की कोशिश की, तो उसने दृढ़ता से कहा, 'देखो मैं आठ दस घंटे काम करती हूं हैं। मेरे पति भी आठ-दस घंटे काम करते हैं। ये आईएएस में जरूर जाएगा और दूसरे अपना बिजनेस बनाएगा।'


पीएम, शादी के बारे में सवाल गैरजरूरीः राहुल ने कहा, 'मुझसे मीडिया वाले हमेशा मेरी शादी के बारे में सवाल करते रहे हैं। कोई पूछता है कि आप पीएम कब बनोगे? कोई कहता है कि आप पीएम नहीं बन सकते। किसी के मुताबिक शायद मैं पीएम बन सकता हूं। ये सारे सवाल गैरजरूरी हैं। असली सवाल यह है कि जनता की आवाज को कैसे उठाया जाए।'


शिक्षा प्रणाली को बदलने की जरूरतः राहुल ने कहा कि आज हमारी शिक्षा प्रणाली को बदलने की जरूरत है। बात नौकरी की नहीं प्रफेशनल शिक्षा देने की है। उसे ट्रेन में गुजर रहे युवकों के पास उम्मीद तो थी, लेकिन वे ट्रेंड नहीं थे। स्कूली किताबों को देखिए। ज्यादातर प्रासंगिक नहीं है। आप उन्हें भविष्य में नौकरी देने जा रहे हैं। आपको शिक्षा प्रणाली में सुधार भागीदार बनना चाहिए। हमें ऐसे ढांचे की जरूरत है। आज यूनिवर्सिटीज को इंडस्ट्री से जोड़ने की जरूरत है।





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