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Sunday, April 7, 2013

मारुति सुजुकी के मजदूरों को आंशिक जीत मिली, आमरण अनशन खत्म

मारुति सुजुकी के मजदूरों को आंशिक जीत मिली, आमरण अनशन खत्म



मारुति सुजुकी के मजदूरों के आमरण अनशन और उसे मिले व्यापक जन समर्थन से 4 अप्रैल को मजदूरों को आंशिक जीत मिली और उनका आमरण अनशन खत्म हो गया है। इसके चलते इंकलाबी मजदूर केन्द्र की दिल्ली इकाई द्वारा प्रस्तावित एक दिन की भूख हड़ताल का कार्यक्रम भी वापस ले लिया गया है।

मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन की प्रोविजनल वर्किंग कमेटी ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि "का. रामनिवास, का. अमरजीत, का. राकेश और का. कृष्न द्वारा कैथल में किये गये हमारे आमरण अनशन ने पिछले दिनों में हमारे संघर्ष को और भी ताकत और उर्जा प्रदान किया| हमें आस-पास के इलाकों के मेहनतकश जनता और फैक्ट्री के मजदूरों से बढ़ता समर्थन मिला है और आज हमारा संघर्ष हरियाणा समाज में हर दिन और भी गहरी जगह बना रहा है| सरकार-प्रबंधन ने हमारे संघर्ष को थकाने के लिए विभिन्न पैतरे अपनाये| उनहोंने उद्योग मन्त्री रणदीप सुरजेवाला के निवास के सामने पुलिस की संख्या बढ़ाने और हम पर निजी ज़मीन को कब्जाने और उसके मालिक को जान की धमकी देने के मुक़दमे लगाने के बावजूद भी हमारे संघर्ष को कुचल नहीं पाये| 1 अप्रैल 2013, हमारे भूख हड़ताल के 5वें दिन से हम अपने धरने को लघु सचिवालय, कैथल के सामने ले गये और भारी दबाव के तहत जिलाधीश हमसे मिलने और हम पर लगाये गये झूठे मुकदमों को वापस लेने पर मजबूर हुये| अनशनकारियों का स्वास्थ बराबर बिगड़ते जाने पर आखिरकार 5वें दिन प्रशासन ने उनकी जाँच के लिए सरकारी डाक्टर भेजे| जन संघर्ष मंच, जन संगठन मंच, मनरेगा मजदूर यूनियन, जनवादी महिला समिति, सीटू (हरियाणा), भट्टा मजदूर यूनियन, क्रांतिकारी नौजवान सभा, इंकलाबी मजदूर केंद्र, बिगुल मजदूर दस्ता, संग्रमिक श्रमिक कमेटी और PUDR जैसे विभिन्न जन संगठन भी हमारे संघर्ष में साथ आए|"

यूनियन नेकहाहै कि 2 अप्रैल 2013, अनशन के 6ठे दिन हजारों की संख्या में मजदूरों के रिश्तेदार, गिरफ्तार साथियों के परिवार वाले और आस-पास के गाँव के पंचायती बुज़ुर्ग आन्दोलन के समर्थन पर सड़कों पर उतरे| कैथल शहर से गुज़रते हुये विशाल जुलूस राज्य उद्योगिक मन्त्री के निवास के सामने पहुँचा| बूढ़े और जवान, दादियाँ और नवजात शिशु सब जूलूस में शामिल हुये और न्याय के लिये उठी हमारी आवाज़ को अपने नारों से और भी बुलन्द किया| ढेरों की संख्या में महिलायें उनके परिवार के एकमात्र पालनकर्ता के बेरोजगार या गिरफ्तार हो जाने पर उनके परिवार के रोज़गार, उनके बच्चों की शिक्षा और एक सुखद जीवन जीने के उनके हक़ पर सरकार और मारुति मैनेजमेंट द्वारा किये जा रहे आघात के खिलाफ आन्दोलित हुयी|

विज्ञप्ति में कहा गया है कि "हमने ठान लिया था कि न्याय मिले बगैर हम चैन से नहीं बैठेंगे| प्रशासन ने इसका जवाब मंत्री जी के निवास के सामने पुलिस की भरी संख्या को तैनात करके दिया| जब धरने को सम्बोधित करते वक्ताओं ने उन्हें चेतावनी दी कि अगर दस मिनट में कोई हमसे बात करने नहीं आया तो लोगों को प्रशासन तक पहुँचने के और तरीके अपनाने पड़ेंगे| तब उनसे जुस्क सुनने में आया| इस जुझारू धरने ने कैथल-कुरुक्षेत्र हाईवे को तीन घंटों तक रोक कर रखा| उद्योग मन्त्री, जिन्होंने पहले अपने दबाव में आने का कारण यह बताया था कि उद्योग मन्त्री के नाते उनका एक मात्र काम कम्पनियों के लिये ज़मीन हासिल करना था, उनको भी हमारे दबाव के आगे झुकना पड़ा| हरियाणा के मुख्यमन्त्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के साथ चंडीगढ़ में 3 अप्रैल 2013 को एक मीटिंग तय की गयी|"

यूनियन ने बताया कि 3 अप्रैल 2013, भूख हड़ताल के सातवे दिन पर, प्रोविजनल वर्किंग समिति के सदस्य मुख्यमन्त्री से मिलने गये, जहाँ यह ज़ाहिर था की संघर्ष के कारण उन पर काफी दबाव पड़ा है| आन्दोलन को सहारा देते हुये बहुत से मजदूर, विद्यार्थी और जन संगठन फिर से शामिल हुये| हड़ताल पर बैठे साथियों के संघर्षशील जज्बे ने सब में जोश भर दिया| हम अपने संघर्ष में दृढ़ हैं और मन्त्रियों और प्रशासन के झूठे वादों से नहीं बहकेंगे| अपने संघर्ष को आगे बढाने के लिये हम इससे भी बड़े कदम लेने के लिए तैयार हैं|

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