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Tuesday, October 4, 2016

हम असुर लोग इस धोखा का निंदा करते हैं - सुषमा असुर सुषमा असुर कोलकाता नहीं आ रही हैं। साजिश की शिकार सुषमा असुर? पलाश विश्वास


हम असुर लोग इस धोखा का निंदा करते हैं - सुषमा असुर

सुषमा असुर कोलकाता नहीं आ रही हैं।

साजिश की शिकार सुषमा असुर?

पलाश विश्वास
सुषमा असुर कोलकाता नहीं आ रही हैं।

हम असुर लोग इस धोखा का निंदा करते हैं - सुषमा असुर
कोलकाता की एक संस्था ने धोखे से हम असुरों को बुलाकर महिषासुर शहादत अभियान को बदनाम करने की कोशिश की, इसका हम असुर समुदाय घोर निंदा करते हैं. हम असुर कोलकाता के किसी आयोजन में शामिल होने नहीं जा रहे हैं. हमारे संगठन की महासचिव वंदना टेटे ने आयोजकों को बता दिया है दुर्गा पूजा के किसी आयोजन में असुर लोग भाग नहीं लेंगे. यह आर्यों का छल-बल का पुराना तरीका है. मुझसे संपर्क करने वाले व्यक्ति सुभाष राय ने खुद को 'साल्टलेक एफई ब्लॉक रेसिडेंट एसोसिएशन' का सदस्य बताया था और कहा था कि हमलोग शरद उत्सव का सांस्कृतिक उत्सव कर रहे हें, उसमें आपलोग आइए. आने के लिए 9 लोग का स्लीपर टिकट भी भेजा था. लेकिन जब हमलोग को मालूम हुआ कि बंगाल का अखबार में ऐसा खबर छपा है कि सुषमा असुर और उसके साथ दुर्गा पूजा का उद्घाटन करेंगे तो हम असुरों को बहुत धक्का लगा. हमने अपने संगठन का महासचिव दीदी वंदना से इस बारे में बात किया और पूरे मामले की पड़ताल की. तब सच्चाई उजागर हुआ कि हम असुरों को धोखे से बुलाया जा रहा था.

-- सुषमा असुर, सखुआपानी नेतरहाट झारखंड

नीचे उन दोनों खबरों का लिंक है जिससे हमलोगों को सच्चाई का पता लगा.

http://timesofindia.indiatimes.com/…/articlesh…/54654058.cms

http://navbharattimes.indiatimes.com/…/article…/54655130.cms

बंगाल में दुर्गोत्सव के मौके पर सात सौ स्थानों में महिषासुर उत्सव मनाया जा रहा है।कोलकाता और हावड़ा के अलावा उत्तर और दक्षिण 24 परगना,पुरुलिया और बांकुड़ा,मालदह,मुर्शिदाबाद से लेकर बंगाल के कोने कोने में आदिवासियों के साथ बहुजन वर्षों से महिषासुर उत्सव मना रहे हैं।कभी अखबारों में इस बारे में कोई खबर नहीं छपी है।लेकिन इस बार टाइम्स आफ इंडिया समूह के बांगाल अखबार एई समय में पहले पेज पर सुषमा असुर को महिषासुर का वंशज बताते हुए खबर छपी है कि अने पूर्वज की बदनामी दूर करने के लिए सुषमा असुर कोलकाता में दुर्गा पूजा का उद्गाठन करने आ रही हैं।
हम इसे महिषासुर विमर्श आम जनता के बीच शुरु करने और उदार आस्थावान लोगों की ओर से महिषासुर वध के बहना वैदिकी कर्मकांड में नरबलि और नरसंहार के आत्मे की पहल का मौका मान रहे थे।
कल दिन भर मुझे दिल्ली और अन्य स्थानों से फोन आते रहे कि क्या सुषमा असुर को इसलिए बुलाया जा रहा है कि कोलकाता में फूलबागान पूर्व कोलकाता सार्वजनीन दुर्गोत्सव के आयोजक महिषासुर वध के बिना पूजा का आयोजन कर रहे हैं।
सुषमा असुर के हवाले से जो खबर छपी उसमें हम सुषमा के जिस वक्तव्य से परिचित हैं ,उसका कोई जिक्र नहीं है।बंगाल और बिहार में असुर आदिवासियों के अपने पूर्वज का शोक मनाने का ब्यौरा जरुर है और सुषमा के हवाले से इतना कहा गया है कि वे महिषासुर और असुरों का पक्ष रखने आ रही हैं।वे कोलकाता वालो ं को बताने आ रही हैं कि असुर भी उनकी तरह का मनुष्य है।
इस बीच पहलीबार उत्तर 24 परगना में महिषासुर वध उत्सव को बंगाल पुलिस ने रोक दिया है और आदिवासी बहुल इलाकों में भी महिषासुर वध का आयोजन रोका जा रहा है।
दिल्ली के साथियों ने आयोजन केबारे में मुझे बार बार फोन से पूछा तो मैं उन्हें न आयोजकों के बारे में और न उनके आयोजन और मकसद के बारे में कुछ बता सका।बंगाल में यह खबर छपने के बाद जैसे मैं समझ रहा था,वैसे ही भारी खलबली मच गयी है।
कल भी मैंने मित्रों को बताया था कि फूलबागान पूजा कोलकाता के पूजा मैप में कहीं नहीं है जबकि सियालदह से या विधाननगर से इसकी दूरी बहुत नहीं है।हो सकता है कि महज सनसनी फऱैलाकर विज्ञापन और पब्लिसिटी के लिए आयोजकों ने बतौर स्टंट यह करतब कर दिखाया है कि दुर्गोत्सव के दौरान महिषासुर के वंशज को ही पेश कर दिया जाये।उनका वश चलता तो वे महिषासुर को ही पेश करते और हम नहीं जानते कि इस सिलसिले में सुषमा असुर ने क्या सोचकर सहमति दे दी है।
दिल्ली के मित्रों ने कहा कि सुषमा असुर फोन पर उपलब्ध नहीं हैं।हम यह भी नहीं जानते कि क्या सचमुच सुषमा असुर कोलकाता आ भी रही हैं या नहीं।
हमसे जिन्होेंने बात की है,उनसे मैंने यही कहा है कि दंडकारण्य,गोंडवाना  से लेकर आदिवासी भूगोल में सर्वत्र रावण और महिषासुर के वंशज हैं जो दुर्गोत्सव और रामलीला के भूगोल के बाहर है और जेएऩयू के महिषासुर विमर्श और संसद से लेकर सड़कों तक इसके राजनीतिक विरोध के बावजूद आम जनता को आदिवासियों और बहुजनों का पक्ष मालूम नहीं है।कोलकाता वाले चाहे मार्केंटिग या पब्लिसिटी ,जिस वजह से भी सुषमा असुर को दुर्गोत्सव का मंच देने को तैयार है,हमें इस विमर्श को आम जनता तक ले जाने का मौका बनाना चाहिए।
इसलिए मैंने महिषासुर और रावणके इतिहास भूगोल पर पिछले दिनों लिखा है और मेघनाथ वध की चर्चा भी सिलसिलेवार की है।
बंगाल के बहुजनों को लगता है कि सुषमा असुर एक गहरी साजिश की शिकार ोह रही हैं और उनका सिर्फ पूजा बाजार में इस्तेमाल होना है और उन्हें कुछ भी कहने का मौका नहीं मिलने वाला है।


বাংলার বাঁশের উৎসবে সুষমা অসুর !!! 

Saradindu Uddipan

এক ভয়ঙ্কর ষড়যন্ত্রের শিকার হয়েছেন সুষমা অসুর। দীর্ঘদিনের অসুর আন্দোলনের অগ্রপথিক সে। তাকে কোলকাতায় এনে দুর্গা পূজার প্রতিমা উদ্বোধন এক শ্যতানী পদক্ষেপ। এই কাজ ব্রহ্মন্যবাদী মানসিকতার দাম্ভিক প্রকাশ। আমরা উৎকণ্ঠিত।

সুষমার অসুর কীর্তন শোণার জন্য কর্তৃপক্ষ নিশ্চয়ই তাকে নিয়ে আসেনি। যদি তাই হত তবে কর্তৃপক্ষ অসুরের পূজার জন্য বিজ্ঞাপন দিতেন। প্রজাপালক, ন্যায়প্রায়ন মহিষাসুরের মূর্তিকে স্বমহিমায় প্রতিষ্ঠিত করতেন। সেটা না করে দুর্গা পূজার উদ্বোধন করানোর মানে কি?

নিশ্চয়ই আপনারা বুঝতে পারছেন যে এই কর্পোরেট দেবী দুর্গাপূজাও এক ভয়ঙ্কর প্রশ্ন চিহ্নের মুখে পড়ে গেছে। ধাক্কা আরো জোর লাগান ভাই। নিজেদের সাংস্কৃতিক সদ্ভাবনাকে আরো তেজস্বী করে তুলুন। তবে দেখতে পাবেন বাংলাকে এই "বাঁশ দেওয়ার উৎসব" ফেঁকাসে হয়ে যাবে।

জয় মহিষাসুর।






হিমালয় থেকে কন্যাকুমারী সর্বত্র শোনা যাচ্ছে অসুরের জয়গান। ভারতের ৮৫% মানুষ দাবী করছে তারা অসুরের বংশজ। এই মূল ভারতীয় সংস্কৃতির তারাই আসল দাবীদার। ধাক্কা আরো জোর মারো সাথী।

জয় মহিষাসুর

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#SS17

अगर आपको नहीं लगता की समय का पहिया फिर घूम रहा तो ये तस्वीरे देखिये !
ये बुद्ध से लेकर #सम्राट_अशोक#महाराज_वृहदथ#महाराज_बलि#महाबली_महिषासुर#फूल,#आंबेडकर#पेरियार#कांशीराम की मानस संताने है, जो आतुर है अपने इतिहास को खोद निकालने और अपने भविष्य को उस इतिहास जैसा स्वर्णमय बनाने के लिए !
29 सितंबर 2016 को ये कार्यक्रम #Mysore के #चमुन्डि पहाड़ पर #Dalit_Welfare_Trust के अंतर्गत हुआ!
Prof. Dr. #Mahesh_Chand_Guru और #Dalit_Minority_Sene (Sena) #Karnataka के कार्यकारी अध्यक्ष #A_J_Khan #Pro_Bhagwaan ने इसे खाश कार्यक्रम को सुशोभित किया !

उम्मीद है अगली इंडिया टुडे की रिपोर्ट में महिषासुर की शहादत दिवश की संख्या बढ़कर 1000 तक हो जाएगी जो अबकी फरवरी में केवल उत्तर भारत में 470 के आस पास थी !

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