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Tuesday, August 2, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



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From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/8/2
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


यूपीःराज्यकर्मियों में आक्रोश

Posted: 01 Aug 2011 10:40 AM PDT

प्रदेश सरकार की वादाखिलाफी से राज्यकर्मियों में आक्रोश है। लंबित मांगें समय रहते पूरी नहीं हुई, तो सरकार और शिक्षक कर्मचारियों में टकराव तय है। इसके लिए कार्यक्रम भी निर्धारित कर लिया गया है। 15 अगस्त, 08 को प्रधानमंत्री ने केंद्रीय कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग का लाभ देने की घोषणा की थी। कर्मचारी संगठनों की मांग पर मुख्यमंत्री मायावती ने भी उस समय विधानसभा में घोषणा की कि राज्यकर्मियों और शिक्षकों को केंद्र की भांति जनवरी, 06 से वेतन भत्ते एवं अन्य लाभ दिए जाएंगे, लेकिन सरकार ने वेतन समिति गठित करते हुए इसका लाभ टुकड़े-टुकड़े में निर्णय देने का सिलसिला शुरू कर दिया। राज्यकर्मियों, निगम कर्मियों और शिक्षकों को अभी तक लाभ से वंचित रखा गया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बीएल कुशवाहा का कहना है कि केंद्र सरकार ने नगरों की श्रेणी के आधार पर मकान किराया भत्ता क्रमश: 30, 20 और 10 फीसदी निर्धारित किया है लेकिन राज्यकर्मियों को इस सुविधा को देने की बात आई तो नगरों के वर्गीकरण को तोड़ दिया गया। जिलाध्यक्ष हनुमान प्रसाद श्रीवास्तव का कहना है कि कर्मचारी और शिक्षक नौ अगस्त को लखनऊ में धरना देकर सरकार को उसके वादे को याद दिलाएंगे(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,1.8.11)।

इलाहाबाद विश्वविद्यालयःअधर में लटका पे फिक्सेसन

Posted: 01 Aug 2011 10:38 AM PDT

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कई टीचरों का पे फिक्सेसन का मामला सवा साल से अधर में लटका है। इससे उन्हें एक इंक्रीमेंट और चार से पांच हजार रुपये प्रति माह का नुकसान उठाना पड़ रहा है। खास बात यह है कि एक्जक्यूटिव काउंसिल में इस मसले पर सहमति बनने के बावजूद उन्हें अपने हक से वंचित होना पड़ रहा है। इस मुद्दे पर टीचरों का एक प्रतिनिधिमंडल दो दिन पहले वित्त नियंत्रक पीके सिंह से मिला, फिर भी मामले का निराकरण नहीं हो सका है। इविवि के 37 टीचरों का पे फिक्सेसन वर्ष 2003 में होना था, लेकिन अंदरूनी गुणा-भाग के कारण उन्हें इसका लाभ नहीं मिल सका। इसके लिए चयन समिति गठित होने की बात आई। तत्कालीन वीसी प्रो.जीके मेहता ने कमेटी गठित नहीं की। इसके बाद 2004 में वीसी प्रो.जनक पांडेय के कार्यकाल में चयन समिति गठित तो हुई, लेकिन अध्यापकों के हित में निर्णय नहीं हुआ। मामला गवर्नर तक पहुंचा, तो उन्होंने पाया कि इन अध्यापकों के साथ अन्याय हुआ। उन्होंने नैसर्गिक आधार पर इस मसले के निराकरण के लिए इविवि प्रशासन को लिखा। फलस्वरुप 17 अप्रैल, 2010 में एक्जक्यूटिव काउंसिल में यह मामला सर्वसम्मति से पारित हो गया। रजिस्ट्रार ने भी इस संबंध में चिट्ठी जारी कर दी है फिर भी पे फिक्सेसन का मसला सवा साल से अधर में लटका हुआ है। इससे इन अध्यापकों को एक इंक्रीमेंट का नुकसान हुआ है। साथ ही हर महीने चार से पांच हजार रुपये का घाटा हो रहा है। वित्त नियंत्रक पीके सिंह का कहना है कि यह मामला हमारे संज्ञान में दो दिन पहले आया। इसके लिए डिप्टी रजिस्ट्रार, वित्त को जांच के लिए कहा गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही मामले के लटके होने की जानकारी हो पाएगी(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,1.8.11)।

यूपीःहज़ारों छात्र विद्यालय में दाखिले से वंचित

Posted: 01 Aug 2011 10:37 AM PDT

माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश की ओर से विद्यालयों में प्रवेश के लिए निर्धारित अंतिम तिथि भले ही बीत गई है, लेकिन अभी भी हजारों छात्र प्रवेश के लिए दर-दर भटक रहे हैं। प्रदेश के विभिन्न जिलों में प्रवेश की कमोवेश यही स्थिति है। छात्रों की संख्या में कमी आने के डर से तमाम स्ववित्त पोषित विद्यालयों ने छात्रों को स्थानांतरण प्रमाणपत्र (टीसी) देना मुनासिब नहीं समझा है। ऐसे में सभी को शिक्षा देने का सरकार का नारा खोखला साबित हो रहा है। इंटर कॉलेजों में प्रवेश लेने के इच्छुक छात्र-छात्राओं ने पहले अच्छे विद्यालयों में दाखिला लेने की कोशिश की। प्रवेश न मिलने पर अब वे अन्य इंटर कॉलेजों का चक्कर काट रहे हैं। तमाम छात्र पैसे के अभाव और टीसी न मिल पाने के वजह से प्रवेश लेने में विफल रहे। कई स्ववित्त पोषित विद्यालयों ने तो छात्र संख्या में कमी आ जाने के डर से छात्रों को समय रहते टीसी ही नहीं दी है। प्रतापगढ़ और जौनपुर जैसे जनपदों से यहां प्रवेश लेने आए छात्रों के पास भी टीसी का अभाव रहा, जिससे वे अंतिम तिथि तक भी प्रवेश नहीं पा सके। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में असफल हुए तमाम छात्रों ने भी फार्म भरने के लिए विद्यालयों कारुख नहीं किया है। निर्धारित समय सीमा (31 जुलाई) बीत जाने के बाद प्रधानाचार्यो ने भी प्रवेश करने से मना कर दिया है। परेशान हो रहे छात्रों को विद्यालयों में दाखिला दिलाने के लिए अब शिक्षक संघ आगे आ गया है। इस संदर्भ में माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री रघुराज सिंह एवं मुहर्रम अली ने जिला विद्यालय निरीक्षक से मुलाकात की है। शिक्षक नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने बोर्ड की सचिव से भी मुलाकात का निर्णय लिया है। इधर, प्रधानाचार्य आत्मानंद सिंह ने बताया कि प्रवेश के लिए छात्र आ रहे हैं, लेकिन शासन का आदेश है कि प्रवेश अब नहीं करना है। उन्होंने कहा कि प्रवेश प्रक्रिया 15 अगस्त तक चलनी चाहिए थी(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,1.8.11)।

यूपीपीसीएसःइतिहास का क्रेज बरकरार, समाजशास्त्र दूसरी पसंद

Posted: 01 Aug 2011 10:34 AM PDT

राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा वर्ष 2010 की मुख्य परीक्षा सोमवार से प्रदेश के तीन जनपदों में प्रारंभ हो रही है। लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश ने इसके इलाहाबाद के साथ ही लखनऊ व गाजियाबाद में केंद्र बनाए हैं। 20 तक चलने वाली मुख्य परीक्षा में 8,837 परीक्षार्थी भाग लेंगे। इस बार भी ऐच्छिक विषय भारतीय इतिहास में सबसे अधिक अभ्यर्थी बैठ रहे हैं। इतिहास का क्रेज बीते वर्षो की भांति बरकरार है, लेकिन समाजशास्त्र/ समाजकार्य/ नृविज्ञान (अभ्यर्थी इन तीन में एक ही विषय चुन सकता है) इस बार दूसरे पायदान पर आ गया है। इनका क्रेज बढ़ा है। इस विषय ने पिछले कई दशक से दूसरे पायदान पर रह रहे दर्शनशास्त्र को करीब-करीब चौथे पायदान पर खिसका दिया है। इस बार की पीसीएस मुख्य परीक्षा में ज्यादातर अभ्यर्थियों की दूसरी पसंद समाजशास्त्र/ समाजकार्य/ नृविज्ञान (एन्थ्रोपोलॉजी) है। विषयों की वरीयता में राजनीति विज्ञान/लोक प्रशासन तीसरे पायदान पर आ गया है। इस विषय को लेने वाले छात्रों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। पीसीएस मुख्य परीक्षा में एक खास बात और उभरकर सामने आई है। वर्ष 2010 की मुख्य परीक्षा में रक्षा अध्ययन विषय की लोकप्रियता बढ़ी है। इस विषय में अभ्यर्थियों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। इस वर्ष यह विषय अभ्यर्थियों की पसंद के हिसाब पांचवें नंबर पर आ गया है(आनन्द शुक्ल,दैनिक जागरण,इलाहाबाद,1.8.11)।

लखनऊःशिक्षकों ने उठाया फर्जी विद्यालयों के खुलासे का बीड़ा

Posted: 01 Aug 2011 10:29 AM PDT

बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे फर्जी स्कूलों के मामले में शिक्षा विभाग भले हाथ पर हाथ धरे बैठा हो लेकिन शिक्षकों ने यह बीड़ा उठा लिया है। बीते सोमवार राजधानी के 211 गड़बड़ स्कूलों की सूची सौंपने के बाद शिक्षक इस सोमवार फिर जिला विद्यालय निरीक्षक को ऐसे ही 142 विद्यालयों का नाम बताने जा रहे हैं। शिक्षकों की मांग है कि बोर्ड पंजीकरण व परीक्षा फार्म भरने से पहले संदिग्ध विद्यालयों का भौतिक सत्यापन कराया जाना चाहिए। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय मंत्री डॉ.आरपी मिश्र ने बताया कि शिक्षकों की टास्क फोर्स ने दूसरी सूची में ऐसे 126 स्कूल तलाशे हैं, जो बिना मान्यता चल रहे हैं। इसके अलावा सूची में ऐसे 16 स्कूल भी शामिल हैं, जो मान्यता के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। यानी मान्यता यदि कक्षा पांच तक की है तो पढ़ाई हाईस्कूल और इंटर तक की कराई जा रही है। डॉ.मिश्र ने बताया कि सोमवार को जिला विद्यालय निरीक्षक से मुलाकात कर संघ का प्रतिनिधिमंडल उनसे पिछली सूची पर हुई कार्रवाई की भी सूचना मांगेगा। हालांकि संघ को यह स्पष्ट है कि विभाग ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। डॉ.मिश्र ने बताया कि बीते दिनों जिला विद्यालय निरीक्षक गणेश कुमार ने दो सहायक जिला विद्यालय निरीक्षकों के नेतृत्व में दो जांच दल गठित करने की जानकारी देते हुए कार्रवाई का भरोसा दिलाया था लेकिन यह कोरा आश्वासन ही निकला। विभाग ने कोई जांच टीम गठित ही नहीं की, इसलिए कोई नतीजा भी नहीं आया। अब लखनऊ में नए जिला विद्यालय निरीक्षक के आने के बाद संघ को कार्रवाई की उम्मीद है। दूसरी ओर जिला विद्यालय निरीक्षक उमेश त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षकों द्वारा सौंपी सूची की जांच कराई जाएगी। कक्षाएं प्रारंभ महिला पीजी कॉलेज में स्नातक की कक्षाएं प्रारंभ हो चुकी हैं। कक्षाएं दो पालियों में चल रही हैं। सुबह की पाली में साढ़े सात से डेढ़ बजे तक विज्ञान, वाणिज्य व शिक्षा संकाय की पढ़ाई हो रही हैं। दूसरी पाली दोपहर बारह से शाम पांच बजे तक चलती है इसमें कला व गृह विज्ञान संकाय की कक्षाएं चलती हैं(दैनिक जागरण,लखनऊ,1.8.11)।

यूपीःडिप्लोमा इंजीनियरिंग के प्रति कम हुआ अभ्यर्थियों का रुझान

Posted: 01 Aug 2011 10:27 AM PDT

डिप्लोमा इंजीनियरिंग के प्रति अभ्यर्थियों का रुझान कम होने लगा है। आलम यह है कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद की ओर से आयोजित काउंसिलिंग की रैंक 90 हजार पहुंच गई है लेकिन 23,941 अभ्यर्थियों ने ही प्रवेश की इच्छा जताई। यहां तक कि कई निजी संस्थान ऐसे हैं जिन्हें अभी भी छात्रों का इंतजार है। संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद की ओर से मई में आयोजित इंट्रेंस के आधार पर 3.12 लाख अभ्यर्थी सफल घोषित हुए थे। प्रवेश के पहले होने वाली काउंसिलिंग राजधानी समेत प्रदेश के 13 केंद्रों पर नौ जुलाई से चल रही है। 30 जुलाई तक 90 हजार रैंक तक के अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग हो चुकी हैं। ए ग्रुप के लिए आयोजित काउंसिलिंग में अब तक मात्र 23,941 अभ्यर्थियों ने ही प्रवेश की इच्छा जताई है। प्रदेश के सभी 235 संस्थानों में ए ग्रुप की 50,143 सीटों में से 16,877 राजकीय, 7826 सहायता प्राप्त और 25,440 सीटें निजी संस्थानों के लिए निर्धारित हैं। सरकारी संस्थानों में सीटें करीब भरने की कगार पर हैं लेकिन निजी संस्थानों में अभी 5,362 अभ्यर्थियों ने ही प्रवेश लिया है। संस्थानों में अभी भी 20 हजार से ऊपर सीटें रिक्त हैं। ऐसे में उनकी बची सीटें भर पाएंगी कि नहीं इसे लेकर निजी संस्थानों के मालिकों की नींद उड़ी हुई है। काउंसिलिंग में शामिल करीब 20 फीसदी छात्रों ने प्रवेश लेने से मना कर दिया जबकि 10 से 15 फीसदी छात्रों ने काउंसिलिंग में ही हिस्सा नहीं लिया। पॉलीटेक्निक के प्रति कम होते रुझान से अधिकारी भी हैरान हैं(दैनिक जागरण,लखनऊ,1.8.11)।

लखनऊ विवि में बंद हुए तीन पीजी कोर्स

Posted: 01 Aug 2011 10:25 AM PDT

लखनऊ विश्वविद्यालय की पीजी काउंसिलिंग के दूसरे दिन भी सीटों के मुकाबले अभ्यर्थी खासे कम नजर आए। चुनींदा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों को छोड़कर बाकी विषयों के प्रति छात्र उदासीन रहे। हालत यह रही कि पर्याप्त अभ्यर्थी न आने की वजह से तीन पाठ्यक्रमों को बंद करना पड़ा, जबकि बाकी पांच पाठ्यक्रमों की कुल 206 सीटों पर महज 129 विद्यार्थियों ने ही दाखिला लिया। जिन तीन पीजी पाठ्यक्रमों को बंद किया गया है, वे ईवेंट मैनेजमेंट, विमेन हिस्ट्री व रूरल मैनेजमेंट हैं। इन तीनों पाठ्यक्रमों में से प्रत्येक में 40 सीटें थीं। विवि का नियम है कि कम से कम 40 फीसदी अभ्यर्थी आने पर ही काउंसिलिंग की जाएगी लेकिन इन तीनों पाठ्यक्रमों में दो-चार अभ्यर्थी ही दाखिले के लिए पहुंचे थे। इस वजह से इन पाठ्यक्रमों को बंद करने का फैसला लिया गया। इस बीच दो पाठ्यक्रमों में अभ्यर्थियों की विशेष दिलचस्पी नजर आई। जनसंख्या शिक्षा एवं ग्रामीण विकास तथा क्रिमिनोलॉजी एंड क्रिमिनल जस्टिस एडमिनिस्ट्रेशन की 40-40 सीटों पर क्रमश: 37 व 38 अभ्यर्थियों ने प्रवेश लिया। हालांकि ह्यूमन काउंसिस एंड योगिक साइंस की 40 में से 18 और वेस्टर्न हिस्ट्री की 36 में से 16 सीटों पर ही दाखिले हुए। सोमवार को संस्कृत, जियोग्राफी, बिजनेस इकोनॉमिक्स, गृह विज्ञान, मास्टर इन लाइब्रेरी साइंस तथा बैचलर इन लाइब्रेरी साइंस के लिए काउंसिलिंग होगी। विवि अधिकारियों ने बताया कि सामान्य व आरक्षित वर्ग के सभी चयनित व प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया है। काउंसिलिंग लविवि के नवीन परिसर स्थित जीएल गुप्ता संस्थान में होगी(दैनिक जागरण,दिल्ली,1.8.11)।

यूपीःनिजी स्कूलों को घाटे की भरपाई पर सहमति

Posted: 01 Aug 2011 10:04 AM PDT

शिक्षा के अधिकार के तहत गरीब और साधनहीन वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा देने के एवज में स्कूलों को सरकार की ओर से की जाने वाली फीस प्रतिपूर्ति का फार्मूला तय हो गया है। यदि किसी भी स्तर पर यह पाया गया कि स्कूल ने तथ्यों को छिपाकर या झूठे दावे के आधार पर प्रतिपूर्ति की धनराशि हासिल की है तो उस स्कूल की मान्यता वापस लेने के साथ ही उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी। ऐसे स्कूल को प्रतिपूर्ति के रूप में प्राप्त की गई धनराशि की दोगुनी रकम सरकारी कोष में जमा करनी होगी। यह धनराशि कलेक्टर द्वारा भूमि राजस्व की बकाया धनराशि के तौर पर वसूल करेंगे। नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 12(1)(ग) के अनुसार निजी स्कूलों को कक्षा एक की न्यूनतम 25 प्रतिशत सीटों पर समाज के दुर्बल व वंचित वर्ग के बच्चों को प्रवेश देना होगा और उन्हें कक्षा आठ तक नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा देनी होगी। अधिनियम की धारा 12(2) में कहा गया है कि निजी स्कूलों को ऐसे बच्चों की पढ़ाई पर आने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार करेगी। निजी स्कूलों को यह प्रतिपूर्ति राज्य द्वारा प्रति बच्चे पर वहन किए जाने वाले खर्च या बच्चों से ली जाने वाली वास्तविक धनराशि में से जो भी कम हो, के बराबर की जाएगी। राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011 में फीस प्रतिपूर्ति का फार्मूला तय कर दिया है। नियमावली के अनुसार राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित, स्वामित्वप्राप्त या नियंत्रित सभी स्कूलों में प्रारंभिक शिक्षा पर राज्य व केंद्र सरकार तथा स्थानीय प्राधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई निधियों से हुए कुल आवर्ती व्यय ऐसे स्कूलों में 30 सितंबर को नामांकित छात्रों की कुल संख्या से विभाजित किये जाने पर राज्य सरकार द्वारा किया गया प्रति बालक व्यय माना जाएगा। प्रति बालक व्यय की गणना के लिए अशासकीय सहायताप्राप्त स्कूलों और उनमें पढ़ने वाले बच्चों पर राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा किये गए खर्च को शामिल नहीं किया जाएगा। फीस प्रतिपूर्ति के एवज में मिलने वाली धनराशि के लिए निजी स्कूलों को अलग बैंक खाता रखना होगा। फीस प्रतिपूर्ति की अपेक्षा करने वाले हर स्कूल को पहचान संख्या सहित बच्चों की सूची तथा बेसिक शिक्षा निदेशक द्वारा संस्तुत प्रपत्र पर जरूरी विवरण के साथ साक्ष्य सहित स्कूल द्वारा किए गए व्यय का ब्योरा हर साल 31 अक्टूबर तक देना होगा। जिला शिक्षा अधिकारी सत्यापन के बाद प्रतिपूर्ति की धनराशि स्कूलों के खाते में अंतरित करेगा और इस सूचना को वेबसाइट के माध्यम से सार्वजनिक करेगा(दैनिक जागरण,लखनऊ,1.8.11)।

डीयूःSOL ने सुझाए नकल रोकने के उपाय

Posted: 01 Aug 2011 09:59 AM PDT

डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) में हर साल तीन लाख से अधिक स्टूडेंट्स के एग्जाम कंडक्ट करवाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। एसओएल स्टूडेंट्स के एग्जाम सेंटर स्कूलों में बनाए जाते हैं और इन सेंटरों पर नकल के कई मामले सामने आ रहे हैं।

पिछले दिनों एक स्कूल में जब यूनिवर्सिटी के अधिकारी पहुंचे तो पाया कि एक अलग कमरे में स्टूडेंट्स ओपन बुक से एग्जाम दे रहे थे। एनबीटी ने इस खबर को प्रमुखता से छापा था जिसके बाद एसओएल प्रशासन ने इस खबर पर संज्ञान लेते हुए डीयू को एक पत्र लिखा, जिसमें नकल रोकने के कुछ उपाय भी सुझाए गए हैं।

एसओएल प्रशासन की ओर से लिखे गए लेटर में कहा गया है कि मौजूदा समय में डीयू के बहुत कम कॉलेजों में एसओएल स्टूडेंट्स के लिए एग्जाम सेंटर बनाए जाते हैं और कॉलेज इन स्टूडेंट्स के एग्जाम कंडक्ट करवाने से मना कर देते हैं। अगर यूनिवर्सिटी सभी कॉलेजों में एसओएल स्टूडेंट्स के एग्जाम सेंटर बनवाने की व्यवस्था कर दें तो स्कूलों में सेंटर नहीं होंगे जिससे नकल पर काबू पाया जा सकेगा।

चार साल पहले बनी परीक्षा सुधार कमिटी ने भी कहा था कि कॉलेजों में एग्जाम सेंटर बनाए जाने चाहिए। इसके अलावा डीयू के इंडोर स्टेडियम में भी एक साथ 10 हजार से अधिक स्टूडेंट्स का एग्जाम हो सकता है। अगर कॉलेजों और इंडोर स्टेडियम में एग्जाम करवाने की इजाजत मिल जाए तो इससे कई फायदे होंगे। नकल पर काबू पाने में मदद मिलेगी और यूनिवर्सिटी को स्कूलों को भी भुगतान नहीं करना पड़ेगा।


इस मसले पर डीयू के एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि कई बार कॉलेजों से एसओएल स्टूडेंट्स के लिए एग्जाम सेंटर बनाने की बात की गई लेकिन कॉलेज लॉ एंड ऑर्डर की समस्या की बात कहकर मना कर देते हैं। हालांकि इस बार यूनिवसिर्टी इस मसले को लेकर काफी गंभीर है। एक कमेटी का गठन भी किया गया है, जो एसओएल स्टूडेंट्स के एग्जाम को लेकर विचार कर रही है। 

एसओएल प्रशासन की ओर से तीन शिफ्टों में एग्जाम करवाने का सुझाव भी दिया गया है। कहा गया है कि फाइनल एग्जाम गमिर्यों में होते हैं। अगर यूनिवर्सिटी चाहे तो सुबह 7:30 से 10:30 बजे की नई शिफ्ट शुरू की जा सकती है। इसके बाद 11:30 से 2:30 और 3:30 से 6:30 बजे तक एग्जाम करवाए जा सकते हैं। 

गौरतलब है कि ग्रैजुएशन लेवल पर रेग्युलर स्टूडेंट्स के लिए तो इस बार सेमेस्टर सिस्टम लागू हो गया है लेकिन एसओएल स्टूडेंट्स के एग्जाम पहले की तरह साल में एनुअल सिस्टम में ही होंगे(भूपेंद्र,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,1.8.11)।

CBSE कंपार्टमेंट का नहीं आया रिजल्ट,सीसीएस यूनिवर्सिटी में एडमिशन की दौड़ से सैकड़ों स्टूडेंट्स बाहर

Posted: 01 Aug 2011 09:57 AM PDT

सीबीएसई के कंपार्टमेंट का रिजल्ट नहीं आने से सीसीएस यूनिवर्सिटी में एडमिशन की दौड़ से सैकड़ों स्टूडेंट्स बाहर हो गए हैं। रिजल्ट में होने वाली देरी ने ऐसे स्टूडेंट्स का एक साल बर्बाद कर दिया है। शनिवार को एडमिशन फॉर्म भरने के आखिरी दिन दर्जनों स्टूडेंट्स परेशान होकर एमएमएच कॉलेज पहुंचे, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। कॉलेज प्रशासन ने भी बिना रिजल्ट के एडमिशन फॉर्म न जमा करने की विवशता दिखा दी।

सीबीएसई की लापरवाही और सीसीएसयू की कार्यप्रणाली की वजह से ही सैकड़ों स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में अटक गया है। बता दें कि करीब 1500 स्टूडेंट्स ने विभिन्न विषयों में कंपार्टमेंट एग्जाम दिया था, जिसमें साइंस स्ट्रीम के स्टूडेंट्स की संख्या सबसे ज्यादा थी।

अब ये स्टूडेंट्स इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इस सेशन में उनका कहीं एडमिशन हो पाएगा या नहीं। दरअसल, डीयू में एडमिशन प्रोसेस खत्म हो गया है और सीसीएस यूनिवसिर्टी में एडमिशन फॉर्म जमा करने की लास्ट डेट खत्म हो चुकी है।

शनिवार को एमएमएच कॉलेज में काफी संख्या में स्टूडेंट्स एडमिशन फॉर्म जमा करने के लिए पहुंचे थे, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने यह कहकर फॉर्म जमा करने से मना कर दिया कि रिजल्ट न आने की स्थिति में उन्हें मेरिट लिस्ट में शामिल नहीं किया जाएगा। लिहाजा उनका फॉर्म जमा नहीं होगा।


दूसरी तरफ, साइंस स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के सामने परेशानी है कि यदि वह एक सेशन में ड्रॉप करते हैं तो अगले वर्ष जब वह अप्लाई करेंेगे तो यूनिवसिर्टी के नियम के मुताबिक मेरिट लिस्ट में उनके मार्क्स 5 प्रतिशत कम हो जाएंगे। उनके सामने प्राइवेट कैटिगरी ही एक विकल्प है, लेकिन उन्हें स्ट्रीम चेंज करनी होगी। 

इस तरह से साइंस स्ट्रीम वाले स्टूडेंट्स दुविधा की स्थिति में है। वहीं कॉमर्स और आर्ट्स स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के सामने यह विकल्प मौजूद है। दूसरी ओर यूनिवसिर्टी ने स्पष्ट कह दिया है कि एडमिशन की डेट किसी भी सूरत में आगे नहीं बढे़गी। यदि डेट आगे बढ़ाई जाती तो इन स्टूडेंट्स को फॉर्म जमा करने का एक और मौका मिल जाता(नवभारत टाइम्स,गाजियाबाद,1.8.11)।

गाजियाबाद के कॉलेजों में सीटें

Posted: 01 Aug 2011 09:54 AM PDT

आरसीसीवी कॉलेज : कुल सीटें 715


बीएससी (मैथ) 60, बीएससी (बायो) 60, बीएससी (कंप्यूटर साइंस) 60, बीएससी (होमसाइंस) 120, बीकॉम 120, बीसीए 120, एमएससी (केमिस्ट्री) 30, बीएड 100, एमसीए 45 

कांशीराम गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज : कुल सीटें 320 

बीए 140, बीकॉम 60, बीएसी (बॉयो) 60, बीएससी (मैथ) 60(नवभारत टाइम्स,गाजियाबाद,1.8.11)

इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं से आजिज आ गए हैं लोग

Posted: 01 Aug 2011 09:52 AM PDT

इंजीनियरिंग कॉलजों में दाखिले के लिए हर साल अलग-अलग होने वाली तमाम प्रवेश परीक्षाओं के मौजूदा तौर-तरीकों से सभी आजिज आ चुके हैं। लिहाजा 85 प्रतिशत लोगों ने इसमें सुधार की जबरदस्त पैरवी की है। जबकि तमाम लोगों ने छात्रों की काबिलियत आंकने के मद्देनजर दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर एक ही परीक्षा कराने पर जोर दिया है। इंजीनियरिंग व विज्ञान की उच्च शिक्षा में दाखिले के लिए अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा को लेकर आम लोगों के इस नजरिए का खुलासा केंद्र सरकार के पोर्टल व फेसबुक पर मांगी गई उनकी राय से हुआ है। मालूम हो कि सरकार ने राष्ट्रीय परीक्षा योजना की बाबत केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिव टी. रामासामी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। बाद में उसकी सिफारिशों पर आम लोगों की राय मांगी गयी थी, जिस पर 59 प्रतिशत लोगों ने बहु प्रवेश परीक्षा में बड़े सुधार की जरूरत पर बल दिया है। जबकि 26 प्रतिशत लोगों का सीधा मानना है कि इंजीनियरिंग व विज्ञान की उच्च शिक्षा में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक ही प्रवेश परीक्षा होनी चाहिए। अभिभावकों, छात्रों व दूसरे पक्षकारों से आए सुझावों में एक बड़े हिस्से ने प्रवेश परीक्षा के साथ ही स्कूल बोर्ड परीक्षाओं के अंकों भी महत्व दिए जाने पर जोर दिया है। हालांकि कुछ ने इसे सही नहीं मानाहै। सरकारी पोर्टल पर अपने सुझाव देने वाले कुल दो हजार से अधिक लोगों में 59 प्रतिशत छात्र व पांच प्रतिशत अभिभावक हैं। छात्रों में भी 82 प्रतिशत इंजीनियरिंग और नौ प्रतिशत विज्ञान की पढ़ाई करने वाले हैं। सुझाव देने वालों में 98 प्रतिशत भारतीय हैं। उनमें भी सबसे ज्यादा 24 प्रतिशत आंध्र प्रदेश, 23 प्रतिशत कर्नाटक और सिर्फ सात प्रतिशत लोग दिल्ली से हैं। गौरतलब है कि सरकार इंजीनियरिंग व विज्ञान की उच्च शिक्षा में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक ही प्रवेश परीक्षा की हिमायत पिछले साल से ही कर रही है। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल इस पर ज्यादा जोर देते रहे हैं। पत्रकारों से बातचीत में बीते दिनों उन्होंने कहा,इंजीनियरिंग व विज्ञान में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर यदि एक ही प्रवेश परीक्षा का प्रावधान कराने में सफल हुआ तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी(दैनिक जागरण,दिल्ली,1.8.11)।

यूपीःमेधावी हैं पर नहीं लेते स्कालरशिप

Posted: 01 Aug 2011 03:52 AM PDT

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के मेधावियों को केन्द्रीय मानव विकास मंत्रलय की छात्रवृत्ति का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यूपी बोर्ड के लिए 11,460 छात्रवृत्ति का कोटा निर्धारित है जो देश के सभी बोर्ड में सबसे अधिक है। लेकिन पिछले साल छात्रवृत्ति की संख्या से आधे से भी कम यानी 5300 मेधावियों ने आवेदन किया था।

इनमें से तीन फीसदी यानी 346 छात्रों को यह स्कालरशिप मिली है। लगभग पांच हजार मेधावियों के आवेदन मामूली कारणों से अटके हुए हैं। 2008 में शुरू हुई यह छात्रवृत्ति इंटर की परीक्षा में 80 प्रतिशत या अधिक अंक पाने वाले छात्रों को दी जाती थी। लेकिन पहले साल महज 21 छात्रों को यह छात्रवृत्ति मिली थी। आवेदकों की कम संख्या के मद्देनजर छात्रवृत्ति की शर्तो में संशोधन करते हुए 2009 से 80 प्रतिशत की बजाय 80 परसेंटाइल पाने वालों को इसका लाभ देने का निर्णय लिया गया। इसके बावजूद आवेदकों की संख्या छात्रवृत्ति की संख्या से कम है।


2010 में 7042 परीक्षार्थियों ने आवेदन किया था, जिसमें 5300 छात्रवृत्ति योग्य पाए गए। इनमें से 346 मेधावियों के फार्म ही पूरी तरह से सही मिले। बाकी आवेदन मामूली कारणों से रुके हुए हैं। जबकि 2010 में 20 हजार से अधिक छात्रों को 80 परसेंटाइल से अधिक अंक मिले थे। छात्रवृत्ति के रूप में स्नातक में 10 हजार प्रतिवर्ष और परास्नातक में 20 हजार प्रतिवर्ष मिलते हैं। बोर्ड अधिकारियों की मानें तो जानकारी के अभाव में छात्र आवेदन नहीं करते जबकि योग्य अभ्यर्थियों की संख्या छात्रवृत्ति से ज्यादा होती है।

आवेदकों के लिए अभी है मौका
2010 की लिस्ट अभी फाइनल नहीं हुई है। पिछले साल 5300 योग्य परीक्षार्थियों ने आवेदन किया था लेकिन आय शपथ पत्र, दूसरी छात्रवृत्ति नहीं पाने संबंधी शपथपत्र और बैंक का आईएफएससी कोड नहीं होने के कारण उनके प्रकरण लम्बित है। यदि ये छात्र अपने विश्वविद्यालय या कालेज के अधिकारियों से संपर्क इन कमियों को दूर कर लें तो उन्हें भी स्कालरशिप मिल सकती है।
2011 के लिए मिल रहा है फार्म
वर्ष 2011 की इंटर परीक्षा में शामिल छात्र इस केन्द्रीय छात्रवृत्ति के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर है। इस वर्ष विज्ञान, वाणिज्य और कला में 329 से अधिक अंक पाने वाले रेगुलर छात्र आवेदन के लिए योग्य है। फार्म यूपी बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध है। किसी भी विश्वविद्यालय या कालेज में दाखिला लेने वाले वे छात्र जिनके अभिभावक की आय 4.5 लाख प्रतिवर्ष से कम है, आवेदन कर सकते हैं।

किस बोर्ड का कितना कोटा
बोर्ड - छात्रवृत्ति की संख्या
यूपी बोर्ड 11,460
सीबीएसई 5,414
आईसीएसई 577
आन्ध्र प्रदेश बोर्ड 6,097
बिहार बोर्ड 5,624
लक्षद्वीप 04(संजोग मिश्र,हिंदुस्तान,इलाहाबाद,1.8.11)

रांची का निलई इंजीनियरिंग कॉलेज 10 शिक्षकों के भरोसे

Posted: 01 Aug 2011 02:30 AM PDT

निलई इंजीनियरिंग कॉलेज, ठाकुरगांव मात्र 10 शिक्षकों के सहारे चल रहा है। रांची से 25 किमी की दूरी पर स्थित कॉलेज नक्सल प्रभावित क्षेत्र में है। इस वजह से छात्र एडमिशन नहीं ले रहे हैं।

18 जुलाई से झारखंड झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा नामकुम स्थित पर्षद कार्यालय में काउंसिलिंग जारी है, लेकिन एक भी छात्र उसमें एडमिशन नहीं ले रहे हैं। यहां 480 सीटों पर इस सत्र में एडमिशन लेने के लिए एआईसीटीई से एप्रूवल मिला है।

यहां कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन, सिविल, इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रानिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती है। प्रबंधन इस वर्ष से एमबीए की पढ़ाई शुरू करने की योजना बना रहा है।

पहले बैच में मात्र 116 छात्र


पहले बैच में मात्र 116 छात्रों ने ही एडमिशन लिया है। इसमें मैकेनिकल में 60, सिविल में 20, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में 21 और कंप्यूटर साइंस में 15 छात्र शामिल हैं। ज्यादातर स्टूडेंट बिहार और दूसरे प्रदेशों के हैं। 
आवागमन का कोई साधन नहीं : कॉलेज परिसर दूर है। यहां तक पहुंचने का साधन भी जल्दी नहीं मिलता है। 

हॉस्टल नहीं : यहां छात्राओं के लिए हॉस्टल तक नहीं है। यहां करीब 15 छात्राएं हैं जो डर से रांची में रहती है।

आठ अगस्त तक होगी काउंसिलिंग : स्नातक अभियंत्रण समूह के लिए काउंसिलिंग 8 अगस्त तक चलेगी। पर्षद द्वारा कुल 34,497 विद्यार्थियों की काउंसिलिंग ली जाएगी। 

स्टाल का भी असर नहीं : नामकुम स्थित पर्षद के कार्यालय में काउंसिलिंग चल रही है। यहां इसके लिए स्टॉल भी लगाए गए हैं, लेकिन कोई जानकारी लेने नहीं आता। 

धीरे-धीरे बदलेगी स्थिति

झारखंड कंबाइंड से अबतक एक भी छात्र का एडमिशन नहीं हुआ है। हालांकि अभी रांची के अलावा भूटान और नेपाल के काठमांडू में काउंसिलिंग चल रही है। जहां तक एडमिशन नहीं होने की बात है, इसका मुख्य कारण कॉलेज का नक्सल प्रभावित क्षेत्र में होना है। शुरुआत में परेशानी जरूर है, पर धीरे- धीरे स्थिति बदलेगी।"" 
भीम मुंडा चेयरमैन, निलई एजुकेशनल ट्रस्ट(दैनिक भास्कर,रांची,1.8.11)।

नागपुरःजिला परिषद के 27 शिक्षक निलंबित?

Posted: 01 Aug 2011 02:29 AM PDT

जिला परिषद में 27 शिक्षकों को निलंबित किये जाने की चर्चा है। सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार की देर शाम शिक्षण विभाग ने 27 शिक्षकों को निलंबित करने का प्रस्ताव सीईओ आनंद भरकाड़े के समक्ष प्रस्तुत किया था। जिस पर सीईओ द्वारा निर्णय लिये जाने की जानकारी है। हालांकि इसकी प्रशासन द्वारा अधिकृत पुष्टि नहीं की गई है।

बिना बताए चल रहे छुट्टी पर : गौरतलब है कि पिछले दिनों जिप प्रशासन ने 400 से अधिक शिक्षकों के तबादले किए थे। किन्तु 27 शिक्षक ऐसे थे, जिन्होंने अभी तक नये स्कूलों में पदभार नहीं संभाला है। ये बिना बताए छुट्टी पर चल रहे हैं। कुछ दिनों पहले प्रशासन ने संबंधितों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिस पर शिक्षा विभाग ने असमाधान व्यक्त करते हुए उक्त शिक्षकों को निलंबित करने की सिफारिश की थी। सीईओ व शिक्षा विभाग प्रमुख से मोबाइल पर संपर्क किये जाने पर प्रतिसाद नहीं मिला।


जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लेने की जरूरत नहीं : इससे पूर्व संवाददाताओं से बातचीत करते हुए सीईओ आनंद भरकाड़े ने कहा कि सरकारी परिपत्रक में कहीं नहीं लिखा गया है कि तबादला करते समय पदाधिकारियों को विश्वास में लिया जाए। पदाधिकारियों द्वारा लगाये गए शिक्षक तबादलों में धांधली के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साल भी काउंसलिंग के माध्यम से शिक्षकों का समायोजन किया गया था। इस साल भी यहीं पद्धति अपनायी गई है। पदाधिकारी काउंसलिंग में उपस्थित रहकर अपने सुझाव दे सकते थे, लेकिन शिक्षण सभापति के अलावा कोई पदाधिकारी या सभापति उपस्थित नहीं था। इसलिए तबादलों में गड़बड़ी का आरोप लगाना तथ्यहीन है।

विश्वास में नहीं लेने का आरोप : गौरतलब है कि शिक्षक तबादलों को लेकर पिछले दिनों पदाधिकारियों ने खूब बवाल मचाया था। पदाधिकारियों ने प्रशासन पर जनप्रतिनिधियों को विश्वास में नहीं लेने का आरोप लगाकर इसकी शिकायत राज्य सरकार व विभागीय आयुक्त से की थी। शिकायत में तबादलों में गड़बड़ी होने का भी आरोप लगाया गया था(दैनिक भास्कर,नागपुर,1.8.11)।

झारखंडःवित्तरहित माध्यमिक विद्यालयों को अनुदान मिला

Posted: 01 Aug 2011 02:22 AM PDT

राज्य के 273 वित्त रहित माध्यमिक विद्यालयों को 10 करोड़ 65 लाख 8 हजार 851 रुपए का अनुदान मिला। झारखंड एकेडमिक काउंसिल सभागार में रविवार को समारोह आयोजित कर शिक्षा मंत्री वैद्यनाथ राम ने प्रधानाध्यापकों को अनुदान का ड्राफ्ट सौंपा। वहीं 16 जिलों के 164 मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए एचआरडी की ओर से 4 करोड़ 97 लाख 18 हजार रुपए का अनुदान सौंपा गया।

अनुदान वितरण समारोह में शिक्षा सचिव बीके त्रिपाठी ने कहा कि मदरसों से उपयोगिता प्रमाण पत्र मिलने के बाद उन्हें विकास के लिए और राशि उपलब्ध कराई जाएगी। 

सरकार सहयोग करना चाहती है, शिक्षक रिजल्ट दें


अनुदान वितरण समारोह में शिक्षा मंत्री वैद्यनाथ राम ने कहा कि राज्य के वित्त रहित माध्यमिक विद्यालयों को वित्तीय वर्ष 2005-06 से सहयोग किया जा रहा है। शिक्षक अगर बेहतर रिजल्ट देते हैं तो सहयोग और बढ़ सकता है। 
उन्होंने कहा कि हालांकि ये सहयोग शिक्षकों के लिए पर्याप्त नहीं है। भविष्य में इसे बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्थान सिर्फ अनुदान लेने के लिए नहीं होना चाहिए। 

नियमावली में होगा संशोधन 

वैद्यनाथ राम ने कहा कि प्रस्वीकृति नियमावली 2008 में कई कमियां हैं। इसमें संशोधन की आवश्यकता है। राम ने कहा कि विभाग इसमें संशोधन के लिए प्रयासरत है। जल्द ही नियमावली में संशोधन कर कैबिनेट से मंजूरी दिलाने का प्रयास किया जाएगा।

कहां-कहां के स्कूलों को मिला अनुदान

कोडरमा जिले के 3, धनबाद के 11, पलामू के 18, गढ़वा के 13, गोड्डा के 13, देवघर के 8, रांची के 45, सिमडेगा के 5, गुमला के 9, लोहरदगा के 2, पूर्वी सिंहभूम के 24, खूंटी के 3, पाकुड़ के 3, साहेबगंज के 16, हजारीबाग के 13, चतरा के 8, गिरिडीह के 14, बोकारो के 19, जामताड़ा के 2, दुमका के 7, लातेहार के 4, सरायकेला-खरसावां के 10, पश्चिम सिंहभूम के 12 और रामगढ़ के 11. 

16 जिलों के 164 मदरसे होंगे आधुनिक

एचआरडी ने 16 जिलों के 164 मदरसों को आधुनिक बनाने के लिए प्रत्येक को 2 लाख 85 हजार 500 रुपए का अनुदान दिया। अनुदान पाने वाले मदरसों में धनबाद व पलामू से 3- 3, गढ़वा से 1, गोड्डा से 60, देवघर से 3, रांची से 1, गुमला से 1, पूर्वी सिंहभूम से 2, पाकुड़ से 27, साहेबगंज से 41, हजारीबाग से 12, चतरा, गिरिडीह और बोकारो से 2-2 (दो दो), दुमका से 3 और पश्चिम सिंहभूम से 1 मदरसे को अनुदान दिया गया।

इंटर कॉलेजों को अनुदान 10 को

वित्त रहित इंटर कॉलेजों को अनुदान की राशि 10 अगस्त को दी जाएगी। कुछ तकनीकी गड़बड़ी की वजह से उन्हें अनुदान माध्यमिक विद्यालयों के साथ नहीं दिया जा सका। जिन मदरसों को अनुदान नहीं मिला है, उनकी कार्यशैली का विभाग की ओर से सर्वेक्षण कराया जा रहा है। इसके बाद उन्हें भी अनुदान मिलेगा।"" वैद्यनाथ राम, मंत्री, एचआरडी(दैनिक भास्कर,रांची,1.8.11)

खेल कोटे में दाखिलाःकॉलेज ने डीयू से पूछा, किस तरह लें दोबारा ट्रायल

Posted: 01 Aug 2011 02:20 AM PDT

दिल्ली विविद्यालय से सम्बद्ध सत्यवती कॉलेज में खेल कोटे में धांधली का भंडाफोड़ होने के बाद अब दोबारा ट्रायल लिया जाना है। कॉलेज प्रशासन ट्रायल के लिए सभी आवेदकों को फिर से बुलाने की बात कह रहा है, लेकिन ट्रायल कैसे होगा, इसको लेकर परेशान है। कॉलेज ने ट्रायल प्रक्रिया फिर से शुरू करने से पूर्व विविद्यालय प्रशासन से पूछा है कि दोबारा ट्रायल किस तरह से लिया जाए। कॉलेज ने डीन ऑफ कॉलेजेज को पत्र लिखकर इस बाबत जानकारी चाही है। विविद्यालय से जबाब मिलने के बाद ही कॉलेज में ट्रायल शुरू होगा। सभी आवेदकों को कॉलेज प्रशासन फोन, ई-मेल आदि माध्यमों से ट्रायल के लिए बुलाने की सूचना भेजेगा। अलबत्ता पिछले ट्रायल की जांच में सही पाए गए चार विद्यार्थियों के दाखिले बरकरार रहेंगे। बता दें कि खेल कोटे में गड़बड़ी की शिकायत के बाद गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट में ज्यादातर दाखिलों में गड़बड़ी पायी गई। कमेटी की रिपोर्ट में केवल तीन खेलों को छोड़कर सभी खेलों में गड़बड़ी का खुलासा हुआ। जांच रिपोर्ट में तीन खेलों को छोड़कर अन्य सभी खेलों में दोबारा ट्रायल लिये जाने का फैसला लिया गया। कॉलेज प्रशासन ने कमेटी की रिपोर्ट और उसकी सिफारिशों के आधार पर खेल कोटे में चार को छोड़कर सभी विद्यार्थियों के दाखिले रद्द कर दिये। सत्यवती कॉलेज में कुछ विद्यार्थियों ने कॉलेज की ग्रीवांस कमेटी से खेल कोटे के दाखिलों में गड़बड़ी की शिकायत की थी। इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने इस मामले जांच कमेटी गठित कर दी थी। जांच के बाद कॉलेज प्रशासन को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में खेल कोटे में हुए दाखिलों में गड़बड़ी होने की पुष्टि की गई है। रिपोर्ट के अनुसार खेल कोटे में कुल 44 विद्यार्थियों की दाखिला सूची तैयार की गई थी। इन बच्चों में से चार बच्चों का ट्रायल और उनको दिये गये अंक ठीक पाये गये हैं। जिसमें टेबल टेनिस में-1, कुश्ती में-2 और आर्चरी में 1 विद्यार्थी शामिल है। जबकि बाकी 40 विद्यार्थियों में ज्यादातर विद्यार्थियों के ट्रायल और चयन की प्रक्रिया में गड़बड़ियां पाई गई। रिपोर्ट में जूडो में-3, बॉक्सिंग में 3, खो-खो में 2, त्वाइक्वांडो में 2, सॉफ्टबॉल में 3, बेसबॉल में 4, नेटबॉल में 4, बॉस्केट बॉल में 3, वॉलीबॉल 4, कबड्डी में 5, एथलेटिक में 1, क्रिकेट में 5 और बैडमिंटन में 1 विद्यार्थियों के ट्रायल में गड़बड़ी पायी गई। जिसके बाद अब ये सभी 40 के दाखिले रद्द कर दिए गए हैं(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,1.8.11)।

छत्तीसगढ़ःएआईपीएमटी में सिलेक्शन के बाद पीएमटी से हट गया था फोकस

Posted: 01 Aug 2011 01:16 AM PDT

पीएमटी के वर्तमान पैटर्न में पहली बार ऐसा हुआ है, जब रायपुर शहर के किसी बच्चे को टॉप-10 में जगह नहीं मिली है। शहर से सबसे अच्छा प्रदर्शन छात्रा संजीता पाल का रहा, जिनकी रैंक 17 है। छात्रों और परीक्षा एक्सपर्ट्स ने इसकी अलग-अलग वजहें निकाली हैं।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक जो छात्र पीएमटी में बैठ रहे थे, उन्होंने इसके अलावा एआईपीएमटी और दूसरे राज्यों की मेडिकल परीक्षाओं में भी अप्लाई कर रखा था। शहर में ऐसा करने वालों की संख्या ज्यादा थी। दो बार परीक्षा रद्द होने के बाद शहर के छात्रों का उत्साह परीक्षा के प्रति और कम हो गया था।

ऐसे छात्रों की संख्या भी बहुत है, जिन्होंने एआईपीएमटी में नाम आने के बाद पीएमटी से किनारा कर लिया था। पीएमटी परीक्षा एक्सपर्ट प्रदीप चक्रवर्ती कहते हैं, जिस समय पीएमटी की दूसरी और तीसरी बार परीक्षा हो रही थी, उसी समय एआईपीएमटी के अलावा अन्य प्रदेशों के मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया चल रही थी, चूंकि यहां की परीक्षा विवादित हो गई थी, इसलिए रायपुर के छात्रों ने अपना फोकस एआईपीएमटी पर रखा।

एक्सपर्ट विकास जैन कहते हैं, छात्रों में सेफ विकल्प तलाशने की आदत होती है, तो छात्रों ने एआईपीएमटी काउंसिलिंग के पहले ही दौर में च्वॉइस को लॉक करना ठीक समझा। परीक्षा के दो बार स्थगित होने से भी छात्रों का मनोबल कमजोर हुआ।

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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