संसद की स्थायी समिति ने उस परियोजना को खत्म करने की सिफारिश की है, जिसके तहत देश के हरेक नागरिक के लिए 'आधार' नाम से विशिष्ट पहचान प्रणाली के कार्ड दिए भी जा रहे थे।ओबीसी की गिनती के लिए संसदीय सहमति का उल्लंघन हुआ , उसी तरह आधार परियोजनापर संसद को बायपास किया जा
रहा है।
पलाश विश्वास
http://palashbiswaslive.blogspot.com/
संसद की स्थायी समिति ने उस परियोजना को खत्म करने की सिफारिश की है, जिसके तहत देश के हरेक नागरिक के लिए 'आधार' नाम से विशिष्ट पहचान प्रणाली के कार्ड दिए भी जा रहे थे।ओबीसी की गिनती के लिए संसदीय सहमति का उल्लंघन हुआ , उसी तरह आधार परियोजनापर संसद को बायपास किया जा
रहा है।आज हुई कैबिनेट की बैठक में इसके तहत जून 2013 तक और 40 करोड़ लोगों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया। फिलहाल इसके तहत मार्च 2012 तक 20 करोड़ लोगों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में योजना के लिए 5500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजट मंजूर किया गया है। बैठक में लिए गए निर्णय के मुताबिक, जून 2013 बायोमेट्रिक डाटा इकठ्ठा करने का काम पूरा होगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में समिति की बैठक हुई। इसमें गृह मंत्रालय और योजना आयोग के बीच खींचतान दूर करने की कोशिश हुई।
ऩागरिक की निजता और गोपनीयता अब खारपोरेट की मुनाफाखोरी के हवाले है। मूलतः नाटो की य़ह योजना अमेरिका के आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का हिस्सा है, जिसे उसके सहयोगी देशों ने ठुकरा दिया है।इंग्लैंड में तो इसके खिलाफ सरकार का तख्ता ही पलट गया और नई सरकार ने इस जनविरोधी परियोजना को सिरे से खारिज कर दिया है।
वर्ष 1991 में भारत सरकार के वित्त मंत्री ने ऐसा ही कुछ भ्रम फैलाया था कि निजीकरण और उदारीकरण से 2010 तक देश की आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी, बेरोज़गारी खत्म हो जाएगी, मूलभूत सुविधा संबंधी सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी और देश विकसित हो जाएगा. वित्त मंत्री साहब अब प्रधानमंत्री बन चुके हैं.
देश के सभी नागरिकों को विशिष्ट पहचान नंबर देने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की ओर से जुटाए जा रहे बायोमीट्रिक आंकड़ों को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि इन आंकड़ों को एकत्रित किए जाने की प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित (फूलप्रूफ) नहीं है और इसके गलत इस्तेमाल की आशंका है।यूआइडीएआइ का मामला एकदम ताजा है। नागरिक अधिनियम के तहत सरकार के लिए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर रखने और सभी को एक राष्ट्रीय पहचान पत्र देने की आवश्यकता का प्रावधान रखा गया है। लेकिन योजना आयोग के हस्तक्षेप से आधार संख्या की अवधारणा सामने आई है।खुद गृह मंत्रालय लगातार इस पर सवाल उठा रहा है। संसद की स्थायी समिति भी यूआइडीएआइ विधेयक को अव्यावहारिक मानते हुए इसे नामंजूर कर चुकी है। यूआइडीएआइ अब तक 12 करोड़ लोगों को आधार संख्या वितरित कर चुकी है। अगर यह परियोजना बीच में रुकती है तो बांटे जा चुके आधार संख्या का क्या होगा, इस बारे में सरकार ने अब तक कुछ स्पष्ट नहीं किया है।
प्रस्तावित यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर (यूआईडी) किसी कर्मचारी का भविष्य निधि (पीएफ) खाता नंबर भी होगा। जिसकी बदौलत कर्मचारी के किसी संस्थान बदलने पर नया पीएफ खाता खोलने की जरूरत नहीं होगी और कम समय में पीएफ की रकम ट्रांसफर हो सकेगी। यह कार्ड आने के बाद कर्मचारी के पूरे कार्यकाल के दौरान पीएफ नंबर एक ही रहेगा।विवाद की मुख्य वजह लोगों का बायोमैट्रिक डाटा है। एक तरफ़ गृह मंत्रालय का कहना है कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ़ इंडिया को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर की मदद से आंकड़े जुटाने का अधिकार है। यूआईडीएआई के प्रमुख नंदन नीलकेणी को भी सरकार ने सूचना इकट्ठा करने का काम सौंपा गया है।
विशिष्ट पहचान संख्या आधार को लेकर गृह मंत्रालय, यूआईडी प्राधिकार और योजना आयोग के बीच विवाद का पटाक्षेप करते हुए सरकार ने इसके दायरे को तीन गुना बढ़ाकर देश की आधी आबादी तक इसकी पहुंच बढा दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद तीनों पक्ष एक मंच पर आ गए और यूआईडी आधार के दायरे, बायोमेट्रिक डाटा तथा कार्ड बनाने की प्रक्रिया पर सहमत हो होने की जानकारी दी। सरकार ने विशिष्ट पहचान संख्या आधार को लेकर विवाद का पटाक्षेप करते हुए इसके दायरे को तीन गुना कर 60 करोड लोगों को इसकी पहुंच में लाने का फैसला किया है आधार कार्ड बनाने को लेकर गृह मंत्रालय . भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण . यू आई डी ए आई . और योजना आयोग के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही थी । यू आई डी ए आई से संबंधित केंद्रीय मंत्रिमंडल की समिति की आज यहां हुई बैठक में विस्तृत विचार विमर्श के बाद इस बात पर सहमति बनी कि आधार कार्ड और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर . एन पी आर . का काम एक साथ चलेगा । लेकिन इसमें आंकडों के दोहराव को रोकने के लिए जरूरी उपाय किए जाएंगे ।
स्पष्ट लक्ष्य, ध्यान निशाने पर
नंदन नीलेकणि मानते हैं कि उनकी कामयाबी का एक प्रमुख कारण यह रहा है कि उन्होंने इन्फोसिस की स्थापना के पहले अपना लक्ष्य तय कर रखा था और उसी पर अपना सारा ध्यान केंद्रित भी कर लिया था। 'हम सभी इस बात पर एकमत और दृढ़ थे कि हमें किस इंडस्ट्री में जाना है और उसके किस क्षेत्र पर ध्यान टिकाना है। हमारा बिजनेस मॉडल क्या होगा और हम किस वैल्यू सिस्टम को अपनाएंगे। हमारे मुखिया कौन होंगे, उनके क्या अधिकार होंगे और किन बातों का फैसला वह अपने सहयोगियों से पूछे बिना नहीं करेंगे।
...स्पष्ट लक्ष्य के कारण ही इन्फोसिस नास्दाक में लिस्टेड पहली भारतीय कंपनी बनी। अपने कर्मचारियों को स्टॉक ऑप्शन देने वाली पहली कंपनी भी बनी। अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहने के कारण ही केवल दस हजार रुपये और एक फ्लैट के ड्रॉइंग रूम से शुरू होने वाली यह कंपनी 2004 में एक अरब डॉलर के कारोबारी लक्ष्य तक पहुंच सकी।'
नीलेकणि मानते हैं कि 60 व 70 के दशक में हम आबादी को चिंता के रूप में देखते थे। आज हमें लगता है कि वह मानव संपदा है। 'आज चीन व जापान सहित दुनिया के कई देशों में बुजुर्गों की संख्या बहुत ज्यादा है। भारत ही ऐसा देश है, जो युवाओं का देश है। हम उद्यमियों को अब शंका की निगाह से नहीं, विकास के सारथी के रूप में देखते हैं। अब हम अंग्रेजी को साम्राज्यवाद की भाषा नहीं कहते, बल्कि दुनिया से जुड़ने का औजार मानते हैं। आजादी के बाद बरसों तक हम अपने अधिकारों के प्रति उतने सजग नहीं थे, पर आज हैं। टेक्नोलॉजी ने हमें पूरी तरह बदलकर रख दिया है।
समिति ने यू आई डी ए आई के तीसरे चरण की शुरुआत की मंजूरी दे दी । उसने मार्च 2017 तक इस परियोजना को पूरा करने के लिए 8814 करोड 75 लाख रुपए की धनराशि की मंजूरी दी । इस राशि में से 2412 करोड 67 लाख रुपए रोजमर्रा के संचालन खर्च के लिए और 6402 करोड आठ लाख रुपए परियोजना के बाकी खर्च के लिए होंगे । अब सरकार जनसंख्या और आधार के आंकड़ों को आपस में मिलाने पर विचार कर रही है। इस पर अधिकारियों का एक समूह काम कर रहा है। सरकार के भीतर इस मसले पर मची खींचतान की भाजपा ने आलोचना की है। भाजपा ने कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। यूआइडीएआइ [यूनिक आइडेंटीफिकेशन अथारिटी ऑफ इंडिया] के चेयरमैन नंदन नीलकेणि के मुताबिक सरकार खुद राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और आधार के आंकड़ों को आपस में मिलाने पर विचार कर रही है। यह कब तक हो पाएगा, यह कहना मुश्किल है। शुक्रवार को बेंगलूरमें नीलकेणि ने कहा कि अब यह मामला कैबिनेट के समक्ष विचाराधीन है।
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यूआईडीएआई के पास अगर कोई व्यक्ति अपना नाम, फोटोग्राफ, फिंगरप्रिंट और आंख की पुतलियों की फोटो उपलब्ध कराता है तो इसके सत्यापन (वेरीफिकेशन) का कोई प्रावधान नहीं है। इस बात की आशंका ज्यादा रहती है कि कोई व्यक्ति अपनी पहचान की गलत प्रोफाइल बनवा सकता है। उनका यह भी कहना है कि बिना किसी वेरीफिकेशन के दस्तावेज जमा कर यूआईडी हासिल की जा सकती है और मुंबई का रहने वाला कोई भी व्यक्ति दिल्ली से आसानी से यूआईडी नंबर हासिल कर सकता है।
सुरक्षा एजेंसियों की इस चिंता को लेकर समझा जाता है कि गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने योजना को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप किए जाने और यूआईडी पर बनी कैबिनेट कमेटी से राय-मशविरा करने को कहा है। गौरतलब है कि नंदन नीलेकणि की अगुवाई वाला यूआईडीएआई योजना आयोग के मातहत कार्य करता है।
बैठक के बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने यू आई डी ए आई के प्रमुख नंदन नीलेकणि और योजना आयोग उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की मौजूदगी में कहा कि आधार का दायरा बीस करोड से बढाकर 60 करोड किया गया है । इसके अलावा बायोमेट्रिक डाटा एकत्र करने में दोहराव की गुंजाइश खत्म करते हुए तय गया है कि एन पी आर और आधार तैयार करने के लिए दो .. दो बार ये आंकडे नहीं लिए जाएंगे । समिति के निर्णय के अनुसार एक एजेंसी द्वारा एकत्र डाटा को दूसरी एजेंसी स्वीकार कर लेगी ।
नीलेकणि ने कहा कि आधार कार्ड तैयार करने में सुरक्षा के मुद्दों को पूरी गंभीरता से लिया गया है । इसकी प्रक्रिया में समुचित एहतियाती उपाय अपनाते हुए अप्रैल से कार्ड बनाने का काम फिर शुरू कर दिया जाएगा ।
आधार कार्ड के लिए बायोमेट्रिक डाटा लेने के मुद्दे पर गृह मंत्रालय ने सुरक्षा संबंधी मामले उठाए थे ।चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की थी ।
आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया मतभेदों के कारण अधर में लटकी लग रही थी । ताजा सहमति के अनुसार यू आई डी ए आई 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आधार कार्ड बनाने के लिए पंजीकरण जारी रखेगा और शेष देश में ये आंकडे एन पी आर से लिए जाएंगे ।
अहलूवालिया ने इन आशय की खबरों को निराधार बताया कि आयोग इस मामले में किसी प्रकार की आपत्ति कर रहा था ।
गृह मंत्रालय ने आधार कार्ड और एन पी आर तैयार करने की प्रक्रिया सुचारू ढंग से चलाने के लिए एक अंतर मंत्रालय समन्वय समिति का गठन किया है जो इस संबंध में व्यापक प्रक्रिया तय करेगी।
चालीस करोड अतिरिक्त आधार कार्ड तैयार करने पर होने वाले खर्च का प्रस्ताव व्यय वित्त समिति . ई एफ सी . के सामने रखा जाएगा । इस बीच यू आई डी ए आई अपना काम जारी रखेगा ताकि इसकी रफ्तार को बरकरार रखा जा सके । इस संबंध में 2012..13 के बजट में धन राशि का प्रावधान किया जाएगा ।
अन्य पहचान विकल्पों के साथ ही मोबाइल कनेक्शन के सिम कार्ड के लिए यूआईडी या विशेष पहचान नंबर 'आधार' भी जरूरी होगा। इस नंबर के माध्यम से मोबाइल कनेक्शन कैसे दिए जाएंगे, इसकी राह में किस तरह की बाधा आ सकती है, इसका अध्ययन करने के लिए जल्द ही सरकार दिल्ली, बेंगलुरू, हैदराबाद सहित कुछ अन्य शहरों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने वाली है। अगले तीन से चार महीने में प्रोजेक्ट शुरू होने के आसार हैं।
आतंकी और आपराधिक मामलों में मोबाइल फोन के बढ़ते दुरुपयोग को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय लगातार दूरसंचार मंत्रालय को सभी ग्राहकों के शत-प्रतिशत सत्यापन के बाद ही सिम जारी करने की सलाह देता रहा है। सूत्रों के मुताबिक दूरसंचार विभाग और आधार ने इसके लिए निजी ऑपरेटरों से चर्चा शुरू कर दी है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत दुकानों पर एक विशेष तरह का हाथ से चलने वाला उपकरण रखा जाएगा। जो आधार नंबर को सत्यापित करेगा। इसके बाद संबंधित व्यक्ति को सिम कार्ड जारी कर दिया जाएगा। 'यह उपकरण पंद्रह सौ रुपए से लेकर ढाई हजार रुपए के बीच होगा। जिससे व्यापक स्तर पर इसका उपयोग हो पाए।
दायरा बीस करोड़ से बढ़ाकर 60 करोड़
गृहमंत्री पी चिदंबरम ने यूआईडी प्राधिकरण के प्रमुख नंदन नीलेकणि और योजना आयोग उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की मौजूदगी में कहा कि आधार का दायरा बीस करोड़ से बढ़ाकर 60 करोड़ किया गया है। इसके अलावा बायोमेट्रिक डाटा एकत्र करने में दोहराव की गुंजाइश खत्म करते हुए तय किया गया है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और यूआईडी आधार तैयार करने के लिए दो-दो बार ये आंकड़े नहीं लिए जाएंगे।
अप्रैल से कार्ड बनाने का काम फिर शुरू
कैबिनेट के निर्णय के अनुसार एक एजेंसी द्वारा एकत्र डाटा को दूसरी एजेंसी स्वीकार कर लेगी और दोहराव की गुंजाइश नहीं होगी। नीलेकणि ने कहा कि आधार कार्ड तैयार करने में सुरक्षा के मुद्दों को पूरी गंभीरता से लिया गया है और इसकी प्रक्रिया में समुचित एहतियाती उपाय अपनाते हुए अप्रैल से कार्ड बनाने का काम फिर शुरू कर दिया जाएगा।
मतभेदों के कारण बाधित हो गई थी प्रक्रिया
आधार कार्ड के लिए बायोमेट्रिक डाटा लेने के मुद्दे पर गृह मंत्रालय ने सुरक्षा संबंधी मामले उठाए थे और चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की थी। यूआईडी बनने की प्रक्रिया मतभेदों के कारण बाधित हो गई थी और पूरी परियोजना अधर में लटक गई थी। ताजा सहमति के अनुसार यूआईडी प्राधिकरण 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में आधार कार्ड बनाने के लिए पंजीकरण जारी रखेगा और शेष देश में ये आंकड़े एनपीआर से ले लिए जाएंगे।
कार्ड जारी करने का लक्ष्य जून 2013
एनपीआर तैयार करने और यूआईडी कार्ड जारी करने का लक्ष्य जून 2013 तय किया गया है। अहलूवालिया ने इन आशय की खबरों को निराधार बताया कि आयोग इस मामले में किसी प्रकार की आपत्ति कर रहा था।
संस्थान बदलने से नहीं बदलेगी पीएफ खाते की संख्या
केंद्रीय श्रम और रोजगार सचिव पीसी चतुर्वेदी ने सोमवार को इसकी बात की पुष्टि की लेकिन साफ भी किया कि यूआईडी में पीएफ खाता नंबर शामिल करने से पहले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों का कंप्यूटरीकरण जरूरी है। इसके लिए मार्च 2012 तक की समय सीमा तय की गई है। क्षेत्रीय कार्यालयों और उप-कार्यालयों के कंप्यूटरीकृत होते ही यूआईडी कार्ड का इस्तेमाल बतौर पीएफ नंबर भी हो सकेगा। ऐसा होने से कर्मचारी पीएफ खातों के बारे में ऑनलाइन जानकारी हासिल करने, पीएफ ट्रांसफर और खाते से रकम निकालने के लिए ऑनलाइन आवेदन जैसी सुविधाएं उठा सकेंगे।
मौजूदा समय में जब कोई कर्मचारी अपनी नौकरी बदलता है तो उसके पीएफ की रकम को पुराने खाते से नए खाते में हस्तांतरित करने में महीनों लग जाते हैं। इसी से ज्यादातर कर्मचारी पुराने खाते से रकम दूसरे खाते में ट्रांसफर करने के बजाए नई नौकरी के साथ नया खाता खोलना पसंद करते हैं। हालांकि एक कर्मचारी के दो तीन पीएफ खाते होने की वजह से ईपीएफओ को खातों के रखरखाव में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। संगठन को सालाना 60 लाख से ज्यादा दावों का निपटारा करना पड़ता है।
यूआईडीएआई से टकराव नहीं: चिदंबरम
मामल्लपुरम : अपने मंत्रालय और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के बीच किसी तरह के संघर्ष की रिपोर्ट को खारिज करते हुए गृह मंत्री पी चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के आवास पहचान कार्ड में भविष्य में आधार संख्या को शामिल करने पर विचार कर रही है।
तमिलनाडु के तटीय इलाके में पट्टीपुल्म गांव में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के तहत स्मार्ट कार्ड वितरीत करने के कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए चिदंबरम ने कहा, कुछ मीडिया रिपोर्ट में गृह मंत्रालय और यूआईडीएआई के बीच संघर्ष की स्थिति की खबरें आई लेकिन यह सही नहीं है। चिदंबरम ने कहा कि आधार एक विशिष्ठ संख्या है जबकि स्मार्ट कार्ड समग्र ब्यौरा होगा।
उन्होंने कहा, आधार विशिष्ट पहचान संख्या है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पहचान कार्ड जारी करती है जिसमें सभी जरूरी सूचना होगी। अगर इसमें आधार संख्या को शामिल कर लिया जाता है जब इसे विशेष दर्जा प्राप्त हो जाएगा। चिदंबरम की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब गृह मंत्रालय और योजना आयोग के बीच संघर्ष की स्थिति की खबरें सामने आई है। यूआईडीएआई योजना आयोग के तहत आती है।
आधार कार्ड जारी करने में फर्जीवाड़े का खुलासा
रामकुमार/हरदीप लश्करी | नई दिल्ली, 24 जनवरी 2012 | अपडेटेड: 23:56 ISTटैग्स: पहचान योजना | आधार कार्ड | यूआईडी कार्ड | धांधली | फर्जीवाड़ा | आजतक का खुलासा
री करने का काम देश में जोरों शोरों से चल रहा है. अब तक करीब 12 करोड़ लोगों को यूआईडी नंबर जारी भी किया जा चुके हैं. लेकिन इससे पहले कि यूपीए सरकार की सबसे चहेती और सुपर एडवांस्ड योजना परवान चढ़ पाती इसको लेकर गंभीर सवाल खड़े होने शुरू हो गये हैं.
इस खुलासे से आपके भी होश उड़ जायेंगे कि कैसे राजधानी दिल्ली में एमएलए और एमपी वोटों के चक्कर में देश की सुरक्षा के साथ समझौता कर रहे हैं. आजतक को पता चला कि देश का सबसे बड़ा पहचान पत्र बिना किसी पहचान के बांटा जा रहा है तो आजतक ने खुफिया कैमरे के साथ तहकीकात शुरू की तो एक खतरनाक तस्वीर सामने आई. हमने जाना कि कैसे कोई विदेशी आंतकी बिना किसी परेशानी के भारतीय होने की पहचान आसानी से हासिल कर सकता है.
दरअसल यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने आधार कार्ड को बनवाने के लिए ज़रूरी काग़जातों में छूट देने का अधिकार स्थानीय रजिस्ट्रार को दे दिया, जिसका सबसे गलत फायदा वोट बैंक के चक्कर में स्थानीय नेता उठा रहे हैं. ये लोग यूआईडी कार्ड बनवाने की जुगत लगे हैं. कोई पहचान पत्र नहीं है तो नेताजी के घर पर बंट रहे प्रमाण पत्र के लिए लाइन में लगे हैं. नेताजी के चमचे भी धड़ाधड़ साइन करने और ठप्पा मारने में लगे हैं. जितना ज्यादा प्रमाण पत्र बटेंगे, इलाके में नेताजी का उतना ही गुडविल बढ़ेगा. अब इसके लिए देश की सुरक्षा से समझौता करने पड़े तो भला किसे परवाह है.
दरअसल यूआईडी कार्ड बनवाने के लिए तीन दस्तावेज मुख्य तौर पर संलग्न करने ज़रूरी हैं. ये हैं 1. फोटो पहचान पत्र, 2. जन्म तिथि प्रमाण पत्र, 3. आवास प्रमाण पत्र. ऐसे में अस्थायी पते पर रहने वाले लोगों की परेशानी को देखते हुए यूआईडी अथॉरिटी ने आवास प्रमाण पत्र के लिए स्थानीय विधायक और सांसद के द्वारा जारी किये गये प्रमाण पत्र को मान्यता दे दी. बस यहीं से इस धांधली की शुरूआत हुई.
जनप्रतिनिधियों ने बिना किसी जान-पहचान और वेरिफिकेशन के लैटर हैड पर आवास प्रमाण पत्र जारी करना शुरू कर दिया. हद तो ये है कि विधायकों और सांसदों ने पहले से ही लैटर पैड पर प्रमाण पत्र प्रिंट करा रख लिए हैं. जिनको पाने के लिए सुबह होते ही लोगों की लंबी कतार लग जाती है. बस इस प्रिटेंड लैटर हेड पर अपना पता भरिये और बन गया आवास प्रमाण पत्र.
यूआईडी केंद्रों में इस प्रमाण पत्र की दबंगई ऐसी है कि वहां बैठा कर्मचारी जन्मतिथि और आपकी पहचान के बारे में आपसे कोई सवाल-जवाब नही करेगा. कोई नहीं जानता कि इस तरीके से पहचान पत्र हासिल करने वालों की असली पहचान क्या है और इस बात की क्या गांरटी है कि कुछ विदेशी घुसपैठियों और आतंकियों ने इस तरीके से आधार कार्ड ना हासिल कर लिया हो.
आधार कार्ड के साथ हो रहे खिलवाड़ में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले सच हैं जनप्रतिनिधियों के नाम पर होते गड़बड़झाले. नेताओं के लेटर हेड पर बिना किसी पूछताछ के बन रहे हैं आवास प्रमाण पत्र. नेताओं के लेटर हेड पर फर्जी दस्तखत हो रहे हैं और उन्हीं के आधार पर बन रहे हैं आधार कार्ड.
पहचान पत्र बनवाने की तलाश में आजतक पहुंचा पश्चिमी दिल्ली से सांसद महाबल मिश्रा के निवास पर. वहां देखा कि नेता जी के लैटर हैड पर पहचान पत्र पाने के लिए पहले से ही लंबी लाइन लगी है. लेकिन अंदर बैठे मातहत कर्मचारी जल्दी काम निपटाने में लगे थे. बस हम भी लग गये लाइन में. नंबर आया तो वहां बैठे कर्मचारी ने बस हमसे एक फोटो और पता मांगा.
हमने फर्जी पता बताया. लेकिन उस शख्स ने बिना किसी जांच-परख किये पहले से प्रिटेंड लैटर पैड पर हमारा पहचान और आवास प्रमाण पत्र तैयार कर दिया. तुरंत ही लैटर पर साइन और ठप्पा लगाने के लिए पर्चा आगे बढ़ा दिया गया. मैंने एक और शख्स की फोटो देकर उसका भी फर्जी पहचान और आवास प्रमाण पत्र बनवा लिया. मुहर लगने के बाद वहां मौजूद दूसरे शख्स ने सांसद महाबल मिश्रा के हस्ताक्षर कर काम नक्की कर दिया.
सांसद महाबल मिश्रा का प्रमाण पत्र लेकर हम पहुंच गये यूआईडी सेंटर पर. वहां मौजूद कर्मचारियों ने कुछ खानापूर्ति की और मिनटों में ही बन गया हमारा यूआईडी कार्ड. बिना किसी वैरीफिकेशन के जारी किये जा रहे प्रमाण पत्र का सवाल जब हमने सांसद महाबल मिश्रा से पूछा तो उनका जवाब भी कम दिलचस्प नहीं है.
महाबल मिश्रा ने कहा, 'हिन्दूस्तान का कोई भी नागरिक हिंदूस्तानी है. आधार कार्ड से उसकी प्रामाणिकता होगी. आधार कार्ड से उसकी पहचान होगी. क्या नाम है, क्या व्यवसाय करता है, कहां का रहने वाला है. हम नहीं इश्यू करेंगे तो कौन करेगा. हमारा काम रिकमेंड करना है. पड़ताल करना सरकारी अधिकारी का काम है. जो मेरे क्षेत्र में दो साल से रहता है मैं उसे जानता हूं. हमारा काम रिकमेंड करना है.
दरअसल हमारे देश में कोई भी पहचान पत्र फर्जी तरीके से बनवाना बेहद आम बात है और यही समस्या यूनिक आइडेंटिफिकेशन कार्ड की योजना की शुरूआत करने का आधार बनी. किसी भी नागरिक की बायोमैट्रिक जानकारियों के आधार पर बनाये जाने वाला ये कार्ड एक बेहद विश्वसनीय और फर्जीवाड़े से दूर की चीज़ माना गया.
लेकिन देश के हरेक आदमी तक पहुंच बनाने के चक्कर में इसको बनाने के लिए ज़रूरी प्रमाण पत्रों को लेकर बेहद लचीला रवैया अपनाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में देश में घुसपैठ कर चुका कोई भी आंतकी आसानी से भारतीय होने की पहचान आसानी से हासिल कर सकता है. जाहिर है ये देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है.
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो देखने के लिए जाएं http://m.aajtak.in पर.
और भी... http://aajtak.intoday.in/story.php/content/view/690062/Delhi-MPs-MLAs-turn-high-security-UID-cards-into-a-joke.html
और भी... http://aajtak.intoday.in/story.php/content/view/690062/Delhi-MPs-MLAs-turn-high-security-UID-cards-into-a-joke.html
अवधारणाः
आधार- विशिष्ट पहचान का ब्राण्ड नाम एवं प्रतीक चिन्ह।
विशिश्ट पहचान संख्या का ब्राण्ड नाम आधार होगा। यूआईडीएआई द्वारा जारी किये जाने वाले विशिश्ट संख्या का नाम एवं प्रतीक चिन्ह संभावित परिवर्तनकारी कार्यक्रम को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। साथ ही यह पूरे देश में यूआईडीएआई के जनादेश के सार एवं भावना को सूचित करेगा।
यूआईडीएआई का जनादेश प्रत्येक भारतीय निवासी के विशिष्ट पहचान संख्या को उसके जनसांख्यिकीय एवं बायोमेट्रिक जानकारी के साथ जोड़ा जाना है ताकि वह भारत में कहीं भी अपनी पहचान स्थापित कर सके तथा लाभ एवं सेवाओं का उपयोग कर सके। विशिष्ट संख्या (जिसे अब तक यूआईडी कहा गया) जिसे आधार नाम दिया गया है, का अर्थ बुनियाद या आश्रय है। यह शब्द अधिकतर भारतीय भाषाओं में पाया जाता है अतः इसका उपयोग यूआईडीएआई के ब्राण्ड नाम एवं इसके कार्यक्रमों को भारत भर में प्रसारित करने में उपयोग किया जा सकता है।
जैसा कि, यूआईडीएआई के अध्यक्ष श्री नंदन नीलेकणी लिखते हैं ''आधार नाम यूआईडीएआई द्वारा जारी विशिष्ट संख्या के मौलिक योगदान को व्यक्त करता है, विशिष्ट संख्या सार्वभौमिक पहचान के बुनियादी ढांचे के रूप में एक नींव है। जिस पर निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियां सेवायें एवं अनुप्रयोग बनाकर देश भर के निवासियों को लाभ पहुंचा सकती हैं''।
आधार, विशिष्टता की गारंटी एवं केन्द्रीय सजीव (आनलाइन) पहचान सत्यापन ही इन बहु-सेवाओं, अनुप्रयोगों एवं बाजारों को अधिकतम कनेक्टिविटी का आधार प्रदान करेगा।
आधार, निवासियों को देश में कभी भी एवं कहीं भी इन संसाधनों एवं सेवाओं का उपयोग करने की क्षमता प्रदान करता है।
उदाहरण के लिये- आधार, वित्त-पोषण के लिये पूरे देश में पहचान की आधारभूत सुविधा प्रदान करता है। बैंक विशिष्ट संख्या को निवासियों के बैंक खातों को जोड़कर सजीव पहचान को प्रमाणित कर निवासियों को देशभर में कभी भी, कहीं भी खातों का उपयोग करने की अनुमति दे सकते हैं।
आधार, व्यक्तिगत अधिकार के प्रभावशील प्रवर्तन के लिये नीव भी हो सकेंगे। व्यक्ति के राज्य के साथ उसकी व्यक्तिगत पहचान की स्पष्ट मान्यता एवं पंजीयन उसके अधिकारों- जैसे रोजगार, शिक्षा, खाद्य आदि को लागू करने के लिये आवश्यक है। व्यक्ति के पंजीयन, मान्यता को सुनिश्चित कर राज्य इन अधिकारों को दे सकता है।
प्रतीक चिन्हः-डिजाइन, जो कि आधार के प्रतीक चिन्ह के रूप में चुना गया है, में सूर्य लाल एवं पीले रंग में अपने केन्द्र के चारों ओर अंगुलियों के निशान लिये हुए है। प्रतीक चिन्ह आधार के दृष्टिकोण को प्रभावशाली ढंग से संचारित करता है। यह चिन्ह प्रत्येक व्यक्ति के लिये अवसरों की एक नई सुबह का प्रतिनिधित्व करता है। एक सुबह जो विशिष्ट पहचान से प्रत्येक व्यक्ति के लिये उभरकर आई है।
Topप्रतिस्पर्धाः-
यूआईडीएआई द्वारा आधार के लिये फरवरी 2010 में एक राष्ट्रव्यापी प्रतीक चिन्ह प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। उन्हीं सप्ताहों में देश भर से 2000 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुई थी।
विजेता प्रविष्टियों को तय करने के निम्नलिखित मानदंड थेः-
प्रतीक चिन्ह यूआईडीएआई के उद्देश्य एवं लक्ष्य का सार प्रदर्शित करने में सक्षम हो।
प्रतीक चिन्ह से यह संदेश मिलना चाहिए कि आधार, पूरे देश के निवासियों के लिये एक परिवर्तनकारी अवसर है एवं निर्धनों के लिये भी सेवाओं और संसाधनों का उपयोग समान रुप से करता है।
प्रतीक चिन्ह को देश भर में आसानी से समझा एवं संचारित किया जा सके।
प्रतीक चिन्ह प्रतियोगिता में प्राप्त अधिकांश प्रविष्टियां नवीन एवं अत्यंत उच्च गुणवत्ता की थीं। प्रस्तुत डिजाइनों का जागरूकता एवं संचार रणनीति सलाहकार परिषद संचार विशेषज्ञों से युक्त एक सलाहकारों के समूह द्वारा मूल्यांकन किया गया था।
उल्लेखित मापदण्डों के आधार पर परिषद द्वारा अंतिम दौर में पहुंचे डिजाइनों की संक्षिप्त सूची बनायी गयी। परिषद के एक सदस्य श्री किरण खलाप ने कहा ''हमें फायनल में अंतिम विजेता का चयन करने में एक कठिन निर्णय का सामना करना पड़ा।'' शुक्र है! हम चयन के मानदंड के अनुरूप से सहमत थे जिसमें पूर्वाग्रह एवं आत्मीयता बिल्कुल कम थी।
अंतिम दौर के डिजाइनर थेः
माइकल फौली
सेफरन ब्राण्ड कंसलटेंट
जयंत जैन एवं महेन्द्र कुमार
अतुल एस. पाण्डे
विजेता अतुल एस. पाण्डे का डिजाइन नीचे दर्शाया गया है।
Top
प्रतीक चिन्ह प्रारंभ करना
* | * | * |
26 अप्रैल 2010 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में यूआईडीएआई के पारिस्थितिकी तंत्र इवेंट के दौरान आधार प्रतीक चिन्ह का अनावरण किया गया। अतुल एस. पाण्डे को रू.100000/- का पुरस्कार दिया गया एवं अन्य 4 अंतिम विजेताओं को रू. 10000/- का पुरस्कार दिया गया। श्री पाण्डे ने इस अवसर पर कहा- ''मेरे लिए एक महान सौभाग्य की बात है कि मुझे यूआईडीएआई की परियोजना में योगदान देने का अवसर मिला। मेरा विश्वास है कि इस प्रतियोगिता से यूआईडीएआई द्वारा सभी के लिये समान अवसर का वादा और भी पुष्ट होगा क्योंकि हममें से बहुतों को एक सही परिवर्तनकारी परियोजना के लिए डिजाईन करने एवं इसके साथ जुड़ने का अवसर दिया''। |
Top
http://uidai.gov.in/hindi/index.php?option=com_content&view=article&id=145&Itemid=2
अनुप्रयोग संरचना |
सुरक्षा एवं आधारभूत प्रौद्योगिकी |
भा.वि.प.प्रा. बायोमैट्रिक क्षमता का केंद्र एवं अनुसंधान |
http://uidai.gov.in/hindi/index.php?option=com_content&view=article&id=153&Itemid=13
40 करोड़ आधार कार्ड और बनेंगे
शुक्रवार, 27 जनवरी, 2012 को 21:28 IST तक के समाचारइस मामले पर गृह मंत्रालय और योजना आयोग के बीच खींचतान चल रही थी.
केंद्रीय मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में शुक्रवार को आधार कार्ड के लिए 5500 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बजट मंजूर किया गया है.साथ ही यह भी फ़ैसला किया गया है कि अब 40 करोड और लोगों को आधार कार्ड दिए जाएंगे. पहले 20 करोड़ लोगों को यह विशिष्ट पहचान नंबर और पहचान पत्र दिए जाने थे.
इससे जुड़ी ख़बरें
इसी विषय पर और पढ़ें
पिछले कुछ समय से इस मामले पर गृह मंत्रालय और योजना आयोग के बीच खींचतान चल रही थी.दरअसल विवाद सभी नागरिकों का बायोमेट्रिक आँकड़ा जुटाने और आँकडों की सुरक्षा को लेकर था.
बायोमेट्रिक यानी ऐसे शारीरिक या व्यावहारिक गुण जो व्यक्ति की विशिष्ट पहचान कराते हैं, जैसे उंगलियों के निशान और आंखों की पुतलियों की तस्वीर.
गृह मंत्रालय का कहना था कि भारत के महापंजीयक या रजिस्ट्रार जनरल को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के ज़रिए ये आँकड़े जुटाने का काम पहले ही दिया जा चुका है.
मगर नंदन नीलेकणी के नेतृत्त्व में विशिष्ट पहचान नंबर वाली 'आधार' योजना को भी ये आँकड़े जुटाने के लिए अधिकृत किया गया था.
बैठक में तय हुआ कि फिलहाल दोनों एजेंसियां काम करती रहेंगी.
"यूआईडीआई ने इसे गंभीरता के लिया है और सुरक्षा से जुड़ी सभी चिंताओं को दूर करने के लिए अगले कुछ सप्ताह में इसकी समीक्षा करेगा. अगर आधार और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में कोई विवाद होगा तो राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को ही सही माना जाएगा"
पी चिदंबरम, गृहमंत्री
बैठक के बाद गृहमंत्री पी चिदंबरम ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अगर किसी ने आधार में पहले से ही यह आँकड़े दिए होंगे तो राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को केवल उन्हें अपना कार्ड नंबर ही देना होगा.गृह मंत्रालय इस बात से भी चिंतित था कि जो भी आँकड़े आधार योजना के तहत जुटाए जा रहे हैं वे बाहरी एजेंसी के ज़रिए जुटाए जा रहे हैं और ऐसे में उनकी विश्वसनीयता पूरी तरह सुनिश्चित नहीं की जा सकती.
सुरक्षा का मुद्दा
गृहमंत्री ने कहा, ''यूआईडीआई ने इसे गंभीरता के लिया है और सुरक्षा से जुड़ी सभी चिंताओं को दूर करने के लिए अगले कुछ सप्ताह में इसकी समीक्षा करेगा. अगर आधार और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में कोई विवाद होगा तो राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को ही सही माना जाएगा.''चिदंबरम से सहमति जताते हुए नंदन नीलेकणी ने कहा, ''मैं गृहमंत्री को बधाई देता हूँ कि उन्होंने ऐसा सुझाव दिया है जिसमें दोनों के सबसे अच्छी चीज़ों को रखा गया है. हमने बैठक में यह आश्वासन दिया है कि अप्रैल में हम अगला चरण शुरु करने से पहले अगले छह से आठ हफ्तों में सुरक्षा से जुड़े सभी मुद्दों का समाधान ढूँढ़ने का प्रयास करेंगे.''
योजना आयोग के तहत यूआईडी अथॉरिटी 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पाँच पैमानों पर नागरिकों के आंकडे जुटा रही है. जबकि गृह मंत्रालय के तहत जनगणना आयोग राष्ट्रीय आबादी रजिस्टर तैयार करने जा रहा है जिसमें 15 तरह की जानकारियां ली जा रही हैं.
पहले इन्हें घर घर जा कर लिया गया था जबकि बाकी का काम खासतौर पर लगाए शिविरों में किया जा रहा है.
क्लिक करेंवापस ऊपर चलें
इससे जुड़ी और सामग्रियाँ
इससे जुड़ी ख़बरें
12:40 IST
01.10.11
-
,
30.09.11
-
,
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/
No comments:
Post a Comment