इलाहाबाद, एक फरवरी (एजेंसी) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज हजारे पक्ष के सदस्य शांति भूषण की उस रिट याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने सहायक मु्रदांक आयुक्त के आदेश को चुनौती दी थी। सहायक मु्रदांक आयुक्त ने शांति भूषण को एक सम्पत्ति के संबंध में करीब 1.35 करोड़ रूपये के स्टाम्प शुल्क बचाने का दोषी ठहराया था। उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति अरूण टंडन ने इस मामले में आदेश जारी करते हुए कहा कि भूषण इस विषय पर पंजीयक : स्टाम्प: के स्टाम्प अधिनियम के प्रावधानों के तहत विधिक सुधार के लिए सम्पर्क कर सकते हैं। सहायक मु्रदांक आयुक्त ने छह जनवरी को भूषण को शहर के सम्भ्रांत इलाके में 7,818 वर्ग मीटर की सम्पत्ति खरीदने में स्टाम्प शुल्क बचाने का दोषी करार दिया था। पूर्व केंरदीय मंत्री को बकाया राशि प्रति माह 1.5 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने को कहा गया था जो 29 नवंबर 2010 से प्रभावी था। इस संबंध में 27 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया गया था। भूषण को यह राशि एक महीने में लौटाने का निर्देश दिया गया था। ऐसा नहीं कर पाने की स्थिति में विभाग ने आगे कार्रवाई करने की बात कही थी। वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण 1970 तक इस बंगले में रहते थे, इसके बाद वह नयी दिल्ली चले आए। शांति भूषण ने हालांकि इस सम्पत्ति पर अपना अधिपत्य नहीं छोड़ा और खरीद के समझौते के तहत नवंबर 2010 में इसे खरीदने तक जमीन के मालिक के साथ उनका वाद चलता रहा। स्टाम्प और पंजीयक विभाग ने दावा किया है कि वरिष्ठ अधिवक्ता ने सम्पत्ति की खरीद के लिए मामूली रकम दर्शाई जिस पर देय स्टाम्प शुल्क 46,700 रूपया आंका गया। इस संबंध में भूषण पर कथित 1.35 करोड़ रूपये की स्टाम्प चोरी के लिए फरवरी 2011 में एक नोटिस जारी किया गया। हालांकि भूषण ने कहा कि उनकी ओर से कोई स्टाम्प शुल्क नहीं बचाया गया।
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