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Tuesday, July 8, 2014

निनानब्वे फीसद जन गण पर घात लगाकर हमला बाजार का

निनानब्वे फीसद जन गण पर घात लगाकर हमला बाजार का

पलाश विश्वास


हमने इस बीच सरकारी महकमों और उपक्रमों के अफसरान और कर्मचारियों से कोलकाता,दिल्ली और मुंबई में बात की है।लिख तो रहे हैं लगातार।


मुंबई में रेलवे वालों से रेल बजट पेश होने के बाद रेलवे के निजीकरण के बारे में पूछा तो उनका कहना है कि मुंबई में निजीकरण की कोई चर्चा नहीं है।यही हाल कोलकाता और दिल्ली का है। हम सिर्फ अपने लिक्खाड़ प्रतिबद्ध मित्रों से बाकी गौण मुद्दों को छोड़ आर्थिक नरसंहार के मुद्दों पर फोकस करने का निवेदन कर रहे हैं।


इससे जन जागरण हो या नहीं,किसी एक अंबेडकर,गांधी,नेल्सन मंडेला या मार्टिन लूथर किंग की दृष्टि के बंद दरवाजे खुलें तो भी हालात बदलने की पहल हो सकती है।


इस उम्मीद के सिवाय जो हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं,उनमें किसी तरह का हस्तक्षेप अस्मिताओं के घटाटोप में असंभव है।


रेल मंत्री ने जहां अहमदाबाद-मुंबई रूट पर बुलेट ट्रेन चलाने का ऐलान किया, वहीं रेलवे को विश्वस्तरीय बनाने के लिए टेक्नोलॉजी और एफडीआई के भरपूर इस्तेमाल की इच्छा भी जाहिर कर दी।रेल बजट आने के बाद आज के अहम ऐलानों पर रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने न सिर्फ रेलवे में उम्मीद से ज्यादा निवेश आने की बात कही, बल्कि जल्द से जल्द एफडीआई पर फैसला होने का भरोसा भी जताया।


रेलवे में एफडीआई पर रेल मंत्री ने कैबिनेट से मंजूरी मांगी है। लेकिन, रेलवे ऑपरेशंस में सरकार की विदेशी निवेश लाने की योजना नहीं है। रेलवे के बड़े प्रोजेक्ट पीपीपी के जरिए पूरे किए जाएंगे।रेल मंत्री ने पीपीपी के जरिए बड़े प्रोजेक्ट लाने पर जोर दिया है। साथ ही रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर में एफडीआई लाने के लिए कैबिनेट से मंजूरी मांगी है। पोर्ट को रेलवे से जोड़ा जाएगा और सब्जियों-फलों के लिए स्पेशल स्टोरेज होगा। कोयला खानों के लिए अलग लाइन बनाई जाएगी। यही नहीं अब ट्रेनों में ब्रांडेड खाना मिलेगा और खराब खाने की शिकायत के लिए हेल्पलाइन बनाई जाएगी।


बुलेट ट्रेनों का डायमंड चतुर्भुज बनाया जाएगा और मुंबई-अहमदाबाद के बीच पहली बुलेट ट्रेन चलेगी। बुलेट ट्रेन के लिए 9 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा। आरपीएफ में 17,000 नई भर्तियां होंगी, तो महिला बोगी में महिला सिपाही की तैनाती होगी। रेलवे की ओर से 4,000 महिला कांस्टेबलों की भर्ती की जाएगी।


हालांकि रेलवे की हकीकत पर भा एक नजर डालने की जरूरत है। बुलेट ट्रेन के लिए 9 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है, लेकिन इस साल रेलवे को 1.49 लाख करोड़ रुपये की आमदनी की उम्मीद है। पैसे की कमी के रेलवे के 359 प्रोजेक्ट लटके हैं और 9 साल में 99 योजनाओं का ऐलान हुआ है।



रेल राज्यमंत्री के मुताबिक रेलवे में एफडीआई पर वाणिज्य मंत्रालय को प्रस्ताव दिया है और जल्द एफडीआई पर फैसला होगा। साथ ही बुलेट ट्रेन सपना नहीं बल्कि इसे हकीकत बनाएंगे। फ्रेट कॉरिडोर की हर महीने मॉनिटरिंग होगी और जल्द से जल्द फ्रेट कॉरिडोर का काम पूरा होगा।



नमोमय देश के नई सरकार के रेल बजट से बहरहाल यह भी साफ हो ही गया  कि रेलवे के अलावा इस पूरे देश का किस हद तक निजीकरण किया जाएगा और कहां तक आर्थिक सुधार लागू किए जाएंगे। लेकिन यह संपूर्ण निषिद्ध विषय है और इसी स्थायी गपनीयता प्रयोजन से सूचना निषेदध की गरज से रेलबजट जरिये निजीकरण का ऐलान धर्मयोद्धा प्रधानमंत्री ने कश्मीर से ही किया है।


नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया से तस्वीर भले ही कुछ साफ नजर आती है लेकिन दृष्टि्ंध धर्माध देश के पढ़े लिखे लोग आयकर छूट का कयास लगा रहे हैं या मरणासम्ण ब्राजील फुटबाल के लिए मरसियापढ़ रहे हैं।बहरहाल पूर्व रेलमंत्री का यह बया दलचस्प है कि रेलवे का हेल्थ सही कर दो फिर बुलेट ट्रेन लाओ। अहमदाबाद और मुंबई के बीच क्या कमी है? वहां पहले से ट्रेनें उपलब्ध हैं, तो बुलेट ट्रेन का मतलब क्या? जो इलाके पहले से पिछड़े हैं जैसे छत्तीसगढ़, बिहार, असम, राजस्थान, मध्य प्रदेश वहां के बारे में रेल बजट में कुछ नहीं है।


मोदी सरकार के पहले रेल बजट में उम्मीद के मुताबिक यात्री सुविधाओं पर काफी जोर दिया गया है। केंद्रीय रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने मंगलवार को लोकसभा में बजट पेश करते हुए लोगों के लिए नई सुविधाओं के साथ ही पुरानी सुविधाओं को बेहतर बनाए जाने की घोषणा की। इसमें ट्रेनों में लोगों के लिए पेड वर्कस्टेशन से लेकर ब्रैंडेड खाने जैसी सुविधाएं शामिल हैं। बजट में स्टेशनों पर कई बेहतर सुविधाओं की घोषणा की गई। यात्री अब रिटायरिंग रूम की ऑनलाइन बुकिंग करा सकेंगे। बजट में दी गई मुख्य यात्री सुविधाएं- - इंटरनेट के जरिए प्लैटफॉर्म टिकट बुक हो सकेंगे।

दरअसल ये सहूलियते निजीकरऩ की सार्थक दलीलें हैं और निजीकरण मार्फत ही प्राप्त होनी है ये सुविधाएं।इसीके तहत हाल में ही किराए भाड़े में अच्छी खासी बढोतरी के बाद रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने अपने पहले रेल बजट में किराये-भाड़े का बोझ और नहीं बढाया है। बजट में रेलवे की हालत दुरूस्त करने के लिये सुधारवादी कदमों पर जोर देते हुए निजी तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने के प्रस्ताव किए गए हैं ताकि परियोजनाओं के लिए धन की कमी से निपटा जा सके। लोकसभा में 2014-15 का बजट पेश करते हुए गौड़ा ने यात्री सेवाओं में सुधार, बुलेट ट्रेन की शुरुआत, रेलवे के बुनियादी ढांचे में विदेशी और निजी पूंजी निवेश आकर्षित करने की कई अभिनव पहल की घोषणा की।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इस बार का रेल बजट देश की ग्रोथ बढ़ाने वाला रेल बजट है। नए बजट से यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ेगी और रेल बजट से यात्रा और सुखद बनेगी। अब तक रेलवे पर ध्यान नहीं दिया गया जिसका खामियाजा रेलवे भुगत रहा है।


इस योगाभ्यास का मतलब भी वही पीपी माडल।


अब प्रचार सुनामी यह है कि यह रेलवे बजट भविष्यवादी, वृद्धि आधारित और आम आदमी के लिए है। प्रधानमंत्री के अनुसार रेल बजट में बेहतर सेवा, गति और सुरक्षा को ध्यान में रखा गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि रेल बजट नई सोच के साथ आगे बढ़ने की जरूरत को प्रस्‍तुत करता है। ये बजट रेलवे को आधुनिक बनाने वाला और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है। इसमें नए विजन का समावेश है। उन्‍होंने यह भी कहा कि आजादी के बाद से रेलवे पर समुचित ध्‍यान नहीं दिया गया। जबकि देश के विकास में रेलवे अहम भूमिका निभाता है। पीएम ने कहा कि ये 21वीं सदी का बजट है। इस बजट में जो पहल की गई हैं, उससे विकास की अलग रुपरेखा सामने आएगी।


वहीं विपक्ष ने मोदी सरकार के रेल बजट को बहुत अव्यावहारिक बताया है। पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने मोदी सरकार ने सीधा सवाल करते हुए कहा कि योजनाएं तो बहुत बना ली हैं, लेकिन पैसे कहां हैं। कांग्रेस ने मोदी सरकार के पहले बजट की ये कहते हुए आलोचना की है कि इसमें नया कुछ नहीं है। पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल ने कहा कि एफडीआई, आईटी के अधिक से अधिक इस्तेमाल की बात पहले से ही चल रही है।


बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने हाईस्पीड ट्रेन का तो स्वागत किया है लेकिन साथ ही ये भी पूछा है कि खराब पटरियों को सरकार कैसे ठीक करेगी।


हांलाकि रेल बजट के उम्मीदों पर फेल होने से बाजार में 2 फीसदी की गिरावट आई। सेंसेक्स 518 अंक टूटकर 25582 और निफ्टी 164 अंक टूटकर 7623 पर बंद हुए। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर 3.6-4.2 फीसदी लुढ़के।रियल्टी शेयर 7 फीसदी और पावर शेयर 6.5 फीसदी लुढ़के। कैपिटल गुड्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, मेटल, ऑयल एंड गैस शेयर 5-3 फीसदी टूटे। ऑटो, बैंक, हेल्थकेयर, तकनीकी, आईटी शेयर 2.2-1 फीसदी गिरे। एफएमसीजी शेयर 0.5 फीसदी फिसले।


जबकि बाजार ने आज शुरुआत तेजी के साथ की। बाजार लगातार चौथे दिन नई रिकॉर्ड ऊंचाई पर खुले। निफ्टी ने पहली बार 7800 का स्तर पार किया। सेंसेक्स ने भी तेजी का नया रिकॉर्ड बनाया।सेंसेक्स ने 26190.4 और निफ्टी ने 7808.8 के नए लाइफ हाई बनाए। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी मजबूती दिखी।रेल बजट के बाद बाजार में गिरावट हावी हुई। सेंसेक्स 250 अंक से ज्यादा टूटकर 25900 के नीचे पहुंचा। निफ्टी करीब 100 अंक गिरकर 7700 के नीचे फिसल गया। मिडकैप-स्मॉलकैप शेयर भी टूटे।


दोपहर 2 बजे के बाद बाजार लड़खड़ा गए। कारोबार खत्म होने तक बाजार में गिरावट गहराती चली गई। सेंसेक्स 605 अंक टूटकर 25500 के नीचे पहुंचा। निफ्टी 191 अंक टूटकर 7600 के नीचे फिसला।



कितने लोगों की नौकरियां छिनी जा रही हैं और कितनों की आजीविका ,पिछले तेइस सालों में इसका कोई हिसाब किताब मिला नहीं है।


कितने लोग जल जमीन जंगल आजीविका नागरिकता मनावाधिकार और नागरिक अधिकारों से बेदखल हो गये,किसी के पास यह हिसाब नहीं है।


ममता दीदी ने करोड़ नौकरियां  देने का वायदा किया था। क्या हुआ सबको मालूम है।

रेल बजट में नई रेलगाड़ियों,नई परियोजनाओं,बुलेट ट्रेनों के साथ रेलवे में इक्कीस हजार नौकरियों का झुनझुना बजाने के अलावा विनिवेश,निवेश,विनियंत्रण,विनियमन और निजीकरण की कोई चर्ची कहीं नहीं है।


आम जनाता को तो यह मालूम नहीं है कि यह पीपीपी माडल किस सौंदर्य प्रसादन का नाम है और इसे लगाना है .खाना है या पीना है।


बहरहाल यह गुजरात माडल है।मुक्त बाजार का माडल यानी निनानब्वे फीसद जनता पर घात लगाकर बाजार का हमला।


मुक्त बाजार की एंबुश मार्केटिंग है यह और पूंजी का राजसूयवैदिकी महायज्ञ।


धर्म राजनीति और पूंजी के त्रिभुज से रसायनिक युद्ध है यह जन गण और गणतंत्र के विरुद्ध।


जबकि खबर कुछ इसतरह लिखी जा रही है कि रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने मोदी सरकार का पहला रेल बजट बुलेट ट्रेन और सेमी बुलेट ट्रेन की सौगात से किया। साथ ही भारतीय रेलवे की स्थिति को सुधारने के लिए निजी निवेश को आमंत्रित करने की बात की।


नरेंद्र मोदी ने चुनाव में भारतीय रेलवे का जो ब्लू प्रिंट देश के सामने रखा था, कुछ वैसा ही रेल बजट रेल मंत्री ने पेश किया। मोदी सरकार यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने और सुरक्षा पर ध्यान दिया है। रेलवे को आधुनिक बनाने के लिए सरकार पीपीपी मॉडल पर जोर देगी।


यानी पीपीपी माडल महाअमृत है और इसे चाखने से ही श्रद्धालु जनता को मोक्ष मिल जायेगा और सारी भव बाधाें दूर हो जायेंगी।


श्रमकानूनों में सुधार के बारे में किसी की कोई धारणा नहीं है।


मीडिया के मित्रों ने श्रमसुधारों के बारे में आज एक बड़े अंग्रेजी अखबार में लीड छपने के बाद इस पर अभी आपस में चर्चा शुरु की है,कब लिखेंगे,बता नहीं सकते।


सरकारी उपक्रम ओएनजीसी के सेल आफ पर 35 हजार करोड़ का सौदा फाइनल है।कोल इंडिया को बेचने की पूरी तैयारी है।दूसरी कंपनियों और सस्थानों का सौदा भी तय समझिये।तेल गैस,कोयला,इस्पात,खनन, ऊर्जी,औषधि,बैंकिंग,रेलवे,पोर्ट में आगजनी के बाद रक्षा और आंतरिक सुरक्षा से राष्ट्रद्रोह के  बाद यह जंगल की आग खेतों, खलिहानों, घाटियों, नदियों और समुंदर को भी जलाकर खाक करने वाली है।


लेकिन देश के लोग आंखों पर पट्टी डाले,कानों में रुई ठूंसे बुलेट ट्रेन की धर्मोन्मादी अनंत शपर के ख्वाबगाह में है और कत्लगाहों की कोई खबर उन्हें है नहीं।श्मशान और कब्रिस्तान का दायरा बेहिसाब बढ़ता जा रहा है और हमें सिर्प अपनी सहूलियतों की चिंता है।


इसी बीच सरकार ने सरकारी उपक्रमों की पूंजी का चालीस फीसद हिस्सा म्युच्यल फंड में डालना तय कर लिया है।


सेबी के नियम ऐसे बन रहे हैं कि विदेशी पूंजी विनियमन और विनियत्रण के मारफत पूरा देश और देश के सारे संसाधन विदेशी लूटेरों के हवाले कर दिये जाये।


रेलमंत्री ने एक पंक्ति में बता दिया है कि परिचालन को छोड़कर रेलवे में सर्वत्र निजी पूंजी का स्वागत है।


इसके बावजूद खुद रेलवे वालों को माजरा समझ में नहीं आ रहा है।रेलवे के परिचालन में कितने लोग लगे हैं और बाकी रेलवे में कितने लोग,इसका भी अंदाजा किसी को नही है।


यह बजट इस मायने में अभूतपूर्व है कि बजट सीधे प्रधानमंत्री की निगरानी में बन रहा है और उसमें योजना आयोग की कोई भूमिका नहीं है।


वित्त मंत्री की भूमिका कितनी है और कारपोरेट लाबििंग की कितनी बदली परिभाषाओं, आंकड़ों,रेटिंग और साढ़ों की उछलकूद में उसका भी सही सही अंदाजा लगाना मुश्किल है।


नई सरकार का कोई मुख्य आर्थिक सलाहकार भी नहीं है।


पहलीबार व्यय सचिव और राजस्व सचिव बजट तैयार में खास भूमिका निभार रहे हैं और आर्थिक समीक्षा भी खानापूरी है।


जिस अंदाज में रेलवे के निजीकरण को अंजाम दिया गया और ओएनजीसी का बंटाधार पाइनल हो गया,जनता को सूचना हो या नहीं,शेयर बाजार में हड़कंप मच गया।


सरकारी उपक्रमों और कंपनियों के तमाम शेयरों का सफाया शुरु हो गया है क्योंकि बाजार में उनके शेयर खरीदने वाले लोगों को मालूम हो गया कि बजट अब बूम बूम प्राइवेटाइजेशन है और विनिवेश की बुलेट ट्रेन चल पड़ी है।


हम शुरु से कह रहे हैं कि दाम और भाड़ा बढ़ना कोई बुनियादी परिवर्तन नहीं है।


परिवर्तन है विनियमन और विनियंत्रण का।


परिवर्तन है रक्षा समेत सारे संवेदनशील सेकटरों में शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का।


परिवर्तन है निजीकरण और श्रम कानूनों को खत्म करके श्रमिक तबके की आजीविका छीनने और निजी पूंजी के जरिये पीपीपी माडल मार्फत कृषि जीवी जनगण का नरसंहार का।


बुलेट ट्रेन इसका जीता जागता प्रतीक है।


एक बुलेट ट्रेन पर साठ हजार करोड़ रुपये खर्च होने हैं।


विमानभाड़े से दोगुणी रकम का भाड़ा चुकाने वाले देश के एक फीसद मलाईदार सत्ता वर्ग के अलावा कौन है,किसी को नहीं मालूम।


मुकम्मल रेलबजट में कुल राशि अंतरिम चुनावी रेल बजट से कम है और तमाम पुरानी योजनाएं शुरु न होने के बहाने खारिज है।


मेट्रो और बुलेट ट्रेन परियोजनाओं पर जिसका वर्चस्व होगा,ओएनजीसी की हत्या से फायदा उसीको होगा।


रेलवे निर्माण विनिर्माण कंपनियों में हड़कंप इस भावी एकाधिकार से भी मचा है।


रेलवे की पुरानी परियोजनाएं नई बेशकीमती बुलेट ट्रेन सरीखी परियोजनाओं में निजी देशी विदेशी पूंजी के इंतजार में खारिज की जा रही हैं तो विकास के लंबित लाखों करोड़ की परियोजनाओं को तमाम कायदा कानून के निजी पूंजी के हक में हरी झंडी दे दी जा रही है।


जल जंगल जमीन आजीविका और नागरिकता,मानवाधिकार और नागरिक अधिकारों से बेदखली के लिए राष्य्र की युद्ध घोषणा भी निजी पूंजी के हक में है।


बजट सत्र की पूरी प्राविधि और प्रक्रिया,संसदीय राजनीति कुल मिलाकर नब्वे फीसद जनता के खिलाफ घात लगाकर हमला है।क्योंकि जनता को इस एकाधिकारवादी जसंहारक हमले के बारे में कोई खबर ही नहीं है।अब जनांदोलन से बड़ा कार्यभार तो मूक वधिर बहुसंख्य जनगण को हकीकत बता देने की है, जिसकी हिम्मत पढ़ा लिखा तबका कर नहीं रहा है।


लोग प्रत्यक्ष विदेशी निवेश,विनियमन और विनियंत्रण का विरोध नहीं कर रहे हैं।


विनिवेश के खिलाफ कोई आवाज बुलंद नहीं हो रही है।


रेलवे भाड़े को फ्यूल सरचार्ज से जोड़ दिया गया है और तेल गैस की कीमतें विनिंत्रित हैं, जो बाजार दरों से संबध्द होने के कारण बिना सरकारी हस्तक्षेप के बदलती रहती हैं।


इस तरह बिना रेलवे भाड़े को विनियंत्रित किये फ्यूल चार्ज के जरिये रेलभाड़े को भी डीरेगुलेट डीकंट्रोल कर दिया।


जैसे मुंबई मेट्रों के किराये रिलायंस ने तय किये हैं,उसीतरह रेलभाड़ा और तमाम सेवाओं की कीमतें निजी पूंजी के पीपीपी माडल जरिये देशी विदेशी निजी कंपनियां करेंगी।


रेल भाड़ा के खिलाफ राजनीतिक नौटंकी में ये मुद्दे सिरे से अनुपस्थित हैं।


जबकि भारतीय रेल नेटवर्क को विश्वस्तरीय बनाने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन आज के रेल बजट में साफ दिखा। रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने बजट भाषण में कई ऐसे ऐलान किए जो मोदी विजन को पुख्ता करते हैं। इनमें पहला ऐलान है- देश में बुलेट ट्रेन चलाने का। रेल मंत्री ने बताया कि मुंबई-अहमदाबाद रूट पर बुलेट ट्रेन चलाई जाएगी। यही नहीं, हाई स्पीड ट्रेनों का एक डायमंड चतुर्भुज भी बनाने का ऐलान हुआ है, जो देश के चार महानगरों को एक-दूसरे से जोड़ेगा। इस प्रोजेक्ट पर 9 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। रेलवे की योजना 9 चुनिंदा सेक्टरों में ट्रेनों की स्पीड को 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक करने की भी है।


नरेंद्र मोदी के विजन के मुताबिक कई स्टेशनों को इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के मुताबिक विकसित किया जाएगा। साथ ही, पूरे देश में रेलवे की सर्विस को विश्वस्तरीय बनाने के लिए जिन सुविधाओं की बात की जा रही है, उनके लिए बड़े पैमाने पर संसाधनों की जरूरत है। इसके लिए सरकार पीपीपी मॉडल को बढ़ावा देने के अलावा रेलवे के आंतरिक संसाधनों और एफडीआई का भी सहारा लेगी। रेल मंत्री ने साफ किया कि रेलवे के जो भी नए प्रोजेक्ट आएंगे, उनके लिए संसाधन पीपीपी मॉडल के जरिए ही जुटाए जाएंगे।


रेल मंत्री ने इस बजट में ज्यादा नई ट्रेनों का ऐलान नहीं किया। कुल 58 नई ट्रेनों का ऐलान किया गया जिनमें बुलेट ट्रेन के अलावा 5 जनसाधारण, 5 प्रीमियम और 6 एसी एक्सप्रेस ट्रेन और 27 नई एक्सप्रेस ट्रेन चलाने की घोषणा की गई है। इसके अलावा 8 नई पैसेंजर ट्रेनें चलाई जाएंगी और 11 ट्रेनों के दायरे बढ़ाए जाएंगे। कुल मिलाकर इस रेल बजट के जरिए मोदी सरकार ने ये संकेत दे दिए कि रेलवे को विश्वस्तरीय बनाने के उसके फॉर्मूले में तीन चीजों- स्पीड, सिक्योरिटी और सर्विस पर ही सबसे ज्यादा जोर रहेगा।



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मंगलवार को संसद में पेश रेल बजट में पारदर्शिता और ईमानदारी पर ध्यान दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि रेलवे बजट भारत के विकास को जहन में रखता है।

यह रेलवे बजट भविष्यवादी, वृद्धि आधारित और आम आदमी के लिए है। प्रधानमंत्री के अनुसार रेल बजट में बेहतर सेवा, गति और सुरक्षा को ध्यान में रखा गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि रेल बजट नई सोच के साथ आगे बढ़ने की जरूरत को प्रस्‍तुत करता है। ये बजट रेलवे को आधुनिक बनाने वाला और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है। इसमें नए विजन का समावेश है।

उन्‍होंने यह भी कहा कि आजादी के बाद से रेलवे पर समुचित ध्‍यान नहीं दिया गया। जबकि देश के विकास में रेलवे अहम भूमिका निभाता है।   

पीएम ने कहा कि ये 21वीं सदी का बजट है। इस बजट में जो पहल की गई हैं, उससे विकास की अलग रुपरेखा सामने आएगी। हमने बहुत कम समय में ज्‍यादा काम किया है और पहली बार रेलवे के लिए विकास वाला बजट पेश किया गया। उन्‍होंने कहा कि रेल के माध्‍यम से देश को ऊंचाइयों पर पहुंचाने का हमारा मकसद है। इसमें विकास के साथ विस्‍तार पर भी ध्‍यान दिया गया है। विकास की गति को, विकास की ऊंचाई को आरंभ किया गया है। इससे देश के विकास को काफी तेज गति मिलेगी।

उन्होंने बाद में अपने एक वक्तव्य में कहा, '----लंबे समय के बाद देश अनुभव करेगा कि हमारी रेलवे वाकई भारतीय रेलवे है।' उन्होंने कहा कि रेलवे सिर्फ परिवहन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह 'विकास का इंजन' है और यह बजट साबित करेगा कि रेलवे देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

मोदी ने कहा, '2014 से हमने विकास को नई ऊंचाई पर ले जाने की प्रक्रिया शुरू की है। मुझे विश्वास है कि रेल यात्रियों को सुखद अनुभव होगा।' उन्होंने कहा कि यह बजट आम आदमी के लिए है क्योंकि इसमें देश के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के साथ बेहतर सेवा, गति और सुरक्षा प्रदान करने की आकांक्षा है।

उन्होंने कहा कि यह बजट दर्शाता है कि सरकार रेलवे के लिए भारत को आगे ले जाना चाहती है क्योंकि इसमें सांस्थानिक तंत्र, पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा को मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि बजट विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर ध्यान देता है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रेलवे जैसी संस्थाओं को तदर्थ तरीके से नहीं चलाया जा सकता। उन्होंने कहा, 'फैसला करने, दृष्टि और पहल के लिए सांस्थानिक तंत्र की आवश्यकता है।'



PRIVATE Railway

The BSE Sensex and Nifty slumped more than 2 percent on Tuesday, marking their biggest single-day fall in over 10 months and retreating from record highs hit earlier in the session, after the railway budget raised worries the government would slash spending.

The railways budget has revised up the plan outlay to 654.45 billion rupees for 2014/15, up 1.8 percent compared with the interim budget's estimate of 643.05 billion rupees, but lower than market's expectations, traders said.

Analysts also said the plan in the railway budget to seek private funding for new projects did not provide enough details on how it would attract investors.

The railway plans set up expectations the government would slash spending when it unveils its federal budget on Thursday. Although equity investors are keen to see fiscal discipline, analysts also warn that big cuts in spending could hurt earnings in sectors such as railways that depend on state investments.

Finance Minister Arun Jaitley reiterated his message of fiscal discipline on Tuesday by separately saying a "judicious balance" should be struck between expenditure and tax collections.

Profit-taking after a string of record highs in previous sessions coupled with overseas institutional investors' sales of 14.87 billion rupees ($248.45 million) in equity derivatives on Monday, also aided risk aversion.

"The budgeted outlay in railway is just in line with the inflation rate. One should expect the federal budget to be even tighter on spending as situation for broader economy is much worse than for railways," said G. Chokkalingam, founder of Equinomics, a research and fund advisory firm.



India says private funds will help rail system, but details unavailable

BY TOMMY WILKES

NEW DELHI Tue Jul 8, 2014 4:07pm IST

Railway Minister Sadananda Gowda (C) poses after giving the final touches to the railway budget for the 2014/15 fiscal year, in New Delhi July 7, 2014. REUTERS/Adnan Abidi

Railway Minister Sadananda Gowda (C) poses after giving the final touches to the railway budget for the 2014/15 fiscal year, in New Delhi July 7, 2014.

CREDIT: REUTERS/ADNAN ABIDI

(Reuters) - Prime Minister Narendra Modi's new government has nudged up spending on India's wobbly railways and will seek private funding for new projects, the rail minister said without giving details on how he will attract investors.

Markets reacted negatively to the railways budget presented on Tuesday, after high expectations that Modi's government would use its first major economic policy statement to detail widespread reform.

The state-owned railway, the world's fourth-largest, has suffered from years of low investment and populist policies that have kept fares low. This has turned a once-mighty system into a slow, badly-congested network that crimps economic growth.

The railway costs the government's public finances around 300 billion rupees ($5 billion) a year in subsidies.

"The bulk of our future projects will be... by the PPP model," Railway Minister Sadananda Gowda told the parliament in his first budget, referring to public-private partnerships.Gowda's speech promised to get the railway's finances in order, complete long-delayed projects and jumpstart ambitious plans for high-speed rail, but was short on details of how these goals would be met and how foreign direct investment (FDI) would be attracted.

The government revised up planned spending to 654.45 billion rupees ($10.95 billion) for the year ending in March 2015, up 1.8 percent from an interim budget made in February by the last government.

It calculates investment in the network through public-private partnerships in 2014/15 to total 60.05 billion rupees, more than in the interim budget, but a fraction of the cash needed to overhaul the network.

RELIC FROM BRITISH RULE

The use of a railway budget separate from the national one is a relic of British rule, when the network was the country's major industrial asset and a major revenue earner. Finance Minister Arun Jaitley presents the full federal budget on Thursday.

"There is nothing in this entire budget which tells you how they will make it attractive for private sector," said Manish R. Sharma, executive director of capital projects and infrastructure at PwC India.

"Given that in the past PPP has not taken off in railways...it would be very important to see how they come up with implementable mechanisms which the private sector will buy," he said.

Stock investors also expressed doubts about the prospects for PPPs, with shares in railway-related stocks falling after the speech. Texmaco Rail & Engineering fell 8 percent and was down 20 percent by 0940 GMT while Titagarh Wagons dropped 5 percent.

"Budgeted outlay is looking below expectations as the government is looking for more private partnerships now than in previous occasions," said Deven Choksey, managing director at KR Choksey securities.

Reform of the railways has long proven politically sensitive. Successive governments have backed away from modernization, preferring instead to use the system to provide cheap transport for voters, and jobs for 1.3 million people.

($1 = 59.7400 Indian Rupees)

(Additional reporting by Malini Menon, Manoj Kumar, Aditya Kalra, Suvashree Dey Choudhury and Abhishek Vishnoi; Editing by Frank Jack Daniel and Richard Borsuk)



Sensex slumps in late trade

Capital Market  

July 8, 2014 Last Updated at 15:45 IST

Key benchmark indices tumbled in late trade. The barometer index, the S&P BSE Sensex, fell below 26,000 level after hitting record high in early trade. The Sensex hit one-week low. The 50-unit CNX Nifty hit its lowest level in more than a week. The Sensex was provisionally down 578.32 points or 2.22%, off close to 670 points from the day's high and up about 25 points from the day's low. The market breadth indicating the overall health of the market was weak, with more than two losers for every gainer on BSE. The BSE Mid-Cap index dropped almost 4%. The BSE Small-Cap index plunged over 4%. The sharp decline on the bourses came after Railway Budget 2014-15 was tabled by Railway Minister Sadananda Gowda in Lok Sabha. The sharp slide on the bourses comes just two days ahead of the Presention of the Union Budget for 2014-15 on Thursday, 10 July 2014.

Bank stocks dropped. Rail stocks plunged after the announcement of Railway Budget 2014-15.

Major announcements in Railway Budget 2014-15 include prioritizing completion of the ongoing projects, proposal to mobilise resources for Railways through surplus of Railway PSUs, FDI and PPP, periodic revision in passenger fare and freight rates which is linked to revisions in fuel prices, proposal to launch bullet trains starting with Mumbai-Ahmedabad sector and a Diamond Quadrilateral Network of High Speed Rail connecting major metros and growth centers of the country. To help mobilization of resources for the railways, the Ministry of Railways is seeking Cabinet approval to allow FDI in rail sector. The bulk of the future projects of the Railways will be financed through PPP mode, including the high-speed rail which requires huge investments. With an increase in both passenger fare and freight rate already announced last month, there was no change in passenger fare and freight rates in the Rail Budget.

As per provisional figures, the S&P BSE Sensex was down 578.32 points or 2.22% to 25,521.76. The index dropped 605.04 points at the day's low of 25,495.04 in late trade, its lowest level since 1 July 2014. The index rose 90.36 points at the day's high of 26,190.44 in early trade, a lifetime high of the index.

The CNX Nifty was down 184.30 points or 2.37% to 7,602.85, as per provisional figures. The index hit a low of 7,595.90 in intraday trade, its lowest level since 30 June 2014. The index hit a high of 7,808.85 in intraday trade, a lifetime high of the index.

The total turnover on BSE amounted to Rs 4279 crore, higher than Rs 4205.06 crore on Monday, 7 July 2014.

The market breadth indicating the overall health of the market was weak, with more than two losers for every gainer on BSE. On BSE, 2,230 shares declined and 769 shares rose. A total of 97 shares were unchanged.

The BSE Mid-Cap index was down 346.93 points or 3.63% at 9,210.21. The BSE Small-Cap index was down 442.77 points or 4.19% at 10,128.01. Both these indices underperformed the Sensex.

Among the 30 Sensex shares, 27 fell and only three shares rose. Bharat Heavy Electricals (Bhel) (down 7.84%), NTPC (down 5.33%) and Tata Power Company (down 5.27%) edged lower from the Sensex pack.

Bank stocks dropped. Among PSU bank stocks, State Bank of India (SBI) (down 3.94%), Canara Bank (down 4.64%), Union Bank of India (down 8.86%), Bank of India (down 5.74%), Bank of Baroda (down 3.97%) and Punjab National Bank (down 3.98%) declined.

Among private sector banks, ICICI Bank (down 3.58%), Yes Bank (down 3.42%), Federal Bank (down 6.24%), HDFC Bank (down 1.18%), Kotak Mahindra Bank (down 0.65%) and Axis Bank (down 2.95%), declined.

IndusInd Bank dropped 1.47%. The bank announces Q4 results tomorrow, 9 July 2014.

Shares of companies whose fortunes are linked to orders from Indian Railways edged lower after the presentation of Railway Budget. Texmaco Rail & Engineering (down 19.84%), Titagarh Wagons (down 4.99%), Kernex Microsystems (India) (down 4.94%), BEML (down 5%), Kalindee Rail Nirman (Engineers) (down 4.99%), Stone India (down 4.92%), NELCO (down 4.99%), Simplex Casting (down 8.45%), Zicom Electronic Security Systems (down 4.96%) and Container Corporation of India (down 7.12%) edged lower.

A bout of volatility was witnessed as key benchmark indices trimmed gains after opening on a firm note. The barometer index, the S&P BSE Sensex, and the 50-unit CNX Nifty, both scaled record high. Volatility continued as key benchmark indices reversed initial gains in morning trade. Volatility continued as key benchmark indices weakened once again after cutting entire intraday losses in early afternoon trade as Railway Minister Sadananda Gowda started presenting the final Railway Budget for 2014-15 in Lok Sabha today, 8 July 2014. Key benchmark indices extended losses in afternoon trade. The Sensex extended losses and hit fresh intraday lows in mid-afternoon trade. The Sensex slumped in late trade.

With Railway Budget over, the focus will shift to final Union Budget for 2014-15 due on Thursday, 10 July 2014. Finance Minister Arun Jaitley will present the final Union Budget for 2014-15 in Lok Sabha at 11:00 IST on Thursday, 10 July 2014. Before that, the Finance Ministry will table Economic Survey for 2013-14 tomorrow, 9 July 2014.

There are expectations that the finance minster will announce measures in the Budget aimed at bolstering economic growth. Increase in outlay on infrastructure sector with focus on stricter and time-bound implementation of projects, initiatives towards investments in agriculture and irrigation aimed at easing supply bottlenecks for food-grains, fiscal prudence with roadmap to reduce the fiscal deficit, a roadmap for reducing the subsidy burden and timeline for implementation of the Goods and Services Tax are some of the expectations from the Budget.

In the foreign exchange market, the rupee edged higher against the dollar. The partially convertible rupee was hovering at 59.865, compared with its close of 60.0125/0225 on Monday, 7 July 2014.

European shares were trading lower on Tuesday, 8 July 2014, before earnings announcements. Key benchmark indices in UK, France and Germany were down by 0.42% to 0.78%.

Most Asian stocks edged higher in choppy trade on Tuesday, 8 July 2014. Key benchmark indices in China, South Korea, Taiwan and Indonesia rose 0.08% to 0.72%. Hong Kong's Hang Seng was flat. Key benchmark indices in Singapore and Japan were off 0.25% to 0.42%.

Trading in US index futures indicated that the Dow could fall 21 points at the opening bell on Tuesday, 8 July 2014. US stocks fell Monday, 7 July 2014, on profit booking after Dow Jones Industrial Avergae and the S&P 500 index hit record high last week.




রেল বাজেটে পশ্চিমবঙ্গের ঝুলি কার্যত শূন্য

নরেন্দ্র মোদী সরকারের প্রথম রেল বাজেটে প্রাপ্তির ঝুলি কার্যত শূন্যই রইল মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের পশ্চিমবঙ্গে। রেল বাজেট নিয়ে আপামর বাঙালির প্রত্যাশা ছিল রেলমন্ত্রীর কাছে। দেশ জুড়ে রেলের উন্নয়ন, যাত্রী সুরক্ষা, নতুন ট্রেন চালু করার মতো বিষয়গুলি বাজেটে থাকলেও পশ্চিমবঙ্গ কিন্তু পারতপক্ষে বঞ্চিতই। প্রাথমিক ভাবে হাওড়া-বেলদা মেমু সম্প্রসারণ ও শালিমার-চেন্নাই প্রিমিয়াম ট্রেন চালু করার কথা বলা হয়েছে রেল বাজেটে।

০৮ জুলাই, ২০১৪

পদ খালিই, বাজেট তৈরিতে উদ্যোগী মোদী

2

ইলা পট্টনায়ক


প্রেমাংশু চৌধুরী

নয়াদিল্লি, ৮ জুলাই, ২০১৪, ০৩:২৩:২২

অর্থ মন্ত্রকে কোনও মুখ্য অর্থনৈতিক উপদেষ্টা নেই। প্রধানমন্ত্রীর আর্থিক উপদেষ্টা পরিষদ বলেও কিছু নেই। নেই পরিষদের চেয়ারম্যানও। যোজনা কমিশনের উপাধ্যক্ষ হিসেবেও কাউকে নিয়োগ করা হয়নি।

কেন্দ্রীয় সরকারেরই বিভিন্ন মন্ত্রকের অন্দরমহলের আড্ডার অন্যতম বিষয়, এ বার তা হলে বাজেট তৈরি করছেন কারা?

প্রশ্ন ওঠা স্বাভাবিক। কারণ প্রতি বছর বাজেটের সময় উপরে বলা তিন চরিত্রই গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করেন। অথচ নরেন্দ্র মোদী সরকারের প্রথম বাজেট তৈরির সময় এই পদগুলিতে কেউই নেই। বাজেটের ক্ষেত্রে চিরাচরিত নীতি হচ্ছে, যোজনা কমিশনের উপাধ্যক্ষ ও প্রধানমন্ত্রীর আর্থিক উপদেষ্টা পরিষদের চেয়ারম্যান বাজেট তৈরির সময় অভিভাবকের ভূমিকা পালন করেন। অর্থ মন্ত্রকের মুখ্য অর্থনৈতিক উপদেষ্টা অর্থমন্ত্রীকে নীতি সংক্রান্ত পরামর্শ দিয়ে থাকেন। তিনিই অর্থনৈতিক সমীক্ষা তৈরির দায়িত্বে থাকেন। ১০ জুলাই বাজেট পেশের আগের দিন সংসদে অর্থনৈতিক সমীক্ষা পেশ হবে। যাতে দেশের অর্থনীতির হালহকিকত ফুটে উঠবে।

মন্টেক সিংহ অহলুওয়ালিয়ার ছেড়ে যাওয়া পদে নরেন্দ্র মোদী সরকার এখনও কাউকে যোজনা কমিশনের উপাধ্যক্ষ হিসেবে নিয়োগ করেনি। মনমোহন সিংহের আর্থিক উপদেষ্টা পরিষদের চেয়ারম্যান সি রঙ্গরাজনও পদত্যাগ করেছেন। সেখানেও কাউকে নিয়োগ করা হয়নি। তা হলে বাজেট তৈরিতে এ বার মুখ্য ভূমিকায় রয়েছেন কারা? অর্থ মন্ত্রক সূত্রের খবর, বাজেট তৈরির প্রস্তুতিতে মূলত তিনটি দল কাজ করছে। প্রথম সারিতে রয়েছেন প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদী নিজে। তাঁর সঙ্গে রয়েছেন অর্থমন্ত্রী অরুণ জেটলি এবং প্রতিমন্ত্রী নির্মলা সীতারামন। দ্বিতীয় দলে রয়েছেন অর্থসচিব অরবিন্দ মায়ারাম, রাজস্বসচিব শক্তিকান্ত দাস, ব্যয়সচিব রতন ওয়াতাল ও অন্যান্য সচিব। এঁদের মধ্যে সব থেকে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা নিচ্ছেন রাজস্বসচিব ও ব্যয়সচিব। কারণ তাঁদেরকেই আয় বাড়ানো, করের নতুন উৎস সন্ধান এবং ব্যয় ছাঁটাই নিয়ে মাথা ঘামাতে হচ্ছে। তৃতীয় দলটিতে রয়েছেন প্রধান আর্থিক উপদেষ্টা ইলা পট্টনায়ক। তিনিই সমীক্ষা তৈরির কাজটি দেখাশোনা করছেন। কেন্দ্রীয় মন্ত্রীদের পাশাপাশি ইলা পট্টনায়ক ও শক্তিকান্ত দাস বাজেটে কী ভূমিকা নেন, তা দেখার অপেক্ষায় রয়েছে শিল্পমহল।

ইলা পট্টনায়ক দিল্লির 'ন্যাশনাল ইনস্টিটিউট অব পাবলিক ফিনান্স'-এর অধ্যাপক। তাঁকে প্রধান অর্থনৈতিক উপদেষ্টার পদে নিয়োগ করা হলেও মুখ্য অর্থনৈতিক উপদেষ্টার পদে কাউকে বসানো হয়নি। বস্তুত ইউপিএ জমানার শেষ পর্বেও ওই পদটি খালি ছিল। আসলে রঘুরাম রাজন রিজার্ভ ব্যাঙ্কের গভর্নরের দায়িত্বে চলে যাওয়ার পর থেকেই পদটি ফাঁকা। ইলা অর্থ মন্ত্রকে যোগ দেওয়ার আগে পর্যন্ত রঘুরামের নেতৃত্বে রিজার্ভ ব্যাঙ্কের নীতি নিয়ে সমালোচনায় মুখর ছিলেন। তিনিই এ বার প্রধান অর্থনৈতিক উপদেষ্টা হিসেবেই অর্থনৈতিক সমীক্ষা তৈরির কাজ দেখছেন।

এ বারের বাজেটে রাজস্বসচিব শক্তিকান্ত দাসের ভূমিকা যথেষ্ট তাৎপর্যপূর্ণ। মোদী ক্ষমতায় আসার পরেই রাজস্বসচিবের পদ থেকে রাজীব টাকরুকে সরিয়ে তামিলনাড়ু ক্যাডারের আইএএস অফিসার শক্তিকান্ত দাসকে নিয়ে আসা হয়। তিনি তামিলনাড়ুতে শিল্পসচিব হিসেবে এসইজেড তৈরিতে অগ্রদূতের ভূমিকায় ছিলেন। মোদী সরকার যখন দেশের এসইজেড-গুলিকে চাঙ্গা করার চেষ্টা করছেন, সে সময় শক্তিকান্তর অভিজ্ঞতা গুরুত্বপূর্ণ হয়ে উঠবে। শক্তিকান্ত থেকে শুরু করে অর্থ মন্ত্রকের শ'খানেক আমলা অবশ্য এখন নর্থ ব্লকে বন্দি। কারণ ২ জুলাই থেকে বাজেট নথি ছাপানোর কাজ শুরু হয়ে গিয়েছে। বাজেট পেশের পরেই তাঁরা পরিবারের সঙ্গে দেখা করতে পারবেন।

http://www.anandabazar.com/national/%E0%A6%AA%E0%A6%A6-%E0%A6%96-%E0%A6%B2-%E0%A6%87-%E0%A6%AC-%E0%A6%9C-%E0%A6%9F-%E0%A6%A4-%E0%A6%B0-%E0%A6%A4-%E0%A6%89%E0%A6%A6-%E0%A6%AF-%E0%A6%97-%E0%A6%AE-%E0%A6%A6-1.48431


লাইভ খবর

08 Jul, 2014 , 11.38AM IST

LIVE: রেল বাজেট ২০১৪

03:20 PM'বাংলা বঞ্চিত হলে চুপ করে থাকব না।' রেল বাজেটের পর এমনই প্রতিক্রিয়া দিলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।

02:06 PM'সদানন্দ গৌড়াকে যা লিখে দেওয়া হয়েছিল, তা তিনি তাড়াতাড়ি পড়ে শুনিয়েছেন।' -- আরজেডি সু্প্রিমো লালু প্রসাদ যাদব

02:05 PM'এই বাজেট ভারতের জন্য অত্যন্ত লাভবান প্রমাণিত হবে।' -- কেন্দ্রীয় মন্ত্রী রবিশঙ্কর প্রসাদ

02:04 PM'কয়েক জন হজম করতে পারছে না যে, অসাধারণ রেল বাজেট পেশ করা হয়েছে।' - কেন্দ্রীয় মন্ত্রী বেঙ্কাইয়া নায়ডু

02:03 PMরেল বাজেটে প্রতিক্রিয়া দিতে গিয়ে রাহুল গান্ধী বললেন, 'রেলবাজেট দিশাহীন, বাস্তবসম্মত নয়। কংগ্রেসশাসিত রাজ্যগুলি কিছুই পায়নি। কেরালা, পশ্চিমবঙ্গ বঞ্চিত।'

01:43 PMএটি একবিংশ শতাব্দীর বাজেট। এটি আধুনিক বাজেট, যেখানে বিজ্ঞান এবং তথ্য-প্রযুক্তির ওপর জোর দেওয়া হয়েছে- প্রধানমন্ত্রী

01:43 PM'দের আয়ে দুরুস্ত আয়ে'-- রেল বাজেটের পর নিজের প্রতিক্রিয়ায় এমনই মন্তব্য প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদীর। বললেন, '২০১৪ থেকে রেলের উন্নতির যাত্রা শুরু হবে। এই বাজেট স্বচ্ছতা এবং উন্নয়নে জোর দিয়েছে। বহু দিন পর ভারতবাসী অনুভব করবেন যে এটি ভারতীয় রেল বাজেট। নাগরিককে অধিক সুরক্ষা এবং পরিষেবা দেবে এই রেল বাজেট।'

01:20 PMরেলমন্ত্রীর বাজেট ভাষণ শেষের পর সংসদে হাঙ্গামা। ২টো পর্যন্ত সংসদের কাজকর্ম স্থগিত।

01:18 PMবাংলার ঝুলিতে মাত্র ২টি এক্সপ্রেস ট্রেন। হাওড়া-পারাদ্বীপ সাপ্তাহিক এক্সপ্রেস এবং শালিমার-চেন্নাই এসি এক্সপ্রেস।

01:15 PM৩০ সেপ্টেম্বরের পর এক্সপ্রেস ট্রেনের সমস্ত অপ্রয়োজনীয় স্টপেজ বন্ধ করা হবে। বেশি স্টেশনে দাঁড়াবে না এক্সপ্রেস ট্রেন।

01:14 PMবেঙ্গালুরুতেও লোকাল ট্রেন চালুর কথা বললেন সদানন্দ গৌড়া।

01:13 PMচালু হবে ৫টি জনসাধারণ ট্রেন।

01:12 PMরেলমন্ত্রীর ভাষণের মাধপথেই সংসদে হাঙ্গামা।

01:12 PM

01:10 PM১৮টি নতুন লাইনের জন্য সার্ভে করা হবে। কেদারনাথ এবং বদ্রীনাথের জন্যও রেললাইনের সার্ভে করা হবে।

01:09 PMরেলের কাজে ডিজিটাইজেশন। ৫ বছর কোনও কাগজ ব্যবহার করা হবে না। যাত্রীদের জন্য এসএমএস পরিষেবা। সমস্ত তথ্য পাওয়া যাবে এখানে। এসএমএস-এ রেলের ওয়েক-আপ কল।

01:08 PMউত্তর-পূর্বাঞ্চলের জন্য প্রকল্প। ৫ হাজার কোটি টাকা ব্যয় বরাদ্দ।

01:07 PMমুম্বইয়ের জন্য ২ বছরে বাড়তি ৮৬৪টি ইএমইউ।

01:04 PMরেল বিশ্ববিদ্যালয় গড়ে তোলা হবে।

01:04 PMবিশেষ মিল্ক ট্যাঙ্কার ট্রেন আনা হবে।

01:03 PMসবজি এবং ফলের জন্য তাপনিয়ন্ত্রিত স্টোরেজ ব্যবস্থা।

01:03 PMই-টিকিট বুকিংয়ের গতি মিনিটে ৭২০০ করা হবে। এক সঙ্গে ১ লক্ষ ২০ হাদার জন লগ-ইন করতে পারবেন।

01:00 PMবিশ্বস্তরীয় সুবিধার জন্য প্রাইভেট সেক্টরের সাহায্য নেওয়া হবে। বিমানবন্দরের জন্য ১০টি বড় স্টেশনের দেখাশোনা পিপিপি মডেলে করা হবে।

12:56 PMএবার রেল ১.৪৯ লক্ষ কোটি টাকা আয় করতে পারে। যাত্রীসংখ্যাও ২ শতাংশ বাড়বে।

12:55 PMA-1 এবং A ক্যাটাগরির স্টেশনে এবং কয়েকটি ট্রেনে ওয়াই-ফাই সুবিধা থাকবে।

12:53 PMতীর্থস্থানের জন্য বিশেষ ট্রেন শুরু করার পরিকল্পনা।

12:53 PMটিকিট বুকিংয়ের সুবিদা বাড়ানো হবে। পোস্ট অফিসেও রেল টিকিট পাওয়া যাবে।

12:52 PMমুম্বই-আমেদাবাদে চালানো হবে বুলেট ট্রেন।

12:52 PM৯টি রুটে চালানো হবে হাই স্পিড ট্রেন। দিল্লি-চণ্ডীগড়, দিল্লি-আগরা, দিল্লি-কানপুর রুট এর মধ্যে সামিল। ১৬০-২০০ কিমি প্রতিঘণ্টার স্পিড থাকবে।

12:50 PMরেলে হবে হীরক চতুর্ভূজ প্রকল্প। ১০০ কোটি টাকা ঘোষণা এই প্রকল্পের জন্য।

12:47 PMশিক্ষা-ক্রীড়ায় নজির গড়লে রেলকর্মীদের বাড়ত সুবিধা। রেলকর্মীদের জন্য স্বাস্থ্য যোজনা।

12:45 PMপরিচ্ছন্নতায় নজর রাখতে সিসিটিভি ব্যবস্থা।

12:44 PM১৩ লক্ষ ১০ হাজার রেল কর্মীর উন্নতির জন্য, কর্মী প্রতি ৮০০ টাকা ব্যয় করা হবে।

12:42 PMপরীক্ষামূলক ভাবে অটোমেটিক টিকিট ভেন্ডিং মেশিন চালু করা হবে।

12:42 PMআরপিএফের রেসকিউ টিম তৈরি করা হবে। তাঁদের মোবাইল নম্বর দেওয়া থাকবে। যাতে যাত্রীরা যোগাযোগ করতে পারেন।

12:41 PMজ্বালানির দাম বাড়লে ভাড়া বাড়বে, জানালেন সদানন্দ গৌড়া।

12:41 PMক্রসিংগুলিকে আল্ট্রাসনিক গেট বসবে।

12:40 PMনিরাপত্তার খাতিরে আরপিএফ-এ ১৭ হাজার পুরুষ এবং ৪০০০ মহিলা কনস্টেবলও নিযুক্ত করা হবে।

12:39 PM১১,৫৬৬টি রক্ষিবিহীন লেভেল ক্রসিংয়ে রক্ষী দেওয়া হবে।

12:38 PM৫০টি স্টেশনে পরিচ্ছন্নতার কাজ আউটসোর্স করা হবে। লাগানো হবে সিসিটিভি।

12:37 PMবেডরোলের পরিচ্ছন্নতার জন্য মেকানাইজড লন্ড্রির ব্যবস্থা।

12:36 PMভাড়াবৃদ্ধিতে রেলের ৮ কোটি টাকা অতিরিক্ত আয় হয়েছে।

12:36 PMপরিচ্ছন্নতার বিষয়ে রেলের কাছে বড় চ্যালেঞ্জ।

12:35 PMপরিষেবা এবং সুবিধার জন্য প্রাইভেট সেক্টরের সাহায্য নেওয়া হবে। বড় ব্র্যান্ডের প্যাকড রেডি টু ইট খাবার পাওয়া যাবে। খাদ্যের গুণমান বৃদ্ধির প্রস্তাব। স্টেশনে ফুডকোর্ট স্থাপনের প্রস্তাব। এ জন্য নয়াদিল্লি-অমৃতসর এবং নয়াদিল্লি-জম্মু তাওয়াই স্টেশনগুলিতে পাইলট প্রোজেক্ট।

12:34 PMঅফিস-অন-হুইলস: বিশেষ ট্রেনে ইন্টাপনেট এবং ওয়ার্ক স্টেশনের ব্যবস্থা। চালানো হবে পাইলট প্রোজেক্ট।

12:33 PMযাত্রী সুবিধার জন্য এক্সকেলেটর এবং ব্যাটারি চালিত গাড়ি।

12:33 PMরেল প্রকল্পের জন্য বিদেশি বিনিয়োগ দরকার। এফডিআই-র জন্য ক্যাবিনেটের মঞ্জুরি নেওয়া হবে-- রেলমন্ত্রী

12:31 PMরেলের আয় লক্ষ্যমাত্রা থেকে ৪২০০ কোটি টাকা কম-- রেলমন্ত্রী

12:31 PMপুরনো প্রকল্প শেষ করতে ৫ লক্ষ কোটি টাকা খরচ হবে।

12:30 PMআয়ের ৯৪ শতাংশ অর্থ খরচ হয়েছে, শুধু ৬ শতাংশ উদ্বৃত্ত রয়েছে, জানানলেন রেলমন্ত্রী।

12:30 PMভাড়া পুনর্বিন্যাস সত্ত্বেও বিশেষ লাভ হয়নি।

12:26 PMস্ট্র্যাটেজিক পার্টনারশিপ এবং নিরাপদ যাত্রায় জোর।

12:24 PMপিপিপি মডেলে বিনিয়োগ হবে। দ্রুতগতি সম্পন্ন রেল চালানোর ক্ষেত্রেও এই মডেল কাজে লাগানো যাবে।

12:24 PMপরিকাঠামো গড়ে তোলার জন্য আরও মূলধন বিনিয়োগের প্রয়োজন রয়েছে।

12:23 PMযাত্রী সুরক্ষার ক্ষেত্রে কোনও আপস নয়। জানালেন সদানন্দ গৌড়া।

12:20 PMনতুন প্রকল্পের জন্য ৫০ হাজার কোটি টাকা দরকার।

12:18 PMনতুন প্রকল্প চালুর পরিবর্তে অসম্পূর্ণ প্রকল্প পুরো করায়ে বেশি জোর।

12:16 PMপ্রস্তাবে থাকছে নতুন রেললাইন। চ্যালেঞ্জ অতিক্রম করতে সক্ষম হবে ভারতীয় রেল। জানালেন রেলমন্ত্রী।

12:13 PM'নরেন্দ্র মোদীর প্রতি কৃতজ্ঞ'-- বাজেট ভাষণে জানালেন রেলমন্ত্রী।

12:10 PMরেল বাজেট পেশ করছেন সদানন্দ গৌড়া।

11:57 AMআর কিছু ক্ষণের মধ্যেই মোদী সরকারের প্রথম রেল বাজেট পেশ করবেন মন্ত্রী সদানন্দ গৌড়া।

11:57 AMরেল বাজেট প্রসঙ্গে সদানন্দ গৌড়ার স্ত্রী দত্তি সদানন্দ বললেন, 'রেল বাজেটে মহিলা নিরাপত্তা এবং পরিচ্ছন্নতার ওপর বিশেষ নজর দেওয়া হোক।'

11:45 AMরেল বাজেট পেশ করার জন্য প্রতিমন্ত্রী মনোজ সিন্‌হার সঙ্গে সংসদে রেলমন্ত্রী সদানন্দ গৌড়া।

http://eisamay.indiatimes.com/rail-budget-2014/liveblog/38002667.cms




Jul 08 2014 : The Times of India (Ahmedabad)

Factories Act revamp signals labour reforms


New Delhi

TIMES NEWS NETWORK





Just days before the 2014-15 Union Budget, the government on Monday said it plans to amend the archaic Factories Act, 1948 — the first move in more than a decade to revamp labour laws.

Companies have cited obsolete labour laws as a key hurdle for doing business. The government's move is expected to send positive signals as it gets down to the business of attracting investment. It also fits in with its pledge to ease the processes of doing business and make India an attractive destination, revive the manufacturing sector and create jobs.

Minister of state for mines, steel and labour Vishnu Deo told the Lok Sabha in a written reply that the proposed major amendments would include relaxing restrictions on night

ubject to certain conditions nd increase in the limit of vertime to 100 hours (existing 0 hours) in a quarter.

It would also include proviion of protective equipment or the safety of workers and more precautions against umes and gases. The Central government would be empowered to make rules, a departure from the current practice where states frame the rules.

Experts said the proposed changes to the Factories Act would benefit workers and employers and ensure health safeguards for employees.

The plan to allow women to work in night shifts would also benefit several sectors such as textiles and garments. They, however, said adequate safeguards need to be put in place to ensure security of women workers.

"Changes to the Factories Act will help reduce red tape, end inspector raj and also bring in transparency for workers and employers," said Sanjay Bhatia, president, Ficci confederation of micro, small and medium enterprises.

The intention to amend the obsolete Factories Act, 1948 comes shortly after the Vasundhara Raje government in Rajasthan moved to amend four Central laws. Current rules stipulate that the Factories Act would be applicable to manufacturing units employing 10 workers and operating on power and 20 employees for those units without power.

Industry experts said the intention to move ahead with labour reforms augured well for the manufacturing sector but cautioned that it would take some time before the reforms kick in.

"It sends a strong signal to global investors to come and invest and set up manufacturing units to create jobs," said Rituparna Chakraborty , senior VP at staffing firm Teamlease. TNN For full report , log on to http://www.timesofindia.com



Jul 08 2014 : The Economic Times (Kolkata)

India Gets a Money Order

DHEERAJ TIWARI & RACHITA PRASAD

NEW DELHI MUMBAI





Rise & Shine Already on a high, Sensex may get more reasons to scale new peaks with the govt planning to offload 10% in blue-chip PSU ONGC and top hedge funds taking an avid interest in share sales by desi firms Selloff Furnace to be Rekindled with Rs35kcr ONGC Sale `

With the government expected to announce a big-bang privatisation programme in the July 10 budget, the loudest pop could come from the sale of a 5-10% stake in ONGC that would raise as much as ` . 35,000 crore at current market prices, a record for stake sales in stateowned companies.

This would make it much bigger than the Coal India initial public offering of 2010, in which the government raised . 15,500 crore.

` An inter-ministerial cabinet note has been floated in this regard, according to two government officials. In 2012, the sale of a 5% stake in the firm had fetched the government around Rs 12,000 crore. It's not clear however what amount of stake the government will eventually put on sale.

"We will go ahead with ONGC in this year itself. The process of appointing merchant bankers will soon be initiated," said one of the officials. The government currently holds a 68.94% stake in the explorer.

A draft proposal of the finance ministry's Department of Divestment to the cabinet committee on economic affairs has suggested a 5% divestment. The proposal, of which ET has a copy, suggests offering another 0.25% of equity to employees at a possible discount of 5%. The offer for sale based on this plan would raise Rs 18,000 crore.

"Keeping in view the number of disinvestment cases in the pipeline, the market appetite and the present shareholding of the government, it is proposed that 5% paid up capital of ONGC may be divested in the domestic market as per Sebi Rules and Regulations," the note said.

The 2012 share sale took place at a time when the government badly needed the money to plug the holes in revenue but market sentiment was poor.

The country's largest insurer, stateowned Life In surance Corp. (LIC) of India, had to bail out the government at the time, picking up 88% of the offer for sale (OFS).

"LIC had picked up shares at around Rs 304, now the shares are trading at above Rs 400, so that proves that PSU stocks have good standing in the long term. We expect good participation from both financial institutions and retail investors," said the second official.

There has been a turnabout in market sentiment.









Jul 08 2014 : The Economic Times (Kolkata)

ET EXCLUSIVE Q&A - Modi's Started Well... Right Policy Choices will Bring in Fresh Funds

PIYUSH GUPTA CHIEF EXECUTIVE, DBS






It is a flying start for Narendra Modi in the eyes of international investors, says Piyush Gupta, chief executive, DBS Bank, Singapore. Doubts about his ability to execute at the national level should be buried, Gupta tells in an interview with ET's MC Govardhana Rangan.

Fiscal consolidation, privatisation should top agenda, says Gupta. Edited excerpts: There is a sudden burst of optimism about India? What has changed?

India is a long-term play and I am pretty optimistic about it over the long term.

There are many things. First is to do with the sentiment. If you think about business opportunities, particularly investment, a lot of it is confidence-driven. Confidence will feed optimism. You will see investment picking up and that in itself will generate growth. The big challenge facing the country is purely related to implementation and execution. If you can get 20 big projects going.... the last mile done, and execute, you will start creating a big source of demand, and that will also address some supply infrastructure bottleneck issues.

Nothing much has changed on the ground. So, is the market running ahead of itself?

The Modi administration, and Modi himself, has demonstrated a capacity to execute. You can argue that it is only one state, Gujarat. But it is still 60-70 million people, and that is not small. That is bigger than many countries. It is bigger than many countries in Asia. Once you have done it with 60-70 million people, demonstrated you can execute, it is good enough.

What should be the priority for him?

There are legislative challenges. Whether tax code reform, land reform, or labour reform. He has got a majority, and there is no coalition. He has got the capacity to do that as well. I am positive about that. What is in him that has been impressive in the first few days?

He has made a fantastic start. The whole approach has been inclusive. It is not about the right noises and calling the countries' neighbours. All that is helpful.

His agenda has been not vindictive. He believes: "I need to include and bring in all the chief ministers." To me, in India, states are crucial. Everything he has done so far, aligning to get non-BJP states on board, is good. He is going to try to create a coalition of chief ministers. That is a fantastic way to operate. India can only work on a federal structure with a lot of decentralised stuff. Modi knows it, and is comfortable doing that. He was a chief minister for 12 years. He knows the pulse.

After a bitter fight during the elections, he seems to be turning friendly to the likes of Jayalalithaa?

That is really pragmatic politics. Getting Jayalalithaa, getting Mamata, getting others on board for a common economic agenda is a great move. That is the way forward, and he is doing that. Many things are politically right, but a the economy is still in a mess. The L government finances are a wreck. How s can he deliver?

The economic situation is challenging. i Two things which are not helpful -mon e soon which has been slow, and oil, which is near $110-115 a barrel. God forbid, if Iraq-Syria blows up, those will be major headwinds. It is to be accepted. If you for a get the cyclical issues on a secular basis, what is India's challenge? It is the supply side. All of these headwinds are there, but a if you get infrastructure and investments c going, cycles will come and go. That is what needs to be done.

Who would invest in creating infrastructure? All those who did in the t previous cycle are debt-laden.

There is a lot of money in the world. The a pools of savings even in Asia are huge. The r thing about Asian savings is they are cycli e cal to the US treasuries right now. China has $4 trillion, of that $2 trillion is lying in t US treasuries now. They hate the idea. Sin e gapore and all of these surplus countries i in Asia can invest. Leave alone the surpluses in the world, the US corporates are s sitting on trillion dollars of cash. There is no shortfall of money. You need to build t confidence. You need to have stability, T getting like consistency in tax policy.

What are the two or three things that c you want to see this government do? l The budget is important. You have got to have credible budget which recognises I the fiscal issues. It should lay a very clear c pathway which consolidates the fiscal. e Getting 10 or 20 projects up and running I will create a visible change. You create a massive confidence that the government is working. The other things you can do to t address the fiscal situation are -subsidy on fertilisers and fuel. Those are not easy c things. They are politically tough to do.

T But these have to be done. How do you go c about actually taking on those challenges?

Labour policy reform. They have already started addressing it. Politically, it is always a hot potato. If you need investment into the country, you have got to create an environment of active labour policy.

How does it fix its finances with expenditure far outpacing revenue?

Privatisation programme is helpful. Look at the banking sector in India. With state banks controlling 60-70%, you can continue to drive significant amount of state agenda with a lot lesser stake. You can come down to 25%. That is a massive state disinvestment programme that can work.

You can do that in several of the government enterprises. That is the other thing that you crucially need. China did that. Zhu Rongji (Chinese premier between 1998 and 2003) did that 15 years ago. They got rid of a lot of people. They changed the orientation of state enterprises. It was not without resistance, lot of push back. Even the British did it. The previous NDA government did it. In the last 10 years, nothing happened.

The Indian banking system is capital starved and is troubled with bad loans.

Why would investors buy? How could they fund an economic recovery?

That is one of the challenges. China has bad loans problem as well. The issue is capitalisation gap. That is one of the challenges for the government. That is why divestment in banks is crucial to me. The Indian government will find it difficult to capitalise the banks if you recognise the extent of the problem. China can do it, but India can't. For the Indian government, disinvestment may be the best way to recognise the problem than putting capital into banks.

Even the interest regime is not conducive for banks in India.

Tight monetary policy is always a challenge to businesses. The RBI governor is clear that you need to take care of inflationary expectations. With (poor) monsoon, it will not be easy to lower rates. Structural, supply-side adjustments are what will help create scope for an easy monetary policy.

Sooner or later, you will start seeing interest rates climb across the world. It will be even more difficult for India to drop interest rates if there is a general rise in rates.








Jul 08 2014 : The Economic Times (Kolkata)

BUDGET 2014-15 LOOKING AHEAD - Sebi Wants Safe Harbour for Foreign Inflows

JWALIT VYAS & REENA ZACHARIAH

ET INTELLIGENCE GROUP





Wants to segregate fund & its manager

Capital markets regulator Sebi has sought a clear distinction between a fund and its fund manager, asking the finance ministry to introduce `safe harbour' rules in the upcoming budget to overcome anomalies in the existing tax provisions.

Sebi has written to the government saying that the existing provisions are driving away most foreign portfolio investors (FPI) to places such as Singapore and Hong Kong which is proving detrimental to the domestic asset management industry , a senior official told ET.

If a foreign fund is managed by somebody residing in India, the FPI can be exposed to a number of taxes in the country irrespective of where it is based. This is not the case if the fund manager resides outside India. Global funds prefer to have asset managers based in locations that are not under India's jurisdiction so as to avoid their worldwide income being subject to taxes in the country.

Sebi has sought a level playing field for FPIs irrespective of the residential status of their fund managers.

"If the income of the fund is characterised as business income, the fund manager's presence may constitute a business connection or a permanent establishment of the fund in India, thus subjecting the fund to tax exposure in India because of the presence of the manager in India," said Gautam Mehra, executive director, PricewaterhouseCoopers.

Mehra said that introduction of a `safe harbour' rule which will not expose the fund to taxes in India merely because of the presence of the manager in the country could significantly contribute to promoting India as a global asset management hub.

"In such a case, taxation of fund's profits by reasons other than that of the manager's Indian presence would continue as per the normal provisions of Indian tax laws," he added.

In Hong Kong, for example, the asset management industry flourished after similar tax changes were made in 2006 and assets under management swelled by 57% within a year.

According to fund managers, the government can help generate billions of dollars by way of asset management fees annually, besides contributing handsomely to direct taxes and providing an indirect multiplier effect on economic activity .

Foreign institutional investors have pumped in nearly $300 billion in India, for which management fees is $3 billion or 1% of assets under management, said an Indian fund manager of a leading global investment bank who had to move to Singapore last year on the request of his clients. "If the portfolio managers operate from India, the government can earn at least up to $1 billion or . 6,000 crore ` as tax," said the fund manager, who did not wish to be named.

Sebi has said that allowing portfolio managers and their teams to be physically based in India will increase job opportunities and reverse the talent drain seen in the past. Besides, it will provide additional avenues for asset managers in India to earn fees and manage a more global pool of funds investing in India and other countries.

"Presence of fund manager in India could potentially expose foreign funds to taxation in India either on the grounds that such fund manager is regarded as private equity of the fund in India or the fund manager being regarded as `controlling and managing' the foreign fund out of India. A careful structuring is required to avoid such a situation by taking certain appropriate measures," said Sanjay Sanghvi, partner, Khaitan & Co.



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