Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Saturday, April 14, 2012

डरकर रहना बाबा। पता नहीं कि किस बात पर दीदी को गुस्सा आ जाये!

डरकर रहना बाबा। पता नहीं कि किस बात पर दीदी को गुस्सा आ जाये!


मीडियामोरचा | पत्रकारिता के जनसरोकार

पलाश विश्वास / ममता बैनर्जी के बारे में इंटरनेट पर अपमानजनक संदेश फैलाने के आरोप में जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अम्बिकेश महापात्र नाम के प्रोफेसर को गुरुवार रात गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और सूचना ...

डरकर रहना बाबा। पता नहीं कि किस बात पर दीदी को ...

पलाश विश्वास, डरकर रहना बाबा। पता नहीं कि किस बात पर दीदी को गुस्सा आ जाये! -पलाश विश्वास. Blog, Posted By: hindtodaynews on:4/13/2012 11:54:14 AM ... यह विश्वास करना मुश्किल है कि सिर्फ उसी के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया जाए।'' सिंगूर-नंदीग्राम ...
[LARGE][LINK=/vividh/3791-2012-04-14-09-28-31.html]कार्टून अपलोड करने पर जेल भिजवाने वाली ममता बनर्जी शेम शेम[/LINK] [/LARGE]

[*] [LINK=/vividh/3791-2012-04-14-09-28-31.html?tmpl=component&print=1&layout=default&page=][IMG]/templates/gk_twn2/images/system/printButton.png[/IMG][/LINK] [/*]
[*] [LINK=/component/mailto/?tmpl=component&template=gk_twn2&link=12fd0bb8bdce898d6a282f3ecdffebe04075c625][IMG]/templates/gk_twn2/images/system/emailButton.png[/IMG][/LINK] [/*]
Details Category: [LINK=/vividh.html]पालिटिक्स-इलेक्शन[/LINK] Published Date Written by पलाश विश्वास
ममता बनर्जी के बारे में इंटरनेट पर अपमानजनक संदेश फैलाने के आरोप में जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अम्बिकेश महापात्र नाम के प्रोफेसर को गुरुवार रात गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। डरकर रहना बाबा। पता नहीं कि किस बात पर दीदी को गुस्सा आ जाये! जाधवपुर विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान के एक प्रोफेसर और उनके पड़ोसी को कथित तौर पर सोशल नेटवर्किंग साइट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, रेल मंत्री मुकुल राय और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के बारे में एक कार्टून पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। कार्टून में दिनेश त्रिवेदी को हटाकर मुकुल रॉय को रेल मंत्री बनाए जाने के बारे में मुख्यमंत्री और रेल मंत्री के बीच बातचीत को दिखाया गया है और यह संवाद सत्यजीत रे की एक मशहूर बंगाली फिल्म सोनार केल्ला का है।

डरकर रहना बाबा। पता नहीं कि किस बात पर दीदी को गुस्सा आ जाये!

डरकर रहना बाबा। पता नहीं कि किस बात पर दीदी को गुस्सा आ जाये!

By  | April 14, 2012 at 1:00 pm | No comments | राज्यनामा | Tags: ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

पलाश विश्वास

ममता बैनर्जी के बारे में इंटरनेट पर अपमानजनक संदेश फैलाने के आरोप में  जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अम्बिकेश महापात्र नाम के प्रोफेसर को गुरुवार रात गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। डरकर रहना बाबा। पता नहीं कि किस बात पर दीदी को गुस्सा आ जाये! जाधवपुर विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान के एक प्रोफेसर और उनके पड़ोसी को कथित तौर पर सोशल नेटवर्किंग साइट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, रेल मंत्री मुकुल राय और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के बारे में एक कार्टून पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। कार्टून में दिनेश त्रिवेदी को हटाकर मुकुल रॉय को रेल मंत्री बनाए जाने के बारे में मुख्यमंत्री और रेल मंत्री के बीच बातचीत को दिखाया गया है और यह संवाद सत्यजीत रे की एक मशहूर बंगाली फिल्म कार्टून में दिनेश त्रिवेदी को हटाकर मुकुल रॉय को रेल मंत्री बनाए जाने के बारे में मुख्यमंत्री और रेल मंत्री के बीच बातचीत को दिखाया गया है और यह संवाद सत्यजीत रे की एक मशहूर बंगाली फिल्म सोनार केल्ला का है। दिनेश त्रिवेदी को दिखाते हुए मुकुल राय की जुबानी लिखा गया- दुष्ट आदमी। इस पर ममता की प्रतिक्रिया दिखायी गयी- दुष्ट वैनिश! किसी के चेहरे से बहरहाल छेड़छाड़ नहीं की गयी। जवाहर लाल नेहरु से लेकर इंदिरा गांधी, मनमोहन से लेकर मायावती, जयललिता और लालू यादव कार्टून के विषय बनते रहे हैं। आपातकाल के दरम्यान भी कोई कार्टूनिस्ट के गिरफ्तापर होने की याद नहीं है हमें। तो क्या दीदी कार्टून विधापर ही रोक लगा देंगी। अध्यापक के खिलाफ जो धारायें लगायी गयी हैं, उसमें मानहानि, साइबर अपराध, सोसाइटी के कंप्यूटर का दुरूपयोग, अभद्र भाषा का इस्तेमाल और शांतिभंग के आरोप हैं।
ममता बैनर्जी ने दुर्गापुर में आम सभा को संबोधित करते हुए इस गिरप्तारी को जायज ठहराया और आरोप लगाया कि शैतान लोग माकपा​ ​ के समर्थक है और राज्य सरकार के खिलाफ साजिश कर रहे हैं। कुत्सा प्रचार कर रहे हैं। अध्यापक ने अन्याय किया है , इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया। खतरनाक बात यह है कि हजारों की तादाद में जनता ने हर्षोल्लास के साथ उनकी हर बात पर तालियां पीटकर समर्थन किया। इस   ​अंध समर्थन के कारण वे अपने कदमों के बारे में पुनर्विचार करेंगी , ऐसा कतई संभव नहीं है। अखबारों पर सेंसर लगाने का फैसला उन्होंने वापस नहीं लिया। जिन अखबारों को उन्होंनेपुस्तकालयं के लिए प्रतिबंधित किया , उसमें उनकी सुरुआती राजनीति से सत्ता तक पहुंचने तक लगातार​ ​ सबसे ज्यादा समर्थन करने वाला अखबार दैनिक बर्तमान भी है। कल तक तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले बुद्धिजीवी अब जरूर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ खड़े हो गये हैं,लेकिन ममता दीदी क्या उनकी वाकी कोई परवाह करती हैं?
हमने तो नंदीग्राम और सिंगुर जनप्रतिरोध के समर्थन में शुरू से यानी मैदान में दीदी के अवतरित होने से पहले से खूब लिखा है। विमान​ ​ बोस, सुभाष चक्रवर्ती या अनिल सरकार से अच्छे संबंधों की परवाह नहीं की। अपने लेखों और ब्लाग में माकपा की नरसंहार संस्कृति और गेस्टापो पार्टीतंत्र की दरअसल हम सबने जोरदार विरोध करना शुरू किया था, जब आंदोलन में राजनीतिक दल कूदे भी नहीं थे।मेधा पाटकर,​ एसयूसी की स्वप्ना गंगोपाध्याय और अनुराधा तलवार उन दिनों रोज पिट रही थीं या गिरफ्तार हो रही थीं। अखबार खबर नहीं छाप रहे थे।​
​ अर्थशास्त्री जो अब ममता के मुख्य सलाहकार बने हुए हैं, टीवी चैनल जो चीख चीखकर ममता सरकार का बखान करे हैं, तब विकास के​ ​ लिए खुला बाजार और माकपा की पूंजीपरस्त नीतियों का जोरदार समर्थन कर रहे थे। तब बुद्धदेव भट्टाचार्य सर्वश्रेष्ठ बंग संतान थे। तेजी से हालात बदले ममता ने आंदोलन की बागडोर संभाल ली। हम तब भी जलप्रतिरोध के समर्थन में थे। हमारे साथी बुद्धिजीवी खुलकर ममता के साथ ​​हो गये। हम वाम पूंजीवाद के विरुद्ध सड़क पर तो थे, पर ममता के साथ नहीं थे। उसवक्त जिस भाषा और तेवर में हम वामपंथी सरकार के खिलाफ लिख रहे थे, क्या आज किसी मुद्दे पर उसी भाषा और तेवर में हम ममता सरकार के खिलाफ लिखने या बोलने की स्थिति में हैं?
असंतुष्ट तृणमूल कांग्रेस सांसद कबीर सुमन ने गिरफ्तारी के लिए पुलिस की निंदा की है। उन्होंने कहा, ''बेबसाइट पर जो कुछ भी डाला गया वो एक ईमानदार अभिव्यक्ति है और यह स्वीकार करना मुश्किल है कि इस आधार पर किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है। मैंने कार्टून देखा है, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा कि यह किस प्रकार साइबर अपराध है. यह हास्य व्यंग्य के रूप में बनाया गया है. यदि आज उन्हें गिरफ्तार किया गया है तो कौन जानता है कल हमें भी गिरफ्तार किया जा सकता है! वेबसाइट पर जो भी सामग्री डाली गई है वह केवल एक व्यक्ति द्वारा अपनी भावनाएं व्यक्त करने का तरीका भर है। यह विश्वास करना मुश्किल है कि सिर्फ उसी के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया जाए।''
सिंगूर-नंदीग्राम आंदोलन को अपने गीतों के जरिये जिन्होंने जुबान दी थी, उस कबीर सुमन  ने साफ साफ कहा है कि अब दीदी ब्रिगेड में कोी बड़ी रैली बुलाकर आम ओ खास के सामने यह स्पष्ट कर दें कि वे आखिर क्या चाहती हैं। वे बता दें कि जो उनकी इच्छा के मुताबिक आंख ​​मूंदकर चल नहीं सकते , वे गुपी और बाघा की तरह खुद को निर्वासित मानकर बंगाल ठोड़कर चले जायें। प्रख्यात साहित्यकार सुप्रिया ​​भट्टाचार्य ने टीवी चैनल पर प्रतिक्रया देने से यह कहकर मना कर दिया कि पता नही कि दीदी किस बात पर बुरा मान जायें! '  'निशानेर नाम तापसी मलिक' लिखने वाले कबीर ने छत्रधर महतोर गान भी लिखा। अब उन्होंने ममता राज में नोनाडांगा में जबरन हटाये जाने वाले लोगों के हक में बी गीत लिखे हैं। मजे की बात यह है कि वे तृणमूल सांसद भी है। उन्होंने कहा कि इस ताजा कार्रवाई से हम डर गये हैं। कभी  भी हमारी गिरफ्तारी हो सकती है। शिक्षाविद सुनंद सान्याल ने कहा कि राज्य के गांवों में समस्या चरम पर पहुंच गयी है। महिला तस्करी से लेकर चिट फंड का जाल बिछा हुआ है। उन्होंने कहा कि कोई परिवर्तन नहीं हुआ। ममता के बगैर तृणमूल का कोई वजूद नहीं है। जो कुछ हो रहा है, उन्हीं के इशारे से। वे अपनी ​​कार्रवाइयों से माकपा की वापसी का रास्ता तैयार कर रही हैं।गांवों में देसी शराब का जहर फैल गया है! विरोध करने पर हमें माकपा का दलाल कहा गया है। यह सब बंद होना चाहिए!
घर में सविता खूब डर गयी है। कहती है कि अब तक जो लिखा, सो लिख दिया। लिखने से पैसे तो नहीं मिलते। बाकी लोगों को जो दूसरा​ ​ सब कुछ भी मिला, वह भी नहीं मिल रहा। तो खामखां जोखिम उठाने की क्या जरुरत है? अगर दीदी नाराज हो गयी तो हम तो घर में अकेले रहते हैं? गिरप्तारी से पहले दीदी के समर्थकों ने अध्यापक को धुन दिया। हम लोग भी अक्सर धमकियां सुनने के आदी रहे हैं। पर सविता कभी इन धमकियों से नहीं डरी। कोयला माफिया से भी नहीं, जब हमारी नयी नयी शादी हुई थी और हम कोयलांचल में थे।
शिक्षाविद सुनंदा सान्याल ने भी गिरफ्तारी की निंदा की है। प्रख्यात लेखक सुनील गंगोपाध्याय ने कहा कि गिरफ्तारी सत्तारुढ़ पार्टी का तानाशाही रवैया प्रदर्शित करता है जो ठीक नहीं है। प्रोफेसर को फौरन रिहा करने की मांग करते हुए लेखक ने कहा, ''मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि कार्टून के आधार पर कैसे किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है, जो कि लोकतंत्र में एक नैसर्गिक अभिव्यक्ति है।'' मुख्यमंत्री बनने और सत्ता संभालने के तुरंत बाद उच्च शिक्षा में सुधार पर ममता बनर्जी द्वारा गठित सर्वोच्च कमेटी के मुखिया रहे शिक्षाविद् व अंग्रेजी प्रोफेसर सुनन्द सान्याल ने कहा कि जो कुछ हो रहा है वह बस माकपा के शासन का 'रीपिटिशन' है। उल्लेखनीय है कि सान्याल ने कमेटी में शामिल होने के कुछ दिनों के बाद ही अन्तर्विरोधों के कारण इसे छोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि ऐसा क्यों हो रहा है मैं कह नहीं सकता, लेकिन जो हो रहा है उसे देख कर दुखी हूं। यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री से मुलाकात करना चाहेंगे, उनका जवाब नकारात्मक था।
कोलकाता पुलिस दक्षिणी उपनगरीय प्रभाग के उपायुक्त सुजॉय चंदा के मुताबिक पूर्वी जादवपुर में रहने वाले प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा और उनके पड़ोसी को 'प्रतिष्ठित व्यक्तियों' के बारे में अपमानजनक बातें इंटरनेट पर डालने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तारी के बाद चारों ओर से विभिन्न तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। राज्य श्रम मंत्री पुर्णेंदु बोस ने पुलिस कार्रवाई को उचित ठहराया है। बोस ने कहा कि यह एक कार्टून नहीं बल्कि वास्तविक तस्वीर थी। उन्होंने कहा कि 'कानून अपना काम करेगा।'
नोनाडांगा में बस्ती उच्छेद मामले में एपीडीआर के जुलूस पर तृणमूल के हमले का आरोप लगाते हुए बड़ी तादाद में बुद्धिजीवी रवींद्र सदन में ललित कला अकादमी के सामने पहुंच धरना दिया। माकपा के एकतरफा वर्चस्व वाले वामो के 34 वर्ष के शासन के खात्मे के लिए जिन बुद्धिजीवियों ने ममता बनर्जी का साथ दिया था आज वे ही सवालों के साथ उनके खिलाफ सड़क पर हैं। वृहस्पतिवार दोपहर हाजरा क्रासिंग पर मानवाधिकार आंदोलन से जुड़े एपीडीआर कार्यकर्ताओं के पथावरोध पर तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के हमले के बाद बुद्धिजीवी अपना क्षोभ संभाल न सके। दर्जन भर बुद्धिजीवी शाम अकादमी आफ फाइन आर्ट के समक्ष एकत्र हुए और जो कुछ हुआ उस पर गंभीर क्षोभ जताया। इनमें तृणमूल सांसद व गायक कबीर सुमन, शिक्षाविद सुनंद सान्याल, नक्सल नेता असीम चटर्जी, नाटककार कौशिक सेन, सुमन मुखर्जी व अन्य थे। साथ ही कवि शंख घोष, मानवाधिकार कर्मी सुजात भद्र, साहित्यकार नवारुण भट्टाचार्य ने सरकारी आचरण की जमकर निंदा की है।
कबीर सुमन ने कहा कि राज्य सरकार का यदि आचरण रहता है तो यह सरकार के लिए खतरे की घंटी है।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भले लड़ाकू नेत्री हों और माकपा के 34 वर्षो के शासन का अंत किया हो लेकिन सरकार का आचरण यही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब इसमें भी परिवर्तन हो जायेगा।
नाटककार कौशिक सेन ने कहा कि हालात ऐसे हैं कि सरकार की आलोचना करने का अधिकार मानों किसी को नहीं है। यदि कोई आलोचना करता है तो उसे विरोधी का दर्जा दे दिया जाता है।
बुद्धिजीवियों ने चेताया कि इस तानाशाही रवैये के खिलाफ जरूरी हुआ तो वृहत्तर आंदोलन किया जायेगा।
परिवहन मंत्री ने किया खंडन! हाजरा में एपीडीआर के जुलूस पर तृणमूल कार्यकर्ताओं के हमले के कथित आरोपों का परिवहन मंत्री मदन मित्र ने खंडन किया। उन्होंने कहा कि तृणमूल को ऐसा करने की जरूरत ही नहीं है। पथावरोध को रोकने को वहां पुलिस मौजूद थी। घटना एपीडीआर में गुटबाजी का नतीजा है।

पलाश विश्वास, लेखक स्वतंत्र पत्रकार, चिन्तक व साहित्यकार हैं

डरकर रहना बाबा। पता नहीं कि किस बात पर दीदी को गुस्सा आ जाये!

पलाश विश्वास

ममता बैनर्जी के बारे में इंटरनेट पर अपमानजनक संदेश फैलाने के आरोप में  जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अम्बिकेश महापात्र नाम के प्रोफेसर को गुरुवार रात गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।डरकर रहना बाबा। पता नहीं कि किस बात पर दीदी को गुस्सा आ जाये!जाधवपुर विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान के एक प्रोफेसर और उनके पड़ोसी को कथित तौर पर सोशल नेटवर्किंग साइट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, रेल मंत्री मुकुल राय और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के बारे में एक कार्टून पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।कार्टून में दिनेश त्रिवेदी को हटाकर मुकुल रॉय को रेल मंत्री बनाए जाने के बारे में मुख्यमंत्री और रेल मंत्री के बीच बातचीत को दिखाया गया है और यह संवाद सत्यजीत रे की एक मशहूर बंगाली फिल्म कार्टून में दिनेश त्रिवेदी को हटाकर मुकुल रॉय को रेल मंत्री बनाए जाने के बारे में मुख्यमंत्री और रेल मंत्री के बीच बातचीत को दिखाया गया है और यह संवाद सत्यजीत रे की एक मशहूर बंगाली फिल्म सोनार केल्ला का है।दिनेश त्रिवेदी को दिखाते हुए मुकुल राय की जुबानी लिखा गया- दुष्ट आदमी। इस पर ममता की प्रतिक्रिया दिखायी गयी- दुष्ट वैनिश! किसी के चेहरे से बहरहाल छेड़छाड़ नहीं की गयी।जवाहर लाल नेहरु से लेकर इंदिरा गांधी, मनमोहन से लेकर मायावती, जयललिता और लालू यादव कार्टून के विषय बनते रहे हैं। आपातकाल के दरम्यान भी कोई कार्टूनिस्ट के गिरफ्तापर होने की याद नहीं है हमें। तो क्या दीदी कार्टून विधापर ही रोक लगा देंगी। अध्यापक के खिलाफ जो धारायें लगायी गयी हैं, उसमें मानहानि, साइबर अपराध, सोसाइटी के कंप्यूटर का दुरूपयोग, अभद्र भाषा का इस्तेमाल और शांतिभंग के आरोप हैं।   

ममता बैनर्जी ने दुर्गापुर में आम सभा को संबोधित करते हुए इस गिरप्तारी को जायज ठहराया और आरोप लगाया कि शैतान लोग माकपा​ ​ के समर्थक है और राज्य सरकार के खिलाफ साजिश कर रहे हैं। कुत्सा प्रचार कर रहे हैं। अध्यापक ने अन्याय किया है , इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया। खतरनाक बात यह है कि हजारों की तादाद में जनता ने हर्षोल्लास के साथ उनकी हर बात पर तालियां पीटकर समर्थन किया। इस   ​अंध समर्थन के कारण वे अपने कदमों के बारे में पुनर्विचार करेंगी , ऐसा कतई संभव नहीं है। अखबारों पर सेंसर लगाने का फैसला उन्होंने वापस नहीं लिया। जिन अखबारों को उन्होंनेपुस्तकालयं के लिए प्रतिबंधित किया , उसमें उनकी सुरुआती राजनीति से सत्ता तक पहुंचने तक लगातार​ ​ सबसे ज्यादा समर्थन करने वाला अखबार दैनिक बर्तमान भी है।कल तक तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले बुद्धिजीवी अब जरूर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ खड़े हो गये हैं,लेकिन ममता दीदी क्या उनकी वाकी कोई परवाह करती हैं?

हमने तो नंदीग्राम और सिंगुर जनप्रतिरोध के समर्थन में शुरू से यानी मैदान में दीदी के अवतरित होने से पहले से खूब लिखा है। विमान​ ​ बोस, सुभाष चक्रवर्ती या अनिल सरकार से अच्छे संबंधों की परवाह नहीं की। अपने लेखों और ब्लाग में माकपा की नरसंहार संस्कृति और गेस्टापो पार्टीतंत्र की दरअसल हम सबने जोरदार विरोध करना शुरू किया था, जब आंदोलन में राजनीतिक दल कूदे भी नहीं थे।मेधा पाटकर,​एसयूसी की स्वप्ना गंगोपाध्याय और अनुराधा तलवार उन दिनों रोज पिट रही थीं या गिरफ्तार हो रही थीं।अखबार खबर नहीं छाप रहे थे।​
​ अर्थशास्त्री जो अब ममता के मुख्य सलाहकार बने हुए हैं, टीवी चैनल जो चीख चीखकर ममता सरकार का बखान करे हैं, तब विकास के​ ​ लिए खुला बाजार और माकपा की पूंजीपरस्त नीतियों का जोरदार समर्थन कर रहे थे। तब बुद्धदेव भट्टाचार्य सर्वश्रेष्ठ बंग संतान थे। तेजी से हालात बदले ममता ने आंदोलन की बागडोर संभाल ली। हम तब भी जलप्रतिरोध के समर्थन में थे। हमारे साथी बुद्धिजीवी खुलकर ममता के साथ ​​हो गये। हम वाम पूंजीवाद के विरुद्ध सड़क पर तो थे, पर ममता के साथ नहीं थे। उसवक्त जिस भाषा और तेवर में हम वामपंथी सरकार के खिलाफ लिख रहे थे, क्या आज किसी मुद्दे पर उसी भाषा और तेवर में हम ममता सरकार के खिलाफ लिखने या बोलने की स्थिति में हैं?

असंतुष्ट तृणमूल कांग्रेस सांसद कबीर सुमन ने गिरफ्तारी के लिए पुलिस की निंदा की है। उन्होंने कहा, ''बेबसाइट पर जो कुछ भी डाला गया वो एक ईमानदार अभिव्यक्ति है और यह स्वीकार करना मुश्किल है कि इस आधार पर किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है। मैंने कार्टून देखा है, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा कि यह किस प्रकार साइबर अपराध है. यह हास्य व्यंग्य के रूप में बनाया गया है. यदि आज उन्हें गिरफ्तार किया गया है तो कौन जानता है कल हमें भी गिरफ्तार किया जा सकता है!वेबसाइट पर जो भी सामग्री डाली गई है वह केवल एक व्यक्ति द्वारा अपनी भावनाएं व्यक्त करने का तरीका भर है। यह विश्वास करना मुश्किल है कि सिर्फ उसी के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया जाए।''

सिंगूर-नंदीग्राम आंदोलन को अपने गीतों के जरिये जिन्होंने जुबान दी थी, उस कबीर सुमन  ने साफ साफ कहा है कि अब दीदी ब्रिगेड में कोी बड़ी रैली बुलाकर आम ओ खास के सामने यह स्पष्ट कर दें कि वे आखिर क्या चाहती हैं। वे बता दें कि जो उनकी इच्छा के मुताबिक आंख ​​मूंदकर चल नहीं सकते , वे गुपी और बाघा की तरह खुद को निर्वासित मानकर बंगाल ठोड़कर चले जायें। प्रख्यात साहित्यकार सुप्रिया ​​भट्टाचार्य ने टीवी चैनल पर प्रतिक्रया देने से यह कहकर मना कर दिया कि पता नही कि दीदी किस बात पर बुरा मान जायें! '  'निशानेर नाम तापसी मलिक' लिखने वाले कबीर ने छत्रधर महतोर गान भी लिखा। अब उन्होंने ममता राज में नोनाडांगा में जबरन हटाये जाने वाले लोगों के हक में बी गीत लिखे हैं। मजे की बात यह है कि वे तृणमूल सांसद भी है। उन्होंने कहा कि इस ताजा कार्रवाई से हम डर गये हैं। कभी  भी हमारी गिरफ्तारी हो सकती है।शिक्षाविद सुनंद सान्याल ने कहा कि राज्य के गांवों में समस्या चरम पर पहुंच गयी है।महिला तस्करी से लेकर चिट फंड का जाल बिछा हुआ है।उन्होंने कहा कि कोई परिवर्तन नहीं हुआ। ममता के बगैर तृणमूल का कोई वजूद नहीं है। जो कुछ हो रहा है, उन्हीं के इशारे से। वे अपनी ​​कार्रवाइयों से माकपा की वापसी का रास्ता तैयार कर रही हैं।गांवों में देसी शराब का जहर फैल गया है! विरोध करने पर हमें माकपा का दलाल कहा गया है। यह सब बंद होना चाहिए!

घर में सविता खूब डर गयी है। कहती है कि अब तक जो लिखा, सो लिख दिया। लिखने से पैसे तो नहीं मिलते। बाकी लोगों को जो दूसरा​ ​ सबकुछ भी मिला, वह भी नहीं मिल रहा। तो खामखां जोखिम उठाने की क्या जरुरत है? अगर दीदी नाराज हो गयी तो हम तो घर में अकेले रहते हैं?गिरप्तारी से पहले दीदी के समर्थकों ने अध्यापक को धुन दिया। हम लोग भी अक्सर धमकियां सुनने के आदी रहे हैं। पर सविता कभी इन धमकियों से नहीं डरी। कोयला माफिया से भी नहीं, जब हमारी नयी नयी शादी हुई थी और हम कोयलांचल में थे।

शिक्षाविद सुनंदा सान्याल ने भी गिरफ्तारी की निंदा की है। प्रख्यात लेखक सुनील गंगोपाध्याय ने कहा कि गिरफ्तारी सत्तारुढ़ पार्टी का तानाशाही रवैया प्रदर्शित करता है जो ठीक नहीं है।
प्रोफेसर को फौरन रिहा करने की मांग करते हुए लेखक ने कहा, ''मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि कार्टून के आधार पर कैसे किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है, जो कि लोकतंत्र में एक नैसर्गिक अभिव्यक्ति है।''मुख्यमंत्री बनने और सत्ता संभालने के तुरंत बाद उच्च शिक्षा में सुधार पर ममता बनर्जी द्वारा गठित सर्वोच्च कमेटी के मुखिया रहे शिक्षाविद् व अंग्रेजी प्रोफेसर सुनन्द सान्याल ने कहा कि जो कुछ हो रहा है वह बस माकपा के शासन का 'रीपिटिशन' है। उल्लेखनीय है कि सान्याल ने कमेटी में शामिल होने के कुछ दिनों के बाद ही अन्तर्विरोधों के कारण इसे छोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि ऐसा क्यों हो रहा है मैं कह नहीं सकता, लेकिन जो हो रहा है उसे देख कर दुखी हूं। यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री से मुलाकात करना चाहेंगे, उनका जवाब नकारात्मक था।

कोलकाता पुलिस दक्षिणी उपनगरीय प्रभाग के उपायुक्त सुजॉय चंदा के मुताबिक पूर्वी जादवपुर में रहने वाले प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा और उनके पड़ोसी को 'प्रतिष्ठित व्यक्तियों' के बारे में अपमानजनक बातें इंटरनेट पर डालने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।गिरफ्तारी के बाद चारों ओर से विभिन्न तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। राज्य श्रम मंत्री पुर्णेंदु बोस ने पुलिस कार्रवाई को उचित ठहराया है। बोस ने कहा कि यह एक कार्टून नहीं बल्कि वास्तविक तस्वीर थी। उन्होंने कहा कि 'कानून अपना काम करेगा।'

नोनाडांगा में बस्ती उच्छेद मामले में एपीडीआर के जुलूस पर तृणमूल के हमले का आरोप लगाते हुए बड़ी तादाद में बुद्धिजीवी रवींद्र सदन में ललित कला अकादमी के सामने पहुंच धरना दिया।माकपा के एकतरफा वर्चस्व वाले वामो के 34 वर्ष के शासन के खात्मे के लिए जिन बुद्धिजीवियों ने ममता बनर्जी का साथ दिया था आज वे ही सवालों के साथ उनके खिलाफ सड़क पर हैं। वृहस्पतिवार दोपहर हाजरा क्रासिंग पर मानवाधिकार आंदोलन से जुड़े एपीडीआर कार्यकर्ताओं के पथावरोध पर तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के हमले के बाद बुद्धिजीवी अपना क्षोभ संभाल न सके। दर्जन भर बुद्धिजीवी शाम अकादमी आफ फाइन आर्ट के समक्ष एकत्र हुए और जो कुछ हुआ उस पर गंभीर क्षोभ जताया। इनमें तृणमूल सांसद व गायक कबीर सुमन, शिक्षाविद सुनंद सान्याल, नक्सल नेता असीम चटर्जी, नाटककार कौशिक सेन, सुमन मुखर्जी व अन्य थे। साथ ही कवि शंख घोष, मानवाधिकार कर्मी सुजात भद्र, साहित्यकार नवारुण भट्टाचार्य ने सरकारी आचरण की जमकर निंदा की है।

कबीर सुमन ने कहा कि राज्य सरकार का यदि आचरण रहता है तो यह सरकार के लिए खतरे की घंटी है।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भले लड़ाकू नेत्री हों और माकपा के 34 वर्षो के शासन का अंत किया हो लेकिन सरकार का आचरण यही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब इसमें भी परिवर्तन हो जायेगा।

नाटककार कौशिक सेन ने कहा कि हालात ऐसे हैं कि सरकार की आलोचना करने का अधिकार मानों किसी को नहीं है। यदि कोई आलोचना करता है तो उसे विरोधी का दर्जा दे दिया जाता है।

बुद्धिजीवियों ने चेताया कि इस तानाशाही रवैये के खिलाफ जरूरी हुआ तो वृहत्तर आंदोलन किया जायेगा।

परिवहन मंत्री ने किया खंडन! हाजरा में एपीडीआर के जुलूस पर तृणमूल कार्यकर्ताओं के हमले के कथित आरोपों का परिवहन मंत्री मदन मित्र ने खंडन किया। उन्होंने कहा कि तृणमूल को ऐसा करने की जरूरत ही नहीं है। पथावरोध को रोकने को वहां पुलिस मौजूद थी। घटना एपीडीआर में गुटबाजी का नतीजा है।

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...