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Monday, April 16, 2012

आतंकवाद युद्ध के शिकार खान!

आतंकवाद युद्ध के शिकार खान!



आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के शिकार शाहरुख खान! इसमें कोई संदेह का कारण नहीं है। चूंकि इस युद्ध में अमेरिका और इजराइल के परमाणु गठजोड़ में शामिल हो जाने की वजह से पार्टनर बन गया है भारत, इसलिए बालीवूड के बादशाह के मुसलमान होने की वजह से बार बार हो रही इस फजीहत का औपचारिक विरोध करने के अलावा भारतीय राजनय कुछ भी करने की हालत में नहीं है। मीडिया में कुछ भी कहे शाहरुख , उन्होंने इस सिलसिले में माई नेम इज खान बनाकर पहले ही अपने दिलो दिमाग में पलते सदमे का खुलासा कर दिया है।

 

अब रा-वन स्टार इस ताजा अनुभव को अपनी किसी नयी फिल्म में अभिव्यक्त कर पाते हैं या नहीं यह देखना है। शाहरुख जैसे ही येल युनिवर्सिटी जाने के लिए न्यूयार्क के व्हाइट प्लेन्स हवाई अड्डे पर उतरे, उन्हें दो घंटे के लिए हिरासत में ले लिया गया था।

येल युनिवर्सिटी ने उन्हें चुब फेलो से सम्मानित किया।हवाई अड्डे में हिरासत में लिये गये हमारे सबसे बड़े स्टार की रिहाई के लिए भारत सरकार कुछ नहीं कर पायी। न भारत के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी ही उनकी कोई मदद कर सकें।जिनकी पत्नी और बेटी के साथ एक ही विमान में अमेरिका पहुंचे बादशाह खान।

यह तो भला हो येल यूनिवर्सिटी के अधिकारियों, जब उन्हं अपने अतिति के साथ हुए हादसे की जानकारी मिली तब उन्होंने वॉशिंगटन में डिफेंस मिनिस्ट्री, इमिग्रेशन और कस्टम विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया। शाहरूख को 2009 में भी अमेरिका के नेवार्क हवाई अड्डे पर कुछ घंटे रोका गया था। अमेरिका में हमारे सबसे काबिल राजनयिक भारतीय दूतावास में तैनात हैं, भारतीय नागरिकों के मामले में उनकी बेबसी इस मामले में भी उजागर हो गयी। पिर भी हम अपने को महाशक्ति बताकर सीना फुलाते रहेंगें।

झब भातर सरकार अपने सुपरस्टार की इस बार बार होने वाली फजीहत के मामले में इतनी असहाय है तो , समझा जा सकता है कि बाकी भारतीय नागरिकों, खासकर मुसलमानों के मामले में वह क्या कर सकती है। मुंबई में हुए आतंकवादी हमला और जगह जगह बम विस्फोट के मामले में खुद कुछ न कर पाने की हालत में हमारी सरकार ने आंतरिक सुरक्षा अमेरिकी खुफिया एजंसी सीआईए और इजराइली जासूसी संगठन मोसाद के हवाले कर रखा है।

संभावित आतंकवादी हमला रोकने के लिए भी हम वाशिंगटन और तेल अबीब की सूचनाओं पर निर्भर है, जिलका मुसलमान विरोधी रवैया कम से कम शाहरुख के मामले में उजागर हो ही गया है।अकारण नहीं कि बम विस्फोट ौर दूसरी आतंकवादी वारदातों के सिलसिले में बेगुनाह मुसलमानों को बरसों जेल में बंद रहने के मामले सामने आ जाते हैं।

सबसे त्रासद यह है कि उद्योग बतौर बालीवूड एकजुट होने का दिखावा करते रहने के बावजूद ऐसे मामलों में मुसलमानों का पक्षधर होने का छप्पा लग जाने के डर से चुप्पी साधना बेहतर मानता है।पर इस बार कम से कम  आस्कर विजेता साउंड इंजीनियर रसुल पोकुट्टी ने यह साफ साफ कहने की जहमत उठा ही ली कि  फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के साथ   यह घटना मुसलमान होने के कारण घटी है। पोकुट्टी ने ट्विटर पर लिखा है, "न्यूयार्क आव्रजन विभाग ने शाहरुख को हिरासत में लिया।

यह साफ है कि ऐसा उनके साथ इसलिए हुआ क्योंकि वह मुस्लिम हैं, यह ऐसे दिन हुआ जब येल युनिवर्सिटी ने उन्हें सम्मानित किया।"अब देखना है कि इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है। सरकार तो इसका खंडन करेगी, यह अपेक्षित है पर डर यह भी है कि कहीं   रसुल पोकुट्टी खुद शक के घेरे में न आ जायें या उनके खिलाफ तरह तरह के पतवे जारी न होने लगे। मालूम हो कि ऐसे फतवे से बिग बी से लेकर सचिन तेंदुलकर तक सांसत में होते हैं।

अपने सहनागरिकों के भोगे हुए यथार्थ को दलोदिमाग से खूब महसूस करते हुए भी त्रासदी है कि हमें खुलकर बोलने की आजादी नहीं है।पोकुट्टी ने ट्विटर पर लिखा है, "न्यूयार्क आव्रजन विभाग ने शाहरुख को हिरासत में लिया। यह साफ है कि ऐसा उनके साथ इसलिए हुआ क्योंकि वह मुस्लिम हैं, यह ऐसे दिन हुआ जब येल युनिवर्सिटी ने उन्हें सम्मानित किया।"

पोकुट्टी ने लिखा है, "यह भेदभाव है और उन्हें यह सब बंद करना चाहिए। शाहरुख इसे लेकर बिल्कुल शांत हैं और उन्हें इस घटना पर हंसी ही आई है। लेकिन यह इतनी सामान्य घटना भी नहीं है, उन्हें अपनी व्यवस्था की समीक्षा करनी चाहिए।"

इसके विपरीत जगजाहिर है कि अमेरिका समेत समूची पश्चिमी दुनिया और इजराइल अपने सामान्य से सामान्य नागरिक के साथ खड़े होकर युद्ध तक शुरू करने से पीछे नहीं हटता। इसी तरह विदेशी नागरिकों, खासकर अमेरिकी और पश्चिमी देशों के  नागरिकों के मामले में भारत सरकार हमेशा प्रथमिकता से सोचती है। अभी अभी माओवादियों के कब्जे से इतालवी नागरिकों को छुड़ाने के लिए माओवादियों की मांगों के मुताबिक जेलों में बंद माओवादी तक रिहा कर दिये गये। पर उसी ओड़ीशा में कोरापुट में अपह्रत विधायक की रिहाई के लिए सरकार अभी कुछ खास नहीं कर पायी।

फिल्मस्टार तो क्या हमारे राजनेता और केंद्रीय मंत्री भी जब तब अमेरिका में कपड़ तक उतार आते हैं और बेइज्जती खुशी खुशी हजम कर जाते हैं।खुलासा हो जाने पर औपचारिक विरोध जर्ज कर लिया जाता है। यह सिलसिला शायद कभी खत्म न हो।

न्यूयार्क के एक हवाईअड्डे पर करीब दो घंटे तक रोके जाने की घटना पर बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान ने येल विश्वविद्यालय में अपने मजाकिया अंदाज में कहा कि यह अच्छा था क्योंकि ऐसा हमेशा होता है।शाहरुख येल विश्वविद्यालय का सर्वोच्च सम्मान चब फेलोशिप ग्रहण करने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी के साथ उनके निजी विमान से गुरुवार को न्यूयार्क के ह्वाइट प्लेन हवाईअड्डे पर पहुंचे।

शाहरुख को आव्रजन अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया। यह हवाईअड्डा न्यूयार्क से करीब 35 मील की दूरी पर स्थित है। आव्रजन अधिकारियों ने अंबानी जिनकी पुत्री विश्वविद्यालय में साउथ एशियन सोसायटी की अध्यक्ष हैं और उनके समूह को तुरंत हवाईअड्डे से जाने की अनुमति दे दी जबकि शाहरुख को कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा हस्तक्षेप किए जाने और इस मसले को वाशिंगटन के गृह सुरक्षा विभाग के साथ उठाए जाने के बाद ही जाने की अनुमति दी।

येल यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को जब इसका पता चला तो, उन्होंने वॉशिंगटन में डिफेंस मिनिस्ट्री, इमिग्रेशन और कस्टम विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया। शाहरूख को 2009 में भी अमेरिका के नेवार्क हवाई अड्डे पर कुछ घंटे रोका गया था।

येल विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करने से पहले शाहरुख ने कहा कि जैसा की हमेशा होता है, मैं हवाई अड्डे पर 'हिरासत' में हूं।

भारत ने फिल्म अभिनेता शाहरुख खान को न्यूयार्क हवाई अड्डे पर रोके जाने के मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए अमेरिका को आगाह किया है कि ऐसी घटनाएं जारी नहीं रहनी चाहिए।

मास्को यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा ने इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इन दिनों यह ढर्रा बन गया है कि पहले किसी को हिरासत में ले लो और फिर माफी मांग लो। उन्होंने अमेरिका में राजदूत निरूपमा राव से इस मामले को अमेरिकी प्रशासन के साथ उठाने को कहा है।

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