Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Thursday, April 26, 2012

विधायक झीना हिकाका रिहा

विधायक झीना हिकाका रिहा



रिहाई के बाद हिकाका ने कहा कि माओवादियों ने उन्हें किसी तरह का कोई कष्ट नहीं दिया और सम्मान से रखा. हिकाका को रिहा करने का फैसला माओवादियों ने जनताना सरकार की एक जन अदालत में मंगलवार को लिया.

jhinahikakaमाओवादियों ने बीजू जनता दल के विधायक झीना हिकाका को 32 दिन तक बंधक बनाए रखने के बाद गुरुवार को रिहा कर दिया. हिकाका को 24 मार्च को उनके निर्वाचन क्षेत्र से अगवा किया गया था. वे लक्ष्मीपुर विधानसभा क्षेत्र से बीजू जनता दल के विधायक हैं. माओवादियों ने विधायक को कोरापुट जिले के नारायण पटना इलाके के बारा पेटा गाँव में उनकी पत्नी कौशल्या और वकील निहार रंजन पटनायक को सौंपा.

रिहाई के बाद हिकाका ने कहा कि माओवादियों ने उन्हें किसी तरह का कोई कष्ट नहीं दिया और सम्मान से रखा. हिकाका को रिहा करने का फैसला माओवादियों ने जनताना सरकार की एक जन अदालत में मंगलवार को लिया.

विधायक ने माओवादियों को लिखित आश्वासन दिया है कि रिहा होने के बाद वे विधायक पद छोड़ देंगे और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर सामान्य जीवन बिताएंगे. हिकाका की रिहाई के लिए माओवादियों ने राज्य की जलों में बंद अपने 30 साथियों को रिहा करने की मांग की थी. लेकिन इसे बाद में घटाकर 29 कर दिया था. अपनी मांगों को पूरा करने के लिए माओवादियों ने सरकार को 10 अप्रैल तक समय दिया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 18 अप्रैल कर दिया था. इसके बाद भी माओवादियों के वार्ताकारों और सरकार की बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई. तब माओवादियों ने कहा कि हिकाका की रिहाई का फैसला जनअदालत में होगा.

मंगलवार को लगी जनअदालत में हिकाका को एक लिखित समझौते के बाद रिहा करने का फैसला किया गया. भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा-माओवादी) की आंध्र-ओडिशा बार्डर स्पेशल जोनल कमेटी ने बुधवार को एक टेप जारी कर विधायक की गुरुवार को मुक्त करने की सूचना दी थी.

संदेश में कहा गया था कि हिकाका को रिहा करते समय उनकी पत्नी और वकील के अलावा कोई सरकारी अधिकारी या पुलिस नहीं होनी चाहिए. राजनीतिक विश्लेषक इस पूरे घटनाक्रम को माओवादियों की जीत के रूप में देख रहे हैं. उनका कहना है कि आदिवासियों को लेकर सरकार के रुख के देश के सामने लाने में माओवादी सफल रहे हैं. विश्लेषकों का कहना है कि सरकार ने इतावली बंधकों को रिहा करने में जिस तरह की सक्रियता दिखाई और हिकाका के मामले में उसने जैसी ढुलमुल नीति अपनाई, वह आदिवासियों के प्रति उसके रुख का परिचायक है. 

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...