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Tuesday, July 30, 2013

नियामगिरि: 7 ग्राम सभाओं ने वेदांता को खारिज किया।

ओड़िसा के कालाहांडी ज़िले के फुल्दुमेर में 29 जुलाई 2013 को हुई 7वीं ग्राम सभा की बैठक ने भी नियामगिरि पर्वत में बॉक्साइट के खनन के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से ख़ारिज कर दिया है. अब तक सात ग्राम सभाओं की बैठके हुईं है. सभी ने परियोजना लगाने के खिलाफ मतदान किया। यहां वेदांता कंपनी प्लांट लगाना चाहती है.
कलाहांडी से लन्दन तक नियमगिरी बचाने की लड़ाई जारी

31 जुलाई, 2013 को दिल्ली के उड़ीसा भवन पर सामाजिक संगठनों, कार्यकर्त्ताओं और छात्र-नौजवानों का प्रदर्शन 

1 अगस्त, 2013 को मैरियट होटल, ग्रॉसवेनर स्क्वायर,लंदन में वेदांता की वार्षिक आम बैठक के विरोध में प्रदर्शन.

नियामगिरि सुरक्षा समिति के कुमटी माझी कहते है कि, "बाक़ि 5 ग्राम सभा में भी यही होगा इसलिए सरकार को नियामगिरि में बॉक्साइट खनन का इरादा छोड़ देना चाहिए."

ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल के अपने एक फ़ैसले में आदिवासियों के 'पवित्र पर्वत' पर खुदाई की इजाज़त दिए जाने या नकारने का निर्णय  ग्राम सभाओं पर छोड़ दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए राज्य सरकार ने नियामगिरि के इर्दगिर्द बसे रायगडा और कालाहांडी ज़िलों के 12 गावों में ग्राम सभा गठन की घोषणा की, नियामगिरि सुरक्षा समिति ने आरोप लगाया है कि पर्वत के आसपास 100 से भी अधिक गाँव होने के बावजूद ओडिशा सरकार ने केवल 12 गाँव में ग्राम सभा कराने का निर्णय लेकर वेदांत के लिए रास्ता आसान करने की कोशिश कर रही है. परन्तु हम सरकार की इन कोशिषों को सफ़ल नहीं होने देगे.

इस परियोजना के भविष्य का फैसला करने के लिए 18 जुलाई 2013 को 12 ग्राम सभाओं की श्रृंखला में से हुई पहली ग्राम सभा में हिस्सा लेने के लिए आए 46 योग्य मतदाताओं में से 38 ने हाथ उठाकर अपनी राय जाहिर की। इनमें महिलाएं भी शामिल थीं। सभी ने एकराय होकर कहा, 'इस गांव का एक भी डोंगरिया कोंध नियमगिरि पहाडिय़ों पर बॉक्साइट खनन का साथ नहीं देगा। इससे पहले सभा में मौजूद करीब 20 डोंगरिया कोंध लोगों ने मौका मिलने पर अपने अधिकारों की हिफाजत की पुरजोर वकालत  करते हुए कहा कि, 'हम नियमगिरि पहाडिय़ां किसी के हवाले नहीं करेंगे, चाहे वह कंपनी हो या सरकार या कोई आदमी। नियमगिरि की पहाडिय़ां हमें सिर ढकने को छत देती हैं, हमारी प्यास बुझाती हैं और हमारी रोजी-रोटी भी इन्हीं से चलती है। इसलिए हम अपने अधिकारों की खातिर लड़ रहे हैं।

22 जुलाई 2013 को ओडिशा के रायगदा जिले में मुनीगुदा प्रखंड के केसरपड़ी गांव में इस मसले को लेकर दूसरी ग्राम सभा का आयोजित की गई। ग्राम सभा में इस मसले पर 36 लोगों को अपना मत देने का अधिकार था, लेकिन भारी बारिश के चलते इसमें से 33 लोग पहुंच सके, जिसमें से 23 महिलाएं भी शामिल थीं। भारी बारिश के बीच करीब 40 मिनट तक चली बैठक में सर्वसम्मति से खनन परियोजना का विरोध करने का फैसला किया गया। गांव के एक आदिवासी डुंडु कुत्रुका ने कहा, 'नियमगिरि पहाड़ी की श्रृंखला हमारा संसाधन है और नियाम राजा हमारा भगवान। वर्षों से इस पहाड़ी से हमें भोजन-पानी मिलता रहा है और इसी से हमारा जीवन-यापन चलता है। हम इसे छोड़ कर नहीं जा सकते।

23 जुलाई 2013 को ताड़ीझोला गांव में इस मसले को लेकर तीसरी ग्राम सभा का आयोजित की गई। ताड़ीझोला गांव भी नियमगिरि के तलहटी में स्थित है और यहां मुख्य रूप से दुधिया (मिल्कमैन) समुदाय के लोग रहते हैं। गांव के 22 योग्य मतदाताओं में से 19 लोगों ने ग्राम सभा की बैठक में हिस्सा लिया, जिसमें 12 महिलाएं एवं 7 पुरुष शामिल थे। भारी बारिश के बीच ग्राम सभा की बैठक चली और सभी ने परियोजना लगाने के खिलाफ मतदान किया।

24 जुलाई 2013 को ओडिशा के कालाहांडी जिले के कुनाकेड़ा गांव में इस मसले को लेकर चौथी ग्राम सभा का आयोजित की गई। ग्राम सभा में इस मसले पर 22 लोगों को अपना मत देने का अधिकार था, इसमें से 21 लोग पहुंचे, जिसमें से 10 महिलाएं भी शामिल थीं। सभी ने परियोजना लगाने के खिलाफ मतदान किया।

25 जुलाई 2013 को कालाहांडी जिले के तालबेरी गांव में इस मसले को लेकर पांचवीं ग्राम सभा आयोजित की गई। ग्राम सभा में इस मसले पर 15 लोगों को अपना मत देने का अधिकार था, इसमें से 14 लोग पहुंचे, जिसमें से 7 महिलाएं भी शामिल थीं। सभी ने परियोजना लगाने के खिलाफ मतदान किया।

27 जुलाई 2013 को रायगढ़ जिले के बतुड़ी गांव में इस मसले को लेकर छठी ग्राम सभा आयोजित की गई। ग्राम सभा में इस मसले पर 40 लोगों को अपना मत देने का अधिकार था, इसमें से 31 लोग पहुंचे, सभी ने परियोजना लगाने के खिलाफ मतदान किया।

29 जुलाई 2013 को कालाहांडी जिले के फुल्दुमेर गांव में इस मसले को लेकर सातवीं ग्राम सभा आयोजित की गई। ग्राम सभा में इस मसले पर 65 लोगों को अपना मत देने का अधिकार था, इसमें से 49 लोग पहुंचे, जिसमें से 32 महिलाएं भी शामिल थीं। सभी ने परियोजना लगाने के खिलाफ मतदान किया।

30 जुलाई 2013 को रायगडा जिले के इजुरुपा गांव में इस मसले को लेकर आठवीं ग्राम सभा आयोजित की जाएगी.

1 अगस्त 2013 को लम्बा गांव में इस मसले को लेकर नौवीं ग्राम सभा आयोजित की जाएगी.

8 अगस्त 2013 को लाखपादर गांव में इस मसले को लेकर दसवीं ग्राम सभा आयोजित की जाएगी.

13 अगस्त 2013 को खाम्बेसी गांव में इस मसले को लेकर ग्यारहवीं ग्राम सभा आयोजित की जाएगी.

19 अगस्त 2013 को करपदा गांव में इस मसले को लेकर बारहवीं ग्राम सभा आयोजित की जाएगी.

नियमगिरि सुरक्षा समिति के सत्या महार ने बताया कि बैठक स्थल पर पुलिस की तगड़ी उपस्थति के बावजूद सदस्यों ने खुलकर अपना विरोध जताया और स्पष्ट किया की वे मरते दम तक नियामगिरि में खनन का विरोध करते रहेंगे.

हालाँकि राज्य सरकार और वेदांता दोनों ही सेरकापाड़ी ग्राम सभा की बैठक के बारे में प्रतिक्रिया देने से कतरा रहे हैं. लेकिन माना जा रहा है कि फ़ैसले से दोनों को गहरी निराशा हुई होगी. दूसरी तरफ़ नियामगिरि में खनन का विरोध कर रहे संगठन ग्राम सभा के फ़ैसले से काफ़ी उत्साहित है.

ग़ौरतलब है कि नियामगिरि में विरोध के चलते कालाहांडी ज़िले के लांजिगढ़ में वेदांत द्वारा लगाई गई एक मिलियन टन की रिफ़ाइनरी लगभग एक साल से बंद पड़ी है.
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