अब हड़ताल नहीं,विनिवेश के लिए तैयार यूनियनें क्या कोलइंडिया के विभाजन के लिए भी तैयार हो जाएंगी?
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
कोयला यूनियनें विनिवेश के लिए सौदेबाजी करने लगी है । अब विनिवेश के विरोध के बजाय अपनी शर्त के मुताबिक विनिवेश पर जोर देने लगी है यूनियनें। इससे आशंका यह बनने लगी है कि देर सवेर यूनियनें अपनी पद्धति के मुताबिक कोल इंडिया के विभाजन के लिए भी तैयार हो जाएगी।कोल इंडिया में विनिवेश के मुद्दे पर आज कोयला मंत्रालय, कोल इंडिया और श्रम संगठनों के बीच त्रिपक्षीय बैठक हुई। हालांकि बैठक में विनिवेश को लेकर जारी गतिरोध का कोई समाधान नहीं निकल सका, लेकिन ऐसा लगता है सरकार ने श्रम संगठनों को हड़ताल न करने के लिए मना लिया है।मालूम हो कि कोलइंडिया का विभाजन करके ईस्टर्न कोलफील्ड्स और भारतकोकिंग कोल लिमिटेड जैसी अनुषंगी इकाइयों को स्वतंत्र कंपनी बनाकर उनके विनिवेश की योजना है भारत सरकार की।
कोल इंडिया यूनियन के नेताओं ने सरकार से विनिवेश के मामले में भी नेवेली लिग्नाइट मॉडल अपनाने की अपील की है। लेकिन सरकार ने कहा है कि ऐसा करना संभव नहीं है। सरकार नेवेली लिग्नाइट समेत घाटे में चल रही 7 सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी 1 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से खरीदने का मन बना रही है। इसके लिए विशेष फंड बनाया गया है।कोल इंडिया के विनिवेश के मुद्दे पर कोई बात नहीं बनी। मुद्दे पर कोल इंडिया यूनियन की कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के साथ हुई बातचीत बेनतीजा रही। मामले पर अब अगली बैठक 30 जुलाई को होगी।सेबी के मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग की शर्तों को पूरा करने के लिए सरकार कोल इंडिया में अपनी 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। कंपनी के कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं। कर्मचारियों को डर है कि और अगर कंपनी की और ज्यादा हिस्सेदारी बेची गई तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है। सरकार की फिलहाल कोल इंडिया में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इससे पहले, इंडियन नेशनल माइनवर्कर्स फेडरेशन ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर सरकार महारत्न कंपनी में और हिस्सेदारी बेचने के निर्णय पर आगे बढ़ती है तो कर्मचारी हड़ताल पर जाएंगे। हिंद मजदूर सभा तथा भारतीय मजदूर संघ समेत चार अन्य ट्रेड यूनियन भी हिस्सेदारी बेचे जाने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।
कोल इंडिया के एक शीर्ष कार्यकारी अधिकारी ने कहा, 'यूनियन नेयवेली लिग्नाइट की तरह शेयर हिस्सेदारी बिक्री की संभावनाएं जता रही थी जहां हिस्सेदारी खरीदने के लिए राज्य सरकार आगे आई थी। लेकिन नेयवेली लिग्नाइट मामले की तुलना कोल इंडिया से नहीं की जा सकती है। कोल इंडिया का कारोबार विभिन्न राज्यों में फैला हुआ है जबकि नेयवेली लिग्नाइट का कारोबार एक ही राज्य में सीमित था। साथ ही दोनों कंपनियों में विनिवेश के जरिये जुटाई जाने वाली रकम की भी तुलना नहीं की जा सकती है।'
कोल इंडिया लि. (सीआईएल) के कर्मचारियों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सरकार सार्वजनिक उपक्रम में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की दिशा में आगे बढ़ती है तो वे हड़ताल पर जाएंगे। कोल इंडिया से संबद्ध ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद जायसवाल ने कहा, कर्मचारियों के आंदोलन या हड़ताल की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, मुझे यह कहने की कोई आवश्यकता नहीं है कि ट्रेड यूनियनों ने कौने से मुद्दों को उठाया और हमने कौन से मामले उठाये। आज की बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। कोल इंडिया में विनिवेश के संदर्भ में बातचीत आगे जारी रहेगी।मंत्री ने यह भी कहा कि कोल इंडिया के ट्रेड यूनियनों के साथ कोयला मंत्रालय की अगली बैठक 30 जुलाई को होने वाली है और निर्णय कोल इंडिया के कर्मचारियों के पक्ष में किये जाएंगे। बैठक को बनतीजा बताते हुए ट्रेड यूनियन के एक प्रतिनिधि ने कहा कि कोल इंडिया के करीब 3.6 लाख कर्मचारी सार्वजनिक उपक्रम में हिस्सेदारी बेचे जाने का विरोध कर रहे हैं।
यूनियनों के बदले रवैये को कोयलामंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल का करिश्मा कहा जा सकता है । कोयला मंत्रालय तथा कोल इंडिया लि. के कर्मचारी संगठनों के बीच विनिवेश मुद्दे पर बैठक आज बेनतीजा रही। हालांकि श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि श्रमिकों के बीच अशांति की आशंका नहीं है।लेकिन कोयला मंत्री के लिए असल चुनौती है बिजली कंपनियों के साथ कोलइंडिया के ईंधन आपूर्ति समझौतों पर दस्तखत कराना। अभूतपूर्व उत्पादन संकट में फंसी कोलइंडिया दो दो बार राष्ट्रपति की डिक्री के बावजूद अब भी एक दा नहीं 52 बिजली संयंत्रों के साथ ईंधन आपूर्ति समझौता करने में नाकाम रही है। जिसक मद्देनजर कोयला मंत्रालय ने कोल इंडिया की गुरुवार को होने वाली निष्पादन सीमक्षा बैठक टाल दी है। कंपनी अपना उत्पाद लक्ष्य प्राप्त करने से चूक गई है। कोयला मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल की अध्यक्षता में होने वाली कोल इंडिया की निष्पादन समीक्षा बैठक फिलहाल टल गई है। दावा तो यही किया जा रहा है कि यह बदलाव मंत्री की व्यस्तता के कारण किया गया है।जबकि समीक्षा बैठक के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई है लेकिन बैठक इस महीने के आखिर या अगस्त की शुरूआत हो सकती है। कंपनी ने बांबे स्टाक एक्सचेंज को बताया कि कोल इंडिया और उसकी अनुषंगियों ने जून में 3.25 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया जो 3.52 करोड़ टन के तय लक्ष्य के मुकाबले 92 प्रतिशत के बराबर है। बैठक टलने की वजह उत्पादन संकट है, इसमें कोई शक नहीं है।
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