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Wednesday, July 10, 2013

एलपीजी से चलते आटोरिक्शा,महंगा सफर और खतरे में जान!

एलपीजी से चलते आटोरिक्शा,महंगा सफर और खतरे में जान!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


राजधानी दिल्ली में स्कूटर गैस से चलते हैं, लेकिन एलपीजी से नहीं। कोलकाता और उपनगरों में लाखों की तादाद में आटोरिक्शा लाइसेंस और बिना लाइसेंस के चलते हैं और ईंधन के लिए उनमें एलपीजी का इस्तेमाल होता है। बिना सब्सिडी वाले एलपीजी का।एक लीटर से 20 किमी की अधिकतम दौड़ के लिए प्रतिलीटर 56 रुपये का भुगतान करना पड़ता है।सीएनजी से से आटोरिक्शा चलने थे।जिसके तहत तमाम आटोरिक्शा बदल दिये गये। पर सीएनजी नदारद है। सीएनजी के नाम पर हुए व्यापक तब्दीली के वक्त लगभग चार साल पहले एलपीजी का भव प्रति लीटर 26 रुपये था,जो अब दोगुणा से ज्यादा है। लेकिन किराया में उस औसत से वृद्धि न होने के कारण घाटा पाटने में तरह तरह की जुगत लगानी होती है।


ओवरलोडिंग से लेकर मनमानी वसूली तक के जरिये आटोरिक्शा का अर्थशास्त्र चलता है।मालूम हो कि राज्य सरकार ने पेट्रोल से गैस में परिवर्तित करने के लिए सभी आटो को हरे रंग का करने का निर्देश दिया था। लेकिन इसके बाद पेट्रोल से चलने वाले आटो चालकों ने भी रंग बदल लिया और प्रशासन को इसका पता ही नहीं चल सका। क्या इस बार भी वैसा ही होगा, इस बारे में परिवहन विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि यह देखना पुलिस का काम है। जबकि पुलिस वालों का कहना है कि पहले ही कर्मचारियों की संख्या कम है, इसके बाद नए काम देखना संभव नहीं है।


आटोरिक्शा चालकों की इस बदहाली का फायदा राजनीतिक दल उठाते हैं। बिना जाजनीतिक संरक्षण के आटोरिक्शा सड़कों पर उतर ही नहीं सकता।राजनीतिक परिचय के साथ बिना लाइसेंस जुगाड़बाजी से रूट की परवाह किये बिना चलते लाखों आटोरिक्शा  रोजाना की जिंदगी कीअहम हिस्सा बन गया है।यात्री सुरक्षा और नियम कानून की धज्जियां उड़ाकर महानगर और उपनगरों में ाटोराज कायम हो गया है ौर िसके खिलाफ सिकायत करने का कलेजा आम लोगों में होता नहीं है।


राज्य सरकार ने कोलकाता व आसपास के इलाकों को छह इलाकों में बांटा है। सभी इलाकों का रंग अलग-अलग है, जिससे एक इलाके का आटोरिक्शा दूसरे इलाके में न जा सके। इतना ही नहीं, सभी जगह एक बराबर किराया रखा जाएगा। इसके तहत पहले पांच किलोमीटर तक न्यूनतम किराया पांच रुपए तय हुआ। यह भी तय हुआ कि सभी आटो एलपीजी गैस से चलाए जाने का इंतजाम किया जा रहा है। यह भी तय किया गया है कि किसी नए रुट के लिए मंजूरी न दी जाए।


राज्य सरकार ने आटोरिक्शा पर अंकुश लगाने के लिए आशिषरंजन ठाकुर के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया गया था। उन्होंने सिफारिश की है कि अब आटो चलाने के लिए छह भागों में बांटने की सिफारिश की गई है। इसमें हर इलाके के लिए अलग-अलग रंग होने चाहिए। इसके तहत उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम कोलकाता को छोड़कर उत्तरी शहरी इलाका और दक्षिण शहरी इलाका निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि एक रुट का आटो दूसरे रुट में न चल सके।कोलकाता में आटोरिक्शा के 125 रुट हैं, लेकिन इन्हें राज्य सरकार ने मंजूरी प्रदान नहीं की है भले ही आंचलिक परिवहन अधिकारी (आरटीओ) से मान्यता मिली हुई है। ऐसे रुट को मंजूरी देने की सिफारिश भी की गई है।


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