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Thursday, July 11, 2013

कोल इंडिया ने हथियार डाल दिये, दो माडल कोयला आपूर्ति समझौते पर दस्तखत!

कोल इंडिया ने हथियार डाल दिये, दो माडल कोयला आपूर्ति समझौते पर दस्तखत!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


जैसी कि पूरी संभावना थी भारत सरकार, कोयला मंत्रालय और कैग के त्रिशुली दबाव में कोल इंडिया ने हथियार डाल दिये। एनटीपीसी ने कोल इंडिया को दो हजार करोड़ की भुगतान रोका हुआ है जबकि एनटीपीसी की शिकायत है कि कोलइंडिया घटिया क्वालिटी का कोयला देता है, लिहाजा दाम भी उसी हिसाब से तय होने चाहिए। कैग ने दोनों पक्षों को आपस में विवाद सुलझाने को कहा जबकि भारत सरकार ने कोयला नियामक बनाकर कोयले के मूल्य निर्धारम में कोल इंडिया का एकाधिकार ही खत्म कर दिया। ऐसे में समझौता करने के सिवाय कोल इंडिया प्रबंधन के पास कोई चारा नहीं था। उत्पादन के फर्जी आंकड़ा जारी करने के मामले को लेकर कोल इंडिया कैग जांच के शिकंजे में है। कैग की हुक्मउदूली करने की उसकी हालत नहीं है। वैसे भी नीति निर्धारण के पैमाने तहत भारत सरकार कोयले के लिए कोलइ इंडिया पर निर्भरता का जमाना खत्म करते हुए बिजली कंपनियों को अंधाधुंध कोयला आयात की छूट दे रखी है।


आखिरकार कोलइ इंडिया ने झख मारकर एनटीपीसी के साथ दो माडल कोयला आपूर्ति समझौते पर दस्तखत करते हुए सालभर पुराना विवाद खत्म कर दिया। एनटीपीसी के बिहार स्थित कहलगांव और पश्चिम बंगाल के फरक्का  के पाच सौ पांच मेगावाट संयंत्रों को ईस्टर्न कोलफील्ट्स लिमिटेड 2.31 मिलियन टन कोयला आपूर्ति करेगी, इस आशय के दो माडल समझौते पर बिना किसी हील हुज्जत के दस्तखत हो गये। अब 17 जुलाई को दोनों संस्थाओं के  अध्यक्षों की मौजूदगी  में कुछ और समझौते परदस्तखत हो जाने की उम्मीद है।


बगाल के लिए बहरहाल अच्छी खबर यही है कि फरक्का को अबाधित कोयला आपूर्ति जारी रहने से बिजली संकट के आसार  कुछ तो कम होंगे।


मालूम हो कि कुल नौ हजार मेगावाट बिजली के लिए दोनों संस्थाओं के बीच इस तरह के कुल 29 माडल समझौते पर दस्तखत होने हैं।देश की सबसे बड़ी कोयला कंपनी और सबसे बड़ी बिजली कंपनियों के बीच युद्धविराम से उद्योग जगत में राहत की सांस ली जा रही है।


मालूम होकि कोल इंडिया की ओर से इस वक्त एनटीपीसी को 125 से लेकर 130 मिलियन टन कयला की ापूर्ति की जाती है।


एनटीपीसी 3100 किलो कैलोरीज की दर से कोल इंडिया को भुगतान करने से लगातार मना कर रहा था लेकिन अब वह नई ग्रेडिंग के मुताबिक भुगतान करने को तैयार है। लेकिन इसके सात ही एनटीपीसी ने यह साफ कर दिया कि 3100 कैलोरीज से कम क्वालिटी के कोयले के लिए उसकी ओर से इंटेंसिव बतौर महज 25 फीसद का ही भुगता न किया जायेगा।


एनटीपीसी ने कहा है कि वह कुछ शर्तों के साथ कोल इंडिया के साथ ईंधन आपूर्ति समझौते पर दस्तखत करेगी। इससे पहले, बिजली कंपनी ने कोयले की गुणवत्ता मुद्दे पर कोयला खरीदने से मना कर दिया था। देश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी ने कहा कि उसके निदेशक मंडल ने कोल इंडिया के साथ 9,370 मेगावॉट क्षमता के संयंत्रों के लिए ईंधन आपूर्ति समझौते (एफएसए) पर दस्तखत करने को मंजूरी दे दी है। कंपनी लदान स्थल पर कोयले का नमूना लेगी। एनटीपीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अरूप राय चौधरी ने कहा, 'कंपनी 3,100 किलो कैलोरी से नीचे की गुणवत्ता वाला कोयला स्वीकार करेगी।'


उन्होंने कहा, 'कोल इंडिया ने सूचित किया है कि लदान स्थल पर तीसरे पक्ष से कोयले के नमूने की जांच और उसका विश्लेषण का काम इस साल 30 सितंबर से शुरू होगा।' कंपनी मार्च, 2009 के बाद अस्तित्व में आए बिजली संयंत्रों के लिए ईंधन आपूर्ति समझौते (एफएसए) पर दस्तखत करेगी। एनटीपीसी को चालू वित्त वर्ष के दौरान 16 करोड़ टन कोयले की जरूरत है। कंपनी अपने दम पर 1.6 करोड़ टन कोयले का आयात करेगी। उन्होंने कहा, 'हम चालू वित्त वर्ष में 1.6 करोड़ टन कोयले का आयात करेंगे।' एनटीपीसी फिलहाल 41,000 मेगावॉट से अधिक बिजली का उत्पादन करती है।


इस बीच एक बुरी खबर भी है  किआयातित कोयले पर सरकारी व्यवस्था के बाद भारतीय बिजली उत्पादक कंपनियों ने सोचा था कि उनकी समस्या हल हो गई है, लेकिन झटका देने वाली एक और खबर उन्हें मिल गई है। इंडोनेशिया कोयला निर्यात पर पाबंदी लगाने की सोच रहा है। प्रस्तावित पाबंदी से टाटा पावर, अदाणी पावर, लैंको इन्फ्रास्ट्रक्चर, जीएमआर, एस्सार पावर और एनटीपीसी जैसी कंपनियों की बिजली उत्पादन लागत बढ़ सकती है और इसके चलते बिजली की दरों में भी इजाफा हो सकता है।

देश में सालाना होने वाले करीब 11 करोड़ टन कोयले के आयात में इंडोनेशिया की हिस्सेदारी 70 फीसदी से ज्यादा है। भारत में इंडोनेशिया के राजदूत आर डब्ल्यू इन्द्रकेसुमा ने कहा, लंबी अवधि के लिए आपूर्ति सुनिश्चित करने की खातिर निर्यात पर नियंत्रण इंडोनेशिया के लिए जरूरी हो गया है। वहां अभी कोयले की खपत काफी कम है, लिहाजा इंडोनेशियाई सरकार नए नियमों का अभी आकलन कर रही है, जिसके जरिए 2014 में खराब गुणवत्ता वाले कोयले (5100 किलोकैलोरी से कम) पर पाबंदी लग सकती है।



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