Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Friday, July 12, 2013

जनता शांति चाहती है और धर्म का राजनीति से कोई वास्ता नहीं,पहले चरण के मतदान का यह संदेश!

जनता शांति चाहती है और धर्म का राजनीति से कोई वास्ता नहीं,पहले चरण के मतदान का यह संदेश!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


बंगाल में भी और बंगाल के जंगल महल में भी जनता शांति चाहती है और धर्म का राजनीति से कोई वास्ता नहीं,पहले चरण के मतदान का यह संदेश है। केंद्रीय वाहिनी की मोजूदगी में मतदान कराने के मुद्दे पर चुनाव में देरी जरुर हुई, लेकिन इस विवाद का सकारात्मक नतीजा यह निकला कि जंगल महल में भी छिटपुट वारदातों को छोड़कर मतदान शांतिपूर्ण है।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी संतोष जताया कि जंगल महल में मतदान शांतिपूर्ण रहा और ताज्जुब की बात है कि पहली बार राज्य चुनाव आयुक्त मीरा पांडेय ने उनसे सहमति जताय़ी है, जबकि दोनों पक्षों के बीच अदालती युद्ध के बाद ही यह मतदान हो सका कड़ी सुरक्षा व्यवस्था एवं हेलीकॉप्टर से निगरानी के बीच शाम 5 बजे तक लगभग 70 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया।।नक्सल प्रभावित जंगलमहल के तीन जिले पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा और पुरुलिया के 10 हजार 38 मतदान केंद्रों पर  शांतिपूर्ण मतदान का श्रेय दोनों को मिलना चाहिए।


राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव तापस राय ने संवाददाताओं से कहा, 'चुनाव करीब करीब शांतिपूर्ण रहा है। हिंसा की कुछ वारदात हुई हैं। जैमिंग और बूथ कैप्चर करने की कुछ शिकायतें मिली हैं। हम इन पर विचार कर रहे हैं।' आयोग के सूत्रों ने कहा कि शाम 5 बजे तक करीब 70 प्रतिशत मतदान हुआ। इस समय मतदान केंद्रों पर लंबी लंबी कतारें लगी हुई थीं।

दूसरी ओर,मुख्यमंत्री ने कहा, 'मतदान प्रक्रिया पूरी तरह शांतिपूर्ण रही। जनता ने माओवादियों और माकपा की हिंसा की राजनीति को खारिज कर दिया है।'


माओवादी शिकंजे में फंसे और सैन्य घेराबंदी में कैद रोजमर्रे की जिंदगी के लिए अमन चैन कितना अहम है, राततक कुल उन्नीस घंटे मताधिकार का इस्तेमाल कर रही आदिवासी जनता ने साबित कर दिया की लोकतंत्र में हाशिये पर धकेले जाने के बावजूद वे किस हद तक लोकतंत्र में आस्था रखते हैं और उनको माओवादी करार दिया जाना कितना गलत है।पश्चिमी मेदिनीपुर जिले के माओवादी प्रभाव वाले पिराकाटा, भीमपुर, सालबनी और गोलतोरे में भी मतदाताओं की लंबी कतारें देखी गयीं। मतदान में भाग लेने वाले बुजुर्ग नागरिकों ने बताया कि उन्होंने इतने सालों में पहले कभी मतदाताओं के बीच इतना उत्साह नहीं देखा। महिलाएं भी बड़ी संख्या में घरों से वोट डालने के लिए निकलीं जिसमें जगह जगह छड़ियों के सहारे बुजुर्ग महिलाओं को भी उत्साह के साथ जाते हुए देखा जा सकता था। बांकुरा जिले के बिष्णुपुर में मुस्लिम समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में कतार में खड़े देखे गये।


खास बात तो यह है कि रमजान के महीने में भी अल्पसंख्यक मतदाताओं ने बड़े पैमाने पर मताधिकार का उपयोग किया। जबकि राजनीति का दावा था कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में रोजे के दौरान लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने में दिक्कत होगी। धर्मप्रिय मुसलमानों ने रोजा रखकर भी मताधिकार का सही इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही और धर्म आधारित राजनीति को गलत साबित कर दिया।राजनीति इससे सबक लें और आम जनता से सीखें तो बेहतर।


चुनाव प्रक्रिया शुरु होने से पहले जो अराजक आत्मघाती हिंसा का वातावरण बन गया था और खून की नदियां बहने की आशंका होने लगी थी, अदालती हस्तक्षेप के तहत सुरक्षा इंतजाम  के अंतर्गत कम से कम पहले चरण के मतदान से लगता है कि उससे मुक्ति का रास्त बनने लगा है। राजनीति को अब इस रास्ते सेभटकना नहीं चाहिए।देर से आयद, दुरुस्त आयद। राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार के पक्ष अलग अलग थे, लेकिन विवाद के निपटारे के बाद आम जनता को पंचायती राज का हक हकूक मिल जाये, यही अपेक्षित है।


बहरहाल, विपक्षी कांग्रेस और वाम मोर्चा ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय बलों को उचित तरीके से तैनात नहीं किया गया और ऐसा तृणमूल कांग्रेस ने आतंक फैलाने के लिए किया है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा, ''क्या यह चुनाव हैय़ केंद्रीय बलों को उचित तरीके से तैनात नहीं किया गया। कई कार्यकर्ताओं को बुरी तरह पीटा गया। यह सबसे अधिक खून-खराबे वाला चुनाव है जो मैंने देखा है।'



No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...