मुख्यमंत्री को जिस समय अपने लापरवाह अधिकारियों पर कार्यवाही करनी चाहिए उस समय वो अपनी पार्टी की अध्यक्षा और राज्य प्रभारी के चरण कमल चूमने दिल्ली के दौरे कर रहें है, क्या उनकी जवाबदेही केवल अपनी पार्टी कांग्रेस की प्रति ही है, राज्य की जनता के प्रति उनकी कोई जवाबदेही नहीं है ?
मानसून के दौरान अलर्ट रहने के शासनादेश की अनदेखी करने वाले अधिकारियों पर सरकार को क्या आपराधिक मुकदमा नहीं चलाना चाहिए ? मानसून पूर्व समय पर आपदा प्रबंधन में अधिकारियों की लापरवाही से निर्दोष लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार भी तो आखिर ये अधिकारी ही तो हैं ?
आखिर अतिवृष्टि में पर्याप्त आपदा प्रबंधन के पुख्ता इंतजाम ना करने वाले राज्य नौकरशाही के जिम्मेदार अधिकारियों पर सरकार कोई कार्य-वाही क्यों नहीं करती और करेगी भी तो कब तक आखिर भातीय दंड विधान इन पर भी तो लागू होता है ?
क्या सरकार को अभी किसी और आपदा का भी इन्तजार है ?
क्या सरकार को अभी किसी और आपदा का भी इन्तजार है ?
(खबर आभार : दैनिक जनवाणी, देहरादून संस्करण)
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