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Saturday, July 13, 2013

बंगाल के ताप विद्युत संयंत्रों को घटिया कोयला,कोल इंडिया के खिलाफ जांच के आदेश दिये सीसीआई ने

बंगाल के ताप विद्युत संयंत्रों को घटिया कोयला,कोल इंडिया के खिलाफ जांच के आदेश दिये सीसीआई ने


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


कोल इंडिया पर मुसीबतो का पहाड़ टूटने लगा है ।भारत सरकार ने कोयला नियामक बनाकर मूल्य निर्धारण में उसे एकाधिकार तोड़ दिया। कैग के दबाव में उसे एनटीपीसी के आगे हथियार डालने पड़े और राष्ट्रपति के आदेशानुसार उसे कोयला आपूर्ति गारंटी समझौतों पर दस्तखत भी करना पड़ रहा है। सीसीआई जो पहले उसके विरुद्ध एकाधिकार के गलत इस्तेमाल के आरोपों के सिलसिले में उसकी कैफियत से संतुष्ट लग रही थी,अब एकदम पलट गयी है।इससे पहले खबर यह थी कि कोल इंडिया (सीआईएल) ने प्राइसिंग, फ्यूल सप्लाई पैक्ट्स और प्रोडक्शन में अपनी मजबूत पोजिशन का गलत फायदा उठाने से जुड़ी सीसीआई की चिंता दूर करने की कोशिश की है। सीआईएल की देश के कोल मार्केट में मोनोपली है। सीआईएल के इसका गलत फायदा उठाने के आरोपों की सीसीआई जांच कर रहा है।



सीसीआई ने कोल इंडिया के खिलाफ जांच के आदेश दिये हैं। कंपनी पर पावर प्लांट को कोयला देने में अनियमितता बरतने के आरोप हैं।कोल इंडिया पर पश्चिम बंगाल पावर प्लांट कोर्पोरेशन ने आरोप लगाए हैं। इससे पहले भी कंपनी पर गड़बड़ियों के आरोप लगते रहे हैं।सीसीआई ने पश्चिम बंगाल पावर प्लांट कोर्पोरेशन की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए कोलइंडिया के एकाधिकारवादी रवैये की तीखी आलोचना करते हुए जांच का यह आदेश जारी किया है।सीसीआई अभी सीआईएल पर खराब क्वालिटी के कोयले की सप्लाई करने के आरोप की जांच कर रहा है। पहले महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी (महाजेनको) ने इसकी शिकायत की थी। बाद में गुजरात, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल की यूटिलिटीज ने भी सीसीआई के लिए फॉर्मल पिटीशंस दाखिल की थी।पिछले साल महाजेनको ने यह आरोप लगाते हुए सीसीआई का दरवाजा खटखटाया था कि सीआईएल अपनीमोनोपली पावर का फायदा उठा रही है और अनुचित सप्लाई एग्रीमेंट्स के लिए प्रेशर बना रही है। शिकायत केबाद सीसीआई ने सीआईएल की जांच शुरू की है।


कैबिनेट ने कोल रेग्युलेटरी बिल को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें नियामक की भूमिका मूल्य निर्धारण (कच्चे और धुले हुए कोयले), खनन में निवेश आकर्षित करने, विवादों के समाधान में मदद और नीतिगत मुद्दों पर परामर्श के लिए ढांचा तैयार करने की होगी। हालांकि कोल इंडिया अपने कीमत निर्धारण प्रभाव को बनाए हुए है। इससे निवेशकों का भय कम हुआ है और शेयर पर सकारात्मक असर दिखा है।कंपनी मई के अंत में (कुछ वर्ष बाद) अपने ईंधन आपूर्ति समझौतों (एफएसए) के लिए कीमत वृद्घि में सफल रही जिससे उसे बड़ी राहत मिली है। कंपनी कर्मचारी लागत में वृद्घि के बावजूद कुछ समय से कीमत वृद्घि में विफल रही थी।


पश्चिम बंगाल पावर प्लांट कोर्पोरेशन की शिकायत है कि कोल इंडिया बंगाल के ताप विद्युत संयंत्रों को कोयला आपूर्ति के सिलसिले में आपूर्ति समझौते की विभिन्न धाराओं का गलत इस्तेमाल करते हुए घटिया कोयला स्पलाई कर रही है।


प्रथम द्रष्टया अभियोग का संज्ञान लेते हुए सीसीआई ने कोल इंडिया और उसकी तीन अनुषंगी इकाइयों ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, भारत कोकिंग कोल लिमिटेड और महानदी कोलफील्ट्स के खिलाफ जांच के आदेश दिये हैं।


पश्चिम बंगाल पावर प्लांट कोर्पोरेशन सवाल उठाये हैं कि कोल इंडिया ने निजी बिजली कंपनियों और सरकारी बिजली संयंत्रों के लिए कोयला आपूर्ति समझौते में अलग अलग प्रावधान क्यों रखे हैं और क्यों सरकारी क्षेत्र के साथ भेदभाव बरता जा रहा है। कार्पोरेशन ने कोलइंडिया के आपूर्ति बंद करने के एकतरफा अधिकार भी विरोध दर्ज कराया है।कार्पोरेशन को कोलइंडिया के कोयला आपूर्ति के लिए जमानत राशि मांगने पर भी आपत्ति है।


इस पर सीसीआई ने कहा है कि कोल इंडिया अपने एकाधिकारवादी वर्चस्व के चलते कोयला आपूर्ति समझौते की शरतों का मनचाहे तरीके से उल्लंघन कर रही है।गौरतलब है कि देश में होने वाले 530 मिलियन कोयले के उत्पादन में अस्सी प्रतिशत हिस्सा कोल इंडिया का है।



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