उत्तराखंड: उस बाढ़ के बाद एक महीना
उत्तराखंड में आई प्रलयकारी बाढ़ और भूस्खलन से हुई तबाही को आज एक महीना हो गया है. इस त्रासदी ने उत्तराखंड में व्यापक तबाही मचाई थी. इसमें सैकड़ों लोगों की जान गई जबकि आधिकारिक तौर पर 5748 लोग अब भी लापता हैं. बाढ़ में फंसे एक लाख से अधिक लोगों को निकालने के लिए सुरक्षा बलों ने देश का अब तक का सबसे बड़ा राहत अभियान चलाया.
उत्तराखंड में 16 जून को मूसलाधार बारिश के बाद आई विनाशकारी बाढ़ के बाद गढ़वाल में चार धाम यात्रा मार्ग बंद हो गई और हजारों तीर्थयात्री फंस गए. राज्य में जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया.
सबसे ज़्यादा तबाही रूद्रप्रयाग ज़िले में हुई. इसी ज़िले में स्थित केदारनाथ मंदिर को भारी नुक़सान हुआ. केदारनाथ मंदिर का मुख्य हिस्सा और गुंबद तो सुरक्षित है लेकिन मंदिर परिसर के आस-पास काफ़ी तबाही मची.
ऋषिकेश में उफनती गंगा ने शिव की इस मूर्ति को भी नहीं बख्शा.
श्रीनगर में अलकनंदा नदी के कहर की चपेट में सशस्त्र सीमा बल की अकादमी को भी भारी नुकसान हुआ.
जगह-जगह सड़क टूटने से हज़ारों लोग जहां-तहां फंस गए. उन तक पहुंचने के लिए सुरक्षा बलों को काफी मशक्कत करनी पड़ी.
19 जून को बर्बादी का हवाई जायजा लेने के बाद प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा, "हमने अपनी आंखों से बर्बादी देखी है. जो हमने देखा, वह बहुत तनावपूर्ण था. इस समय हमारी पहली जिम्मेदारी राहत और बचाव कार्य है."
बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए सुरक्षा बलों ने व्यापक अभियान चलाया और क़रीब 20 दिन तक चले राहत अभियान में एक लाख से अधिक लोगों के सुरक्षित निकाला गया.
बचाव कार्य में जुटा वायुसेना का एक हेलीकॉप्टर 25 जून को गौरीकुंड के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें सवार सभी 19 लोग मारे गए.
मृतकों का 27 जून को सामूहिक अंतिम संस्कार शुरू किया गया.
उत्तराखंड सरकार ने 15 जुलाई को घोषणा की कि 5748 लोग ऐसे हैं जिनका कोई पता नहीं चल पाया है. अब सरकार की ओर से इन्हें मृत मानकर इनके परिजनों को मुआवज़ा देना शुरू कर दिया जाएगा.
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