अखिल भारतीय वनश्रमजीवी यूनियन
पता: टैगोर नगर, सरिता प्रिंटिग प्रेस के पास, रार्बटसगंज सोनभद्र उ0प्र0, 222 विधायक आवास लखनउ उ0प्र0
दिनांक: 16 जुलाई 2013
सेवा में,
जिलाधिकारी
जनपद सोनभद्र, उ0प्र0
विषयः हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्या आदिवासी सोकालो गोंण निवासी मझौली त0 दुद्धी के पुत्र श्रवण कुमार उर्फ मिथिलेश कुमार की हिंडालको के हस्पताल में डाक्टरों व नर्स की लापरवाही के कारण मृत्यु के सम्बन्ध में
महोदय,
विदित हो कि दिनांक 14 जुलाई 2013 को हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्या सोकालो गोंण के पुत्र मिथिलेश कुमार उम्र 14 वर्ष की मृत्यु रेणूकूट स्थित हिंडालको हस्पताल में डाक्टर व नर्स द्वारा खून न चढ़ाने की वजह से हो गई जिसके लिए हम इस हस्पताल के डाक्टर व नर्सो को पूर्ण रूप से जिम्मेदार ठहराते हैं। मिथिलेश कुमार को 13जुलाई 2013 को रात 10 बजे हिंडालको हस्पताल रेणूकूट में दु़द्धी प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र की सलाह पर भर्ती किया गया था। मिथिलेश कुमार को मलेरिया बताया गया व उसकी खून की रिपोर्ट में हिमोग्लोबिन 5 अंक ही रह गया था। दुद्धी स्वास्थ केन्द्र ने मिथिलेश के प्रियजन को फौरन रेणूकूट या रार्बटसगंज लेजाने को कहा। रार्बटसगंज की दूरी लगभग 70 कि0मी थी जिसकी वजह से उसे रेणूकूट ही लेजाना बेहतर समझा गया जो कि नज़दीक था। सोकालो गोंण के अनुसार जब से मिथिलेश को हिंडालको अस्पताल में भर्ती कराया गया तब से डाक्टर व नर्सो ने काफी लापरवाही बरती व उनके साथ बहुत ही गलत व्यवहार किया। बहुत कहने सुनने पर मिथिलेश की खून की जांच में हिमोग्लोबिन 4.5 निकला व सफेद कण जिसे प्लेटिलेट कहते है वे केवल .40000 ही रह गए थे जबकि इनकी संख्या डेढ़ लाख से उपर होनी चाहिए। प्लेटिलेट काउंट के कम होने का मतलब है कि अवश्य उसे डेगू हुआ होगा लेकिन इस और अस्पताल द्वारा कोई जांच नहीं की गई व उसे मलेरिया ही बताया गया । सोकालो गोंण को बताया गया कि उनको दो बोतल खून की व्यवस्था करनी है जिसके लिए सोकालो व उसके पति के खून की जांच करने के लिए भी चार घंटे लगा दिए गए व अंतत बताया गया कि उनका खून मिथिलेश के ग्रुप से नहीं मिलता है। मैं खुद इस विषय में सोकालो गोंण से लगातार संपर्क बनाए हुए थी। रात दो बजे जब मैंने फोन किया तो पता चला कि मिथिलेश कुमार को खून तब तक नहीं चढ़ाया गया था जिसपर मैंने सोकालो से कहा कि फौरन मेरी बात डाक्टर से कराए। तब सोकालोजी ने मेरी बात एक नर्स से कराई जिनको मैंने काफी सख्ती से कहा कि बच्चे की हालत अति गंभीर है आप उसे ब्लड बैंक से खून दिजिए सुबह होते ही हमारा संगठन खून की व्यवस्था कर देगा। इस फोन से कुछ असर हुआ व सोकालो के अनुसार एक बोतल खून की व्यवस्था की गई जिसके लिए सोकालोजी से हस्पताल कर्मचारीयों द्वारा 3000रू भी ले लिए गए थे।
हमारा संगठन का एक जांच दल दिनांक 15 जुलाई 2013 को सोकालो गोंण के गांव गया था व हस्पताल के सभी दस्तावेज़ों को अध्ययन किया गया जिसमें इस बात की पुष्टि है कि सोकालो गोंण के पति नानहक से 3000रू लिए गए थे जबकि इलेक्ट्रानिक रसीद 1119रू की थी। लेकिन हाथ से लिखे हुए रसीद में हस्पताल से 3000रू वापिस कर इस बात का सबूत दे दिया है कि मिथिलेश के माता पिता से 3000रू भी ले लिए गए थे व एक बोतल खून का भी इंतजाम हो गया था लेकिन 14 जुलाई की सुबह 7 बजे तक बच्चे को खून नहीं चढ़ाया गया जिसके कारण मिथिलेश कुमार ने इलाज के अभाव के चलते दम तोड़ दिया।
इस संदर्भ में हमारा पूरा राष्ट्रीय संगठन काफी सदमे में है चूंकि यह बात गले नहीं उतरती कि सही समय पर हस्पताल ले जाने पर भी मिथिलेश कुमार को जिंदा रखने के लिए हस्पताल द्वारा कोई कोशिश नहीं की गई जबकि ऐसी मेडिकल रिपोर्ट में उपचार करना किसी निजी हस्पताल के लिए कोई कठिन काम नहीं है। दूसरा गैरकानूनी काम जो हस्पताल ने किया वो यह है कि कागज़ों पर मिथिलेश के पिता के हस्ताक्षर करा कर यह लिखा लिया गया कि '' हम यानि माता पिता खून का इंतजाम नहीं कर पाए इसलिए मिथिलेश कुमार को कुछ भी होगा उसके लिए हम जिम्मेदार है''। यह हस्ताक्षर 14जुलाई 2013 को कराए गए जो कि किसी डाक्टर द्वारा हाथ से लिखा हुआ है व यह हस्ताक्षर उसी समय के हैं जब मिथिलेश कुमार ने दम तोड़ दिया था।
इस संदर्भ में हमारे संगठन द्वारा 15 जुलाई 2013 को एक विशाल प्रर्दशन भी किया गया था और आपसे मिलकर इस घटना की जांच की मांग की गई थी। इस सम्बन्ध में अभी तक क्या कार्यवाही हुई है इस बारे में भी हमें अवगत कराने का कष्ट करें।
इस घटना से हमारा पूरा संगठन काफी आहत है व इस पूरी घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग करता है। ज्ञातव्य हो कि हिंडालको हस्पताल हिंडालकों कम्पनी का अंर्तगत चलने वाला हस्पताल है जो कि सोनभद्र के सबसे आधुनिक शहर रेणूकूट मे बनाया गया है लेकिन वहां आदिवासीयों व गरीब लोगों के इलाज में लगातार लापरवाही व कोताही बतरतने की रिपोर्ट मिलती रहती है। इस मामले में हमारा संगठन चाहता है कि लापरवाह डाक्टर व नर्सो के खिलाफ जांच कर उन्हें जेल भेजा जाए व कम से कम 5 लाख का मुवाअजा इस लापरवाही के लिए मिथिलेश कुमार के परिवार को दिया जाए। अगर डाक्टर व नर्सो पर कार्यवाही नहीं होगी तो हमारा संगठन इस सम्बन्ध में जनांदोलन करने पर बाध्य होगा।
धन्यवाद
रोमा
उपमहासचिव
प्रतिलिपि
1. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
2. स्वास्थ मंत्री, उ0प्र0
3. मुख्य सचिव, उत्तरप्रदेश सरकार
4. केन्द्रीय ग्रामीण मंत्री श्री जयराम रमेश
5. केन्द्रीय आदिवासी मंत्री श्री के0सी देव
6. सभी प्रेस
पता: टैगोर नगर, सरिता प्रिंटिग प्रेस के पास, रार्बटसगंज सोनभद्र उ0प्र0, 222 विधायक आवास लखनउ उ0प्र0
दिनांक: 16 जुलाई 2013
सेवा में,
जिलाधिकारी
जनपद सोनभद्र, उ0प्र0
विषयः हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्या आदिवासी सोकालो गोंण निवासी मझौली त0 दुद्धी के पुत्र श्रवण कुमार उर्फ मिथिलेश कुमार की हिंडालको के हस्पताल में डाक्टरों व नर्स की लापरवाही के कारण मृत्यु के सम्बन्ध में
महोदय,
विदित हो कि दिनांक 14 जुलाई 2013 को हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्या सोकालो गोंण के पुत्र मिथिलेश कुमार उम्र 14 वर्ष की मृत्यु रेणूकूट स्थित हिंडालको हस्पताल में डाक्टर व नर्स द्वारा खून न चढ़ाने की वजह से हो गई जिसके लिए हम इस हस्पताल के डाक्टर व नर्सो को पूर्ण रूप से जिम्मेदार ठहराते हैं। मिथिलेश कुमार को 13जुलाई 2013 को रात 10 बजे हिंडालको हस्पताल रेणूकूट में दु़द्धी प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र की सलाह पर भर्ती किया गया था। मिथिलेश कुमार को मलेरिया बताया गया व उसकी खून की रिपोर्ट में हिमोग्लोबिन 5 अंक ही रह गया था। दुद्धी स्वास्थ केन्द्र ने मिथिलेश के प्रियजन को फौरन रेणूकूट या रार्बटसगंज लेजाने को कहा। रार्बटसगंज की दूरी लगभग 70 कि0मी थी जिसकी वजह से उसे रेणूकूट ही लेजाना बेहतर समझा गया जो कि नज़दीक था। सोकालो गोंण के अनुसार जब से मिथिलेश को हिंडालको अस्पताल में भर्ती कराया गया तब से डाक्टर व नर्सो ने काफी लापरवाही बरती व उनके साथ बहुत ही गलत व्यवहार किया। बहुत कहने सुनने पर मिथिलेश की खून की जांच में हिमोग्लोबिन 4.5 निकला व सफेद कण जिसे प्लेटिलेट कहते है वे केवल .40000 ही रह गए थे जबकि इनकी संख्या डेढ़ लाख से उपर होनी चाहिए। प्लेटिलेट काउंट के कम होने का मतलब है कि अवश्य उसे डेगू हुआ होगा लेकिन इस और अस्पताल द्वारा कोई जांच नहीं की गई व उसे मलेरिया ही बताया गया । सोकालो गोंण को बताया गया कि उनको दो बोतल खून की व्यवस्था करनी है जिसके लिए सोकालो व उसके पति के खून की जांच करने के लिए भी चार घंटे लगा दिए गए व अंतत बताया गया कि उनका खून मिथिलेश के ग्रुप से नहीं मिलता है। मैं खुद इस विषय में सोकालो गोंण से लगातार संपर्क बनाए हुए थी। रात दो बजे जब मैंने फोन किया तो पता चला कि मिथिलेश कुमार को खून तब तक नहीं चढ़ाया गया था जिसपर मैंने सोकालो से कहा कि फौरन मेरी बात डाक्टर से कराए। तब सोकालोजी ने मेरी बात एक नर्स से कराई जिनको मैंने काफी सख्ती से कहा कि बच्चे की हालत अति गंभीर है आप उसे ब्लड बैंक से खून दिजिए सुबह होते ही हमारा संगठन खून की व्यवस्था कर देगा। इस फोन से कुछ असर हुआ व सोकालो के अनुसार एक बोतल खून की व्यवस्था की गई जिसके लिए सोकालोजी से हस्पताल कर्मचारीयों द्वारा 3000रू भी ले लिए गए थे।
हमारा संगठन का एक जांच दल दिनांक 15 जुलाई 2013 को सोकालो गोंण के गांव गया था व हस्पताल के सभी दस्तावेज़ों को अध्ययन किया गया जिसमें इस बात की पुष्टि है कि सोकालो गोंण के पति नानहक से 3000रू लिए गए थे जबकि इलेक्ट्रानिक रसीद 1119रू की थी। लेकिन हाथ से लिखे हुए रसीद में हस्पताल से 3000रू वापिस कर इस बात का सबूत दे दिया है कि मिथिलेश के माता पिता से 3000रू भी ले लिए गए थे व एक बोतल खून का भी इंतजाम हो गया था लेकिन 14 जुलाई की सुबह 7 बजे तक बच्चे को खून नहीं चढ़ाया गया जिसके कारण मिथिलेश कुमार ने इलाज के अभाव के चलते दम तोड़ दिया।
इस संदर्भ में हमारा पूरा राष्ट्रीय संगठन काफी सदमे में है चूंकि यह बात गले नहीं उतरती कि सही समय पर हस्पताल ले जाने पर भी मिथिलेश कुमार को जिंदा रखने के लिए हस्पताल द्वारा कोई कोशिश नहीं की गई जबकि ऐसी मेडिकल रिपोर्ट में उपचार करना किसी निजी हस्पताल के लिए कोई कठिन काम नहीं है। दूसरा गैरकानूनी काम जो हस्पताल ने किया वो यह है कि कागज़ों पर मिथिलेश के पिता के हस्ताक्षर करा कर यह लिखा लिया गया कि '' हम यानि माता पिता खून का इंतजाम नहीं कर पाए इसलिए मिथिलेश कुमार को कुछ भी होगा उसके लिए हम जिम्मेदार है''। यह हस्ताक्षर 14जुलाई 2013 को कराए गए जो कि किसी डाक्टर द्वारा हाथ से लिखा हुआ है व यह हस्ताक्षर उसी समय के हैं जब मिथिलेश कुमार ने दम तोड़ दिया था।
इस संदर्भ में हमारे संगठन द्वारा 15 जुलाई 2013 को एक विशाल प्रर्दशन भी किया गया था और आपसे मिलकर इस घटना की जांच की मांग की गई थी। इस सम्बन्ध में अभी तक क्या कार्यवाही हुई है इस बारे में भी हमें अवगत कराने का कष्ट करें।
इस घटना से हमारा पूरा संगठन काफी आहत है व इस पूरी घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग करता है। ज्ञातव्य हो कि हिंडालको हस्पताल हिंडालकों कम्पनी का अंर्तगत चलने वाला हस्पताल है जो कि सोनभद्र के सबसे आधुनिक शहर रेणूकूट मे बनाया गया है लेकिन वहां आदिवासीयों व गरीब लोगों के इलाज में लगातार लापरवाही व कोताही बतरतने की रिपोर्ट मिलती रहती है। इस मामले में हमारा संगठन चाहता है कि लापरवाह डाक्टर व नर्सो के खिलाफ जांच कर उन्हें जेल भेजा जाए व कम से कम 5 लाख का मुवाअजा इस लापरवाही के लिए मिथिलेश कुमार के परिवार को दिया जाए। अगर डाक्टर व नर्सो पर कार्यवाही नहीं होगी तो हमारा संगठन इस सम्बन्ध में जनांदोलन करने पर बाध्य होगा।
धन्यवाद
रोमा
उपमहासचिव
प्रतिलिपि
1. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
2. स्वास्थ मंत्री, उ0प्र0
3. मुख्य सचिव, उत्तरप्रदेश सरकार
4. केन्द्रीय ग्रामीण मंत्री श्री जयराम रमेश
5. केन्द्रीय आदिवासी मंत्री श्री के0सी देव
6. सभी प्रेस
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