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Sunday, July 12, 2015

दलित अधिकारों के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका

दलित अधिकारों के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका
जयपुर, 10 जुलाई। आजादी के ६८ साल बाद भी दलित समाज के लोगों को घोड़ी पर बरात नहीं निकालने देने या गांव के मोक्षधाम पर अंतिम संस्कार करने से रोकने के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में दलित मानव अधिकार मंच ने राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका पर मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबवानी और जस्टिस वी एस सराधना की अदालत में सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता के वकील अजयकुमार जैन ने बताया कि गांवों में दलित समाज के बरात घोड़ी पर निकाले पर प्रतिबंध लगाया जाता है, इसी के साथ अंतिम संस्कार भी गांव से बाहर किए जाने को मजबूर किया जाता है। याचिका में बीस गांवों के लोगों के शपथ पत्र लगाया गया है जिसमें दलित अत्याचार की जानकारी दी है। कुछ जागरूक लोगों के मामले ही सामने आते हैं अधिकांश गरीब व अशिक्षित लोग तो भय के चलते पहले ही विवाद से बचने के लिए दूर रहते हैं लेकिन सरकार की ओर से दलित समाज के अधिकार एवं अत्याचार रोकने के लिए पहल नहीं हो रही है। दलित समाज के अधिकार एवं मानवाधिकार की रक्षा के लिए जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका के साथ करीब दो दर्जन शपथ पत्र और दलित अत्याचार के मामले रखे गए हैं।

(न्‍यूज टुडे)

आजादी के ६८ साल बाद भी दलित समाज के लोगों को घोड़ी पर बरात नहीं निकालने देने या गांव के मोक्षधाम पर अंतिम संस्कार करने से रोकने के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में दलित मानव अधिकार मंच ने राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका पर मुख्य...

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