कल जब प्रधान सेवक साहब रामलीला मैदान से दहाड़ रहे थे, दिल्ली की चाक चौबंद पुलिस भाजपा की सुरक्षा में जी जान से लगी थी और सारा मीडिया भाषणों को ही व्यवस्था और प्रशासन माने बैठा था, तभी दिल्ली में एक और महिला 'स्त्री सुरक्षा' के दावों के बीच बलात्कार कर मार दी गयी। इसी रामलीला मैदान से झारखण्ड का एक नवेला मुख्यमन्त्री जब विकास के दावे कर रहा था, तब उसने यह नहीं बताया की उसके राज्य में कल ही आदिवासी महिलाओं के नसबन्दी के ऑपरेशन टॉर्च की रौशनी में किये जाने का मामला सामने आया है। जब भारत का प्रधान सेवक 'भृष्टाचार मिटाने' का दावा कर रहा था तब उसने यह नहीं बताया कि उसके रक्षामंत्री रक्षा सौदों में 'दलाली' को 'वैधानिक मान्यता' देने की तैयारी में हैं।
और हाँ दिल्ली की दुर्दशा पर रोते और वादे करते हुए भाजपा यह भूल गयी थी कि अभी दिल्ली और देश का राज उनके 'साहेब' ही चला रहे हैं।
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