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Tuesday, January 20, 2015

बचवा ,का चाहिए,स्मार्ट सिटी,ड्रोन और परमाणु बम? भूतों के राजा से कल्कि अवतार क्या क्या मांगेंगे जबकि गणतंत्र उत्सव के वही विष्णु भगवान हुए? जबकि गणतंत्र में न गण है और न तंत्र,बाकीर जो है मंत्र है ,वैदिकी उच्चारण हैं! क्या आर्डिनेंस राज के खिलाफ बयान न देकर दस्तखत रोकेंगे महामहिम? पलाश विश्वास

बचवा ,का चाहिए,स्मार्ट सिटी,ड्रोन और परमाणु बम?

भूतों के राजा से कल्कि अवतार क्या क्या मांगेंगे जबकि गणतंत्र उत्सव के वही विष्णु भगवान हुए?

जबकि गणतंत्र में न गण है और न तंत्र,बाकीर जो है मंत्र है ,वैदिकी उच्चारण हैं!

क्या आर्डिनेंस राज के खिलाफ बयान न देकर दस्तखत रोकेंगे महामहिम?

पलाश विश्वास

"Obama Go Back" - Planning meeting will be held at Shramik Office, Royal Crest, 1st Floor, Lokmanya Tilak Vasahat Road No 3, near Dadar Station (E), Mumbai, India, at 6.00pm, on Wednesday 21/1/15.


The Left parties have already issued a national call which we all are supporting and thus involving more people's organizations to be part of the protest. In Mumbai, the protest against Obama will be held on the 24th of Jan, 15, at 5.00pm, outside the Dadar Stn (E), near the HanumanTemple.


We are supporting the call given by the Left Parties to oppose the US-Anglo-Zionist imperial project for global domination and thus oppose the increasing ties with the Empire, which is a betrayal of our national legacy and the sacrifice and martyrdom of our freedom fighters.


Com. Prakash Reddy, Feroze Mithiborwala, Milind Ranade, Kishor Jagtap, Deepti Gopinath, Uday Choudhary, Sudhir Dhawale, Jyoti Badekar, Shyam Sonar, Mulniwasi Mala,

Feroze Mithiborwala's photo.

Feroze Mithiborwala's photo.

Feroze Mithiborwala's photo.

Feroze Mithiborwala's photo.

Feroze Mithiborwala's photo.




सुबह पीसी के मुखातिब हुए तो देखना था कि अमलेंदु बाबू ने का का गुल खिलाये हैं।बंगाल में साझे चूल्हे पर खबर देखकर दिल बाग बाग हुआ तो फिर वही खबर कि महामहिम आर्डिनेंस राज से नाराज है बल।


अखबारों में फिर उसी खबर का ब्यौरा।


चीखती सी सुर्खियां किरण बेदी बनाम केजरीवाल बुलफाइट को बचा बचाकर।


कल्पना कीजिये कि अमेरिकी गणतंत्र उत्सव हो।

कल्पना कीजिये कि अपने महामहिम उहां मुख्य अतिथि हों।


फिर कल्पना कीजिये कि भारतीयसुरक्षा एजंसियों की निगरानी में हो अमेरिका और वाशिंगटन।हियां तक कि कल्पना कीजिये कि मान्यवर प्रेसीडेंट हमारे राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिहाज से खुद ही चाचा बाबू की कोई ताजातरीन कारों का काफिला लेकर पहुंचे वाशिंगटन और अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी गाड़ी व्हाइट हाउस में गैरेज करके अपने महामहिम के गाड़ी में बैठ जाये।


तकलीफ ज्यादा मत कीजिये।

भारत में वही हो रहा है,जो कल्पना नहीं, हकीकत है।


गणतंत्र हमारा।

गणतंत्र दिवस हमारा।

और हमारे हिस्से में सड़ेला लड्डू भी नहीं।


परेड हमारे रणबांकुरे जवानों की,झांकिया हमारे देश की,हमारी संस्कृति की, जिसमें वह शत प्रतिशत हिंदुत्व भी शामिल है,उसकी विशुद्ध पवित्रता भी और उसकी तमाम आस्थाएं और छवियां भी।


आसमान में भारतीय वायुसेना के करतब होगे और मिसाइल मारक आयुधों का प्रदर्शन भी होगा जनपथ पर। इंडिया गेट पर हमारे ही शहीदों को श्रद्धाजंलि दी जायेगी।


लेकिन दिल्ली और पूरा देश ड्रोन के हवाले हैं।

लेकिन दिल्ली और देश का पूरा खुफिया तंत्र ,सुरक्षा बंदोबस्त अमेरिका और इजराइल के हवाले हैं,क्योंकि हमारे गणतंत्र में,हमारे गणतंत्र उत्सव में हमरे लिए सड़ेला लड्डू भी नहीं है।


गणतंत्र हमारे लिए मणिपुर है।

गणतंत्र हमारे लिए लहूलुहान कश्मीर है।


गणतंत्र हमारा सशस्त्र सैन्यबल विशेषाधिकार कानून है।

गणतंत्र हमारा सलवा जुडुम है।


गणतंत्र हमारा अभूतपूर्व हिंसा है।

गणत्तंर अभूतपूर्व धार्मिक ध्रूवीकरण है।


गणतंत्र शत प्रतिशत हिंदुत्व है।

गणतंत्र राज्यों को जीत लेने की गरज से जनसंहारी अश्वमेध राजयूय है।

गणतंत्र एफडीआई अबाध पूंजी प्रावाह और कालाधन कार्निवाल है।

गणतंत्र ना ना करते निजीकरण,विनिवेश,विनियमन,विनियंत्रण और मिनिमम गवर्नेंस है और बाकी सांढ़ों की उछल कूद है।


बाकी मनुष्यता की हत्या है।

बाकी सभ्यता का विनाश है।

बाकी घर घर में स्त्री उत्पीड़न है।


दसों दिशाओं में उत्पीड़ित स्त्री का आर्तनाद गणतंत्र है।

फौजी बूटों और बंदूकों की धमक गणतंत्र है।


बाकी गणतंत्र है अमेरिका।

बाकी गणतंत्र है मोसाद।

बाकी गणतंत्र है सीआईए।


बाकी गणतंत्र है शेयर बाजार।

बाकी गणतंत्र है बेदखली अभियान और आर्थिक सुधार।


बाकी गणतंत्र है बेलगाम कारपोरेट पंडिंग की कारपोरेट राजनीति।

बाकी गणतंत्र है अस्मिताओं का अंतहीन गृहयुद्ध।


बाकी गणतंत्र है देश और देश का सारे संसाधन अमेरिका के हवाले करने की छूट।


बाकी गणतंत्र है सिखों का नरसंहार।


बाकी गणतंत्र है भोपाल गैस त्रासदी और भारत अमेरिका परमाणु संधि।बाकी गणतंत्र है अमेरिका नियंत्रित यह मुक्त बाजार।बाकी गणतंत्र है रिलायंस,अडानी,जिंदल,मित्तल हिंदूजा,टाटा,इंफोसिस समेत इंडिया इंक।


इस गणतंत्र में न भारत की जनता है और न भारतीय जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं और न भारत की राज्य सरकारें हैं।

इस गणतंत्र में भारत का संविधान नहीं है।


इस गणतंत्र में भारत की संसद नहीं है।जो है वह है कारपोरेट केसरिया तंत्र और मंत्र और तिलिस्म और तलवारे भांजते अय्यार जो कभी भी किसी का भी गर्दन उड़ा दें ,कभी भी किसी को भी मकबुल फिदा हुसैन,अनंतमूर्ति और पेरुमल मुरुगण बना दें।


हमने अमेरिकी राष्ट्रपति को भारत दौरा रद्द करने को लिखा था।

हमने आपसे आवेदन किया था कि आप भी लिखें।देखें हस्तक्षेप।


हम तो छोटका आदमी है और आपने हमारी नहीं सुनी,अच्छा है।पेरुमल गति से तो अभी बख्शे हैं,हमारे बाप दादों का पुमण्य पराक्रम है कि बचे हुए हैं सकुशल।


बड़ा ह्ल्ला है कि सारे वाम दल मिलकर ओबामा के खिलाफ वापस जाओ नारा दांगेंगे।

हम तो कहीं कोई विरोध उरोध देख नाही रहे हैं।


हो सकता है,सीआईए और एफबीआई और मोसाद के मुकाबले वामदल अपना जौहर परेड के वक्त ही दिखाने की तैयारी में हैं।


बाकीर वामपंथी तमाम मुद्दों पर फेसबुकवा में उधम मचा रहे हैं,लेकिन कहीं ओबामा वापस जाओ का नारा दिखा नहीं है।हो तो हमें शेयर करें तो अपने ब्लागों को हम भी लाउडस्पीकर बना दें।


तमाम यूनियनें अब भी वामपंथी हैं।

तमाम संस्कृतिकर्मी स्वभाव से जनवादी हैं।

रंगकर्मी और फिल्मकार,लेखक कवि ससुरे सारे के सारे जनवादी हैं और जनवाद की डिक्शनरी में अमेरिका का विरोध दर्ज नहीं हुआ है भारत के सात दशक से अमेरिकी उपनिवेश बन जाने के बावजूद।


वेतन भत्ता पद प्रोन्नति सम्मान चर्चा उखाड़ो पछाड़ो पीछे छुरा मारो,पिछवाड़े बांस करो छुओ छाओं कंबल में घुस जाओ मलाई चाटो काफी कप में थूफान रचो के अलावा कुछ हुआ रहता तो आज यह दिन देखने को की नौबत नहीं आती।


मौकापरस्त शुतुरमुर्गों को शर्म तो खैर होनी नहीं है।

जब कछु उखाड़ नहीं सकते,कछु खोद नहीं सकते,तो जमीन की फजीहत काय?

का छिल रहे हो महाराज?


बडा़ महान बा कलाकर्म रंगकर्म आपका!

हिंदू राष्ट्र में आपका स्वागत है।

पलक पांवड़े बिछे हुए हैं।


चतुर सुजान सब पाला बदल रहे हैं।

रोज सुर्खियों में दाखिल हो रहे हैं।


ससुरा सारा देश बिग बास का लािव शो हो गया है।

तो काहे का इंतजार?


हिंदू राष्ट्र का मुगलिया गार्डन दसों दिशाओं में खुल रहा है।

नान किसिम के गुल खिल रहे हैं उहां।

टोल फ्री नंबर टांके है हवाओं में पानियों में।

जमीनों पर,आसमानों पर टांकें वहींच नंबर।

मौकापरस्त शुतुरमुर्गों को शर्म तो खैर होनी नहीं है।

जब कछु उखाड़ नहीं सकते,कछु खोद नहीं सकते,तो जमीन की फजीहत काय?

का छिल रहे हो महाराज?


बडा़ महान बा कलाकर्म रंगकर्म आपका!

हिंदू राष्ट्र में आपका स्वागत है।

पलक पांवड़े बिछे हुए हैं।


चतुर सुजान सब पाला बदल रहे हैं।

रोज सुर्खियों में दाखिल हो रहे हैं।


ससुरा सारा देश बिग बास का लाइव शो हो गया है।

तो काहे का इंतजार?


हमका माफी दे दो।

हमारे जो लोग निनानब्वे फीसद हैं उनको माफी दे दो।


जो एकच प्रतिशत की समृद्ध जनता है,उसीको चुन लीजिये कि दुनियाभर की दौलत वहीं है।


इहां माटी गोबर के अलावा कछु ना मिलल।


पाखंड छोड़ो भइये।

केसरिया समय है केसरिया बन जाइये।


हमका माफ कर दीजै साब।

लगता है कि गिराबल्लभ हम पर सवार है।उसे मरकर भी चैन नहीं है।


उसके हुड़के की थाप तो वीरेनदा जैसे लोग फिर पैदा कर सकत हैं।लेकिन हम डंके की चोट पर गिरदा की भाखा में कहना चाहते हैंः


जो राजनीति जनता के हकहकूक के मुद्दों पर खामोश है,उसपर थूः


हम डंके की चोट पर गिरदा की भाखा में कहना चाहते हैंः

जो साहित्य,जो भाषा सत्ता विमर्श में हो निष्मात और जनपक्ष के साथ करें निरंतर विश्वासघात, उस पर थूः,थूः उस तमाम रंग बिरंग उत्सव पर


हम डंके की चोट पर गिरदा की भाखा में कहना चाहते हैंः

जिस संस्कृति कर्म दक्षता और कलाकौशल तकनीक में उच्चारित हो दसों दिशाओं में और उसमे जनता की आवाज कहीं नहीं हो,उस पर भी थूः


हम डंके की चोट पर गिरदा की भाखा में कहना चाहते हैंः

जो रंगकर्म दुनिया को बदलने की ताकत रखता हो,जो हर दरवादे पर दस्तक दे सकता हो और सत्ता की चाशनी में डूबा डूबा शौकिया रंगकर्म तक,उत्सवों तक सीमाबद्ध हो,जो गलियों मोहल्लों और गांवों को उनके हक हकूक के लिए गोलबंद न करें,उसपर थूः


हम डंके की चोट पर गिरदा की भाखा में कहना चाहते हैंः

वह सामाजिक यथार्थ जो महज सांढ़ों की उछलकूद हो और बेलगाम देह बाजार है,उसपर थूः


माफ कीजिये,जनाब,हम पेरुमंल मुरुगण नहीं होगे कतई।अपना घर फूंक देंगे।मारे जाएंगे लावारिश कुत्तों की तरह।लेकिन हम लिखना ना छोड़ेंगे और न जनाता के हक हूक के सवालों पर खामोश रहेंगे।


हमारे सवालों पर गौर करें फिरः

बचवा ,का चाहिए,स्मार्ट सिटी,ड्रोन और परमाणु बम?

भूतों के राजा से कल्कि अवतार क्या क्या मांगेंगे जबकि गणतंत्र उत्सव के वही विष्णु भगवान हुए?

जबकि गणतंत्र में न गण है और न तंत्र,बाकीर जो है मंत्र है ,वैदिकी उच्चारण हैं!

क्या आर्डिनेंस राज के खिलाफ बयान न देकर दस्खत रोकेंगे महामहिम?

जो राष्ट्रपति जनता के हक हकूक के खिलाफ खड़ा न हो सके और प्रेस में छपने वाला बयान देकर शांत बैठ जाये,ऐसे महामहिम के हाथों गणतंत्र सुरक्षित नहीं है।


मैं बचपन जीने का कोई मौका कभी खोता नहीं हूं।

आज सुबह सुबह  बगल की बेटी मना के  दो साल के बेटे  साथ कम से कम दो घंटे बिताया।मना एमए पास है और उसका पति हाईस्कूल तक नहीं पहुंचा।


वर्षो से उनका प्रेम विवाह लटका हुआ था।तो हम काल्टू से मिलने कन्याकुमारी के पास कुड़नकुलम चले गये।जहां काल्टू परमाणु संयंत्र में ठेकेदार था।वह बंगाल से तकनीशयन और मजदूर ले जाकर देश भर के परमाणु केंद्रों में निर्माण कार्य करता है और इसीका विशेषज्ञ है वह।उसके साथ हम तीन चार दिनों तक रहे और हमने लौटकर मना के मां बाप को उनके विवाह के लिए राजी कर लिया।


मना का बेटा  कुड़नकुलम में ही पैदा हुआ और शानदार लुंगी डांस करता है।वह खाने में बेहद नखरे करता है।आज उसने मेरे साथ मटर भरे फुलके खाये।आलू का दम झाल झाल कहते हुए खा लिया उसने।


लाउडस्पीकर पर राजनीतिक शोर सुनकर उसने मुझसे कई दफा पूछा,क्या है,हम जवाब न दे पायें।

आपके पास जवाब है?


टुसु जबसे बड़ा हुआ ,सविता एक के बाद मोहल्ले के छोटे बच्चों को पालती रही।अब संगीत में कुछ ज्यादा ही रम जाने के कारण उसे वक्त कम मिलता है बच्चों के साथ।


मैं लेकिन मोहल्ले भर के बच्चों का दोस्त हूं जैसे मेरठ में तमाम बूढ़़े हमारे परम मित्र हुआ करते थे।


बूढ़ों से उनकी अनंत अभिज्ञता मिली तो बच्चों से उनकी अनंत ऊर्जा और उनकी कल्पनाओं की उड़ान मुझमें संक्रमित होती रही है।


लाउडस्पीकर पर राजनीतिक शोर सुनकर उसने मुझसे कई दफा पूछा,क्या है,हम जवाब न दे पायें।

आपके पास जवाब है?



बच्चों की दृष्टि हर ब्यौरे के साथ घटनाओं का अपने मुताबिक विश्लेषण करती है एकदम निष्पक्ष।बचपन से महान कोई पत्रकारिता हो सकती नहीं।इंद्रधनुषी रंग हैं,लेकिन पूरी तरह वस्तुपरक।कोई पक्ष नहीं होता बचपन का।कोई दुराग्रह नहीं होता बचपन का।


मेरा मानना है कि मनुष्य अपने बचपन के साथ जीता है और मरता भी बचपन के साथ है।

बचपन की यादे हाथीदांत का खजाना है,जो लुट गया तो मनुष्य फिर जिंदा नहीं बचता।

मैं तो बच्चा बना रहना चाहता हूं तजिंदगी।

बूढ़ा होकर मेरे मरने का कोई इरादा है नहीं। न जवानी बरकरार रखने वाला कोई मैं बाबा हूं।


लाउडस्पीकर पर राजनीतिक शोर सुनकर उसने मुझसे कई दफा पूछा,क्या है,हम जवाब न दे पायें।

आपके पास जवाब है?


राज की बात यह बताऊं की इस देश की आधी आबादी जो माताओं,बहनों,बेटियों, बहुओं,भाभियों,चाचियों,मौसियों की हैं,उनके और हमराे बीच एकमात्र सेतु यही बचपन है,जहां से गुजरकर हम उनके अंतःस्थल तक पहुंच सकते हैं और उनके अंतःस्थल को स्पर्श किये बिना,उनके मजबूत इरादे के बिना हम अपने देश को दसों दिशाओं से घेर रही कयामती फिजाओं से हरगिज हरगिज नहीं बचा सकते।


ऐसी तमाम औरतें जो हमारी रिश्ते में कुछ न कुछ लगती हैं और देश के खेतों, खलिहानों, कारखानों, दफ्तरों, विश्वविद्यालयों,खानों,जंगलो से लेकर अंतरिक्ष और खेल के मैदानों में अपना जलवा दिखा रही हैं,माटी की सुगंध से महमहाती उनकी सुंदरता पर हजारों हजार प्रेमिकाएं हमारी कुर्बान,कुर्बान।


हम किसी के प्रेमी नहीं हैं और हम उन्हीके जिदंगी में शरीक बचपन में खोये हुए चोहरों में से एक चेहरा हैं,इतना वे मान ले तो पुरुष वर्चस्व के विरुद्ध धर्महीन,वर्गहीन शोषणविहीन समाज के लिए युद्धघोषणा है।


लाउडस्पीकर पर राजनीतिक शोर सुनकर उसने मुझसे कई दफा पूछा,क्या है,हम जवाब न दे पायें।

आपके पास जवाब है?


गौरतलब है कि बचपन की यह जो ताकत है,जो दृष्टि है,वही पथेर पांचाली को हमेशा कालजयी बनाये रखेगी।


बच्चों की दृष्टि से ही विभूति भूषण बंदोपाध्याय और चार्ल्स डिकेंस का रचनाकर्म क्लासिक हैं।


लाउडस्पीकर पर राजनीतिक शोर सुनकर उसने मुझसे कई दफा पूछा,क्या है,हम जवाब न दे पायें।

आपके पास जवाब है?


ईदगाह जैसी कथा से प्रेमचंद का जो बचपन हमारे मुखातिब है ,दरअसल वहीं भारत देश के बहुल संस्कृति का साझा चूल्हा है,जिसकी वजह से भारत बना हुआ है और शैतानी ताकतों की हर कारगुजारियों को हराकर भारत जीवित रहेगा,हिंदूराष्ट्र तो हरगिज नहीं बनेगा।


हिंदू साम्राज्यवाद से सही मायने में भारत राष्ट्र को कोई खतरा नहीं है।

सिर्फ इतिहास लिखेगा अपराध हमारा।


दोबारा इतिहास लिखने से कोई इतिहास बदल नहीं जाता।

आप चाहेंगे तो भी हिमालय की उत्तुंग शिखरों को केसरिया नहीं बना सकते और न समुंदर कभी केसरिया बनेगा।


न जमीन होगी केसरिया और न आसमान केसरिया होगा।


बंगाल में लाल को बना रही थी नीला दीदी लेकिन न लाल मिटा है और न बंगाल नीला हुआ है और न बंगाल केसरिया होने जा रहा है।


अमित शाह का भारत विजय अधूरा ही रहना है।

लाउडस्पीकर पर राजनीतिक शोर सुनकर उसने मुझसे कई दफा पूछा,क्या है,हम जवाब न दे पायें।

आपके पास जवाब है?


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