छोटे पहलवान इमारत के सामने बनी हुई फूलों की क्यारियों पर निगाह डालते रहे। जब प्रिंसिपल ने कहना शुरू किया था कि, ''बैद महाराज भी कभी-कभी ऐसा काम कर बैठते हैं कि क्या बताएं! क्या जरूरत थी इस चुनाव-उनाव की...?'' छोटे पहलवान ने एक कविता कही जो उन दिनों कीर्तन के रूप में काफी प्रचलित थी, ''हमें क्या काम दुनिया से, मेरा श्रीकृष्ण प्यारा है।''
(राग दरबारी)
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