अब अकेले वाम क्षत्रप माणिक सरकार निशाने पर हैं
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
हिंदू साम्राज्यवाद का शत प्रतिशत हिंदुत्व का एजंडा और ईसाई इस्लाम सिख बौद्ध समेत विधर्मी मुक्त संपूर्ण निजीकरण और संपूर्ण विनिवेश का पीपीपी गुजरात माडल का हिंदू राष्ट्र बहुजनों के हिंदू कायाकल्प और विधर्मियों को घेर घारकर घर वापस लाने के आखेट कार्यक्रम के बावजूद तबतक पूरा नहीं हो सकता जबतक भारत में लाल झंडे की चुनौती कायम है।विधर्मियों कोारक्षण से वंचित करके ताजा फारमूला संपूर्ण हिंदुत्वकरण का आजमाया जा रहा है तो बहुजनों का हिंदुत्व कायाकल्प हो गया है।
देश भर में हाशिये पर हो जाने के बावजूद,बंगाल और केरल में सत्ता से बेदखल हो जाने के बावजूद, जनांदोलनों और जनाधारों से अलगाव के बावजूद वाम विचारधारा की आग अभी बुझी नहीं है,यह कुलमिलाकर संघ परिवार के लिए एकमेव सबसे बड़ी चुनौती हैै।
देश की बहुसंख्य जनगण और सामाजिक और उत्पादक शक्तियों की गोलबंदी की इच्छाशक्ति न होने के बावजूद देश में प्रतिबद्ध वाम कार्यकर्ताओं का अभी टोटा नहीं पड़ा है।नेतृ्त्व की पहल पर ये कार्यकर्ता संघपरिवार के विजयअभियान में कभी भी रोड़ा बन सकते हैं,संघ परिवार और बजरंगी ब्रिगेट के साथ साथ बिलियनरमिलियनर सत्ता वर्ग के सरदर्द का सबब यही है।
बंगाल में प्रलयंकार धर्मोन्मादी दीदीमोदी रणनीति के तहत वसंत बहार है और फिलहाल वोटबैंक समीकरण के ध्रूवीकरण के हिंदुत्व उन्माद और अल्पसंख्यकों में कयामत बन रही असुरक्षा के चलते वाम वापसी सत्ता में होने नहीं जा रही है।
इसके बावजूद नेतृत्व परिवर्तन के साथ साथ बंगाल में एसयूसी और लिबरेशन समेत वाम शक्तियों के ध्रूवीकरण से सत्ता तबके में खलबली मच गयी है।
छात्र फिर सड़कों पर उतरने लगे हैं पूरे बंगाल भर में।
माकपा महासचिव येेचुरी बनेंगे या कामरेड महासचिव की पत्नी वृंदा कारत,संघ परिवार का सरदर्द जाहिर है यह नहीं है।
विभिन्न सेक्टरों में ट्रेड यूनियनों की बढ़ती हलचल और बंगाल में जूट ट्रेड यूनियनों की अभूतपूर्व एकता की वजह से हुई वेतन वृद्धि बंग विजय के अश्वमेधी घोड़ों की टापों में कांटों की फसल उगाने लगी हैं।
कल तक जो लोग चिटफंड फर्जीवाड़ा में ममता बनर्जी,उनके परिजनों,उनके मंत्रियों और उनके सांसदों को घेर रहे थे,वे शारदा फर्जीवाड़ा में मुकुल राय को क्लीन चिट देकर उन्हें सरकारी गवाह बनाये जाने पर खामोश हैं औरक मोदी से दीदी के मुलाकात के बाद तृणमूल प्रसंग में दीदी के खिलाफ बाबुलंद आवाजों में सन्नाटा ही सन्नाटा है।
आईवाश के बतौर तृणमूल के चार साल के आय व्यय के सिलसिले में मौजूदा तृणमूल महासचिव सुब्रत बख्शी को नोटिस सीबीआई जरुर भेज रही है लेकिन एक के बाद एक अभियुक्त की जमानत पर रिहाई रोकने की कोई कोशिश सीबीआई कर नहीं रही है।
न कल तक तृणमूल के महासचिव रहे मुकुल राय से कोई पूछताछ हो रही है।
इस पर तुर्रा कि भाजपा ने मुकुल राय को पार्टी में शामिल करने से सिरे से मना कर दिया है तो दीदी ने उनसे कहा है कि वे संयम बरतें तो उनकी पुरानी हैसियत बहाल हो जायेगी।
गौरतलब है कि शारदा मीडिया समूह की मिल्कियत के लिए बहुचर्चित मुकुल पुत्र विधायक को उनके जिले में पालिका चुनाव की कमान भी सौंपी गयी है।
अब इंतजार सिर्फ जंल से मंत्रित्व कर रहे मदनमित्र की रिहाई का है और कबीर सुमन बतर्ज गिरफ्तार सांसद कुणाल घोष के आत्मसमर्पण का।
इसी बीच रोजवैली के खिलाफ ईडी की कार्रवाई तेज है जबकि चिटफंड घोटालों से निपटने के लिए पुलिसिया हकहकूक मिलने के बावजूद देशभर में हजारोंहजार चिटपंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय संघपरिवार के केसरिया कारपोरेट बिजनेस फ्रेंडली राजकाज में रिजर्व बैक की जगह ले रहे सेबी पूरी भारतीय अर्थ व्यवस्था को ही समग्र चिटफंड कंपनी में तब्दील करने लगी है।
बंगाल में एमपीएस के सभी कार्यालय भी सील किये जा रहे हैं।लेकिन एमपीएस में किसी खास राजनेता के खिलाफ कोई आरोप नहीं है।
कलिंपोंग के डेलो बंगला में मुकुल राय और ममता बनर्जी के साथ सुदीप्तो की मौजूदगी में बंगाल में वाम बेदखली के विधानसभा चुनावों में नोटों से भरी सूटकेसों की बंदोबस्त बैठक में हाजिर रहने वाले रोजवैली के गौतम कुंडु गिरफ्तार कर लिये गये हैं और इस सिलसिले में न ममता से और न मुकुल से कोई पूछताछ हो रही है।रोजवैली बंगाल में तमाम खेलोंं,फिल्मों और दुर्गोत्सव तक के प्रायोजक होने के बावजूद शारदा फर्जीवाड़े को लेकर कल तक जमीन आसमान एक करने वाली ताकतें गौतम कुंडु की गिरफ्तारी के बाद त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार को मदन मित्र बनाने लगे हैं।
आगरतला में विपक्ष का आरोप है कि माणिक सरकार चूंकि रोजवैली के दो कार्यक्रमों में गौतम कुंडु के साथ मंच पर थे और उनने रोजवैली को त्रिपुरा में निवेश का न्यौता भी दिया था तो निवेशक इससे भ्रमित हो गये।
आगरतला और कोलकाता में अब चिटफंड प्रकरण में एकमात्र माणिक सरकार निसाने पर हैं जो संजोग से देश के सबसे गरीब और ईमानदार मुख्यमंत्री माने जाते हैं।जो अखबार और मीडिया कल तक शारदा फर्जीवाड़े की सुर्खियों का महोत्सव मना रहे थे,वहां अब माणिक सरकार को जेल में बंद मंत्री मदन मित्र के बराबर खड़ा करके उन्हें भी जेल भेजने की मांग कर रहे हैं।
अस्मिता आधारित राजनीति अब हिंदू साम्राज्यवादी एजंडा में समाहित है।वैसे भी क्षत्रपों की राजनीति की कोई स्वतंत्र धारा नहीं है।
भले ही वैचारिक स्तर पर वे रंग बिरंगे झंडों के साथ राजनीति करते हों लेकिन उनकी सारी राजनीति राज्यों में अपनी सत्ता बहाल करने की राजनीति है और इसीलिए नवउदारवाद की संतानों की निरंकुश सत्ता नई दिल्ली से देशभर में बेदखली अभियान के नरमेध राजसूय में निरंकुश है।
राजनीति अब एक ध्रूवीय मुक्तबाजारी हिंदुत्व की है और इसके कुलमिलाकर दो दल हैं कांग्रेस और संघपरिवार,जिनका एजंडा मुक्तबाजारी हिंदुत्व है और उन्हें क्षत्रपों की अस्मिता राजनीति का बार बार समर्थन मिलता रहता है।इसलिए आर्थिक सुधारों की हरित क्रांति बेरोकटोक बिना प्रतिरोध की जारी है।
बजटसत्र में इसी संसदीय राजनीति की पुनरावृत्ति हुई है।
अबाध विदेशी पूंजी और कालाधन वर्चस्व के लिए जरुरी दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों और दूसरी हरित क्रांति की जैविकी फसल इस कायनात को तबाह करने के लिए कयामत का शत प्रतिशत हिंदुत्व के स्वर्णि बुलेट राजमार्ग का रसायन बनाने लगी है।
सारे अमेरिकी इजरायली हितों के पोषक उन्ही के निर्देनासार कायदे कानून वैश्विक इशारों के तहत केसरिया कारपोरेट राजकाज में बेलगाम सांढ़ों और घोड़ों की अंधी दौड़ के तहत क्षत्रपों के बिना शर्त समर्थन से पास हैं।
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