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Friday, June 22, 2012

कांग्रेस नेता के बेटों की भूख से मौत

कांग्रेस नेता के बेटों की भूख से मौत


कैंसर पीड़ित नेता और उनकी विकलांग पत्नी भी मरने के कगार पर

कांग्रेस पार्टी पदाधिकारी को कहां  फुर्सत है कि भूख और बीमारी से जूझते राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार सिंह की सुध ले। पिछले दस दिनों से उनके घर में खाना नहीं बना है और उनके बेटों की मौत भूख से हुई...


राजीव 

झारखंड कांग्रेस नेता और राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार सिंह के दो जवान बेटों रजनीश और मनीष की 17 जून को भूख से मौत हो गयी. कांग्रेस नेता शिवकुमार सिंह के दोनों बेटों की भूख से मौत झारखण्ड के रामगढ़ के सिरका गांव में हुई। कभी शिवकुमार सिंह के घर पर लोगों की भीड़ लगी रहती थी, लेकिन आज जबड़े के कैंसर से पीड़ित शिवकुमार को कोई पूछने वाला नहीं है. 

congress_india_logoकांग्रेस पार्टी का तो राज्य में खूद ही बुरा हाल है तो पार्टी पदाधिकारी को कहां फुर्सत है कि भूख और बीमारी से जूझते राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार सिंह की सुध ले। बोल पाने में लाचार हो चुके शिवकुमार ने लिख कर बताया कि पिछले दस दिनों से उनके घर में खाना नहीं बना है, उनका परिवार पानी पीकर रह रहा था और उनके बेटों की मौत भूख से हुई. 


गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से शिवकुमार सिंह और उनका परिवार भंयकर गरीबी का दंश झेल रहा था. उनके दोनों लड़के विकलांग थे इसलिए वे कुछ खास काम नहीं कर पाते थे. उनकी विकलांग पत्नी नीलम देवी की भी हालत गंभीर है तथा श्री सिंह खुद जबड़े के कैंसर से पीडि़त है। विकलांग ही सही परंतु उनके दो जवान बेटों की मौत पर श्री सिंह बोलकर भी दुख व्यक्त नहीं कर सके, सिर्फ उनकी आंखों के आंसू लहू की तरह बहे जा रहे थे। दोनों बेटों की मौत चार घंट के फासले पर हुई. 

आमतौर पर ऐसे मामलों में सरकार खानापूर्ति करती है सो कर दी. रामगढ़ के प्रखंड़ विकास पदाधिकारी प्रमेश कुमार का कहना है कि 'उन्हें भी मौत हो जाने की जानकारी हुई है। श्री सिंह के घर में इसी महीने से अनाज पंहुचाया जा रहा था। उनके बेटों की मौत भूख से नहीं घर पर खाना बनाने वाले के नहीं रहने के कारण हुई है।' 

कांग्रेस के कभी जानेमाने नेता रहे शिवकुमार सिंह को कभी एक भी कांग्रेसी नेता देखने नहीं आया. उनके घर पर जिस तरह बीमारियों का पहाड़ सा टूट पड़ा है, अगर कांग्रेस जनप्रतिनिधि चाहते तो इलाज हो सकता था और उनके बेटों की मौत बूख से होने से भी बचाई जा सकती थी. आज शिवकुमार सिंह अपने कंधे पर दुनिया का सबसे बड़ा बोझ अपने दो-दो बेटों का जनाजा उठाने के लिए विवश है। 


राजीव पेशे से वकील हैं और राजनीतिक विषयों पर लिखते हैं.

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