माधुरी को जिले से क्यों निकाल रहे हो मामा ?
''इसीलिये तो नगर नगर बदनाम हो गए मेरे आसूं। मैं उनकी हो गई जिनका कोई पहरेदार नहीं था।''
भंवर मेघवंशी
पिछले 14 वर्षों से कार्यरत जाग्रत आदिवासी दलित संगठन की माधुरी कृष्णास्वामी को मध्यप्रदेश शासन ने 6 जिलों से जिला बदर कर दिया है। कसूर क्या है माधुरी का, यहीं कि वे आदिवासियों को उनके संवैधानिक आधिकार दिलाने के लिये कार्यरत है, वे जनता को जागरूक कर रही है, लोगों के मौन को मुखर कर रही है, उनकी फुसफुसाहटों को स्वर दे रही है, उन्होंने जनता को जागरूक बनाने के लिए, स्थानीय प्रशासन को जवाबदेह बनाने के लिए महानरेगा को बचाने के लिए, खाद्य योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन करने के लिए तथा ग्राम सभा को अधिकार सम्पन्न बनाने और वन भूमि पर परम्परागत वन निवासियों को बसाने व अवैध शराब की बिक्री के खिलाफ प्रचण्ड जन आन्दोलन चलाए तथा आज भी जन अधिकारों के लिये संघर्षरत है।
दिसम्बर 2006 में महानरेगा मजदूरों को काम नहीं देने पर बेरोजगारी भत्ता चुकाने वाला देश का पहला जिला बना था बड़वानी। यह माधुरी व उनके संगठन का ही कमाल था कि उन्होंने मजदूरों को कुल 4,75,386 रुपए का बेरोजगारी भत्ता दिलाया था। भ्रष्टाचार के खिलाफ जबरदस्त आवाज माधुरी ने उठाई, वे दलितों व आदिवासियों के विरूद्ध हो रहे अन्याय व अत्याचार के खिलाफ भी पूरी शिद्दत से लड़ती आई है, बड़वानी ही नहीं बल्कि आदिवासी बहुल कई अन्य जिलों के गरीब मजदूर किसान आदिवासियों के लिए माधुरी बहन आशा की किरण बन कर काम कर रही है, वे वहां है तो इन गरीब गुरबों में लड़ने का जोश रहता है और आततायी भयभीत रहते है। शायद इसीलिये शासन, प्रशासन और माफिया की जुगलबंदी के चलते मध्यप्रदेश सरकार ने माधुरी जैसी सक्रिय समाजकर्मी को जिला बदर करने का निन्दनीय कार्य किया है जिसकी देश व्यापी भत्र्सना हो रही है।
पता चला है कि यह निर्वासन आदेश मध्यप्रदेश सुरक्षा अधिनियम 1950 के तहत दिया गया है, कहा गया है कि ''असामाजिक तत्वों'' से ''आदिवासी समूहों'' की रक्षा करने के लिए यह आदेश दिया गया है, कानून की कितनी विकृत व मनमानी व्याख्या है यह ! हर कोई जानता है कि एक दशक से भी अधिक समय से माधुरी आदिवासी समूहों को अपने हकों के प्रति जागरूक कर रही है, वे यकायक 'असामाजिक तत्वों' में शुमार हो गई ! मध्यप्रदेश के सत्तारूढ़ दल के कई विधायक, सांसद व मंत्रियों के किस्से मीडिया में जोर शोर से उछल रहे है, वे असामाजिक तत्व नहीं है ? मगर कोई इंसान सादगीपूर्ण तरीके से गरीबों के बीच अपना सम्पूर्ण जीवन लगा रही है, वह शासन की आंखों में चुभ रही है, इस प्रकरण ने साबित कर दिया कि शिवराज सिंह की सरकार जनविरोधी सरकार है।
जाग्रत आदिवासी दलित संगठन तथा मजदूर किसान शक्ति संगठन सहित देश भर के मानव अधिकार संगठनों ने शिवराज सिंह सरकार से माधुरी के निर्वासन आदेश को तुरन्त वापस लेने की मांग की है अन्यथा देश व्यापी आन्दोलन की चेतावनी दी है।

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