पहाड़ में नदियों के किनारे बसे हुये लोग कभी बड़े भाग्यशाली माने जाते थे, क्योंकि उन्हें पेयजल, खेतों की सिंचाई और घराटों को चलाने के लिये पानी आसानी से मिल जाता था. अब स्थिति यह है कि खेती की जमीन और घराट तेजी से मलबे में तब्दील हो रहे हैं. 1991-1999 के भूकम्पों से ही यहां के लगभग 800 लोग असमय काल के मुंह में समा गये.
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