मेट्रोरेल सेवा का विस्तार तो हुआ पर यात्री सेवा बिगड़ती ही जा रही है
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
देशभर में मेट्रो रेलवे का विस्तार होने लगा है। नई दिल्ली में मेट्रो रेलवे का सबसे तेज विस्तार हुआ है। भातर में सबसे पहले मेट्रो रेलसेवा कोलकाता में शुरु हुई। दिल्ली की मेट्रो क्रांति के बाद बाहैसियत तत्कालीन रेलमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में मेट्रो रेल सेवा के विस्तार के लिए पहल की। जिसके तहत हुगली पार हावड़ा में भी दौड़ेगी मेट्रोरेल। लेकिन ईस्ट वेस्ट मेट्रो लाइन भूमि अधिग्रहण विवाद से अधर में लटकी हुई है। गड़िया के काजी नजरुल इस्लाम से लेकर दमदम के नोवापाड़ा तक मेट्रोरेल सेवा का विस्तार हो चुका है। नोवापाड़ा होकर मेट्रो रेल दक्षिणेश्वर, बैरकपुर और बारासात को जोड़ेगी। उधर दक्षिण में जोका तक मेट्रो सेवी शुरु होने वाली है। काजी नजरुल से एअरपोर्ट तक मेट्रो रेल का काम तेजी से हो रहा है और पर्यावरण संबंधी समस्याओं के बावजूद देर सवेर यह लाइन भी चालू हो जायेगी। लेकिन दिल्ली की तुलना में कोलकाता यात्री सुविधा के मामले में तेजी से पिछड़ने लगा है।
कोलकाता और हावडा को जोड़ने के लिए गंगा नदी के नीचे से मेट्रो रेल गुजरेगी। केन्द्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को हरी झंडी दे दी है। इस पर 40 अरब रुपये का निवेश होगा।साल्टलेक इलाके से हावडा स्थित रामराजताला तक की 19 किलोमीटर लंबी मेट्रो लाइन का 9 किलोमीटर हिस्सा गंगा नदी के नीचे से होकर गुजरेगा।कजब 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कोलकाता की प्रथम मेट्रो सेवा का उद्घाटन किया था तब इस अंडर वाटर मेट्रो परियोजना पर भी सोच-विचार होने लगा।यह मेट्रो लाइन 18 स्टेशनों से होकर गुजरेगी और कोलकाता एवं हावडा को जोडने के लिए नदी के नीचे से एक सुरंग बनायी जाएगी।
रेल बजट 2013-14 में चार प्रस्तावित परियोजनाओं में भारी कटौती की घोषणा के बादकोलकाता मेट्रो रेल के विस्तार की परियोजनाएं खटाई में पड़ गई है।
कोलकाता मेट्रो रेलवे भारत का पहला भूमिगत रेलवे है। यह नेताजी सूभाष चन्द्र बोस हवाई अड्डा कोलकाता के नजदीक दमदम से गड़िया के नजदीक कवि नजरुल स्टेशन तक फैला है जो कि कोलकाता का व्यस्त 22.284 किमी लम्बा उत्तर-दक्षिण अक्ष है। मेट्रो रेलवे कोलकाता १९७२ से २००९ तक लगातार निर्मित हुआ। फेज-| में दमदम से टालिगंज (महानायक उत्तम कुमार) तक १६.४५० कि.मी. १९९५ में पूरा कया गया तथा फेज-|| में महानायक उत्तम कुमार से कवि नजरुल तक ५.८३४ कि.मी. अगस्त् २००९ में निर्मित किया गया। फेज-|| का शेष २.८५१ कि.मी. कवि नजरुल से न्यू गड़िया स्टेशन तक का निर्माण जल्द पूरा कर लिया जाएगा। इसे मंडलीय रेलवे का स्तर प्रदान किया गया है। यह भारतीय रेल द्वारा संचालित है। १९८४ में आरंभ हुई यह भारत की प्रथम भूमिगत एवं मेट्रो प्रणाली थी। इसके बाद दिल्ली मेट्रो २००२ में आरंभ हुई थी।
आरंभ में ५ लाइनों की योजाना थी, किंतु बाद में ३ ही चुनीं गईं:-
दम दम - टॉलीगंज (महानायक उत्तमकुमार) - निउ गड़िया
बिधाननगर सैक्टर-५ - रामराजतला
दक्षिणेश्वर - ठाकुरपुकुर
जबकि दिल्ली मेट्रो रेल भारत की राजधानी दिल्ली की मेट्रो रेल परिवहन व्यवस्था है जो दिल्ली मेट्रो रेल निगम लिमिटेड द्वारा संचालित है। इसका शुभारंभ २४ दिसंबर, २००२ को शहादरा तीस हजारी लाईन से हुई। इस परिवहन व्यवस्था की अधिकतम गति ८०किमी/घंटा (५०मील/घंटा) रखी गयी है और यह हर स्टेशन पर लगभग २० सेकेंड रुकती है। सभी ट्रेनों का निर्माण दक्षिण कोरिया की कंपनी रोटेम(ROTEM) द्वारा किया गया है। दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में मेट्रो रेल एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इससे पहले परिवहन का ज्यादतर बोझ सड़क पर था। प्रारंभिक अवस्था में इसकी योजना छह मार्गों पर चलने की थी जो दिल्ली के ज्यादातर हिस्से को जोड़ते थे। इस प्रारंभिक चरण को २००६ में पूरा किय़ा गया। बाद में इसका विस्तार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से सटे शहरों गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गाँव और नोएडा तक किया गया। इस परिवहन व्यवस्था की सफलता से प्रभावित होकर भारत के दूसरे राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्था, कर्नाटक , आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र में भी इसे चलाने की योजनाएं बन रही हैं। दिल्ली मेट्रो रेल व्यव्स्था अपने शुरुआती दौर से ही ISO १४००१ प्रमाण-पत्र अर्जित करने में सफल रही है जो सुरक्षा औरपर्यावरण की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
सितंबर २०११ में संयुक्त राष्ट्र ने "स्वच्छ विकास तंत्र" योजना के तहत हरित गृह गैसों में कमी लाने के लिए दिल्ली मेट्रो को दुनिया का पहला "कार्बन क्रेडिट" दिया जिसके अंतर्गत उसे सात सालों के लिए 95 लाख डॉलर मिलेंगे।
दमदम से टालीगंज तक चालू मेट्रो सेवा का विस्तार काजी नजरुल से लेकर नोवापाड़ा तक होने के बावजूद यात्री सेवा बेहतर होने के बजाय लगातार खराब होती जा रही है। कोलकाता वासी अब बहुत हद तक घर से कार्यस्थल जाने के लिए मेट्रो पर ही निर्भर है। काजी नजरुल सियालदह दक्षिण और नोवापाड़ा दमदम सियालदह दक्षिण रेलवे सेवा से जुड़े होने कारण दिनोंदिन मेट्रो यात्रियों की भीड़ में इजाफा हो रहा है। दीदी जब रेलमंत्री थीं, तब मेट्रो स्टेशनों का नामकरण मनीषियों के नाम पर होने के साथ स्टेशनों पर पेयजल की भी व्यवस्था हो गयी थी, जो अब खत्म है। लंबी दूरी तक चलने वाली मेट्रोसेवा के लिए लिए किसी भी स्टेशन पर शौचालय की कमी शुरु से खलती रही है। लेकिन लोग अबाधित मेट्रो सेवा से ही खुश थे और पेयजल, शौचालय जैसी जरुरी सेवाओं की मांग भी नहीं कर रहे थे।
अब मेट्रोरेलवे के विस्तार के बाद बहुत कम संख्या में वातानुकूलित रेक भी चालू हो गये। लेकिन पुराने रेक बदलकर नये रेक न लगाये जाने से और रेक की संख्या नियमित सेवा के लिए अपर्याप्त होने की वजह से जब तब तकनीकी कारण से मेट्रो सेवा बाधित होने लगी है। पिक आवर में सुरंग के बीच फंस जाने की नरक यंत्रणा भुक्तभोगी ही समझ सकते हैं। इसके अलावा कर्माचारी भी पर्याप्त नहीं हैं। बिना विश्राम के मोटरमैन के लागातार काम करने से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। पिछले दिनों तो दमदम के पास मेट्रो ट्रेन पटरी से उतर भी गयी और तब कहा गया कि मोटरमैन मोबाइल पर बात कर रहे थे। नयी भर्तियां हो नही रही है।
सुरक्षा इंतजाम भी चुस्त नहीं है। निकासी व प्रवेश के गेट भी अमूमन खराब हो जाते हैं। सीसी कैमरे लगे होने को ही सुरक्षा की गारंटी मानी जाती है। स्टेशनों पर सुरक्षा कर्मियों की अपर्याप्त संख्या की वजह से यात्रियों की पड़ताल भी ठीक से नहीं हो सकती। इसके खतरनाक नतीजे भी हो सकते हैं।
नोवापाड़ा स्टेशन जो सबसे महत्वपूर्ण जंक्शन बतौर बनाया गया है, वहां यात्री अपने को बेहद असुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि शाम ढलते ही यह नया शनदार स्टेशन का साम्राज्य बन जाता है, जिससे बस सेवा न जुड़ने की वजह से यात्रियों को अंधेरे और दलदल के बीच रेल ब्रिज पार करके मनमानी भाड़ा देकर बीटी रोड तक पहुंचना होता है। इससे खासकर महिला यात्रियों को बहुत ज्यादा असुविधा हो रही है।
कोलकाता मेट्रो रेल
http://hi.wikipedia.org/s/8lh
मुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया से
कोलकाता मेट्रो रेल | ||
जानकारी | ||
क्षेत्र | ||
यातायात प्रकार | ||
लाइनों की संख्या | २ | |
स्टेशनों की संख्या | २१ (१५ भूमिगत, १ भूमि एवं ५ ऊपर) | |
प्रतिदिन की सवारियां | २३५६ यात्री (लगभग) | |
प्रचालन | ||
प्रचालन आरंभ | १९८४ | |
संचालक | * | |
तकनीकी | ||
प्रणाली की लंबाई | २२.३ कि.मी. | |
१,६७६ मि.मि. (५ फी. ६ इं.) (ब्रॉड गेज) | ||
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कोलकाता मेट्रो (बांग्ला: কলকাতা মেট্রো) पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक भूमिगत रेल प्रणाली है। इसे मंडलीय रेलवे का स्तर प्रदान किया गया है। यह भारतीय रेल द्वारा संचालित है। १९८४ में आरंभ हुई यह भारत की प्रथम भूमिगत एवं मेट्रो प्रणाली थी। इसके बाद दिल्ली मेट्रो २००२ में आरंभ हुई थी।
आरंभ में ५ लाइनों की योजाना थी, किंतु बाद में ३ ही चुनीं गईं:-
मुख्य फीचर्स[संपादित करें]
कुल रूट लंबाई | २२.३ कि.मी. |
स्टेशन | २१ (१५ भूमिगत, १ भूमि एवं ५ ऊपर) |
गेज | ५'६" (१६७६ मि.मि) ब्रॉड गेज |
कोच प्रति ट्रेन | ८ |
अधिकतम अनुमत गति | ५५ किमि./घंटा |
औसत गति | ३० किमि./घंटा |
वोल्टेज | |
वर्तमान कलेक्षन विधि | |
यात्रा समय: दम दम से कबि नजरूल | ४१ मिनट (लगभग) |
कोच क्षमता | २७८ खड़े, ४८ बैठे यात्री |
ट्रेन क्षमता | २५९० यात्री (लगभग) |
ट्रेनों के बीच अंतराल | ७ मिनट दफतर समय एवं १०-१५ मिनट अन्य समय |
परियोजना की कुल अनुमानित लागत | रु.१८२५ करोड़ (लगभग) |
पर्यावरण नियंत्रण | धुली एवं प्रशीतित वायु से फोर्स्ड वेन्टीलेशन |
मार्ग[संपादित करें]
Kolkata Metro Map 2009
उत्तर-दक्षिण गलियारा[संपादित करें]
इस गलियारे में स्टेशन हैं:-
शहीद खुदीराम (पूर्ब नाम: ब्रीजी)
कवि नजरूल (पूर्ब नाम: गड़िया बाज़ार)
मास्टारदा सूर्य सेन (पूर्ब नाम: बान्सद्रोणी)
महानाया उत्तमकुमार (पूर्ब नाम: टॉलीगंज)
जतिन दास पार्क (पूर्ब नाम: हाजरा)
नेताजी भवन (पूर्ब नाम: भबानीपुर)
गिरिश पार्क (पूर्ब नाम: जोड़ासान्को)
किराया[संपादित करें]
क्षेत्र | दूरी (कि.मी) | किराया (रु.) |
१ | ५ तक | ४.०० |
२ | ५-१० | ६.०० |
३ | १०-१५ | ८.०० |
४ | १५-२० | १०.०० |
५ | २० एवं अधिक | १२.०० |
बाहरी कड़ियां[संपादित करें]
आधिकारिक जालस्थल लाइन १
आधिकारिक जालस्थल लाइन २
संदर्भ[संपादित करें]
दिल्ली मेट्रो रेल
http://hi.wikipedia.org/s/8w0
मुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया से
दिल्ली मेट्रो | |
* | |
जानकारी | |
क्षेत्र | |
यातायात प्रकार | |
लाइनों की संख्या | ६ |
स्टेशनों की संख्या | १३५[1] |
प्रतिदिन की सवारियां | १६,००,००० प्रतिदिन[2] |
प्रचालन | |
प्रचालन आरंभ | |
संचालक | दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड |
तकनीकी | |
प्रणाली की लंबाई | 161 किलोमीटर (100 मील)[1] |
१,६७६ मि.मि. (५ फी. ६ इं.) (ब्रॉड गेज) |
दिल्ली मेट्रो रेल भारत की राजधानी दिल्ली की मेट्रो रेल परिवहन व्यवस्था है जो दिल्ली मेट्रो रेल निगम लिमिटेड द्वारा संचालित है। इसका शुभारंभ २४ दिसंबर, २००२ को शहादरा तीस हजारी लाईन से हुई। इस परिवहन व्यवस्था की अधिकतम गति ८०किमी/घंटा (५०मील/घंटा) रखी गयी है और यह हर स्टेशन पर लगभग २० सेकेंड रुकती है। सभी ट्रेनों का निर्माण दक्षिण कोरिया की कंपनी रोटेम(ROTEM) द्वारा किया गया है। दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में मेट्रो रेल एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इससे पहले परिवहन का ज्यादतर बोझ सड़क पर था। प्रारंभिक अवस्था में इसकी योजना छह मार्गों पर चलने की थी जो दिल्ली के ज्यादातर हिस्से को जोड़ते थे। इस प्रारंभिक चरण को २००६ में पूरा किय़ा गया। बाद में इसका विस्तार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से सटे शहरों गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गाँव और नोएडा तक किया गया। इस परिवहन व्यवस्था की सफलता से प्रभावित होकर भारत के दूसरे राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश[3][4][5], राजस्थान[6][7], कर्नाटक [8], आंध्र प्रदेश[8] एवं महाराष्ट्र[8] में भी इसे चलाने की योजनाएं बन रही हैं। दिल्ली मेट्रो रेल व्यव्स्था अपने शुरुआती दौर से ही ISO १४००१ प्रमाण-पत्र अर्जित करने में सफल रही है जो सुरक्षा औरपर्यावरण की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
सितंबर २०११ में संयुक्त राष्ट्र ने "स्वच्छ विकास तंत्र" योजना के तहत हरित गृह गैसों में कमी लाने के लिए दिल्ली मेट्रो को दुनिया का पहला "कार्बन क्रेडिट" दिया जिसके अंतर्गत उसे सात सालों के लिए 95 लाख डॉलर मिलेंगे। [9]
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मेट्रो रेल मार्ग
दिल्ली की भूमिगत रेल का मानचित्र। इसमें स्थानों के नाम हिन्दी (देवनागरी) में दिये गये हैं।
येलो लाइन
ब्लू लाइन
इस रेल व्यवस्था के प्रमच रण (फेज I) में मार्ग की कुल लंबाई लगभग ६५.११ किमी है जिसमे १३ किमी भूमिगत एवं ५२ किलोमीटर एलीवेटेड मार्ग है।
द्वितीय चरण (फेज II) के अंतर्गत पूरे मार्ग की लंबाई १२८ किमी होगी एवं इसमें ७९ स्टेशन होंगे जो अभी निर्माणाधीन हैं, इस चरण के २०१० तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।[10][11]
तृतीय चरण (फेज III) (११२ किमी) एवं IV (१०८.५ किमी) लंबाई की बनाये जाने का प्रस्ताव है जिसे क्रमश: २०१५ एवं २०२० तक पूरा किये जाने की योजना है। इन चारों चरणो का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के पश्चात दिल्ली मेट्रो के मार्ग की कुल लंबाई ४१३.८ किलोमीटर की हो जाएगी जो लंदन के मेट्रो रेल (४०८ किमी) से भी बडा बना देगी।[11][12][13][14] दिल्ली के २०२१ मास्टर प्लान के अनुसार बाद में मेट्रो रेल को दिल्ली के उपनगरों तक ले जाए जाने की भी योजना है।
वर्तमान मार्ग (फ़ेज़-I)
जून २००८ तक की स्थिति के अनुसार जिसमें फेज दो के एक्स्टेंशन भी शामिल हैं:
मार्ग का नाम | संख्या | स्टेशनों के बीच की दूरी | लंबाई (किमी) | स्टेशनों की संख्या | ट्रेनों की संख्या |
● रेड लाइन | १ | २५.०९ | २१ | २३ ट्रेन | |
२ | दिल्ली -[[jahangir puri huda city centre | १७.३६ | १५ | १६ ट्रेन | |
३ | ४७.४० | ४२ | ३८ ट्रेन |
कुल लंबाई = ८९.८ किमी[1]
फेज II के मार्ग
रंगीन मानचित्र
द्वितीय चरण (फेज II) के अंतर्गत पूरे मार्ग की लंबाई १२८ किमी होगी एवं इसमें ७९ स्टेशन होंगे जो अभी निर्माणाधीन हैं, इस चरण के २०१० तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।[11][15]
फेज III
इस फेज के २०१५ में पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है जिसमे कई लाईनों के विस्तार शामिल हैं :-
1. मुकुंदपुर - आजादपुर - राजौरी गार्डन - एम्स - सराय काले खां = ३१ किमी
2. केन्द्रीय सचिवालय - मंडी हाउस - दरियागंज - वेल्कम - गोकुलपुरी - नवादा (गाजियाबाद) = १८ किमी
3. रिठाला - बरावला = ६ किमी
4. दिलशाद गार्डन - गाजियाबाद ISBT = ९.५ किमी
5. एयरपोर्ट लिंक - सुशांत लोक (गुडगांव) = १६.५ किमी
6. मुंडका - दिल्ली बार्डर - बहादुरगढ = ११ किमी
8. सुशांत लोक (गुडगांव) - टी जंक्शन सेक्टर ४७ एवं ४८, गुडगांव = ६.५ किमी
कुल लंबाई = ११२ किमी[16]
फेज चार
दिल्ली मेट्रो - २००४
इसके पूरा होने का लक्ष्य २०२० में रखा गया है। जिनमें निम्नांकित नये मार्ग या पुराने मार्गों के विस्तार होंगे :-
1. सराय काले खां - आनंद विहार - दिलशाद गार्डन - यमुना विहार - सोनिया विहार = २२ किमी
2. सराय काले खां - नेहरू प्लेस - पालम - रेओला खानपुर = २८ किमी
3. मुकुंदपुर - जीटीके बाईपास - पीतमपुरा - पीरागढी - जनकपुरी - पालम = २० किमी
5. गाजीपुर - नोएडा सेक्टर ६२ = ७ किमी
6. द्वारका सेक्टर २१ - चावला = ६ किमी
7. अजरौंदा - खेरी = ५.५ किमी
कुल लंबाई = १०८.५ किमी[17]
कुल लंबाई सभी चरणों को मिलाकर = ४१३ किमी[17]
यह भी देखें
संदर्भ
↑ 1.0 1.1 1.2 "मेट्रो नोएडा में प्रवेश करती है, लोगों की यात्रा की आदतों में परिवर्तन करना". Dnaindia.com.
↑ द टाईम्स ऑफ़ इंडिया:दिल्ली मेट्रो अध्यक्ष किराया वृद्धि को सही ठहराते हैं
↑ मेरठ में मेट्रो की संभावना तलाशेगी डीएमआरसी| ५ जून, २००९|याहू जागरण)
↑ गाजियाबाद और लखनऊ में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को मंजूरी| वर्ल्ड न्यूज़| ३ फरवरी,२००९)
↑ गाजियाबाद और लखनऊ में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को मंजूरी| याहू जागरण|३ फरवरी, २००९)
↑ 8.0 8.1 8.2 मुंबई, हैदराबाद, बंगलौर में होगी मेट्रो ७ अप्रैल, २००६ बीबीसी,हिन्दी
↑ [http://www.khaskhabar.com/delhi-metro-awarded-first-carbon-credit-by-un-092011265395212630.html विश्व का प्रथम यूएन कॉर्बन क्रेडिट दिल्ली मेट्रो को], खासखबर २६ सितंबर, २०११
↑ द हिन्दू: न्यू देल्ही न्यूज़, देल्ही मेट्रो कॉन्फ़िडेन्ट ऑफ मीटिंग डेडलाइन
↑ डिस्कवरी चैनल: २४ आवर्स विद देल्ही मेट्रो
↑ द हिन्दू: न्यू देल्ही न्यूज़, देल्ही मेट्रो कॉन्फ़िडेन्ट ऑफ मीटिंग डेडलाइन
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