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Wednesday, July 24, 2013

शारदा की पुरानी फाइलें देखेगी सेबी। सेबी के खिलाफ रोजवैली की याचिका खारिज। अलकेमिस्ट को जमाकर्ताओं को अमानत लौटाने का आदेश!

शारदा की पुरानी फाइलें देखेगी सेबी। सेबी के खिलाफ रोजवैली की याचिका खारिज। अलकेमिस्ट को जमाकर्ताओं को अमानत लौटाने का आदेश!


सेबी चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई तेज करेगी और बंगाल में सक्रिय करीब पांच सौ चिटफंड कंपनियों पर अब अंकुश लगेगा।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


प्रतिभूति  कानून संशोधन अध्यादेश 2013 के तहत केंद्र सरकार नें सेबी के हाथ लंबे कर दिये हैं।इस अध्यादेश के तहत संबत्ति जब्त करनेसे लिकर गिरफ्तारी के अधिकार भी सेबी को मिल गये हैं।अब सेबी को शारदा समूह की पुरानी फाइलें देखने  का कानूनी अधिकार मिल गया है।इसी केसाथ  उम्मीद की जा रही है कि सेबी चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई तेज करेगी और बंगाल में सक्रिय करीब पांच सौ चिटफंड कंपनियों पर अब अंकुश लगेगा।सेबी के हाथ मजबूत करने के दो फैसले और हुए है।सेबी की अपील अदालतसिक्युरिटीज ट्रिव्युनल ने अलकेमिस्ट को अठारह महीने के भीतर उसके सभी पंद्रह लाख निवेशकों को उनकी अमानत लौटाने का आदेश जारी किया है,जबकि कोलकाता हाईकोर्ट ने सेबी केखिलाफ रोजवैली की याचिका खारिज कर दी।अध्यादेश के मुताबिक इन चिटपंड कंपनियों के बारे में दूसरी संस्थाओं की जांच रपट का भी इस्तेमाल कर सकेगी सेबी।नए अधिकारों से लैस बाजार नियामक अब कानून का उल्लंघन कर गलत तरीके से कमाई गयी पूरी रकम की वसूली का आदेश भी दे सकता है।ये संशोधन प्रतिभूति कानून संशोधन अध्यादेश का हिस्सा हैं जिसे पिछले सप्ताह जारी किया गया। पूर्व की तारीख से एक अन्य अहम संशोधन के तहत सेबी व्यक्तिगत तथा कंपनियों के खिलाफ छह साल से अधिक समय से लंबित जांच का निपटान कर सकता है।


रोज वैली रियल इस्टेट एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को कलकत्ता हाइकोर्ट में उस वक्त झटका लगा जब अदालत ने उसकी याचिका को न केवल खारिज किया बल्कि उसपर जुर्माना भी लगाया। कंपनी सेबी के खिलाफ मामला कर उसकी 11 (एए) धारा को असंवैधानिक बताया था। इसके तहत सेबी ने गत 11 जनवरी को उसकी कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम पर रोक लगायी थी और निवेशकों का पैसा वापस लौटाने के लिए कहा था।सेबी के इस आदेश को चुनौती देते हुए रोज वैली की ओर से मामला किया गया थ।. जज दीपंकर दत्त ने रोज वैली की याचिका को खारिज करते हुए मामला करने के लिए उस पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। इन 10 लाख रुपये में से पांच लाख रुपये स्टेट लीगल एड फोरम को और पांच लाख रुपये हाइकोर्ट लीगल एड फोरम को जायेगा।सेबी ने अपने आदेश में रोज वैली रियल इस्टेट एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड की हॉलिडे सदस्यता योजना के तहत निवेशकों से जमा रकम एकत्रित करने पर रोक लगाने की घोषणा की। यह सामूहिक निवेश योजनाओं के खिलाफ सेबी द्वारा जारी आदेश की ही एक कड़ी है। रोज वैली समूह की कंपनियों पर करीब 20 लाख निवेशकों से 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम जमा कराने का अनुमान है।


सेबी ने आदेश में कहा, 'रोज वैली होटल्स बिना पंजीकरण के सामूहिक निवेश योजना चला रही थी। ऐसे में नियामक के पास कंपनी को आगे रकम जुटाने की गतिविधि बंद करने का आदेश देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।' कंपनी ने 2010 में हॉलिडे सदस्यता योजना पेश की थी जिसके तहत निवेशकों को मासिक किस्तों में हॉलिडे पैकेज देने की बात कही गई थी। किस्त पूरी होने के बाद निवेशक पैकेज का इस्तेमाल कर सकते हैं या ब्याज सहित पैसे वापस ले सकते हैं।


दूसरी ओर,निवेशकों को चूना लगाने के मकसद से चलाई जाने वाली सामूहिक निवेश स्कीमों (सीआईएस) पर बाजार नियामक सेबी द्वारा सख्ती बरते जाने की खबरों के बीच प्रतिभूति अपीलीय ट्रिब्यूनल (सैट) ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम उठाया है।सैट ने मंगलवार को सेबी के उस आदेश का अनुमोदन कर दिया जिसमें रियल्टी बिजनेस के नाम पर हजारों निवेशकों से फंड इकट्ठा करने वाले तीन निकायों से मनी रिफंड करने को कहा गया है।इन निकायों में अलकेमिस्ट इन्फ्रा रियल्टी लिमिटेड, मैत्रेय सर्विसेज प्रा.लि. और एनजीएचआई डेवलपर्स शामिल हैं।सैट ने इन तीनों निकायों को निर्देश दिया है कि उन्होंने अनधिकृत स्कीमों के जरिए हजारों निवेशकों से जो बड़ी राशि जुटाई है, उसे लौटा दे।


अलकेमिस्ट इन्फ्रा से 18 माह के भीतर निवेशकों को 1,000 करोड़ रुपये रिफंड करने को कहा गया है। इसी तरह मैत्रेय सर्विसेज को छह माह के भीतर निवेशकों को 700 करोड़ रुपये लौटाने हैं। एनजीएचआई डेवलपर्स ने आम जनता से जो रकम जुटाई है, उसे भी छह माह के अंदर लौटाना होगा।



सेबी की ताकत और बढ़ गई है। सेबी को अब फ्रॉड करने वालों के खिलाफ हर तरह की कार्रवाई का अधिकार मिल गया है। सेबी एक्ट में बदलाव के बाद सेबी को अब छापेमारी और गिरफ्तारी तक का अधिकार मिल गया है।सिर्फ यही नहीं सेबी आरोपी को गिरफ्तार भी कर सकती है। इसके साथ रकम की वसूली, घर में तलाशी, ताला तोड़ने का अधिकार भी सेबी को मिल गया है।एक तरह से फ्रॉड करने वालों के खिलाफ सेबी पुलिस का काम करेगी। ये अधिकार सेबी एक्ट में बदलाव को मंजूरी के बाद मिले हैं।सेबी को विदेशी रेगुलेटरों, एजेंसियों से जानकारी जुटाने का अधिकार मिल गया है। सेबी किसी भी बैंक, बोर्ड या अथॉरिटी से जानकारी मांग सकता है। यहीं नहीं 15 साल पुराने मामलों में भी कार्रवाई का अधिकार सेबी के पास आ गया है।साथ ही नियामक जरूरत पड़ने पर जांच के सिलसिले में किसी भी व्यक्ति, बैंक, प्राधिकरणों, बोर्ड या निगम से जानकारी मांग सकता है। मामलों के निपटान के संदर्भ में अध्यादेश में कहा गया है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ सेबी ने जांच शुरू की है या कर सकता है, वह कथित चूक को लेकर ऐसी कार्रवाई के निपटान के लिये आवेदन दे सकता है।


चूक की प्रकृति, महत्व तथा उसके प्रभाव को देखने के बाद सेबी ऐसे अनुरोध को स्वीकार कर सकता है या फिर उसे खारिज कर सकता है। हालांकि इन मामलों के सेबी के निर्णय के खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकती। निपटान प्रावधान 20 अप्रैल 2007 से प्रभावी होगा।


इसी बीच पूंजी बाजार विनियामक सेबी ने गैर-कानूनी तरीके से पैसा जुटाने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। सेबी के चेयरमैन यू के सिन्हा का कहना है कि पिछले 1 साल में इस तरह की 15 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है। साथ ही 133 मामलों में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।


सामूहिक निवेश योजनाओं के रूप में पोंजी योजनाओं की बढ़ती समस्या से निपटने के लिये भी नियमों में संशोधन किये गये है। इसके तहत सेबी 100 करोड़ रुपये या अधिक मूल्य के किसी भी धन जुटाने की योजना का नियमन कर सकता है। नियामक को किसी व्यक्ति या कंपनी द्वारा चलाये जाने वाली अवैध निवेश योजनाओं के खिलाफ कदम उठाने का अधिकार दिया गया है।


हालांकि सरकारी अधिसूचित सभी योजनाएं सामूहिक निवेश योजना मसौदे से अलग होंगी। ये बदलाव सेबी के संचालन एवं कामकाज से संबद्ध तीन मुख्य कानून-भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड कानून, प्रतिभूति अनुबंध नियमन कानून (एससीआरए) तथा डिपोजिटरीज कानून में किये गये 22 संशोधनों का हिस्सा हैं।


ये संशोधन 16 पृष्ठ के अध्यादेश के माध्यम से किये गये हैं। अध्यादेश के तहत सेबी को गलत तरीके से कमाई गयी राशि को निकलवाने का आदेश देने का अधिकार भी दिया गया है।


साथ ही नियामक नियमों का अनुपालन नहीं करने वालों के खिलाफ जांच के सिलसिले में घरों, विभिन्न स्थानों, जहाज, वाहनों तथा विमानों में भी जा सकता है। उसके अधिकारी संदिग्ध कंपनियों से सूचना हासिल करने के लिये किसी भी दरवाजे, बक्से आदि के ताले खोल सकता है।


साथ ही नियमों का अनुपालन नहीं करने वाला 20 अप्रैल 2012 की पिछली तिथि से सेबी के समक्ष लंबित मामलों के निपटान का अनुरोध कर सकता है। अध्यादेश में प्रतिभूति कानून के उल्लंघन से जुड़े मामलों के त्वरित सुनवाई के लिये जरूरत पड़ने पर विशेष अदालत गठित करने की भी अनुमति दी गयी है।


सेबी को जुर्माना, निवेशकों को पैसा लौटाने तथा अन्य बकाये संबद्ध निर्देशों का पालन नहीं करने वाले व्यक्तियों तथा कंपनियों की संपत्ति और बैंक खाते कुर्क करने का सीधा अधिकार दिया गया है। नियामक चूककर्ताओं को गिरफ्तार और निरूद्ध करने का भी अधिकार दे सकता है घरेलू तथा विदेशी नियामकों से सूचना हासिल करने का अधिकार छह मार्च 1998 की तारीख से लागू होगा।


वहीं कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्री सचिन पायलट ने उम्मीद जताई है कि संसद के मॉनसून सत्र में नए कंपनी बिल को राज्यसभा में मंजूरी मिल जाएगी। सचिन पायलट ने कहा है कि इस बिल के कानून बनने पर चिट-फंड कंपनियों और पोंजी स्कीमों पर कारगर तरीके से रोक लगाने में मदद मिलेगी। लोकसभा इस बिल को मंजूरी दे चुका है।


साथ ही सेबी के चेयरमैन यू के सिन्हा ने कहा है कि आईपीओ में निवेश के लिए ओपनिंग डे पर कॉल ऑक्शन मैकेन्रुनिज्म शुरू किए जाने का पॉजिटिव असर देखने को मिल रहा है। दरअसल आईपीओ के कीमत में भारी उतार-चढ़ाव पर रोक लगाने के लिए सेबी ने इस मैकेनिज्म को शुरू किया था।




गौरतलब है कि शारदा चिटफंड घोटाले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार, सीबीआई और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को नोटिस जारी किया है। प्रधान जज अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने घोटाले के साथ ही देश की सभी चिटफंड कंपनियों की जांच करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।पश्चिम बंगाल सरकार एक कैविएटर के तौर पर मौजूद थी और उसने जनहित याचिका का विरोध करते हुए कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट इस मामले की जांच की निगरानी कर रहा है। कोर्ट ने इस मामले में तीन हफ्ते के भीतर नोटिस का जवाब देने को कहा है। इस मामले में दो जनहित याचिकाएं सुब्रत चट्टोराज और प्रीतम कुमार सिंह राय ने दायर की हैं।




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