Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Thursday, July 4, 2013

पहाड़ से मां की चिट्ठी, 'बारिशों में घर ना आना बेटा'

पहाड़ से मां की चिट्ठी, 'बारिशों में घर ना आना बेटा'

जुगराजी रैई ब्यटा, ये चौमासा तू घौर न ऐई । हमन त अपड़ी जिंदगी काट्याली, अब जु दिन बच्यां छन वू बि कटि जाला । यख कै दिन बिपदा अ जाली, कुछ नि ब्वले सकेंदू । 
(राजी-खुशी रहना बेटा, इस बरसात में घर मत आना। हमारी आधी जिंदगी तो कट चुकी। अब जो दिन बचे हैं, वह भी कट जाएंगे। यहां किस दिन आपदा आ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता ।)

यह पहाड़ की एक माता के द्वारा दूर देश में रह रहे बेटे को भेजी गई चिट्ठी का मजमून है । आपदा से ग्रस्त पहाड़ की माताएं, कुछ इसी तरह के संदेश इन दिनों दूर-देश अपने बेटों को भेज रही हैं । उन्हें डर है, मुसीबतों का जो पहाड़ उन पर टूट पड़ा है, अब उनके बच्चे भी कहीं उसकी जद में न आ जाएं । किसी भी मां के लिए बहुत कठिन है यह सब कहना ।

जिस बच्चे को मां की आंखें हर पल देखना चाहती हों, जिसे दुलार करने को हर वक्त जी मचलता हो । उसी बच्चे को आपदाग्रस्त गांवों की माएं घर न आने को कह रही हैं । यह पहाड़ के घर-घर की कहानी है ।

अधिकतर घरों के बच्चे पढ़ाई-लिखाई या दूसरे काम-धंधों के चलते बाहर रहते हैं । ऐसे में वे तभी घर पहुंचते हैं, जब कोई तीज-त्योहार का अवसर हो या फिर गांव-घर में कोई पूजन, विवाह आदि समारोह ।

लेकिन पहाड़ के वर्तमान हालातों पर विपदा की मारी मांओं को कलेजे पर पत्थर रखकर अपने लाडलों को घर न आने का संदेश भेजना पड़ रहा है । 


बाहर जाने के लिए वाहन, पहाड़ के लिए नहीं
=========================

पहाड़ों में आई आपदा के बाद जब यहां फंसा बाहरी प्रांत का हर शख्स जल्द-जल्द पहाड़ छोड़ मैदान/घरों की ओर जाना चाहता है, ऐसे में रुद्रप्रयाग जिले के सुदूरवर्ती गांव के दिनेश को उसी पहाड़ (अपने घर) पहुंचने की जल्दी थी । बस अड्डे पर अपने घर की ओर जाने वाली गाड़ी की तलाश में अचानक टकरा गया ।

जल्दी का कारण पूछा तो फफक कर रो पड़ा । बोला- 'दिल्ली, यूपी, पंजाब, हरियाणा सब जगह की गाड़ियां हैं, लेकिन मेरे गांव की ओर जाने वाली एक भी गाड़ी नहीं मिल रही।' पता पूछने पर उसने रुद्रप्रयाग जिले के किसी सूदरवर्ती गांव का नाम बताया ।



मां ने तो फर्ज निभाया, अब अपनी बारी 
======================

दिनेश बताता है- वह जापान में नौकरी करता है । टीवी में उत्तराखंड में आई आपदा से जुड़ी खबरें देखीं । मेरे गांव का कहीं नाम नहीं आया । फोन पर संपर्क की कोशिश की, किसी से बात नहीं हो पाई । सोचा सब ठीक है ।

बीते रविवार को मां की चिट्ठी मिली । लिखा है- आधा गांव बह गया, गांव के समीप छोटे से बाजार का भी अता-पता नहीं, कई बहुएं विधवा हो गई, गांव को संपर्क मार्ग से जोड़ने वाला पुल बह गया । पर तू इस चौमास बीतने तक घर मत आना । बाकी सब ठीक है ।

उसकी वेदना सुन कलेजा हाथ में आ गया । उसके कंधे पर हाथ रखकर मैंने उससे सिर्फ इतना कहा- 'मां ने अपना धर्म निभा लिया, तू सकुशल घर पहुंच भुला (भाई), अब तेरी बारी है । ..तू अपना फर्ज निभा ।'

(साभार : विनोद मुसान अमर उजाला से)
 — with Rajiv Lochan Sah and 19 others.
4Like ·  · 

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...