Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Monday, July 22, 2013

राजनीतिक चंदे की व्यवस्था में पारदर्शिता लाने की कवायद

राजनीतिक चंदे की व्यवस्था में पारदर्शिता लाने की कवायद

Monday, 22 July 2013 10:02

जनसत्ता ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने राजनीतिक चंदे की व्यवस्था में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए चुनावी ट्रस्ट कंपनियों के गठन का रास्ता साफ कर दिया है। ऐसी कंपनियों को विभिन्न राजनीतिक दलों को दिए गए धन या चंदे पर कर लाभ मिलेगा। इस नए कदम के तहत इकाइयों को गैर लाभकारी कंपनियों को अपने नाम के तहत निर्वाचक ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत कराने की इजाजत होगी। कंपनी मामलों के मंत्रालय ने कंपनियों के लिए नाम उपलब्धता दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है जिससे उनके लिए ऐसी इकाइयों का पंजीकरण आसान हो जाएगा। 
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की अधिसूचना के मुताबिक, कंपनी कानून  1956 की धारा 25 के तहत निर्वाचक ट्रस्ट के साथ नाम के साथ ऐसी कंपनी के पंजीकरण की इजाजत दी जाएगी। यह व्यवस्था निर्वाचक ट्रस्ट स्कीम, 2013  के तहत की जा रही है। मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह की कंपनी नई इकाई होगी। नाम के लिए आवेदन के साथ यह शपथपत्र भी देना होगा कि यह नाम सिर्फ सीबीडीटी की निर्वाचक ट्रस्ट योजना के तहत कंपनी का पंजीकरण कराने के लिए हासिल किया जा रहा है। 

सरकार ने इसी साल निर्वाचक ट्रस्ट योजना-2013 को अधिसूचित कर दिया है। इसका मकसद कंपनियों द्वारा राजनीतिक दलों को उनके चुनावी खर्च के लिए दिए जाने वाले चंदे की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है। योजना के तहत सिर्फ उन्हीं कंपनियों को यह कर लाभ मिलेगा जो किसी वित्त वर्ष में मिले कुल अंशदन का 95 फीसद उसी साल पंजीकृत दलों को वितरित करेंगी।  
इसके अलावा वे कोई भी योगदान नकद में प्राप्त नहीं कर सकती। उन्हें योगदान देने वाले देश में रहने वाले लोगों का स्थायी खाता संख्या (पैन) लेना होगा। वहीं प्रवासी भारतीयों से चंदा लेते समय उनका पासपोर्ट नंबर लेना होगा। इन निर्वाचन ट्रस्ट कंपनियों को विदेशी नागरिकों या कंपनियों से योगदान लेने की इजाजत नहीं होगी।  कई उद्योग घराने मसलन टाटा, आदित्य बिड़ला समूह और भारती समूह अपने ट्रस्टों के माध्यम से राजनीतिक दलों को धन देते रहे हैं। हालांकि, इस तरह की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी को लेकर चिंता जताई जाती रही है। इसी के मद्देनजर सरकार इस बारे में कुछ अधिक स्पष्ट नियमन लेकर आई है।

http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/1-2009-08-27-03-35-27/49223-2013-07-22-04-33-37

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...