प्रशासन और कम्पनी की साझेदारी से महान जंगल में वनअधिकारों का उल्लंघन
डॉ सीमा जावेद
मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में पाँच गाँव -अमेलिया, बुधेर, सुहिरा बांधौरा और बारवनटोला के निवासी सदियों से महान जंगल से जंगली उत्पाद की उगाही कर रहे हैं, जो उनकी जीविका का प्रमुख साधन है। अब कम्पनी (महान कोल लिमिटेड) कहती है कि जंगल उनका है और इनपर गाँव वालों का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि महान कोल ब्लॉक के आवंटन प्रक्रिया ने छत्रसाल, अमिलिया उत्तर और कई अन्य प्रतिक्षित कोयला खदान के आवंटन के लिये दरवाजा खोल दिया है। जल्द ही इस क्षेत्र के सभी जंगल टुकड़े-टुकड़े में कोयल खानों के रुप में बदल दिये जायेंगे।
हालाँकि कोयला खनन शुरू करने से पहले ग्राम सभा की अनुमति जरूरी है। आदिवासियों और प्रभावित लोगों को शंका है कि स्थानीय प्रशासन और कम्पनी की मजबूत साझेदारी में बड़े पैमाने पर वनअधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। इससे निपटने के लिये इन पाँच गांवों के लोगों ने महान संघर्ष समिति बनायी। महान क्षेत्र के पाँच गांवों के सदस्यों वाला यह समिति महान कोल लिमिटेड (एस्सार व हिंडाल्को का संयुक्त उपक्रम) को प्रस्तावित खदान का विरोध कर रही है। साथ ही, समिति इस क्षेत्र में वन अधिकार एक्ट को लागू करने की माँग भी कर रही है।
वनाधिकार के लिये एक ग्राम सभा 6 अगस्त 2013 को अमिलिया में आयोजित किया गया जिसमें सिर्फ 184 लोगों ने हिस्सा लिया। ग्राम सभा के शाम तहसीलदार स्थानिय पुलिस वालों के साथ आकर गाँव वालों पर प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करवाने का दबाव डाला। साथ ही कई लोगों का फर्जी हस्ताक्षर भी करवाया गया। सूचना के अधिकार के तहत माँगी गयी ग्राम सभा में पारित प्रस्ताव की कॉपी में 1100 लोगों का हस्ताक्षर था। इनमें ज्यादातर गाँव वालों को डरा कर फर्जी तरीके से हस्ताक्षर करवाया गया था।
पर जब अमिलिया और सुहिरा के ग्रामीणों ने सामुदायिक वनाधिकार से सम्बंधित प्रस्ताव को पारित करने के लिये अपने-अपने ग्राम सभा में इकट्ठे हुये थे लेकिन महान कोल लिमिटेड के अधिकारियों तथा स्थानीय प्रशासन द्वारा बैठक को बाधित किया गया। 19 जुलाई 2013 को नई दिल्ली में जनजातीय अधिकारों को लेकर मुखरजनजातीय मामले के केन्द्रीय मंत्री वी किशोर चन्द्र देव ने महान संघर्ष समिति के सात सदस्यों तथा ग्रीनपीस कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और कहा कि महान कोल ब्लॉक को कोयला खदान का आवंटन पूरी तरीके से वनाधिकार अधिनियम का उल्लंघन करके किया गया है।
केन्द्रीय मंत्री ने समिति के मुद्दों के बारे में बात की तथा विश्वास दिलाया कि मंत्रालय उनको पूरा समर्थन करेगी। इस अवसर पर मंत्री ने उन पत्रों को भी साझा किया जिसे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजा है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि "कोयला खनन शुरू करने से पहले ग्राम सभा की अनुमति जरुरी है। आदिवासियों और प्रभावित लोगों को शंका है कि स्थानीय प्रशासन और कम्पनी की मजबूत साझेदारी में बड़े पैमाने पर वनअधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। कोयला खनन शुरू करने से पहले ग्राम सभा की अनुमति जरुरी है। साथ ही आदिवासियों और प्रभावित लोगों को शंका है कि स्थानीय प्रशासन और कम्पनी की मजबूत साझेदारी में बड़े पैमाने पर वनअधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।
स्थानीय प्रशासन और कॉरपोरेट सेक्टर के बीच मजबूत साझेदारी ने वनअधिकार एक्ट का उल्लंघन करना ठान लिया है। इससे महान जंगल पर सदियों से निर्भर उन बासठ गांवों के लोगों के बीच आक्रोश व्याप्त हो गया है। महान संघर्ष समिति अपनी लड़ाई को इन सभी बासठ गांवों में फैलाने को प्रयत्नशील है जो इस कोयला खानों से प्रभावित हो रहे हैं। ज्ञात हो कि किसी भी जंगल भूमि को विकास परियोजनाओं में बदलने के लिये सामुदायिक सहमति होना महत्वपूर्ण है और स्वतंत्र व निष्पक्ष ग्राम सभा को इस प्रक्रिया में शामिल करना भी आवश्यक है।
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