Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Saturday, July 20, 2013

विनायक सेन और हिमांशु कुमार ने कोलकाता में उठायी सोनी सोरी की रिहाई की मांग

विनायक सेन और हिमांशु कुमार ने कोलकाता में  उठायी  सोनी सोरी की रिहाई की मांग


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


जेल में बंद छत्तीस गढ़ आदिवासी महिला सोनी सोरी की रिहाई की मांग लेकर मध्य  कोलकाता के भारत सभा हाल में वृहस्पतिवार को एक नागरिक सम्मेलन संपन्न हो गया। जिसमें बंगाल में सक्रिय तमाम सामाजिक और मानवाधिकार कार्यक्रता हाजिर थे। नागरिक समाज की उपस्थिति में माओवादी होने के आरोप में गिरफ्तार और नागरिक आंदोलन की वजह से रिहा हुए छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में लोकप्रिय चिकित्सक व मानवाधिकार कार्यकर्ता डा.विनायक सेन और छत्तीसगढ़ में ही आदिवासी इलाकों में निरंतर काम कर रहे गांधीवादी कार्यक्रता ने सोनी सोरी की रिहाई की आवाज उठायी।इस नागरिक सम्मेलन में डाक्तरों , छात्रों , विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं ने शिरकत की।


उत्तर और दक्षिण 24 परगना और हावड़ा जिलों में पंचायत चुनावों के लिए मतदान में जारी हिंसा के मध्य कोलकाता में सोनी सोरी मुक्ति मोर्चा द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए विनायक सेन और हिमांशु कुमार। वे पत्रकार वार्ता के में शामिल हुए।ज किरीटि रॉय, पुन्यब्रत गुण , अजय टी जी , पियूष गुहा भी वक्ताओं में शामिल थे।


विनायक सेन ने कहा किविकास के नाम पर देश के प्रकृतिक संसाधन बहुराष्ट्रीयकंपनियों के हवाले किये जा रहे हैं। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं,उन्हें जेलों में बंद किया जा रहा है।


हिमांशु कुमार ने अफसोस जताया कि जिस पुलिस अफसर ने जेल में सोनीसोरी पर अकथनीय अत्याचार किये,उसे राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया है। उन्होंने इस पुलिस अफसर ससे राष्ट्रपति पदक छीनकर उसके खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की।


सोनी सोरी सरकार के लिए भी वह एक हार्डकोर नक्‍सली है। वास्तव में वह  वह एक पीडि़त महिला है, जिसे आदिवासी होने की सजा मिल रही है। वह भी उस राज्‍य की आदिवासी, जहां भाजपा सरकार है।



सोनी सोरी ने 27 जुलाई के अपने जेल से सुप्रीम कोर्ट के नाम भेजे गए पत्र में कहा है कि 'आज जीवित हूं तो आपके आदेश की वजह से। आपने सही समय पर आदेश देकर मेरा दोबारा इलाज कराया। एम्स अस्पताल दिल्ली में इलाज के दौरान बहुत ही खुश थी कि मेरा इलाज इतने अच्छे से हो रहा है।  पर जज साहब, आज उसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। मुझ पर शर्मनाक अत्याचार प्रतारणा की जा रही है। आपसे निवेदन है कि मुझ पर दया कीजिएगा। जज साहब इस वख्त मानसिक रूप से अत्यधिक पीड़ित हूं।


सोनी सोरी का यह पत्र आदिवासियों की लड़ाई लड़ रहे हिमांशु कुमार हमारे सामने लाया हैं। इसमें सोनी सोरी ने कहा है कि


1- मुझे नंगा कर के ज़मीन पर बिठाया जाता है।


2- भूख से पीड़ित किया जा रहा है।


3- मेरे अंगों को छूकर तलाशी किया जाता है।


इतना ही नहीं, सोनी सोरी आगे लिखती हैं कि जज साहब छतीसगढ़ सरकार, पुलिस प्रशासन मेरे कपडे कब तक उतरवाते रहेंगे ? मैं भी एक भारतीय आदिवासी महिला हूं। मुझे में भी शर्म है, मुझे शर्म लगती है। मैं अपनी लज्जा को बचा नहीं पा रही हूं ! शर्मनाक शब्द कह कर मेरी लज्जा पर आरोप लगाते हैं ! जज साहब मुझ पर अत्याचार, ज़ुल्म में आज भी कमी नहीं है। आखिर मैंने ऐसा क्या गुनाह किया जो ज़ुल्म पर ज़ुल्म कर रहे हैं। . जज साहब मैंने आप तक अपनी सच्चाई को बयान किया तो क्या गलत किया आज जो इतनी बड़ी बड़ी मानसिक रूप से प्रतारणा दिया जा रहा है? क्या अपने ऊपर हुए ज़ुल्म अत्याचार के खिलाफ लड़ना अपराध है ? क्या मुझे जीने का हक़ नहीं है ? क्या जिन बच्चों को मैंने जन्म दिया उन्हें प्यार देने का अधिकार नहीं है ? इस तरह के ज़ुल्म अत्याचार नक्सली समस्या उत्पन्न होने का स्रोत हैं।


हिमांशु कहते हैं कि सोनी का यह पत्र हम सब के लिये एक चेतावनी है कि कैसे एक सरकार अपने खिलाफ कोर्ट के किसी फैसले का बदला जेल में बंद किसी पर ज़ुल्म कर के ले सकती है ! सरकार साफ़ धमकी दे रही है कि जाओ तुम कोर्ट ! ले आओ आदेश हमारे खिलाफ ! कितनी बार जाओगे कोर्ट ? सोनी पर यह ज़ुल्म सोनी के अपने किसी अपराध के लिये नहीं किये जा रहे। सोनी पर ये ज़ुल्म सामजिक कार्यकर्ताओं से उसके संबंधों के कारण किये जा रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार के अपराधिक कारनामों को उजागर करने की सजा के रूप में सोनी पर ये अत्याचार किये जा रहे हैं ! सोनी सामाजिक कार्यकर्ताओं के किये की सजा भुगत रही है ! हम बाहर जितना बोलेंगे जेल में सोनी पर उतने ही ज़ुल्म बढते जायेंगे।


सोनी को थाने में पीटते समय और बिजली के झटके देते समय एसपी अंकित गर्ग सोनी से यही तो जिद कर रहा था कि सोनी एक झूठा कबूलनामा लिख कर दे दे जिसमे वो यह लिखे कि अरुंधती राय , स्वामी अग्निवेश , कविता श्रीवास्तव , नंदिनी सुंदर , हिमांशु कुमार, मनीष कुंजाम और उसका वकील सब नक्सली हैं ! ताकि इन सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं को एक झटके में जेल में डाला जा सके। सरकार मानती है कि ये सामजिक कार्यकर्ता छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की ज़मीनों पर कंपनियों का कब्ज़ा नहीं होने दे रहे हैं ! इसलिये एक बार अगर इन सामजिक कार्यकर्ताओं को झूठे मामलों में जेल में डाल दिया जाए तो छत्तीसगढ़ में आदिवासियों पर सरकारी फौजों के हमलों पर आवाज़ उठाने वाला कोई नहीं बचेगा ! फिर आराम से बस्तर की आदिवासियों की ज़मीने कंपनियों को बेच कर पैसा कमा सकेंगे।


हिमांशु संसद, मीडिया, कोर्ट से अपील करते हुए कहते हैं कि कोई तो बचाओ इस लड़की को। संसद, सुप्रीम कोर्ट, टीवी और अखबारों के दफ्तर हमारे सामने हैं। हमें चिढा चिढा कर मारा जा रहा है। और सारा देश लोकतन्त्र का जश्न मनाते हुए ये सब देख रहा है।


No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...