आदमी अनुभव से ही सीखता है...
रूद्रप्रयाग जिले का गांव है दम्मर। इस गांव के अंदर से विद्युत परियोजना की सुरंग गई है। इस गांव के मेरे मित्र सेरी ने बताया कि कल दस बजे के आसपास रात गांव के उप्पर से पानी भरने से गांव धसकने लगा तो सभी ने गांव से दूर एक स्कूल में शरण ली। मित्र बहुत परेशान हैं कल रात से ही। फोन से ही रूवांसे हो शांतवना दे रहें हैं मां-बेटा-भाई एक-दूसरे कों..... कबूतरों को उड़ा दो..... गायों को जंगल में सुरक्षित जगह में छोड़ आओ..... बकरियों को भी छोड़ दो... आ ही जाएंगी पीछे-पीछे तो ठीक है.....नहीं तो छोड़ दो.... घर से राशन व कपड़े आदि जरूरत का सामान ले लो जितना हो सकता है..... मैं आने की कोशिश करता हूं......
मित्र परेशां है कि आंखिर क्यो पहले ही हम लोगों ने विद्युत परियोजना का विरोध नहीं किया..... ये सब इसी परियोजना का नतीजा है कि आज यह गांव उत्तराखंड के नक्शे से गायब होने की कगार पर पहुंच गया है..... पुरखों की थाती को हम लोग बचा नहीं सके..... मित्र चिंतित हैं कि अब आगे भविष्य में उन जैसे हजारों उत्तराखंड वासियों का क्या होगा...... कौन लेगा उनकी सुध.... !
मित्र की पीड़ा का कभी कोई हल निकलेगा ऐसे आसार मुझे कहीं से भी दिखते नहीं....
मित्र परेशां है कि आंखिर क्यो पहले ही हम लोगों ने विद्युत परियोजना का विरोध नहीं किया..... ये सब इसी परियोजना का नतीजा है कि आज यह गांव उत्तराखंड के नक्शे से गायब होने की कगार पर पहुंच गया है..... पुरखों की थाती को हम लोग बचा नहीं सके..... मित्र चिंतित हैं कि अब आगे भविष्य में उन जैसे हजारों उत्तराखंड वासियों का क्या होगा...... कौन लेगा उनकी सुध.... !
मित्र की पीड़ा का कभी कोई हल निकलेगा ऐसे आसार मुझे कहीं से भी दिखते नहीं....
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