बिजली कंपनियों के साथ एफएसए के लिए कोलइंडिया को फिर जीरी हो गयी राष्ट्रपति की डिक्री
बिजली कंपनियां लगातार बिजली दरों में इजाफा कर रही हैं और भारत सरकार का उनपर कोई अंकुश नहीं है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बिजली कंपनियों के साथ एफएसए के लिए कोलइंडिया को फिर जीरी हो गयी राष्ट्रपति की डिक्री। पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पटेल के पदचिन्हों पर चलते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी कोलइंडिया को बिजली कंपनियों के साथ अनिवार्य कोयला आपूर्ति समझौता करने के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिया। संवैधानिक बाध्यता हो गयी है कोलइंडिया के लिए अब इन समझौतों पर दस्तखत करना। एनटीपीसी के साथ लंबे विवाद के मध्य ही कोलइंडिया ने इन समझौतों पर दस्तखत कर दिये। अब नये सिरे से राष्ट्रपति की डिक्री जारी करके भारत सरकार नें उसके लिए कोई विकल्प ही नहीं छोड़ा है।78 हजार मेगावाट बिजली उत्पादवन के लिए कोयला आपूर्ति के लिए कोल इंडिया बाध्य है चाहे जैसे हो। उत्पादन पर्याप्त न हुआ तो उसे यह कोयला आयात करके बिजली कंपनियों को देना होगा। कोल इंडिया की बलि चढ़ाकर भारत सरकार बिजली उत्पादन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की नीति पर चल रही है लेकिन बिजली उत्पादन बढ़ने से आम उपभोक्ताओं को राहत मिलने की कोई उम्मीद नही है क्योंकि उत्पादन लागत बढ़ जाने के बहाने बिजली कंपनियां लगातार बिजली दरों में इजाफा कर रही हैं और भारत सरकार का उनपर कोई अंकुश नहीं है।
कोल इंडिया के एफएसए करने से सबसे ज्यादा फायदा अदानी पावरअदानी पावर को मिल सकता है। अदानी पावर के अलावा रिलायंस पावर, टाटा पावर, जेएसडब्ल्यू एनर्जी को भी फायदा हो सकता है। लेकिन जेपी पावर और लैंको इंफ्रा को ज्यादा फायदा होने की उम्मीद नहीं है।
फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट पर कोल इंडिया के लिए सरकार ने राष्ट्रपति का निर्देश जारी किया है। राष्ट्रपति निर्देश के बाद अब कोल इंडिया को एफएसए करना ही होगा।
कंपनी के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन के क्लॉज 37 के तहत निर्देश जारी किया गया है।कोल इंडिया को पावर कंपनियों के साथ 20 साल के लिए कुल जरूरत का 80 फीसदी कोयले की सप्लाई के लिए करार करना है।
कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के मुताबिक राष्ट्रपति निर्देश की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को दे दी गयी है। जायसवाल को उम्मीद है कि 1-2 दिन में कोल इंडिया पावर कंपनियों के साथ करार करेगी। कोल इंडिया का बोर्ड एफएसए के पेनाल्टी क्लॉज पर फैसला लेगा।
कोल इंडिया 80 फीसदी से कम कोयले की सप्लाई करती है, तो कंपनी पर जुर्माना लगाया जायेगा।
इसी बीच बिजली वितरण क्षेत्र के निजीकरण की वकालत करते हुए योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि इससे भारी भरकम घाटे के बोझ को कम करने में मदद मिलेगी। अहलूवालिया ने सुझाव दिया कि कम से कम आधा बिजली वितरण का काम निजी क्षेत्र के पास होना चाहिए।योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने शुक्रवार को पीएचडी चैंबर की कार्यशाला के मौके पर संवाददाताओं से कहा कि देश के कुल बिजली वितरण क्षेत्र में से सिर्फ चार फीसदी ही निजी क्षेत्र के आपूर्तिकर्ताओं के पास है। मुझे समझ नहीं आता कि क्यों यह अगले 10 साल में 50 प्रतिशत पर नहीं पहुंच सकता।देश के बिजली वितरण क्षेत्र को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। उनका नुकसान 2.46 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है। यह पूछे जाने पर कि क्या निजीकरण से संकट में फंसे बिजली क्षेत्र को कुछ मदद मिलेगी, अहलूवालिया ने कहा कि मेरा ऐसा विश्वास है। मुझे इसकी कोई वजह नजर नहीं आती। हम क्यों नहीं प्रयोग कर सकते।
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