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Sunday, August 25, 2013

आओ लोकतंत्र लोकतंत्र खेलें !


Status Update
By चन्द्रशेखर करगेती

आओ लोकतंत्र लोकतंत्र खेलें !

सवा अरब की आबादी में से किसी भी व्यक्ति को फर्जी मुठभेड़, फर्जी गिरफ्तारियां, फर्जी मुकदमे आदि में फंसा देना किसी भी राज्य के लिए कितना आसान होता है ? हम-आप लोकतंत्र, मानवा- धिकार, बराबरी, स्वतंत्रता आदि की बात करते रहते हैं कि तब तक कोई संस्कृतिकर्मी, मानवाधिकार कार्यकर्ता, या देश-समाज-राज्य की आलोचनात्मक समझ रखने वाला व्यक्ति देश के किसी भी हिस्से में राज्य की क्रूर, अमानवीय, दमनकारी नीतियों की भेंट चढ़ जाता है l हर इस किस्म की किसी घटना के बाद हम बस थोड़ा और ज्यादा चौंक जाते हैं ! इनके लिए ये लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर बस एक खेल होता हैं l 

कभी बेहद चलते-चलते वाले अंदाज में पत्रकार हेमचन्द्र पाण्डेय को गोलियों से भून दिया जाता है, कभी सरेराह दाभोलकर उड़ा दिए जाते हैं, कभी जीतन मरांडी फांसी के लिए चुन लिए जाते हैं, कभी सुधीर ढबले, कभी कँवल भारती तो कभी डफली बजाने वाला हेम मिश्रा गिरफ्तार कर लिया जाता है l

किसी भी राज्य मशीनरी की पुलिस के लिए वाकई यह कितना आसान है l वह चाहे तो आप को खड़े-खड़े किसी भी बम ब्लास्ट के मास्टर माइंड घोषित कर दे l मुसलमान हैं तो आतंकवादी तय कर दे l नक्सली वर्दी पहनाकर किसी भी जंगल में ले जाकर मार दे l बरामदगी में कट्टा, पिस्तौल, बम, गोली या नक्सली साहित्य बताकर नक्सली करार दे दे और कुछ नहीं तो कुछ चीट्ठियों की जालसाजी भर से नक्सली कुरियर बता दे l

हेम हम समझते हैं, तुम्हारे साथ क्या हुआ होगा ? तुमने उन्हें लगातार समझाने की कोशिशें की होंगी कि तुम महज एक विद्यार्थी हो, जे.एन.यू. में चायनीज भाषा की पढायी करते हो, फिल्म, नाटक, डफली, गानों आदि से विद्यार्थियों को उनके हक़-हकुकों के लिए जागरूक बनाते हो बस l

हम समझते हैं हेम, उन्हें कुछ नहीं सुनना-समझना था, और वे कुछ नहीं सुने-समझे होंगे, तुम्हें जबरन गिरफ्तार किया होगा और फिर वे अपनी कई तरह की बातें मनवाने में लग गए होंगे l

मैं ठीक कह रहा हूँ न ?

साभार : Mithilesh Priyadarshy, JNU, Delhi

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