राष्ट्रवाद वही जो हुआ राष्ट्रद्रोह ,हुश्न के लाखों रंग कौन सा रंग देक्खोगे?
जब पूरा हिंदुस्तान आहिस्ते आहिस्ते संघ परिवार का फिलीस्तीन आकार लेने लगा है,जब सिरे से गायब हैं वाम, समाजवादी, अंबेडकरी आवाम और सर्वत्र या केसरिया या फिर आप वसंतबहार है तो लीक बजट पास होने से पहले अच्छे दिन मूसलाधार हैं।
पलाश विश्वास
शुरु में अरविंद केजरीवाल का एक बेहद प्रासंगिक मंतव्य मदर टेरेसा को शत प्रतिशत हिंदुत्व के एजंडा के मुताबिक धर्मातंरण संत बनाने के मोहन भागवत अभियान के मद्देनजर।
आगे इस मुद्दे पर टिप्पणी करना उचित नहीं है और ऩ उनके मुद्दे को हम आगे बढ़ाने वाले हैं।
Arvind Kejriwal
I worked with Mother Teresa for a few months at Nirmal Hriday ashram in Kolkata.
She was a noble soul.
Please spare her.
धर्मांध जो राष्ट्रवाद है,उसका नजारा सबसे बड़ा फिलीस्तीन है।
जेहाद के कारोबार का कितना वास्ता इस्लाम और उसके बंदों से है ,उसका सामाजिक यथार्थ लेकिन फिलीस्तीन है।
फिलीस्तीन कोई भूगोल नहीं है।
फिलस्तीन इंसानियत का ताजा मंजर है।
फिलस्तीन कोई मध्यपूर्व का संकट सिर्फ नहीं है।
फिलस्तीन हमारे महान देश भारत का मौजूदा ग्राउंड जीरो हकीकत है।
एक मुकम्मल फिलस्तीन को हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद आकार देने में कामयाब हुआ दिखता है इस्लाम के खिलाफ अपने जिहाद मेंं।
कश्मीर घाटी पर हिंदू राष्ट्रवाद का विजय पताका फहराने के बाद अश्वमेधी शाही घोड़े कितने तेज दौड़ेंगे ,कह नहीं सकते हम।
हमारे पास भारत सरकार का कोई सांख्यिकी मंत्रालय नहीं है जो रिजर्व बैंक के गवर्नर को भी परिभाषाओं,पैमानों और आंकड़ों का पाठ पढ़ाये।
फिर भी कश्मीर घाटी में एक फिलस्तीन को आकार लेते हुए हम देख रहे हैं।
हम कह नहीं सकते भारत विजय अभियान का अंजाम आखिर क्या होगा।
बंग विजय होगा या नहीं होगा,कोई फर्क नई पैंदा ,जी।
बंगाल संघ परिवार जीते या न जीते,हालात जो बन रहे हैं,बंगाल और समूचे पूरब और पूर्वोत्तर में एक फिलीस्तीन आकार ले रहा है।
लिखते लिखते तीन बज गये।सविता बाबू दोपहर दो बजे दवा खाकर लेटी हैं।एक घंटे बाद भोजन करना जरुरी हो गया। सुबह गेल की दुहरे शतक और रिकार्डसाझेदारी का जश्न एक झलक देख लिया था और अब खाते वक्त टीवी पह हुस्न के लाखों रंग बिखरे हैं।
संसद से सड़क तक घनघोर नौटंकी है।
प्रणव बाबू के अभिभाषण मुताबेक किसानों के हक में भूमि अधिग्रहण बिल संसद में पेश हो गया है और हमेशा की तरह संशोधन की सौदेबाजी के खातिर विरोध में समूचे विपक्ष का वाकआउट हो गया।
अन्ना धरने का जंतरमंतर से संसद मार्ग तक विस्तार हो चुका है।राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य या अन्ना है या फिर उनके साथ जुड़े तमाम एनजीओ हैं,जो जनांदोलन के झंडेवरदार हैं।या फिर अभी दिल्ली फतह करने वाले अरविंद केजरीवाल हैं।
अब तक प्रतिरोध और जनांदोलन का झंडे फहराने वाले वाम,समाजवादी और अंबेडकरी पक्ष सिरे से गायब हैं और इससे बड़ी बात यह है कि तीनों पक्ष अपनी अपनी दगाबाजियों से बेनकाब हैं और जनता के बीच उनकी साख नहीं कोी और जनता के बीच जाने की उनकी कोई पहल है।लब्बोलुआब यह कि जनता के लिए विक्लप आप ही आप है।
समाजवाद सैफई से केसरिया केसरिया।सैफई दावत अध्यादेशों को देर सवेर कानून की शक्ल दे ही देंगी।मोदी वहां हाजिर थे,लेकिन न सोनिया थी न थे राहुल गांधी।न था वामपक्ष और न अंबेडकरी कोई।
अजब संजोग है कि राजनेताओं को धरना मंच पर न आने की नसीहत देने वाले अन्ना ने दिल्ली हारने से पहले किरण बेदी को पलक पांवड़े पर बिठाये अन्ना ने तुरत फुरत अरविंद केजरीवाल को मंच पर अपने बगल में बिठा लिया और वे भूमि अधिग्रहण के खिलाफ राष्ट्र को संबोधित भी करेंगे।वाम ,समाजवादी और अंबेडकरी पक्ष का विरोध संसद में दर्ज हो न हो,सड़क पर लेकिन आप है।
खास बात यह है कि अब शकोसुबह की कोई गुंजाइस बची नही है कि संघ परिवार ने आखिर भारत जीते या न जीते,कश्मीर जीत लिया है।
कांग्रेसी सियासत के युवराज की ताजपोशी कब होगी,होगी भी या नहीं कोई नहीं जानता।ताज हो न हो,कांग्रेस के वही सर्वेसर्वा हैं और संसद से उनका अभी अभी पलायन हुआ है।उनने भी अन्ना के धरने में शामिल होने की पेशकश की थी,ऐसी खबर है और खबर यह भी कि अन्ना ने उन्हें राजनेता बताते हुए जनता के बीच बैठने की इजाजत दी थी।
राहुल गांधी जनता के बीच आयेंगे या नहीं,कह नहीं सकते लेकिन अरविंद केजरीवाल को अब जनता के बीच बिठाने की जरुरत नही मानते अन्ना।वाम का तो पक्ष ही अभी साफ नहीं है कि वे सड़क पर आयेंगे या नहीं,आयेंगे तो किसके साथ होंगे कि कांग्रेस के साथ मुहब्बत की पिंगे फिर बहार बतायी जाती हैं।
जैसे संजोग यह भी कि घाटी का संघ विरोधी जनादेश अब बेमतलब है।
कश्मीर में सत्ता अब जम्मू की है।
जब पूरा हिंदुस्तान आहिस्ते आहिस्ते संघ परिवार का फिलीस्तीन आकार लेने लगा है,जब सिरे से गायब हैं वाम, समाजवादी, अंबेडकरी आवाम और सर्वत्र या केसरिया या फिर आप वसंतबहार है तो लीक बजट पास होने से पहले अच्छे दिन मूसलाधार हैं।
दोपहर के भोजन पर चैनलमाध्यमे न्यूज अपडेट से निपटे ही थे कि लैंड लाइन पर इनसुलिन वाली कंपनी का फोन आ गया सविता बाबू को तलब हो गया।
हम खड़ा रहे कि का मेहरबानी हो गइल।
सविता बाबू मुंडि हिलाईके कहल रही कि इनसुलिन तो आखेर जिये वास्ते चाहि।
फोन से वे निबटीं तो पूछा, का खुशखबरी है।
बोली इंसुलिन चालीस रुपये और मंहगा हो गयो।
बहुत सुंदर बा ई हुश्न का जश्न लाजवाब कि बसंत बहार है और देश हमार पिलीस्तीन है।
हम लोग चीजों को नजरअंदाज करने के माहिर खिलाड़ी बन गये हैं और मुक्त बाजार ने हमारा यह कायकल्प कर दिया है।
नंगी आंखों से सच की इबारत हम पढ़ ही नहीं सकते।
सत्ता और बाजार के लिहाज से मौके की नजाकत तौलकर हम अपना अपना सच गढ़ने के दक्ष कारीगर हैं।
बंगाल से दीदी बांग्लादेश गयी थी जमात कनेक्शन से निजात पाने के लिए।
राजनय का तकाजा था कि वे निष्पक्षता भारत की दर्ज करते ओपार बांग्ला के राजनीतिक रक्तपाती भूचाल के मुकाबले,जहां सबसे ज्यादा असुरक्षित बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हैं।
अव्वल तो वे हसीना के साथ खड़ी होकर धर्मनिरपेक्ष दीखने के फिराक में अपने दामन में लगे जमात का निशान को मिटाने की गरज से बेगम खालिदा या प्रति पक्ष से मिली नहीं।
फिर मोदी की बांग्लादेश यात्रा की जमीन भी पकाने की नैतिक जिम्मेदारी उनकी थी।
जो तिस्ता के स्रोत से सूख जाने की वजह से वह कर नहीं सकती थीं और न गंगा जल बंटवारे पर उनका नजरिया कोई बदला है।
वे बंगालियों की रसोई में ईलिश की आवाजाही पक्की करने की गुजारिश तक सीमाबद्ध हो गयीं तो बेगम हसीना ने भी दोटुक कह दिया कि पानी नहीं है,ईलिश कैसे भेजेंगे।
कह नहीं सकते कि खाया पिया कुछ नहीं ,गिलास तोड़े आठ आने क्योंकि बांग्लादेश में बेगम हसीना ने प्रोटोकोल तोड़कर दीदी को बाकायदा राष्ट्राध्यक्ष जैसा सम्मान दिया और उनके काफिले के लिए ईलिश भोज का आयोजन में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
इस महाभोज के मौके पर जैसे हम भारत में अपने राष्ट्रगान का रीमिक्स परोसने और जनता की तालियां बटोरने के अभ्यस्त हैं,उसी तर्ज पर बंगाल के रवींद्र संगीत आइकन इंद्रनील सेन ने बीच से उठाकर उनके राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला गाना शुरु किया तो राजनय की ऐसी की तैसी हो गयी।
यह खबर कोलकाता के अखबारों में सिलसिलेवार छपी भी है कि कैसे हो हल्ले के बीच सबीना यास्मीन,रुना लैला और रिजवाना वन्या ने दीदी के साथ खड़े होकर सही तरीके से राष्ट्रगान गाया।
हमारे लोग बांग्लादेश में जाकर भी आखिर भूल क्यों जाते हैं कि भारत और पाकिस्तान दोनों भले ही धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद की जुड़वां संतानें हैं,लेकिन बांग्लादेश मुक्तिसंग्राम और उनकी स्वतंत्रतता की कोख लेकिन उनकी मातृभाषा है और उनके राष्ट्रगान में लाखों भाइयों बहनों की शहादतें हैं तो लाखों माताओं की अस्मत भी दर्ज हैं।
वे अपनी मातृभाषा की तौहीन बर्दाश्त नहीं कर सकते और इसीलिए तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों मेंं जलते हुए बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र जिंदा है और जनता का धर्मोन्माद विरोधी जनमोर्चा भी बना हुआ है।
हमारे बुने हुए सन्नाटा के मुकाबले उनकी कुर्बानियों का सिलसिला है।
मजा तो यह है कि दीदी को टालीवूड व्यापार संयोजक शिवाजी पांजा की गिरफ्तारी की खबर राष्ट्रीय खबर बन गयी और बंगाल में उसपर अब भी गर्मागर्म चर्चा चल रही है।
दीदी के विवेकानंद बालीवूड सुपरस्टार देव ने दीदी की मौजूदगी में दोनों बंगाल के एकीकरण का जो सपना बुनना चाहा ,वह लेकिन बांग्लादेशी इस्लामी राष्ट्रवाद का और जमाते इस्लाम बांग्लादेश का एजंडा है।
गौरतलब है कि इस महाबांग्लादेश के नक्शे पर असम समेत समूचा पूर्वोत्तर भी हैं।
देव के सपने के जबाव में जमात और इस्लामी राष्ट्रवादी तत्वों की दीदी से गुजारिश भी हो गयी कि वे बंगाल में लौटकर बंगाल को बांग्लादेश में शामिल करने के आंदोलन का नेतृत्व करें।
जाहिर है कि खाया पिया जो हो गिलास सोलह आने टूट गये।
इस राष्ट्रवादी कार्निवाल में लेकिन बंगाल में यह खबर बनी नहीं।देश को छोड़िये।
दिल्ली में हमने हस्तक्षेप पर खबर दर्ज करा दी और देव का वह वीडियो,जिसमें दीदी गदगदायमान है ,लगा दिया।
गुगल पर हस्तक्षेप के पचास हजार पार फालोअर हैं और कोई कारण नहीं कि लोगों ने वह वीडियो देखा नहीं है जबकि सबको महाबांग्लादेश मुहिम के बारे में मालूम भी है।
अन्ना सत्याग्रह और कश्मीर फतह के कार्निवाल में,संसदीय बजट सत्र के दिलफरेब फिजां में इस नये बवंडर को सिरे से नजर अंदाज कर दिया गया है।जबकि महामहिम ने भूमि अधिग्रहण को किसानों के हक में बताकर संघ परिवार के तमाम अवतारों का आवाहन करते हुए मकम्मल मेकिंग इन की तस्वीरें पेश करते हुए भारतीय बाजार को विदेशी पूंजी के लिए तालातोड़ खुल्ला दरवाजा बना दिया।
आपने वह वीडियो न देखा हो तो कृपया हस्तक्षेप पर देख लेंः
জামাত এজেন্ডার পক্ষে সওয়াল, দুই বাংলা এক হোক
इसीतरह राष्ट्रवाद और राष्ट्रद्रोह मुक्त बाजार में एकाकार है।
अब सत्तर दशक का वह बहुचर्चित पद्मा खन्ना का डांस भी देख लेंः
Husn ke lakhon rang - Johny Mera Naam - YouTube
www.youtube.com/watch?v=LWlPXUAjeks
Dec 21, 2009 - Uploaded by desihotfilmy
is husan ke satoon rang.. song ke liye mumbai ke maratha mandir cinema ke bahar ticket lene ke liye ...
अमरीका-इज़राइल तो गाजापट्टी के मासूमों के दुश्मन हैं ही.
"भाई-भाई' कहने वाले दुनिया भर के इस्लाम के झंडाबरदार क्यों चुप हैं.!
ख़ास कर अरब जगत का अमेरिकी समर्थक शासक वर्ग कहाँ है... !
जो गति तोरी वो गति मोरी।मति मारी गयी हमारी।हमारे हमसफर,बेहद महबूब फोटोकार कमल जोशी का एक दिलचस्प पोस्ट मुद्दे को सरल बनाने के मकसद से शेयर कर रहा हूंः
Kamal Joshi
मेरा कमरा......!
एक बहुत पुराने दोस्त से ३० साल बाद अचानक फ़ोन पर बात हुई...! उसे मेरा मोब का नंबर मिला>> और दोस्त ने फ़ोन किया....! वह स्टूडेंट life में मेरा दोस्त था, बहुत बातें ताज़ा हुई! ...मेरे कमरे में आता था....., उसने मुझ से मज़ाक में पूछा – अब तो तुमने पलंग खरीद लिया होगा...तब तुम जमीन पर सोते थे..!
अब उसे क्या ज़वाब देता...मैं तो आज भी ज़मीन पर ही सोता हूँ....., पलंग की हैसियत तो आज तक नहीं हुई...! बस उसके लिए ये फोटो पोस्ट कर रहा हूँ...., शायद समझ ले....!
इस पर इस टिप्पणी का भी मजे ले लें,खासकर नैनीताल के हमारे खास दोस्तों के लिए उमेश तिवारी पेश हैंः
Umesh Tiwari नैनीताल वाले कमरे के भी कुछ फ़ोटो होंगे ? उस कमरे में खींचा गयाSudarshan Juyal का एक फ़ोटो शायद Arun P Wahi के पास होगा...छत से लटका हुआ एंलार्जर किसी और फ़ोटो में भी था..?
हमारे युवा मित्र अभिषेक श्रीवास्तव का यह पोस्ट गौरतलब हैः
Abhishek Srivastava
मेरे टीवी और अखबार के दोस्तों, आपसे गुज़ारिश है कि एक बार एनएपीएम द्वारा जारी किया गया यह बयान ज़रूर पढ़ें। इसमें कहीं भी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ़ आंदोलन में अन्ना हजारे का जि़क्र नहीं है। नीचे जिन लोगों और संगठनों के नाम दिए हैं, वे ही इस आंदोलन के असल प्रणेता हैं। साफ शब्दों में कहा गया है कि अध्यादेश से कोई समझौता नहीं होगा, इसे समूल रद्द किया जाना होगा।
इस आंदोलन में अन्ना हजारे, राकेश रफ़ीक और पीवी राजगोपाल की एंट्री पूरी तरह सुनियोजित साजिश का हिस्सा है ताकि किसानों के गुस्से को भाप बनाकर उड़ा दिया जाए और समझौते की पटरी पर अध्यादेश को लाकर किसानों को प्रेम से लूट लिया जाए। मेरी गुज़ारिश है कि आप अगर आंदोलन के चेहरे की सही शिनाख्त करें तो आप भी इसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे कि अन्ना हजारे की भूमिका इस आंदोलन में दरअसल जनविरोधी है। प्लीज़, इसे अन्ना का आंदोलन कहना बंद करें और सही चेहरों व मांगों को पहचान कर उन्हें अपने यहां जगह दें।
जनपथ : भूमि अधिग्रहण पर समझौते की गुंजाइश नहीं!
JUNPUTH.COM
लोकसभा में भूमि विधेयक पेश, वेंकैया नायडू ने कहा, अल्पमत बहुमत को डिकटेट नहीं कर सकता -
सरकार बजट सत्र के पहले चरण में छह अध्यादेशों को विधेयकों में तब्दील करने के लिए बहुत तेजी से काम में जुटी हुई है क्योंकि पहला चरण 20 मार्च को समाप्त हो जाएगा। (फ़ाइल फ़ोटो-पीटीआई)
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने जैसे ही ''भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार संशोधन विधेयक 2015'' को पेश करने की अनुमति मांगी पूरा विपक्ष अपने स्थानों पर खड़े होकर इसका विरोध करने लगा। कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस, राजद, आम आदमी पार्टी सहित कई विपक्षी दलों के सदस्य अध्यक्ष के आसन के निकट आ गये और विधेयक को पेश किये जाने का विरोध करने लगे।
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने विपक्षी सदस्यों को राजी कराने का प्रयास करते हुए कहा कि भाजपा सरकार पूरी तरह से किसानों के हित में है और वह इस विधेयक के प्रावधानों पर चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन विपक्षी सदस्यों पर इसका असर नहीं हुआ।
कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति द्वारा पिछले दिनों जारी किये गये अध्यादेश का स्थान लेने के लिए लाये गये इस विधेयक को किसान विरोधी और गरीब विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने सभी दलों से सलाह मशविरा करके विधेयक लाती तो वह बात और होेती लेकिन यह ''बुलडोजर'' करके लाया गया है।
तृणमूल कांग्रेस के स्वागत राय ने इसे किसान विरोधी करार देते हुए कहा कि इससे किसान खस्ताहाल हो जायेंगे। उन्होंने विधेयक को पेश किये जाने का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि पूरे देश में इसका विरोध चल रहा है।
बीजू जनता दल के भ्रर्तुहरि महताब ने कहा कि कहा कि इससे देश का बड़ा तबका प्रभावित होगा। राजग सरकार को समर्थन दे रहे स्वाभिमानी शतकरी संगठन के राजू शेट्टी ने भी इसका विरोध किया।
हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ने ध्वनिमत से विधेयक पेश किये जाने की अनुमति दी और मंत्री ने विधेयक पेश किया। इसके विरोध में विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट किया।
संसदीय कार्य मंत्री ने विपक्षी दलों पर लोकतंत्र का अपमान करने का आरोप लगाया और कहा कि अल्पमत बहुमत को डिकटेट नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि 32 राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों ने केंद्र को ज्ञापन देकर कानून में संशोधन की मांग की थी और कहा था कि इस कानून के चलते विकास कार्य असंभव हो रहा है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। उन्होंने कहा, ''हम सभी बिन्दुओं पर चर्चा के लिए तैयार हैं।''
यह विधेयक इस संबंध में पिछले दिनों राष्ट्रपति द्वारा जारी किये गये अध्यादेश का स्थान लेने के लिए लाया गया है। मंत्री ने इस संबंध में अध्यादेश प्रख्यापित कर तत्काल विधान बनाये जाने के कारणों को दर्शाने वाला एक व्याख्यात्मक विवरण भी पेश किया।
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अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे को दिल्ली सचिवालय 'शुद्ध' करने के लिए बुलाया है। जंतर मंतर पर उन्होंने कहा, 'अन्ना को मैं हमेशा अपना गुरु मानता हूं, अपना पिता समान मानता हूं। एक और निवेदन मैं अन्नाजी से करना चाहता हूं कि अन्नाजी 10 मिनट के लिए हमारे सचिवालय में चरण रखें तो हमारा सचिवालय शुद्ध हो जाएगा। वह 10 मिनट के लिए आएं और सभी विभाग के इंचार्जों से मिलें, हमें प्रेरणा मिलेगी।' दिल्ली के जंतर-मंतर पर अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे एक बार फिर एक साथ उसी तरह नजर आए, जैसे 2010 में लोकपाल आंदोलन के वक्त आए थे ।
Arvind Kejriwal
आज अन्ना जी के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया.
उनका जीवन हमारे लिए बहुत बड़ा प्रेरणा-स्रोत है!
कल दिन में 3 बजे जंतर मंतर पर मनीष के साथ अन्ना जी के नेतृत्व में भूमि अधिग्रहण के विरुद्ध चल रहे आन्दोलन का समर्थन करने जाऊंगा!
Navbharat Times Online
जिस बिल पर मोदी सरकार को चारों ओर से विरोध का सामना करना पड़ रहा है, उसमें और पहले के कानून में क्या अंतर है, फोटो पर क्लिक करके जानिए...
भूमि अधिग्रहण बिल: क्या अंतर हैं दोनों कानूनों में
जिस कानून का इतना विरोध हो रहा है, उसमें क्या है...
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अंधियारे के जश्न में जब वेतनवृद्धि से खुश देश के सबसे बड़े अर्थविशेषज्ञ तबके बैंककर्मियों ने बैंको के होलडिंग कंपनियां बनाये जाने के मद्देनजर,भारतीय स्टोट बैंके की बिकवाली के यथार्थ के मद्देनजर,रिजर्व बैंक तक के निजीकरण की तैयारी के मद्देनजर पंद्रह फीसद वेतन वृद्धि के समझौते के बाद अपनी राष्ट्र व्यापी हड़ताल वापस ले ली है तो बीमा सेक्टर के साथी अब भी कुछ दीये जलाते हुए नजर आ रहे हैं।किस गाजर से वे भी आखिर सन्नाटा बुन लेंगे ,इसका अंदाजा हमें है नहीं बहरहाल।
छत्तीसगढ़ के रंगकर्मी निसार अली ने बहरहाल यह सचित्र रपट भेजी हैः
श्रम क़ानून का उल्लंघन..
FDI ...
भा.जीवन बीमा निगम के निजिकरण के ...
ख़िलाफ़ देशभर में ...
दो घंटे का बहिर्गमन हड़ताल ...
रायपुर शा.क्र. एक ...
हड़ताल सफल रहा ...
सभा हूई ..............
जनगीत गाये गये ...
दमादम मस्त क़लंदर ...
जब तक रोटी के प्रश्नों पर ...
और ...
जाम करो मिल कर ये शोषण का पहिया ...
जनगीत विशेष तौर पर सराहे गए ....
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि मदर टेरेसा की गरीबों की सेवा के पीछे... पढ़ें खबर-
मदर टेरेसा की सेवा के पीछे का उद्देश्य धर्मांतरण था: भागवत
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि मदर टेरेसा की गरीबों की सेवा के पीछे का मुख्य मकसद ईसाई...
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'घर वापसी' न्यायसंगत और संवैधानिक है: प्रवीण तोगड़िया -
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया चेतावनी के बावजूद विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने घर वापसी का बचाव करते हुए दलील दी कि यह न्यायसंगत और संवैधानिक है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी थी कि उनकी सरकार किसी धार्मिक समूह को दूसरों के खिलाफ घृणा को उकसाने की इजाजत नहीं देगी।
विहिप के साल भर चलने वाले स्वर्णजयंती समारोह के तहत यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए तोगड़िया ने कहा, ''चूंकि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि हिंदुत्व एक धर्म नहीं है बल्कि जीवन का तरीका है, इसलिए घर वापसी को असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता।''
देश में हिंदुओं के प्रति भेदभाव होने का जिक्र करते हुए विहिप नेता ने संविधान में बदलाव करने और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग की ताकि समुदाय के गौरव का बरकरार खा जा सके।
- See more at: http://www.jansatta.com/national/ghar-wapsi-is-legitimate-constitutional-vhp-praveen-togadia/18113/#sthash.tlseRLxs.dpuf
The Economic Times
2 hrs ·
Looks like your startup dreams may come true! Govt may unveil Rs 2Kcr 'fund of funds' for startups http://ow.ly/JyvSN
अन्ना हज़ारे ने दिल्ली के जंतर मंतर पर आंदोलन का आग़ाज़ कर दिया है. पढ़ें पूरी ख़बर
FORUM: गटिया राम किसान हैं. वो कहते हैं कि सरकारों ने ज़मीन का ठीक मुआवज़ा नहीं दिया है. भूमि अधिग्रणह विधेयक पर क्या राय है आपकी.
धरने पर बैठे अन्ना हजारे मोदी सरकार से इतना क्यों खफा हैं, फोटो पर क्लिक करके जानिए...
अन्ना हजारे का मोदी सरकार पर हमला
जंतर-मंतर पर दो दिवसीय आंदोलन के दौरान अन्ना हजारे ने कहा कि इस बार वह जेल भरो आंदोलन करेंगे...
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